Chapter 179
YHAGK 178
Chapter
178
शरण्या को उसका ही मजाक काफी महंगा पड़ा। उसने बिल्कुल नहीं सोचा था कि लावण्या सीधे-सीधे रूद्र को सब कुछ बता देगी। पूरी रात रूद्र ने शरण्या को बुरी तरह से परेशान किया जब शरण्या से और बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने रूद्र से माफी मांगी और कसम खाई कि आइंदा ऐसी कोई हरकत नहीं करेगी। शरण्या बहुत बुरी तरह से थकी हुई थी उसमें जरा सी भी एनर्जी नहीं बची थी लेकिन रूद्र अभी भी फ्रेश लग रहा था। उसे देखकर कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि वो पूरी रात जागते रहा।
सुबह होने वाली थी और शरण्या की आंखें मूंदने लगी थी। उसे अपनी बहन पर बुरी तरह से गुस्सा आ रहा था और रूद्र पर भी। उसने धीरे से कहा, "आई हेट यू!"
रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "आई लव यू टू!" फिर उसने प्यार से उसके माथे को चूमा और गुड मॉर्निंग बोल कर वहां से बालकनी के रास्ते बाहर निकल गया। उसने अपनी बाइक कुछ दूर पर खड़ी की थी लेकिन वहां तक जाते हुए उसकी नजर रेहान की गाड़ी पर गई। रूद्र एक पल को तो वही ठिठक गया। अंदर झांक कर देखा तो रेहान वही सीट पर सर टिका कर सो रहा था और उसने जब दूसरी तरफ नजर घुमाई तो पाया लावण्या भी वही बालकनी में कुर्सी पर बैठी सो रही थी।
रूद्र इन दोनों की इस हरकत पर मुस्कुरा दिया और बोला, "चाहे तुम लोग कुछ भी कर लो। कितने भी अलग हो जाओ लेकिन एक डोर तुम दोनों को हमेशा बांधे रखेगी और वह है प्यार। तुम दोनों के बीच भले ही दूरियां गई हो लेकिन प्यार कभी खत्म नहीं होगा। मुझे इंतजार उस दिन का है जब तुम दोनों फिर से एक हो जाओगे और इस तरह तुम दोनों को एक दूसरे से मिलने या बात करने के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं होगी।" रूद्र वहां से अपनी बाइक लेकर घर के लिए निकल गया।
वक्त बहुत तेजी से गुजरने लगा था। लावण्या और रेहान के अलग होने की खबर जब जतिन को लगी तब उसने अपनी सगाई से ठीक पहले लावण्या के सामने अपने दिल की बात रखी लेकिन लावण्या ने साफ इंकार कर दिया क्योंकि उसके दिल में सिर्फ रेहान के लिए प्यार था और जतिन की जिससे सगाई होने वाली थी वह लड़की जतिन से बहुत प्यार करती थी ऐसे में यह गलती वह कभी नहीं कर सकती थी।
रेहान रोज रात को लावण्या के घर के बाहर खड़ा होता। वो कभी अपनी गाड़ी से बाहर नही आता लेकिन गाड़ी में बैठ कर ही वो बस एक बार लावण्या को देखने का इंतजार करता। शुरू में कुछ दिन लावण्या बालकनी में बैठकर रेहान के जाने का इंतजार करती रहती लेकिन फिर उसे एहसास हो गया। वो कुछ देर बालकनी में होती और फिर वापस अपने कमरे में चली जाती ताकि रेहान भी घर चला जाए। उसे अपने कमरे में जाता देख रेहान भी वहां से अपने घर को चला जाता।
6 महीने के अंदर ही शरण्या ने खुशखबरी दे दी। रूद्र तो जैसे खुशी से झूम उठा। सिंघानिया हाउस में एक बार फिर खुशियों ने दस्तक दी। शरण्या की पहली सोनोग्राफी रिपोर्ट देखकर किसी को भी हैरानी नहीं हुई। जैसा कि सबको पता था शरण्या जुड़वा बच्चे को जन्म देगी।
रेहान से रिश्ता टूटने के बावजूद लावण्या का उस घर में आना जाना था। राहुल अब इतना छोटा भी नहीं रह गया था कि उसे अपने मां पापा के अलग होने की बात समझ में ना आए। इसके बावजूद उन दोनों ने ही राहुल पर कभी किसी तरह का कोई जवाब नहीं बनाया और सारा फैसला उसी के ऊपर छोड़ दिया कि वह उन दोनों के साथ किस तरह से रहना चाहता है। रेहान और लावण्या ऑफिस में मिलते रहते लेकिन उन दोनों में सिर्फ काम की बातें होती जैसे पहले हुआ करती थी।
समय पर शरण्या ने दो बेटों को जन्म दिया। जैसा कि पहले से तय था उन दोनों ने एक का नाम कार्तिक रखा और दूसरे का नाम शरण्या सोचने लगी। फिर उसने रूद्र की तरफ देखा और बोली "ऋषभ"
