Chapter 181
YHAGK 180
Chapter
180
रेहान लावण्या का इंतजार कर रहा था। एक एक पल उसके लिए बहुत मुश्किल लग रहे थे। वह दरवाजे की तरफ टकटकी लगाए देख रहा था जैसा कि लावण्या ने कहा था थोड़ी ही देर में वह रेहान के सामने थी। पिस्ता रंग की साड़ी हमेशा से लावण्या पर बहुत अच्छी लगती थी आज भी उसने वही पहना था। रेहान जब भी उससे मिलता कभी भी उससे नज़रे नहीं हटा पाता था। आज भी वही हुआ।
अपनी साड़ी संभालते हुए लावण्या रेहान की तरफ बढ़ी और बोली, "बाकी सब लोग कहां है? चले गए क्या? बता दिया होता मैं भी सीधे वैन्यू पर ही पहुंचती। तुम्हें भी यहां इंतजार नहीं करना पड़ता।"
रेहान मुस्कुरा कर बोला, "तुम्हारा इंतजार तो पिछले कई सालों से कर रहा हूं।"
लावण्या रेहान की बातें सुनकर खामोश हो गई। उसे समझ नहीं आया कि उसकी बातों का क्या जवाब दें। उसने बात बदलते हुए कहा, "आज भी तुमने टाई नहीं लगाई। कम से कम आज के दिन तो पूरी तरह फॉर्मल ड्रेसअप कर लेते। हमेशा तो बिना टाई के ही कहीं भी निकल जाते हो। कितनी बार कहा है टाई बांधना सीख लो।" कहते हुए उसने अपने बैग में से एक डब्बा निकाला जिसमें रेहान के ड्रेस मैचिंग टाइ रखी हुई थी।
रेहान को टाई बांधने नहीं आती थी इसीलिए लावण्या उसकी टाई बांधते हुए बोली, "रूद्र को बोल देते या फिर राहुल को ही। कोई भी कर देता।"
रेहान बोला, "पहले हमेशा रूद्र करता था लेकिन हर बार वह मुझे परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था। उसके बाद तुम आ गई। जब तक हम साथ रहे हमेशा मेरी टाइ तुम बांधती थी।"
लावण्या एकदम से बोल पड़ी, "और तुम मेरा फायदा उठाते थे।" लावण्या के हाथ एकदम से रुक गए। उसे एहसास हुआ कि उसने अभी अभी क्या कहा। वो रेहान को कोई उम्मीद नहीं देना चाहती थी इसलिए उसने जल्दी से उसकी टाई बांधनी शुरू की और रेहान से दूर होना चाहा। तब उसे एहसास हुआ, रेहान ने बिना उसे छुये उसे अपनी बाहों के घेरे में ले रखा है। वो रेहान से खुद को छोड़ने के लिए कहना तो चाहती थी लेकिन कह नहीं पाई।
रेहान उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "अकेली जिंदगी पहाड़ से सी लगती है। बहुत मुश्किल.........शायद नामुमकिन.........!"
लावण्या नजरें झुका कर बोली, "तुम्हें दूसरी शादी कर लेनी चाहिए।"
रेहान ने डब्बे से कंगन निकाला और लावण्या की कलाई में पहनाते हुए बोला, "तुम हां कहोगी?"
