Chapter 88

Chapter 88

YHAGK 87

Chapter

87






   विहान को हॉल में छोड़ मानसी किचन में चली आई। उसने किचन के सेल्फ खोलकर देखा तो उसमें काफी सारी चीजें मौजूद थी जिससे वह कुछ न कुछ तो बना ही सकती थी। मानसी को यह बात अब पूरी तरह से यकीन हो चला था कि यह घर रुद्र और शरण्या ने रहने के लिए ही खरीदा है। शरण्या के लिए रूद्र का प्यार देख मानसी को अच्छा लगा लेकिन वही विहान का प्यार देख उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस विहान से ना मिलने की कसम उसने कहा रखी थी, आज वही उसके साथ पूरी जिंदगी के लिए खड़ा है। जिसने सिर्फ और सिर्फ उसके लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया। एक वक्त था जब मानसी विहान से बहुत ज्यादा प्यार करने लगी थी, फिर वह वक्त भी आया जब उसने खुद को पूरी दुनिया से अलग कर लिया सिर्फ और सिर्फ विहान से दूर जाने के लिए। अमित से शादी हुई जिसमें सिवाय दर्द और तकलीफ के उसे कुछ ना मिला और एक बार फिर वह अकेली पड़ गई, फिर एकदम से विहान का साथ....... वह भी पूरे समाज के सामने। 


     मानसी की जिंदगी किसी फिल्म की कहानी की तरह चल रही थी। मानसी अभी भी यकीन करने की कोशिश कर रही थी कि अब वह विहान की पत्नी है। उसने कुछ जरूरत की चीजें निकाली और किचन स्लैब पर रख दिया। जैसे ही उसने चाकू उठाया विहान उसके उसके हाथ से चाकू छीनते हुए बोला, "आज हमारी शादी हुई है, आज तुम नई दुल्हन बनी हो तो ऐसे में बिना किसी रस्म के तुम किचन में काम कैसे कर सकती हो? आज के दिन तुम किचन में कुछ नहीं करोगी इसलिए जल्दी से बाहर निकलो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!" कहते हुए उसने मानसी को चाकू दिखाया जिसे देख मानसी को हंसी आ गई। इस वक्त हाथ में चाकू लिए विहान डरावना नहीं बल्कि काफी फनी लग रहा था। मानसी को मुस्कुराते देख विहान को भी अच्छा लगा एक अरसे के बाद  मानसी मुस्कुरा रही थी। 


     विहान ने जैसे ही प्यार से मानसी के चेहरे की तरफ हाथ बढ़ाया वैसे ही रूद्र की आवाज सुनाई दी, "अबे साले........! रोमांस की इतनी जल्दी पड़ी है, कमसे कम दरवाजा तो बंद कर लेता। इतना भी होश नहीं रहा है तुझे! इंसान प्यार में निकम्मा हो जाता है यह बात तूने साबित कर दि।"


     विहान में पलट कर देखा तो रूद्र और शरण्या अपने दोनों हाथों में बैग लिए वहां दरवाजे पर खड़े थे। उन्हें देख विहान मुस्कुराते हुए बोला, "अरे तुम लोग बाहर क्यों खड़े हो? अंदर आ जाओ......! और रूद्र....... तू इसे अपना ही का समझ, ठीक है!"


    "अरे बिल्कुल......... तेरा घर मेरा घर क्या फर्क पड़ता है!  वैसे बड़ा खूबसूरत बनाया है तूने, क्यों है ना शरण्या!" रूद्र ने कहा तो शरण्या मुस्कुराने लगी और बोली, "तुम लोग बैठो, मैं सब के लिए चाय बना कर लाती हु। भाभी.......! ये सारे सामान आप देख लो, इस सब की जरूरत पड़ेगी आप लोगों को। वैसे जहां तक मुझे याद था मैंने अपने हिसाब से खरीदारी करवा दी। बाकी और कुछ चाहिए हो तो प्लीज बता देना।"


     विहान ने जब सुना तो हैरान होकर बोला, "तुझे कैसे पता घर में क्या है क्या नहीं? इस फ्लैट के बारे में मुझे नहीं पता था तो फिर तुझे कैसे पता चला? तू आ चुकी है पहले यहां?" शरण्या और रूद्र ने एक दूसरे की शक्ल देखी और फिर एकदम से रूद्र ने कहा, "अरे यार...! इस बारे में इसको नहीं पता होगा तो फिर किसे पता होगा? जिस ब्रोकर से मैंने यह फ्लैट लिया था वह इसका दोस्त ही तो था, उसी ने बताया था इसे और यह खुद भी पहले इस घर को देखकर जा चुकी है। और फिर यहां क्या है क्या नहीं,  ये मुझसे बेहतर कौन जान सकता है! सारी खरीदारी इसने नहीं मैंने करवाई है।  तु कुछ ज्यादा ही सोच रहा है। यह सारा सामान पकड़ और किचन में रख दे। 


      शरण्या जल्दी से बोली, "और हमारी भाभी के लिए कुछ कपड़े है। तेरे कपड़े मैं तेरे घर से ला दूंगी। फिलहाल तुम दोनों आराम करो मैं चाय बना देती हूं।" कहकर वो जल्दी से किचन की तरफ भागी। 


    रूद्र ने एक बैग मानसी को और एक बैग विहान को देते हुए कहा, "यहां दो कमरे हैं, तुम दोनों डिसाइड कर लो कौन किस कमरे में रहेगा।" शरण्या किचन में थी जब उसने रूद्र की बात सुनी तो वह बाहर आते हुए बोली, "दोनों अलग अलग कमरे में क्यों रहेंगे? दोनों की शादी हो चुकी है अब तो एक ही कमरे में रहेंगे ना दोनों!".   