रूद्र यह नाम सुनकर बहुत खुश था। बाकी सब को भी दोनों ही नाम बेहद पसंद आए। वक्त गुजरने लगा और बच्चे बड़े होने लगे। दिन महीने साल गुजर गए। बहुत कुछ बदल गया था लेकिन जो नहीं बदला था वह था रुद्र और शरण्या का प्यार, और लावण्या के लिए रेहान का इंतज़ार। रेहान अब भी इसी इंतजार में था की लावण्या वापस उसके पास आ जाएगी और वह दोनों एक बार फिर साथ होंगे। उसने खुद को पूरी तरह से ऑफिस और घर के बीच सीमित कर लिया था। ना तो वह कहीं बाहर जाता ना ही किसी पार्टी में। शायद खुद को सजा दे रहा था, यह तो वही जाने।
17 साल बाद
सिंघानिया हाउस बड़ी खूबसूरती से सजा हुआ था। चारों ओर फूलों की लड़ियां बिखरी हुई थी। हर जगह तोरण लटके हुए थे। मेहमानों की आवाजाही लगी हुई थी। इस वक्त पूरा घर किस दुल्हन की तरह लग रहा था। एक कमरे में एक 25 साल की लड़की हल्के नीले रंग के लहंगे में तैयार होकर आईने के सामने अपने बाल बना रही थी। आँखों मे काजल, माथे पर छोटी सी बिंदी, होंठों पर लाली........ इस वक्त वो किसी राजकुमारी लग रही थी।
वह कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी लेकिन फिर भी अपने बालों को लेकर बड़े प्यार से संवार रही थी। उसी वक्त शिखा जी की आवाज गूंजी, "मौली बेटा! कहां हो?"
अपने बालों पर चलते उसके हाथ रुक गए और अपना दुपट्टा उछाल कर अपने कंधे पर रखते हुए चिल्लाई, "आई दादी!" कहकर वो कमरे से निकलकर सीधे नीचे की तरफ भागी।
शिखा जी पंडित जी से कुछ बात कर रही थी। मौली भागते हुए दादी के पास आई और बोली, "आपने बुलाया दादी?"
शिखा जी ने पहले तो उसे सर से पांव तक निहारा और फिर अपनी आंखों से काजल लेकर उसके कान के पीछे लगाते हुए बोली, "बहुत खूबसूरत लग रही हो। बस जल्दी से तुम्हारा भी रिश्ता पक्का हो जाए। तुम्हारे भी हाथ पीले कर दे तो चैन मिलेगा।"
मौली अपनी दादी को पीछे से गले लगाते हुए बोली, "मतलब मैं बोझ् हो गई हूं आप पर? मेरे यहां रहने से आपके दिल को सुकून नहीं मिलता?"
शिखा जी प्यार से उसके गाल पर मारते हुए बोली, "तू मेरी लाडली है। एक ही तो पोती है मेरी, उसे प्यार नहीं करूंगी तो किसे करूंगी? लेकिन बेटियां कितनी भी प्यारी हो जब तक वह ससुराल नहीं जाती दिल पर एक बोझ सा बना रहता है। चाहे वह लड़का हो या लड़की, एक बार उसका घर बस्ते देखना हर मां बाप का सपना होता है और अपने जीते जी अपने पोते पोतियों को अपनी गोद में खिलाना इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं होती। और अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो परपोते परपोतियों को भी।"
मौली एकदम से उन्हें रोकते हुए बोली, "दादी! दादी!! दादी!!! अपने इमैजिनेशन के घोड़े को लगाम दो। अभी हम खुद बच्चे हैं। हां ठीक है राहुल की शादी होने वाली है इसका मतलब यह तो नहीं मेरी भी हो जानी चाहिए। चलो ठीक है लेकिन मैं लव मैरिज करूंगी। मेरे लिए पार्टनर ढूंढने की जरूरत नहीं है, राहुल की तरह। बचपन से ही सड़ीयल रहा है अकडू कहीं का। अब तक उसकी आदत नहीं गई।
इसीलिए तो कोई लड़की नहीं पटी उससे। आप लोगों को ही मेहनत करनी पड़ी है उसके रिश्ते के लिए। वैसे आपको नहीं लगता ये सब कुछ ज्यादा जल्दी हो रहा है। मतलब अभी उम्र कितनी है उसकी? मुझसे छोटा है वो।"
शिखा जी मुस्कुरा कर बोली, "माना वो उम्र में तुमसे छोटा है लेकिन नैना उसकी ही पसंद है। उसके कहने पर ही हमने यह बात आगे बढ़ाई। नैना जितनी शांत है उसी चंचल भी है हमारा राहुल थोड़ा सीरियस है तो उसके लिए नैना से बढ़कर कोई दूसरी नहीं हो सकती थी। उसके घर वाले ही चाहते थे कि सगाई और शादी जल्दी हो जाए वरना हम तो एक 2 साल और इंतजार करना चाहते थे। खैर कोई बात नहीं। राहुल की पढ़ाई पूरी हो चुकी है तो ऐसे में शादी करने में कोई बुराई नहीं है। तेरे दिल में कोई हो तो तु बता सकती है।"
मौली एकदम से चुप हो गई। उसे इस बारे में कुछ कहना तो था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे कहें। उसने बात बदलते हुए कहा, "वह सब छोड़ो दादी! आपने मुझे बुलाया था, किस लिए? कुछ काम था?"
