Chapter 24
humsafar 24
Chapter
24
सारांश की शायरी सुन सब हँस पड़े। कंचन ने कहा, "लेकिन आजकल के बच्चे चश्मा कहाँ लगाना चाहते है! अब हमारी अवनि को ही देख लो..... वो भी तो लेंस लगाती है, मेरी तो सुनती ही कहा है।" वही सिया ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा, "इतनी बकवास शायरी!!! शरद होते न तुझे अभी के अभी अपनी जायदाद से बेदखल कर देते।"
" मॉम....! डैड तो लेजेंड थे, मै नाचीज़। वो कहाँ और मै कहाँ, उनसे बराबरी कैसे कर सकता हु!" सारांश ने भोली सूरत बनाकर कहा और पीछे से सिया से लिपट गया। "मै जाकर अरेंजमेंट देखकर आता हु।" कहकर वह बाहर निकल गया। दूसरी ओर अवनि अभी तक सारांश के शायरी के बारे मे सोच रही थी, "अजीब लोगों के अजीब पसंद....! खुद तो दिखावे के लिए चश्मा लगाता है और बीवी चाहिए डबल बैटरी। लेकिन श्रेया तो चश्मा नही पहनती, और मै तो........ नही नही!!! ये तु फिर क्या सोच रही पागल। उसके पीछे लड़कियो की लाइन लगी होगी, उन्ही मे किसी की बात कर रहा होगा।
अवनि पानी पीने के किचन मे गयी, उसने दोनो हाथो की कोहनी से बोतल निकाली ढक्कन खोला और कुछ ढूँढने लगी। "मै कुछ हेल्प कर दु?" अवनि ने मुड़कर देखा सामने सारांश खड़ा था। अवनि ने सोचा, 'इसको कोई काम नही है क्या? जब देखो मेरे आसपास मंडराते रहता है!' फिर बिना उसकी ओर देखे बोली, "नही मै खुद कर लूँगी, मुझे किसी की भी हेल्प नही चाहिए।"
"तुम किससे बातें कर रही हो?" कार्तिक की आवाज़ अवनि के कानों मे पड़ी तो वह चौँक गयी। उसने इधर उधर देखा तो किचन मे उसके और कार्तिक के अलावा और कोई नही था। अवनि घबरा गयी और बोली, " कुछ नही जीजू वो मै स्ट्रॉ ढूँढ रही थी पानी पीने के लिए। आप यहाँ कैसे? मतलब मै कुछ हेल्प करू"
"नही मै बस काव्या के लिए कुछ खाने को लेने आया था। अब उसके हाथो मे तो मेहंदी लगी है तो मेरा फर्ज़ है की मै उसका ख्याल रखू।" कार्तिक ने कहा। "हम्म्!!! अभी से जोरू के गुलाम" कहकर अवनि हँस पड़ी। कार्तिक भी हँस दिया और काव्या के लिए मिठाई और पानी लेकर वहाँ से चला गया। अवनि ने स्ट्रॉ लिया और बोतल मे डाल कर पीने लगी। उसकी नज़र जैसे ही अपने हाथ की मेहंदी पर गयी, वह इतनी जोर से चौंकी की पानी उसके नाक मे चला गया और वो जोर जोर से खासने लगी।
"ये कब हुआ....? ये कैसे हुआ.....?" अवनि शॉक मे खड़ी अपने हाथ को निहार रही थी। तभी चित्रा भी वहाँ तूफान की तरह आ धमकी। उसने फ्रिज से कोल्डड्रिंक की बोतल निकाली और एक साँस मे खतम करके बोली, "पता नही लोग इतना डांस कैसे कर लेते है, मेरी तो हालत ही खराब हो जाती है।" तभी उसकी नज़र वही शॉक मे खड़ी अवनि पर गयी। उसे कुछ गड़बड़ लगी तो उसने अवनि को आवाज़ दी मगर उसने सुनी नही फिर करीब जाकर उसके काँधे पर हाथ रखा तो अवनि ऐसे डर से उछली मानो उसने भूत देख लिया हो।
"क्या हुआ अवनि! कोई भूत वुत देख लिया क्या? इतना घबराई हुई क्यो हो?" चित्रा के सवाल पर अवनि ने झट से अपने हाथों को छुपा लिया और नॉर्मल हो कर बोली, "कुछ नही.... वो मै...... वो मै......हाँ ,वो मै कुछ सोच रही थी इसीलिए। मै बिल्कुल ठीक हु, मुझे क्या होगा" कहकर अवनि बाहर चली गयी।
कार्तिक काव्या के पास आकर बैठा और मिठाई का एक टुकडा उसके सामने किया। काव्या को खाने का थोड़ा भी मन नही हो रहा था, उसकी नज़र बार बार अखिल के कमरे की ओर जा रही थी। कार्तिक ने उसे समझाया और अपने हाथों से खिलाया। दूर बैठी कंचन ये सब देख भावुक हो गयी। अवनि बालकनी मे आई तो देखा श्रेया पहले। से ही वहाँ खड़ी बाहर लॉन मे सारांश को एकटक देखे जा रही थी।