      रूद्र बोला, "बिल्कुल नहीं!!! शादी नहीं हुई है इन दोनों की। इसलिए यह दोनों ही अलग कमरे में रहेंगे जब तक कि इन दोनों की प्रॉपर्ली शादी ना हो जाए और इसके लिए अंकल आंटी को मनाना होगा। मानसी के घरवालों को भी तो इस बारे में बताना होगा।" 


    शरण्या अपने सर पर हाथ रखते हुए बोली, "यह तो मैंने सोचा ही नहीं! नेहा की फैमिली ने तो पूरी तरह से भाभी से किनारा कर लिया है और भाभी की अपनी फैमिली भी पता नहीं किस तरह से रिएक्ट करेगी! छोटे पापा और छोटी मां ही इस सब में कुछ कर सकते हैं। अगर छोटी मां तैयार हो जाती हैं तो वह छोटे पापा को मना लेंगी। वैसे भी तूने जो इतना लंबा चौड़ा भाषण दिया वहां पर, हो सकता है छोटी मां पर कुछ असर हो इसका! पता नहीं....... हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि वह दोनों इस रिश्ते को एक्सेप्ट कर ले। अगर नहीं किया तो फिर हम दोनों है ना! हम करवाएंगे इन दोनों की शादी।" 


     शरण्या उछलते हुए बोली तो विहान मजाक में रूद्र से  बोला, "हां......! और भाई होने का फर्ज तु निभा देना साले!" कहकर वह हंस पड़ा। रूद्र धीरे से शरण्या के पास आया और उसके कान में बोला, "इस साले को अभी पता नहीं यहां जीजा कौन है!"


      शरण्या मुस्कुरा उठी। उसकी मुस्कुराहट देखकर मानसी को उनके बीच की बातें समझते देर ना लगी। उसने कहा, "अब जब हमारी शादी नहीं हुई है तो फिर मैं यहां किचन में काम कर सकती हूं, है ना विहान! आप लोग बैठो, चाय नाश्ता मैं ले आती हूं।" कहते हो मानसी किचन में चली गई। चाय नाश्ता तो सिर्फ एक बहाना था। मानसी कुछ समय अकेले रहना चाहती थी। सब कुछ जिस तरह अचानक से हुआ, उसके बाद उसे संभालने का मौका नहीं मिला था। 


      विहान को अचानक से कुछ ख्याल आया और वह बोला, "एक तुम दोनों आज कल इतने क्लोज क्लोज क्यों रह रहे हो? मेरा मतलब एक टाइम था जब तुम दोनों एक दूसरे के सामने नहीं आना चाहते थे और जब आते थे तो पूरा घर में हंगामा हो जाता था। सारे घर वाले अपना सर पकड़ लेते थे। आजकल देख रहा हूं, तुम दोनों के बीच के रिलेशन काफी सादा अच्छे हो गए है। पहले की तरह नहीं लड़ते। तुम दोनों कब से इतने सुधर गए कि तुम दोनों की आपस में बनने लगी? और तू रूद्र.......! तू तो शरण्या के नाम से ही भागता था और आजकल तुम दोनों साथ में घूमते हो, शॉपिंग करते हो............। कुछ चल रहा है क्या तुम दोनों के बीच जो मुझे नहीं पता?"


      शरण्या जानती थी कि इस बारे में रूद्र सबसे पहले अपनी मां को बताना चाहता है। शरण्या खुद भी यही चाहती थी इसीलिए विहान का सवाल सुनकर वो थोड़ी घबरा सी गई लेकिन तुरंत खुद को संभालते हुए कुशन उठाकर विहान को दे मारा और बोली, "तेरा दिमाग खराब हो गया है! मेरा अभी भी दिल करे ना तो इस पर हाथ साफ कर दूंगी मैं और कोई मुझे रोक नहीं पाएगा। आजकल हमारी लड़ाई नहीं होती क्योंकि तेरे दोस्त के सर में किसी ने थोड़ा सा दिमाग भर दिया है। आजकल इतनी बड़ी बड़ी बातें करने लगा है ना कि पूछो मत। ज्ञानी बाबा की तरह ज्ञान देने लगे हैं बच्चु। जब से लावी दी की शादी हुई है और वह इसके घर गई है लगता है उनकी संगत का असर इस पर हो गया है और इसीलिए इतना समझदार हो गया है। वरना तो जो बेवकूफ़िया करता था न तेरा दोस्त कि पूछो मत!  तू भी तो इसका पूरा साथ देता था। लेकिन मैं इस बात से बहुत नाराज हूं। तूने इतनी बड़ी बात छुपाई  हम सब से! मुझे तो बता सकता था, मैं कौन सी तेरी लव स्टोरी के विलन बनने वाली थी जो मुझसे भी यह बात छुपाई?"


       "जैसे कि तू अपनी सारी बातें मुझे बताती है! तेरे बारे में क्या जानता हूं मैं? तू तो बात ही मत कर।" विहान ने चिढ़ते हुए कहा।


     शरण्या को एहसास हुआ, उसके बारे में विहान कुछ नहीं जानता। जब उसने खुद इतनी बड़ी बात सब से छुपा कर रखी है तो फिर विहान से भी इस बारे में उम्मीद नहीं कर सकती थी। उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोला लेकिन कुछ बोल नहीं पाई और चुपचाप मानसी के पास किचन में चली गई। 


     शरण्या के जाते ही विहान बोला, "रूद्र..... ....! हमारे जाने के बाद वहां पर क्या हुआ? मतलब......... सब का रिएक्सन कैसा था? आई नो की जो मैंने किया उसके बाद सब की उंगली मानसी पर ही उठी होगी। ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि किसी ने मानसी के खिलाफ कुछ ना कहा हो लेकिन मुझे दुनिया की परवाह नहीं है। मेरे लिए जो मायने रखते हैं और सिर्फ मेरे माँ पापा है और कोई नहीं। लेकिन इस सब में नेहा का दिल भी दुखा है। उन सब का रिएक्शन क्या था और निहा के मां पापा?"


     रूद्र बोला, "बोलने वाले तो बोलते ही रहेंगे, उन्हें चुप कराना किसी के भी बस की बात नहीं है। तू और मैं तो सिर्फ एक मामूली इंसान है। जिन्हें जो कहना है कहने दो क्योंकि जब तुम लोग तकलीफ में होगे तो यह लोग नहीं आएंगे तुम्हारा दुख दर्द बांटने या तुम्हें संभालने। हर तकलीफ में तुम्हें संभालने वाली तुम्हारी बीवी होगी और तुम्हारे अपने होंगे। अंकल आंटी का रिएक्शन वैसा ही था जैसा होना चाहिए। मैंने उन्हें समझाने की पूरी कोशिश तो की है लेकिन जैसा कि शरण्या ने कहा, सब वक्त के हवाले है। देखते हैं आंटी इस सब से कैसे डील करती है। अगर वह मान गई तो अंकल भी मान जाएंगे। नेहा को संभलने में थोड़ा वक्त लगेगा। दिल टूटा है उसका लेकिन अगर वह मानसी से प्यार करती है तो फिर उसके लिए वो खुद को संभाल लेंगी। रही बात अमित के मां पापा की तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि मानसी से उनका कोई लेना-देना नहीं। ना मानसी से और ना ही उससे जुड़े किसी भी इंसान से। शायद उस बच्चे से भी नहीं जो मानसी की कोख में है। तू चिंता मत कर वक्त हर घाव भर देता है और सब कुछ ठीक कर देता है। मानसी के दिल पर जो जख्म लगे हैं उन्हें तु अपने प्यार से भर देना। बाकी सारे निशान वक्त अपने आप मिटा देगा। बाकी लोगों का क्या है, जब तुम दोनों को खुश देखेंगे तो खुद तुम्हारी खुशियों में शामिल होने आएंगे। लेकिन क्या तू सच में इतना बावला हो गया है कि उस बच्चे को अपनाना चाहता है? या फिर उस बच्चे को उसके दादा दादी के पास भेजना चाहता है? मेरा मतलब कि मानसी की डिलीवरी के बाद क्या वह बच्चा तेरे पास रहेगा या फिर अमित की फैमिली के पास?"


      विहान सोफे पर से उठ खड़ा हुआ और बालकनी की तरफ चला गया। रूद्र भी सब के रहते हुए धीमी आवाज में ही बात कर रहा था इसलिए वह भी विहान के पीछे चला गया। विहान सामने की तरफ देखते हुए बोला, "मानसी से जुड़ा हर एक चीज मुझे प्यारा है फिर चाहे यह बच्चा ही क्यों ना हो। अगर इसके दादा दादी ने इसे अपनाना चाहा तो भी मैं नहीं रोक सकता लेकिन अगर मानसी ने इसे देने से इनकार कर दिया या उन्होंने लेने से इनकार कर दिया तो भी मुझे इससे कोई एतराज नहीं है। मानसी मेरे पास है मेरे साथ है मुझे इससे ज्यादा और किसी चीज की उम्मीद नहीं थी और ना ही मैंने कभी मांगा। यह बच्चा अगर मानसी को प्यारा है तो मुझे भी प्यारा है। जिस बच्चे में मानसी का अंश है और जो मानसी का है और वह मेरा भी है, बाकी किसी भी चीज से मुझे लेना-देना नहीं।"