लावण्या बाद बदलते हुए बोली, "हमें निकलना चाहिए वरना हमें देर हो जाएगी। वैसे ही मेरी वजह से तुम लेट हो।"
लावण्या ने एक बार भी रेहान को नहीं देखा और वहां से बाहर चली गई। रेहान भी बुझे मन से घर से निकल गया। पूरे रास्ते दोनों खामोश थे। रेहान ने कई बाहर लावण्या से अपने दिल की बात कही, कई बार उसे एहसास दिलाया कि वह कितना अकेला है लेकिन लावण्या जैसे इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती थी। ना जाने उसके दिल में क्या था, शायद यह वह खुद भी नहीं जानती थी।
टाइम से पहले ही सब लोग सगाई के वेन्यू पर पहुंच चुके थे। लड़की वाले बहुत पहले ही वहां आ चुके थे। बिहान ने वहां पहुंचकर सबका स्वागत किया और सबको किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो इसका खास ख्याल रखने की जिम्मेदारी शिखा जी ने उसे सौंपी थी। आखिर उसके अपने भांजे की सगाई थी।
नैना की फैमिली कोई बहुत बड़ी फैमिली नहीं थी। उसके पापा है एक प्राइवेट जॉब करते थे। उनकी हैसियत उन लोगों के सामने कुछ नहीं थी लेकिन फिर भी राहुल ने नैना को कबस् और क्यों पसंद किया यह बात किसी के भी समझ से परे थी। नैना एक सिंपल सी लड़की थी जिसके कुछ अरमान थे और कुछ महत्वाकांक्षाए थी। शिखा जी को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था ना ही धनराज जी को। लावण्या और रेहान अपने बेटे की खुशी में खुश थे। उन दोनों की जोड़ी देखने में भी काफी अच्छी लगती थी इसीलिए किसी ने भी ना नहीं कहा
पंडित जी ने मुहूर्त देखा और सगाई की रसम शुरू करने के लिए कहा। रेहान ने अंगूठी का डब्बा लावण्या को दिया और लावण्या ने उसमें से अंगूठी निकाल कर राहुल की तरफ बढ़ा दिया ताकि वह नैना को पहना सके। नैना की फैमिली ने भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी कि वह राहुल के लिए वैसी ही अंगूठी ले सके। अपनी हैसियत से बढ़कर कर रहे थे वह लोग जिसका एहसास रेहान और उसके पूरे परिवार को था।
सगाई के बाद सभी मेहमान खाना खाकर घर चले गए। इस वक्त वहां सिर्फ लड़के वाले और लड़की वाले मौजूद थे। पंडित जी ने दस दिन बाद का मुहूर्त निकाला तो नैना के पापा बोले,"इतनी जल्दी कैसे कर पाएंगे हम। शादी की तैयारियों में थोड़ा टाइम तो लगेगा।"
लावण्या बोली, "आप बस अपनी बेटी और उसके लिए ढेर सारे आशीर्वाद लेते आइएगा, बाकी हम लोग संभाल लेंगे।"
आपस में बातें करते हुए विहान एकदम से बोला, "अब तो राहुल की शादी होने जा रही है मुझे भी मानव के लिए एक अच्छी सी लड़की चाहिए अगर आप लोगों की नजर में हो कोई ऐसी तो बताइएगा जरूर। उनके स्टेटस से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता बस मेरे बेटे के लिए एक अच्छी जीवनसाथी होनी चाहिए।"
अपनी शादी की बात सुनकर मानव थोड़ा घबरा गया। उसने मौली की तरफ देखा जो गुस्से में उसे घूर रही थी। विहान ने पूछा, "वैसे मैंने कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर भी क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? कोई ऐसी लड़की है जिसे तुम हमसे मिलवाना चाहते हो?"
राहुल को समझ नहीं आया कि वह क्या कहें। अपने पापा से कभी डरता नहीं था लेकिन रूद्र के सामने उसकी जुबान बंद हो जाती। वो हां बोलना चाहता था लेकिन गलती से उसने ना में सर हिला दिया।
मौली को लगा था शायद वह इस बारे में बात करेगा लेकिन उसका जवाब देखकर मौली का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया। वही मानव का डर के मारे बुरा हाल था। उसने बाथरूम जाने का बहाना बनाया और वहां से निकल गया। कुछ देर बाद जब वो बाथरूम में था तब एकदम से किसी ने दरवाजा खोला और अंदर से बंद कर दिया। मानव नजर घुमाकर देख पाता उससे पहले मौली ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे दीवार पर मारते हुए बोली, "तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ना? बहुत अच्छे! तेरे पापा तेरे लिए रिश्ता देख रहे। कर लेना शादी। उससे पहले मैं तुझे अपनी शादी में नचवाऊंगी, वादा है मेरा।"