"ऐसे घूरना बंद कर वरना आँखे निकल कर बाहर आ जायेंगी।" अवनि ने टोका।
"जब सामने देखने की चीज हो तो नज़र बार बार उसे ही तो देखेगी न" श्रेया ने आँहे भरते हुए कहा। अवनि को श्रेया का यू घूरना बुरा लगा तो वह अपने कमरे मे चली आई और आईने के सामने बैठ गयी। दिल और दिमाग के बीच उलझी अवनि ने एक बार फिर अपनी दायी हथेली को देखा। मेहंदी का रंग चढ़ चुका था और साथ ही सारांश का नाम भी। जब मेहंदी वाली ने पूछा था तब उसकी नजर सारांश पर थी और अंजाने मे ही उसने उसका नाम ले लिया था।
"अगर किसी ने देख लिया तो? इसका रंग उतरने मे तो दो हफ्ते लग जायेंगे तब तक कैसे छुपाऊँगी मै इसे सबसे!!!" अवनि बाथरूम जाकर हाथ धो आई मगर कोई फायदा न था। अवनि ने अपना मन शांत किया और नीचे चली आई। काव्या की मेहंदी पूरी हो चुकी थी और कार्तिक को उसमे अपना नाम ढूँढना था मगर यहाँ भी श्रेया और अवनि बीच मे नेग लेने आ गयी। कार्तिक डर गया की ना जाने अब क्या डिमांड कर दे! पिछली बार का याद करके उसने सारांश को आवाज़ लगाई जिसे देख अवनि ने अपने हथेली की मुट्ठी बनाकर पीछे छुपा लिया।
"पिछली बार हमने आपको छोड़ दिया था आज नही.....! आज आपके दोस्त भी आपको नही बचा पाएंगे।" श्रेया ने कहा। मगर उसके कुछ डिमांड करने से पहले ही सारांश ने उन दोनो के सामने लेटेस्ट आईफोन के दो डब्बे पेश कर दिये। फोन के डब्बे देख श्रेया की आँखे चमकने लगी, उसने लपक कर एक डब्बा पकड़ा और साइड हो गयी। अवनि ने उसे अपनी ओर खिचा और बोली, "हमें ये नही चाहिए था।"
श्रेया आईफोन के डब्बे को निहारते हुए बोली, "अवनि बच्चा!! इस दुनिया मे जो चाहिए वो कभी नही मिलता, और जो नही चाहिए वो मिल जाता है। इसीलिए जो मिल रहा है उसे चाहने मे हर्ज क्या है" फिर कार्तिक की ओर देखकर बोली, "अरे जीजू! आप खड़े क्यों है!! जाइये रास्ता साफ है।" श्रेया की बात सुन कार्तिक भी मुस्कुरा कर काव्या के पास जाकर बैठ गया।
सारांश के हाथ मे अभी भी एक डब्बा था, उसने अवनि की ओर बढ़ा दिया तो अवनि ने बाँया हाथ बढ़ा कर धीरे से उठा लिया। "दाहिने हाथ की मेहंदी सूखी नही क्या?" सारांश के सवाल पर अवनि ने घबराकर अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी बना ली और वहाँ से भागने का सोचने लगी। लेकिन सारांश उसके करीब आकर बोला, "वैसे इस सिचुएसन पर एक शेर अर्ज है,
इश्क़ इधर भी है, इश्क़ उधर भी है
इज़हार ए मोहब्बत मे नज़रे झुकाए बैठे है
हमारे इश्क़ की खबर पूरी दुनिया को लग गयी
और वो अपनी हथेली मे हमारा नाम छुपाये बैठे है"
कहकर सारांश ने अवनि को तिरछी निगाहों से देखा।अवनि के पसीने छूट गए लगा जैसे अभी रो पड़ेगी, उसने वहाँ से खिसकने मे ही भलाई समझी। सिया ने सारांश को अपने पास बुलाया और भौंहे मटका के इशारे से पूछा तो सारांश हल्का सा मुस्कुरा दिया। उसने तो तभी देख लिया था जब मेहंदी वाली उसका नाम लिख रही थी।
कार्तिक खुशी से चिल्लाया, "मिल गया! मिल गया!! मुझे मेरा नाम मिल गया। अब तो कोई डाउट नही है मेरे प्यार पर!!"
"अरे बेटा अभी तो मेहंदी का रंग चढ़ना बाकी है। तभी पता चलेगा की दोनो मे कितना प्यार है और किसका पलड़ा भारी है" धानी ने कहा तो कार्तिक का चेहरा उतर गया।
क्रमश: