Chapter 136

Chapter 136

YHAGK 135

Chapter

 135






 नए साल की पार्टी की प्लानिंग करके लावण्या और रूद्र तय समय पर शॉपिंग के लिए निकल गए। वैसे तो रूद्र को कुछ कुछ लेना नहीं था लेकिन उसे लावण्या से बात करने के लिए अकेले वक्त चाहिए था और शॉपिंग मॉल से बेहतर जगह और कोई हो नहीं सकती थी। पूरी रात वह इसी उलझन में रहा कि आखिर लावण्या की इशिता से कुछ बात हुई या नहीं। जिस कारण उसे पूरी रात ठीक से नींद नहीं आई। पूरे रास्ते रूद्र लावण्या दोनों ही खामोश रहे। रूद्र को समझ नहीं आ रहा था कि वो लावण्या से बात कैसे शुरू करे और लावण्या इसी घबराहट मे थी कि वो रूद्र से क्या कहेगी?  अगर उसनें कहा कि इशिता से उसकी बात नहीं हुई तो ये बात उसके पकड़ में आ जाएगी क्योंकि अगर जो उसको रति भर भी शक हुआ तो अपने शक को दूर करने के लिए वो इशिता से जरूर पूछेगा। 


     मॉल पहुँचते ही लावण्या अपने पसंदीदा ब्रांड के शॉप मे घुस गयी और रूद्र से बोली, "रूद्र!  हम दोनों बहने अक्सर यहीं से कपड़े लेते थे। मुझे नॉर्मल ड्रेस चाहिए होते थे और तुम्हारी बीवी को अतरंगी कपड़े। बड़ी मुश्किल से उसकी पसंद के कपड़े मिल पाते थे। तुम बताओ! तुम शरण्या के लिए किस तरह के ड्रेस लेना चाहते हो?"


    रूद्र बोला, "मुझे तो वो सिर्फ साड़ी मे ही अच्छी लगती है। लेकिन जब हमारी शादी हुई थी उस वक्त उसने जींस टॉप पहन रखा था और उसी ड्रेस में पता नहीं कहाँ से उसके सर पर ये शादी का फितूर सवार हो गया। अगर उस वक्त हमारी शादी ना हुई होती तो शायद हम कभी मिल नहीं पाते। मुझे तो उसे साड़ी मे ही देखना है। वो पहली बार वाली फीलिंग आती है,  जब उसे अमित की शादी मे जाते देखा था। उस दिन उससे नजर नहीं हट रही थी मेरी। दिल किया हमेशा उसे ऐसे ही देखता रहु। सब कुछ भूल कर एक बस उस पर नजर थी मेरी। तुम्हें बता नहीं सकता उस वक्त जो मेरी फीलिंग थी, मैं खुद भी नहीं समझ पाया था। 


    लावण्या मुस्कुराने लगी और साड़ी के सेक्शन में उसे लेकर गई।  रूद्र बड़े प्यार से हर एक ड्रेस को उठाता और कभी उसके डिजाइन कभी रंग तो कभी कपड़ों को छू कर देखता। जितने प्यार से वह शरण्या के लिए एक साड़ी चूज् कर रहा था वह देखकर ही लावण्या का दिल भर आया। उसने एक हल्के पिस्ता रंग की साड़ी उठाई और उसे पैक करने को कहा फिर वेस्टर्न ड्रेस के सेक्शन की तरफ चला गया। 


     वहां उसने काफी मशक्कत के बाद बिल्कुल वैसे ही ड्रेस ढूंढ निकाली जैसा शरण्या ने नए साल पर पहना था। सफेद रंग की बैकलेस और उस पर एक श्रग। लावण्या को भी वह ड्रेस काफी जानी पहचानी सी लग रही थी। रूद्र तो सब कुछ भूल कर बस अपनी शरणया को ही इमेजिन करने में लगा था और शरण्या इस सबसे बेखबर थी। 


    रूद्र ने लावण्या के लिए भी एक ड्रेस उठाई और उसे चेंज करके आने को कहा। लावण्या को भी उस तरह की सिंगल पीस ड्रेस अच्छी लगती थी लेकिन शादी के बाद इतने प्रॉब्लम में फंसे कि अपनी पसंद नापसंद सब कुछ भूल चुकी थी। वह ड्रेस लावण्या को बिल्कुल परफेक्ट आई थी। रूद्र ने हाथों के इशारे से ओके कहा और सारे कपड़ों का बिल पे करके रूद्र लावण्या के साथ बाहर निकल आया। 


   रूद्र ने कहा, "लावण्या! यहां पास में कैफेटेरिया है वहां चलें क्या?"