मौली ने उसे धक्का दिया और छोड़कर जाने लगी। मानव ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला, "तु क्यों बात बात पर गुस्सा हो जाती है। तुझे पता है ना तेरे पापा थे वहां और उनके सामने पता नहीं क्या हो जाता है मुझे। मैं अकेले में पापा से बात करूंगा। बताऊंगा उन्हें हमारे बारे में। बस गुस्सा मत हुआ कर। तुझे एहसास भी नहीं है मैं तुझसे कितना प्यार करता हूं। तेरे अलावा कभी किसी से नहीं किया ना कर पाऊंगा। शादी तो बहुत दूर की बात है।"
"तो फिर कुंवारे बैठे रहना, फट्टू कहीं के।" कहते हुए मौली ने खुद को मानव की पकड़ से छुड़ाया और बाथरूम से बाहर चली गई। जाते जाते उसने दरवाजा बहुत जोर से बंद कर दिया। बेचारा मानव समझ नहीं पा रहा था कि आगे उसे क्या करना चाहिए। उसने तय किया कि घर जाकर वह अपने पापा से बात करेगा। मौली के लिए उसके दिल में जो फीलिंग थी वह कोई नई नहीं थी। लेकिन इस बात से सब किस तरह रिएक्ट करेंगे उसे बस इसी बात का डर था।
अभी वह यह सब कुछ सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। मानव ने फोन रिसीव किया तो दूसरी तरफ से विहान की आवाज आई, "मानव कहां है तू? यह फैमिली फंक्शन है और तेरे दोस्त की सगाई। तुझे उसके साथ होना चाहिए।"
मानव बोला, "पापा मैं अभी बस थोड़ी देर में आ रहा हूं।"
विहान बोला, "जल्दी आ। तेरे दोस्त की सगाई हुई है कम से कम आज के दिन उन दोनों को डेट पर भेजना बनता है। पता नहीं राहुल ने कभी नैना को डेट के लिए पूछा भी है या नहीं। शादी के बाद तो वैसे ही नहीं चेंज हो जानी है। उससे पहले थोड़ा........... बेटा कुछ कर।"
मानव् ने एक गहरी सांस ली और फोन रख कर बाहर चला आया। फिलहाल तो उसे अपनी टेंशन हो रही थी लेकिन उससे पहले राहुल और नैना की डेट अरेंज करनी थी। अपने माँ पापा के अलग होने के बाद से राहुल एक नॉर्मल लाइफ भूल चुका था। जो जिंदगी वह पहले जीता था उस सबसे जैसे खुद को पूरी तरह अलग कर लिया था। सब ने बहुत कोशिश की यहां तक की लावण्या और रेहान भी अलग होने के बावजूद राहुल पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ने दिया लेकिन फिर भी जो कुछ भी हुआ उसके बाद राहुल की लाइफ भी पूरी तरह चेंज हो गई
मानव जैसे ही सबके बीच आया राहुल उठते हुए बोला, "अब अगर मेरा यहां कोई काम नहीं है तो मुझे ऑफिस जाना था कुछ जरूरी काम है जिन्हें खत्म करना है।" राहुल की बात सुनकर नैना का मन थोड़ा उदास हो गया और उसके घर वाले थोड़े परेशान से हो गए। आखिर अभी-अभी सगाई हुई थी और इतनी जल्दी राहुल जाने की बात कर रहा था।
रूद्र उसे टोकते हुए बोला, "माना काम जरूरी है लेकिन परिवार भी जरूरी होता है। काम बाद में पहले परिवार। एक सिंपल सा एंप्लॉय भी अपने परिवार की जरूरतों के लिए काम करता है और जब उसके परिवार को उसकी जरूरत होती है तो वह काम से छुट्टी ले लेता है।"
राहुल उसके बाद बीच में काटते हुए बोला, "जानता हूं चाचू लेकिन छुट्टी पर जाने से पहले सारे काम निपटाने भी तो जरूरी होते हैं। मैं चाहता हूं कि जितना भी जरूरी काम है मैं जल्द से जल्द हूं सबको खत्म कर सकूं ताकि शादी के लिए मैं लंबी छुट्टी ले सकूं। मैं समझ सकता हूं आप क्या कह रहे हैं लेकिन अभी जरूरी नहीं होता तो मैं जरूर रुक जाता।" कहते हुए उसने नैना की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में सॉरी बोल कर वहां से निकल गया।