Chapter 65

Chapter 65

humsafar 65

Chapter

65

 



        कार्तिक घर आया और बिना कुछ कहे कपड़े बदल कर स्टडी रूम मे कुछ काम के बहाने से चला गया। काव्या उससे बात करना चाहती थी लेकिन कार्तिक ने कोई इंट्रेस् नही लिया जैसे उसे चित्रा से कोई मतलब ही नही हो। काव्या अच्छे से जानती यही की चित्रा दिल से इस रिश्ते के लिए तैयार नही थी और उसका मन कहता था की चित्रा भी कार्तिक को पसंद करती है लेकिन ये बात कार्तिक को समझानी जरूरी थी। 

   "क्या करू कैसे करू!!! इन दोनो को समझाना होगा वरना पूरी लाइफ कोई भी खुश नही रह पायेगा। अगर मेरा सोचना सही है तो एक साथ कई सारी जिंदगियां खराब हो सकती है। कार्तिक मेरे बारे मे सोच रहा है लेकिन मुझे कार्तिक के बारे मे सोचना होगा। ऐसे ही सब खत्म नही होने दे सकती, तबतक नही जब तक मुझे चित्रा के दिल की बात पता नही चल जाती। कार्तिक हमेशा मेरा एक अच्छा दोस्त रहा है और अपने पति के लिए ना सही लेकिन अपने दोस्त के लिए मुझे कुछ तो करना ही होगा। कार्तिक अपनी लाइफ मे खुशियाँ डिजर्व करता है। मेरे साथ हमेशा घुट घुट कर जिएगा सिर्फ मुझे अपनी जिम्मेदारी समझ कर और मै ऐसा नही होने दे सकती।" काव्या खुद मे ही परेशान हो रही थी। 

       कार्तिक दरवाजा बन्द कर अपने अंदर उमड़े तूफान को शांत करने की कोशिश मे लगा था। चित्रा के साथ गुजरा हर पल उसकी आँखों के आगे किसी फिल्म की तरह घूम रहे थे। जाने कब उसके गालों पर आँसू की बुँदे लुढ़क आई। "प्यार को खोने का दर्द क्या होता है ये आज एहसास हुआ मुझे तरुण। जो चोट मैंने अंजाने मे तुम्हे पहुँचाई वहीं आज मुझे महसूस हो रही है। लेकिन काव्या मेरी पत्नी है और मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी। उसे मै यूँ ही बीच मझदार मे नही छोड़ सकता। अगर वो तुम्हारे पास नही जाना चाहती तो मै उसे खुद से दूर नही जाने दे सकता।"

     काव्या स्टडी रूम के दरवाजे पर खड़ी कार्तिक को आवाज़ दे रही थी लेकिन कार्तिक ने दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया। इस वक़्त वो अकेले ही रहना चाहता था। काव्या ने भी थक कर हार मान लिया और कमरे मे चली गयी। उसने अपने कपड़े बदले और सोने चली गयी लेकिन नींद उन दोनो के ही आँखों मे नही थी। 


     चित्रा पूरे रास्ते खामोश ही बैठी रही। निक्षय उससे बात करना चाहता था लेकिन कुछ सोचकर चुप रह गया। घर पहुँचते ही चित्रा बिना कुछ कहे जब अपने कमरे मे जाने को हुई तो निक्षय ने उसका हाथ पकड़ लिया। चित्रा एक पल10 को घबरा गयी की कही वो कोई सवाल ना कर ले। 

     "निक्षय..! काफी रात हो चुकी है, आई थिंक हमें सो जाना चाहिए।" चित्रा ने नज़रे चुराकर कहा। 

    "ठीक है! अभी रात ज्यादा हो चुकी है, हम कल सुबह बात करेंगे। अभी तुम सो जाओ।" निक्षय ने कहा और चित्रा को उसके कमरे के बाहर छोड़ अपने कमरे मे चला गया। चित्रा ने अंदर से दरवाज़ा बन्द कर लिया और वही बैठी रोने लगी। कार्तिक और चित्रा की लाइफ मे ये एक ऐसा मोड था जहाँ दोनो एक दूसरे की फीलिंग्स से अंजान थे और किसी और के साथ रिश्ते मे बंधे थे। दोनो के दिल का हल एक सा था और किसी से कहना भी मुश्किल था। 


      इधर श्रेया की हालत खराब थी। उसे अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था, लक्ष्य उसके सामने था। लक्ष्य वैसे तो दिखने मे काफी खूबसूरत था लेकिन इस वक़्त उसके चेहरे की शैतानी मुस्कुराहट उसे और भी ज्यादा शैतान बना रही थी। श्रेया अच्छे से जानती थी की लक्ष्य कि तरह का इंसान है। वो तो उसे इंसान भी नही मानती थी। अवनि लक्ष्य के असली चेहरे से अंजान थी लेकिन श्रेया नही। इस वक़्त लगा जैसे लक्ष्य श्रेया को जान से ही मार डालेगा जो उसके लिए कोई बड़ी बात नही थी। 

     "लक्ष्य...! छोड़ो........मुझे.......!" श्रेया मुश्किल से कुछ बोल पा रही थी। लक्ष्य ने उसे गर्दन से पकड़कर ऊपर उठा रखा था जिससे श्रेया की सांस उखड़ने लगी थी। लक्ष्य ने एकाएक झटके से उसे छोड़ा जिससे श्रेया जमीन पर जा गिरी और जोर जोर से खाँसने लगी। उसे यूँ तकलीफ मे देख लक्ष्य आराम से सिटी बजाते हुए उसके सामने एक कुर्सी लेकर बैठ गया। 

     *मैंने सुना है कुछ......! सुना...... नही देखा मैंने, किसी को मुझसे बेवफाई करते हुए। मेरी जान को लगता है की वो अपनी लाइफ खुशी से जियेगी तो वो बेचारी कितनी मासूम है! कितनी गलतफहमी है उसे की मै उसे इतनी आसानी से जाने दूँगा। लेकिन इस सब मे पूरी गलती उसकी भी नही है। जहाँ तक मै जानता हु वो मेरे खिलाफ जाने की सोच भी नही सकती थी और एक दम से मुझे भूल गयी ये बात मुझे खटक रही है तो क्या इन सब मे तुम्हारी गलती है!!! आ बोलो हाँ..! बोलो बोलो, जल्दी बोलो मेरे पास टाइम नही है तुम्हारे पीछे बर्बाद करने को। मुझे और भी काम है जैसे की...जैसे की....जैसे की...अवनि को बर्बाद करना, उसे अपनी उंगलियो पर नचान। अभी तो मैंने कुछ किया भी नही है और तुम मेरा टाइम वेस्ट कर रही हो। अब जल्दी से बताओ की इन सबमे तुम्हारा हाथ है या नही!!!" लक्ष्य ने आराम से पूछा। 

     श्रेया चुपचाप बस उसे देखती रही। उसे यूँ खामोश देख लक्ष्य को और ज्यादा गुस्सा आया और उसने श्रेया को बाल से पकड़कर घसीटते हुए कुर्सी पर बैठाया। श्रेया दर्द से चीख पड़ी लेकिन वहाँ उसकी चीख सुनने वाला कोई नही था। उसने आँखों मे आँसू भर कर कहा, "तुम इंसान नही हो  लक्ष्य......! तुम्हारे जैसा राक्षस मैंने आज तक नही देखा। कुछ तो रहम करो उसपर!!!"

      श्रेया की बात सुन लक्ष्य जोर से हँसा। "शिकार पर रहम नही किया जाता मेरी जान! मेरा शिकार छीन कर मुझे ही उपदेश दे रही हो। अभी तुमने ही कहा न की मै एक राक्षस हु तो राक्षस कभी किसी पर दया नही दिखाते तभी तो वो राक्षस होते है वरना तो वो भी इंसान नही बन जायेंगे!!!" लक्ष्य ने कहा। 

    उसकी बात श्रेया ने तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "अब तुम उसका कुछ नही बिगड़ सकते। जिसे तुम अपना शिकार कह रहे हो अब उस मे किसी की जान बसती है। और वो जो भी है, बस यूँ समझ लो की तुम्हारे सामने खुद भगवान खड़े है। उसके पार जाकर तुम अवनि तक कभी नही पहुँच पाओगे। अब वो तेरे पहुँच से बहुत दूर है कमीने!!!" श्रेया चीख पड़ी। 