शिखा जी अपने सर पर हाथ रखते हुए बोली, "तेरी बातों में मैं भूल ही गई। जाकर देख सब तैयार हुए या नहीं।"
मौली ने ऊपर की तरफ नजर डाली और कहा, "मैं अभी जाकर देखती हूं। ये चंगू मंगू और यह अपना तारा सितारा तैयार हुए या नहीं।" कहते हुए सीढ़ीयों की तरफ भागी। उसी वक्त रेहान भी हॉल में आया और पीछे से मौली को आवाज देते हुए बोला, "और उन दो प्यार के पंछियों को भी देख लेना वह दोनों तैयार हुए या नहीं।" मौली भागते हुए ऊपर आई और सबसे पहले उसने बिना दरवाजे पर नॉक किए अंदर घुस गई।
रूद्र तैयार था और शरण्या भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। शरण्या इस वक्त रूद्र की टाई बांध रही थी और रूद्र इस मौके का पूरा पूरा फायदा उठा रहा था। शरण्या उसे खुद से दूर करना चाहती थी लेकिन रूद्र उसे ऐसा कोई मौका नहीं दे रहा था। शरण्या उसके टाई का नॉट बांधते हुए बोली, "50 के पार हो चुके हो, इस उम्र में रोमांस सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।"
रुद्र ने उसे अपने और करीब खींचा और धीरे से कहा, "किसी भी उम्र में रोमांस सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। उम्र तो सिर्फ नंबर होते हैं, दिल जवान होना चाहिए। जब तक जवानी है रोमांस में कमी नहीं होनी चाहिए।" कहते हुए उसने शरण्या को अपने और करीब खींचा और उसकी तरफ किस् करने को हल्का सा झुकने लगा। उसी वक्त मौली दनदनाते हुए कमरे में आई और अपनी कमर पर हाथ रख कर बोली, "आप लोगों को शर्म नहीं आती है। बच्चे बड़े हो गए लेकिन अभी भी............ आप दोनों का कुछ नहीं हो सकता।"
शरण्या रुद्र की पकड़ से दूर हुई। रूद्र हल्का गुस्सा दिखाते हुए मौली से बोला, "तुझे दरवाजा नॉक करने में क्या प्रॉब्लम है? जब देखो ऐसे ही सीधे घुस जाती है। अब अगर तेरी आदत नहीं छूटती तो मैं अपनी आदत क्यों बदलूं?"
मौली ने अपने दोनों हाथ अपने कान पर रखे और बाहर निकलते हुए बोली, "आप दोनों का रोमांस हो जाए तो दादी मां ने नीचे बुलाया है।" बोलते हुए वो कमरे से निकल गई लेकिन शरण्या ने रूद्र की टाई से उसके सर पर मरते हुए कहा, "अब चलो। बेटी के सामने तुम बेशर्मों की तरह बात करते हो। थोड़ा तो लिहाज रखो। अब उसकी शादी की उम्र हो गयी है।" कहकर शरण्या भी बाहर चली गई।
ऊपर के कमरे में दो लड़के को तैयार होने में हेल्प कर रहे थे लेकिन बीच में एक दूसरे की टांग खिंचाई करना नहीं भूल रहे थे। उम्र तकरीबन 16 या 17 साल रही होगी। दो जुड़वा भाई जो देखने में काफी एक जैसे ही थे। गोरा रंग तीखे नैन नक्श लंबा कद, कोई भी एक नजर देखें तो देखता ही रह जाए। दोनों ही अपने-अपने बाल बना रहे थे और आईने में देखते हुए एक दुसरे को धक्का दिए जा रहे थे।
उसी वक्त मौली ने कमरे में एंट्री मारी और बोली, "आय हाय मेरे तारा सितारा! बड़े हैंडसम लग रहे हो। तुम लोगों को नहीं लगता कि अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही सज सँवर रहे हो, जैसे सगाई तुम दोनों की हो। ऋषभ कार्तिक बहुत हो गया तुम दोनों का और यह किस तरह से बाल बनाए हैं। लाओ मैं बना देती हु।" कहते हुए मौली जैसे ही उनके करीब आई दोनों ने अपना अपना हाथ उठाकर उसे रोक दिया और एक साथ बोले, "दिदु! आप नहीं समझोगे। ये आज का फैशन है। आप जाओ हम तैयार होकर नीचे आते है।"
मौली ने अपना सर पकड लिया और उन दोनों को घुरकर वहाँ से बाहर निकल गयी। अब सिर्फ एक कमरा बचा था वो था राहुल का कमरा जहाँ वो तैयार हो रहा था। आज सुबह से उसने अपने भाई को देखा नहीं था। इसीलिए वो भागते हुए उसके कमरे में पहुँची। लेकिन अंदर का नाज़रा देख उसके होश उड़ गए। वो जोर से चिल्लाई।