    लावण्या समझ गई कि अब उसे रूद्र के सवालों का जवाब देना होगा। उसनें कुछ कहा नहीं बस रूद्र के पीछे पीछे चल दी। रूद्र कैफेटेरिया के अंदर पहुंचा और काउंटर पर आपने आर्डर लिखवा दिया। लावण्या वही खड़ी थी अपनी सोच में गुम। रूद्र वापस आया और उसके चेहरे के आगे चुटकी बजाई जिससे लावण्या होश में आई। 


    रूद्र बोला, "कहां खो गई हो? सामने कुर्सी है,  बैठो! या तुम कहो तो तुम्हारे लिए कुर्सी खींचू मैं! बस तुम्हारे पति को कुछ प्रॉब्लम ना हो। तुम्हें लेकर कुछ ज्यादा ही पजेसिव रहता है।"


     लावण्या हल्के से मुस्कुरा दी जिसमें एक तंज था मुस्कुराहट बिल्कुल नहीं थी। लावण्या सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठी तो रूद्र उसके सामने बैठते हुए बोला, "तुमने कल नंबर लिया था! कुछ बात हुई उससे?"


     लावण्या बस इसी सवाल को टालना चाहती थी लेकिन आखिर में रूद्र ने उसके सामने इस सवाल को रख ही दिया। लावण्या के लिए एक बहुत ही अजीब सी सिचुएशन थी। उसने एक गहरी सांस ली, खुद का नार्मल किया और बोली, "हां मेरी बात हुई उससे!"


     अब परेशान होने की बारी रूद्र की थी। वो यह सोच कर के परेशान हो गया कि ना जाने इशिता ने लावण्या से क्या कहा और अब लावण्या का फैसला क्या होगा? रूद्र को अपनी तरफ देखता पाकर लावण्या बोली, "मेरी इशिता से जो भी बात हुई वह सारी क्लियर हुई। मैंने कहा था अगर मेरे और रेहान के रिश्ते को बचाने के लिए एक भी वजह है तो मैं इस रिश्ते को टूटने नहीं दूंगी। जब तक सारी उम्मीदें खत्म नहीं हो जाती तब तक यह रिश्ता खत्म नहीं होगा। सिर्फ एक अपने बच्चे के लिए मैं उस दर्द को नहीं झेलूंगी जो मेरी मां ने मेरे लिए सहा।"


  रूद्र का दिल बुरी तरह से धड़क रहा था। वह बस अपना दिल थामकर  लावण्या की बात सुन रहा था। उसे सिर्फ अपने भाई की चिंता थी लेकिन ऐसे में वह लावण्या को कैसे इग्नोर कर सकता था! यह रिश्ता रेहान और लावण्या का था इसका फैसला करने का हक भी उन दोनों का ही था। लावण्या बोली, "तुम फिकर मत करो रूद्र! मैं कहीं नहीं जा रही हूं और ना ही रेहान को तलाक दे रही हूं। यह रिश्ता अभी कायम है और रहेगा।"


    उसी वक्त रूद्र का ऑर्डर तैयार हो गया तो वह उसे लेने काउंटर पर चला गया। लावण्या बोली, "यह रिश्ता तभी तक कायम है जब तक तुम्हारी और शरण्या की शादी नहीं हो जाती। जब तक तुम दोनों पूरे समाज के सामने एक नहीं हो जाते। एक बार मेरी बहन उस घर की बहू बन जाए फिर मैं उस घर से हमेशा के लिए निकल जाऊंगी। जो दर्द मेरी मां ने सहा मैं उस दर्द को क्यों सहू? मैं रेहान को कभी माफ नहीं कर सकती।"


    रूद्र ऑर्डर लेकर चला गया। उसने और लावण्या ने जल्दी से अपना लंच खत्म किया और वापस शॉपिंग के लिए निकल गए। लावण्या ऑफिस जाना चाहती थी तो रूद्र बोला, "साड़ी ली है तो मैचिंग चीजें भी तो चाहिए होगी। पता है ना तुम्हारी बहन किस हद तक खतरनाक है! ये बात तुम बेहतर जानती हो।"


    लावण्या की हंसी छूट गई और वह दोनों शॉपिंग के लिए निकल गए। इस वक्त लावण्या सब कुछ भूल कर अपनी बहन के लिए कुछ ले रही थी। रूद्र दूसरी शॉप पर था। उसी वक्त लावण्या के कंधे पर किसी ने टैप किया। 


    लावण्या एकदम से चौक पड़ी। अपने सामने उस 6 फीट के स्मार्ट इंसान को देखकर वह पहचानने की कोशिश करने लगी लेकिन नहीं पहचान पाई। लावण्या को अजीब लगा। जिस इंसान को पहचानती नहीं उसने उसके कंधे पर हाथ क्यों रखा? 


    उस आदमी ने लावण्या के आंखों के सामने हाथ हिलाते हुए कहा, "हेलो लावण्या! पहचाना नहीं मुझे? मैं जतिन! स्कूल में, कॉलेज में हमेशा तुम्हारे पीछे बैठा था, याद करो!"


   लावण्या को यह नाम काफी जाना पहचाना सा लग रहा था। वो याद करने की कोशिश करने लगी तो जतिन बोला, "तुमने मुझे इस तरह कभी इमेजिन नहीं किया होगा। एक बार काले फ्रेम के चश्मे के साथ इमेजिन करके देखो।"


  लावण्या को अचानक से याद आया और वो बोली, "तुम.....! जतिन....... जो मेरे पीछे बैठते थे! वह अजीब सा, बालों में तेल लगाए आंखों पर मोटा चश्मा! वो तुम हो? नहीं.....! वह तुम नहीं हो सकते!"


    जतिन बोला, "क्यों? पहले की तरह बिल्कुल नहीं दिख रहा मैं? होता है, लाइफ में जब आप किसी के लिए बदलना चाहो तो ऐसा ही होता है। देखो ना, मेरे उस लुक में तुम एक बार भी मेरी तरफ देखती नहीं थी, आज देखो किस तरह हैरानी से मुझे देख रही हो! काश कि यह मेकओवर मैंने बहुत पहले करवाया होता!"


    लावण्या ने पूछा, "तब क्या होता?"


  जतिन उसकी आंखों में देखकर बोला, "आज तुम मेरी होती!"


   लावण्या हैरान रह गई। उसने कभी उम्मीद नहीं की थी कि जतिन उसके लिए ऐसा कुछ कहेगा। रेहान के पीछे उसने कभी किसी और पर ध्यान ही नहीं दिया। आज उसके इस तरह के प्रपोजल से लावण्या को समझ नहीं आया उसे शरमाना चाहिए या घबराना चाहिए? 


   जतिन फिर बोला, "डोंट वरी! मैं तुम्हें यहां इंबैरेस करने नहीं आया हूं। वह तो मैं बस यहां से गुजर रहा था तो तुम्हें देखा सोचा तुम्हें हेलो बोल दू। बरसो बाद तुम्हें देख रहा हूं। आज भी तुम बिल्कुल वैसे ही लगती हो। रेहान बहुत लकी है जो उसकी बीवी आज भी उसकी गर्लफ्रेंड की तरह लगती है।"


    लावण्या मुस्कुरा कर रह गई।  रेहान का नाम भी सुनना अब उसके बर्दाश्त से बाहर था लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकती थी। खामोशी से उसकी बात सुनती रही फिर एकदम से याद आया कि रूद्र हमेशा उसे बुलि करता था। ज्यादा नहीं लेकिन बस उसके नाम से उसे चिढ़ाया करता था। उसने कहा, "वो रूद्र........"


    जतिन उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोला, "अच्छा हुआ ना कि रूद्र यहाँ नहीं है वरना वह मेरी जो टांग खिंचाई करता था पूछो मत! उसने मुझे सबसे ज्यादा परेशान किया है। वैसे बंदा दिल का अच्छा है। बाकी सब जहां मुझे बुली करते थे वह सिर्फ मुझे परेशान करता था और जब मैं परेशान होकर एक कोने में बैठ जाता तब वो कैफेटेरिया से एक लंच का पैकेट वह मेरे लिए जरूर भेज देता। थोड़ा अजीब है वो। उसके प्यार करने का तरीका अजीब है। वह अपनी केयर जताता नहीं है और ना ही किसी से उम्मीद करता है। देखा है मैंने उसे। वैसे उसकी और शरण्या को लेकर काफी सारी बातें सुनने को मिली थी, क्या सारी सच थी? आई मीन मुझे यकीन नहीं होता कि वह दोनों एक साथ......! सोच कर भी डर लगता है।"


    उसी वक्त रूद्र वहां आ पहुंचा और जतिन को देखते ही पहचान गया। उसने एक जोर का हाथ उसके कंधे पर मारा और बोला, "अरे जत्तू मेरे सत्तू! तू यहां क्या कर रहा है?" फिर उसके बाल को सूंघते हुए बोला, "तेरे बालों में तेल नहीं है? और ये क्या चश्मा कहां गया, डबल बैटरी? तुझे पता है तू कितना स्मार्ट लग रहा है?"


    जतिन मुस्कुरा दिया और बोला, "अब स्मार्ट तो मैं हमेशा से था। पहले पता नहीं था अगर पता होता तो आज लावण्या तुम्हारी भाभी नहीं होती।"


  रूद्र समझ गया और वापस से उसके पेट में घुसा मारते हुए बोला, "अबे तू यहां लावण्या पर लाइन मारने आया है? मेरे रहते तो मेरी भाभी पर लाइन मारेगा तु?"


    लावण्या हंसते हुए बोली, "रूद्र तुम भी ना! अब तो उसे परेशान करना बंद करो। इतने सालों बाद मिला है तो कुछ उसकी सुनो कुछ अपनी कहो। वैसे तुम शरण्या के लिए शूज लेने गए थे ना, मिला?"


     रूद्र बोला, "हां मिला और ले भी लिया। बस उसे बताना मत कि मैंने उसके लिए कुछ लिया है। आई होप कि उसे मेरी पसंद अच्छी लगे और वह कोई नखरे ना दिखाएं।"


    लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "वह तुमसे बहुत प्यार करती है। तुम उसके लिए कुछ भी ऐसा वैसा सेलेक्ट नहीं करोगे। देखा मैंने तुम्हारी शॉपिंग! इतनी खूबसूरत ड्रेसेज को तुम ने यूं ही छांट कर अलग कर दिया। तुम्हारा बस चले ना तो तुम शरण्या को कभी जमीन पर पैर ना रखने दो। प्यार अच्छी बात है रूद्र लेकिन हद से ज्यादा प्यार अच्छा नहीं होता।"


    रूद्र खामोश हो गया। वो बहुत अच्छे से जानता था लावण्या के कहने का मतलब क्या है। उसने पूछा, "कुछ और शॉपिंग करनी है क्या? या फिर ऑफिस चले!"


    लावण्या बोली, "नहीं! मेरा तो हो गया और वैसे भी मुझे कुछ और लेना भी नहीं है तो हम चल सकते हैं।" फिर एकदम से कुछ याद आया और उसने कहा, "रूद्र तुम चलो मुझे जतिन से थोड़ा काम है। मैं चली जाऊंगी। जतिन अगर तुम फ्री हो तो क्या हम......!"


    जतिन बोला, "तुम जब कहो! तुम कहो तो मैं तुम्हें घर पर छोड़ दूंगा। अगर रूद्र को कोई प्रॉब्लम ना हो तो!"


    रूद्र उसे अपनी कोहनी दिखाते हुए बोला, "मेरी भाभी से फलर्ट मत करना बस! और उसे अच्छे से घर ड्रोप कर देना, ठीक है!" कहते हुए उसने प्यार से जतिन के कंधे पर हाथ रखा और सारे बैग लेकर वहां से चला गया।