     श्रेया की चीख सुन लक्ष्य ने उसे प्यार से देखा और उल्टे हाथ से जोरदार थप्पड़ मारा। श्रेया उस थप्पड़ को सहन नही कर पाई और कुर्सी से नीचे जा गिरी। उसके होठों से खून निकल गया। लेकिन लक्ष्य को कोई फर्क नही पड़ा, उल्टे उसने श्रेया के पाव पर अपना जूता रखा और खड़ा हो गया। श्रेया को लगा अभी उसकी मौत आ जायेगी। उसने अपने होंठों को कस कर भींच लिया लेकिन फिर भी वो दर्द से कराह उठी। तभी उसका फोन बजा, कॉल मानव का था लेकिन फोन साइलेंट पर होने के कारण किसी को पता नही चला और श्रेया का हाथ लगने से कॉल रिसीव हो गया था। 

      मानव ने जब श्रेया की चीख सुनी तो उसके रोंगटे खड़े हो गए। वो घबराहट मे श्रेया के पास जाने को भागा। श्रेया जमीन पर पड़ी दर्द से छटपटा रही थी और लक्ष्य उसे ऐसे देख मजे से उसका वीडियो ले रहा था। "तुम्हे तो पता है न मेरी जान! मै कुछ भी कर सकता हु तो फिर मुझे चैलेंज क्यों कर रही हो! जब भगवान भी मुझ जैसे शैतान से हार मान चुके है तो फिर ये तुम्हारा, क्या नाम है उसका....... हाँ सारांश, वो क्या बिगड़ लेगा मेरा!" लक्ष्य ने कहा। 

      "इतना खुश मत हो कमीने! तु कभी उस तक नही पहुँच पायेगा। हाँ मैंने किया ये सब, मुझे बस एक मौका चाहिए तब उसे तुझ से बचाने के और देख मुझे वो मौका मिला वो भी सारांश के रूप मे। मै जो कर सकती थी मैंने किया, तुझे अवनि की लाइफ से निकाल बाहर किया और देख आज वो तेरा नाम भी भूल चुकी है। सारांश के प्यार मे वो तो खुद को भी भूल चुकी है। अब तु कुछ नही कर सकता।" कहते हुए श्रेया हँसने लगी,  उसे समझ नही आया की सारांश के बारे मे लक्ष्य को कैसे पता! 

      लक्ष्य ने भी बिना कुछ सोचे उसके बाल पकड़े और दूर फेंक दिया जिससे श्रेया टेबल से जा टकराई और उसके सिर मे गहरी चोट आई। श्रेया जैसे ही बेहोश होने वाली थी, उसके कानों मे मानव की आवाज़ सुनाई दी। लक्ष्य वहाँ से जा चुका था। श्रेया मानव की बाहों मे बेहोश हो गयी। उसकी ऐसे हालत देख मानव ने बिना एक पल गवाए उसने अपने डॉक्टर को फोन किया। 

     डॉक्टर ने श्रेया को दवा दी और उसके घाव पर पट्टी कर चला गया। करीब आधे घंटे के बाद जब श्रेया को होश आया तो मानव उसका हाथ पकड़े बैठा था। मानव ने जब उसे उठते देखा तो सबसे पहला सवाल किया, "कौन था वो?" श्रेया को समझ नही आया की मानव उस वक़्त वहाँ कैसे पहुँचा। लेकिन मानव को सबसे पहले ये जानना था की श्रेया पर इस तरह हमला करने वाला आखिर था कौन। श्रेया उसे सच नही बताना चाहती थी लेकिन मानव को पता चल चुका था की ये शख्स जो भी था उसका अवनि के साथ जरूर कोई वास्ता था। 

     श्रेया मानव से झूठ नही बोल पाई और उसे अवनि और लक्ष्य के रिश्ते के बारे मे सब सच बता दिया जो सिर्फ श्रेया जानती थी। 



क्रमश: