Chapter 135
YHAGK 134
Chapter
134
रूद्र तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर आया तो रेहान शरण्या, मौली, राहुल और उसके माँ पापा सभी वहाँ मौजूद थे लेकिन लावण्या कहीं नजर नहीं आ रही थी। रूद्र ने चारों ओर नजर दौडाई और रेहान से बोला, "लावण्या कहाँ है? कहीं दिख नहीं रही! सो रही है क्या?"
रेहान बोला, "नहीं! मैंने उसे सुबह ही ऑफिस के लिए निकलते देखा है। जिस वक्त मैं उठा तबतक वो तैयार होकर निकलने ही वाली थी।"
रूद्र हैरान हो गया। इतनी सुबह ऑफिस!!! कोई मीटिंग थी क्या?"
रेहान ने ना में सर हिला दिया। रूद्र परेशान हो गया। कल रात लावण्या ने रूद्र से इशिता का नम्बर लिया था और इतनी सुबह ऑफिस! रूद्र को लावण्या से बात करनी थी। उसे जानना था कि इशिता से उसकी बात हुई या नहीं? अगर हुई है तो फिर क्या? आखिर अब लावण्या का फैसला क्या होगा? रूद्र सोच मे पड़ गया। शरण्या ने उसे सोच मे डूबा देखा तो बोली, "क्या हुआ रूद्र? सब ठीक तो है? नाश्ता करो और बच्चों को स्कूल भी छोड़ने जाना है।"
रूद्र अपने ख्यालों से बाहर आया और नाश्ता खत्म कर मौली और राहुल को लेकर स्कूल के निकल गया। आज उसे ऑफिस भी जाना था। जिस प्रोजेक्ट को लेकर उसके और ईशान के बीच डील हुई थी आज उसे लेकर मीटिंग थी। बच्चों को स्कूल छोड़कर रूद्र जब ऑफिस पहुंचा, दरवाजे पर खड़ा रजत उसे दिख गया। पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया फिर अचानक उसे एहसास हुआ कि रजत के चेहरे पर हल्की मायूसी सी थी।
खैर रूद्र ने मीटिंग में हिस्सा लिया जहां लावण्या भी मौजूद थी। रूद्र बिल्कुल बेफिक्र सा वहां बैठा रहा। पूरी मीटिंग के दौरान उसने आँखें बंद रखी। धनराज जी ने जब देखा तो उन्होंने रूद्र को जगाना चाहा लेकिन उसी वक्त रजत से उन्हें रोक दिया और हौले से ना का इशारा किया। पूरे वक़्त रूद्र ने किसी भी बात पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। दोनों ही कंपनियां रूद्र की अपनी थी ऐसे में किसी तरह का कोई ऑब्जेक्शन होना ही नहीं था। मीटिंग खत्म होते ही उसने प्रोजेक्ट मे एक दो जगह गलतियां बताई और सारे पेपर फिर से बनवाने को कहा।
सबके उठने ठीक पहले रूद्र एकदम से बोल पड़ा, "न्यू ईयर की पार्टी कहां करनी है? कुछ सोचा है किसने?"
रजत में सुना तो हैरानी से रूद्र की तरफ देखने लगा और बोला, "सर आपको न्यू ईयर की पार्टी करनी है.......? हर साल तो आप खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं!"
"रजत.........!" रूद्र ने रजत को चुप कराया और बोला, "पार्टी ऑफिस मे रखनी है या घर पर? लावण्या........!!! तुम डिसाइड करो! जो भी जैसा भी लेकिन पार्टी शानदार होनी चाहिए!"
लावण्या आँखें छोटी करते हुए बोली, "शानदार पार्टी? तुम्हें चाहिए? क्यो? तुम्हारा अपनी बीवी के साथ कोई प्लान नहीं है क्या? पिछली बार तो उसे पार्टी से बाहर निकाल कर ले गए थे, इस बार क्या इरादा है? नए साल के साथ साथ तुम दोनों की एनिवर्सरि भी तो है! पूरे नौ साल हो जायेंगे जब तुम नें उसे प्रपोज किया था।"
रूद्र मुस्कुरा दिया। उसे वो सारे पल याद आ गये जब उसने शरण्या से अपने प्यार का इजहार किया था। उसनें कहा, "तुम बस पार्टी की तैयारी करो, वो वाला प्लान मैं देख लूंगा। मौली भी खुश हो जाएगी। इस बार वह सब करना है जो इतने सालों से हम नहीं कर पाए। बस यूं समझ लो कि बीते 8 साल हमें अपनी जिंदगी से निकाल फेंकना है, कम से कम कुछ वक्त के लिए। शरण्या को यह बिल्कुल भी एहसास नहीं होना चाहिए कि इतने सालों में क्या कुछ बदला है। हम बिल्कुल उसी तरह नया साल मनाएंगे जैसे पहले मनाते थे। मैं नहीं चाहता शरण्या के माथे पर हल्की सी भी सीकन आए। जो भी हो सब कुछ पहले की तरह हो।"
लावण्या ने सुना तो उसे अच्छा तो लगा लेकिन फिर अचानक से उसे शरण्या की हालत का अंदाजा हुआ और वह बोली, "लेकिन रूद्र! इस सबसे शरण्या की यादाश्त लौट सकती है! इन सबसे अगर उसे सब कुछ याद आ गया तब तुम क्या करोगे?"
रूद्र हंसकर बोला, "मैं क्या करूंगा? जो भी करना है उसे करना है! या तो वह मुझे माफ कर देगी या फिर मुझे छोड़कर हमेशा के लिए चली जाएगी। मुझे माफ कर दिया तो ठीक। हम एक हैप्पी फैमिली हो जाएंगे। अगर नहीं किया तो दो बातें होंगी! या तो मैं यहीं रहकर अपनी फैमिली को इंजॉय करूंगा या फिर यहां से हमेशा हमेशा के लिए चला जाऊंगा, कभी ना लौटने के लिए। अगर यहां रह गया तो ठीक अगर चला गया तो भी दो बातें होंगी! या तो मैं कभी लौट कर नहीं आऊंगा या फिर शरण्या का प्यार मुझे वापस यहां लौटने पर मजबूर कर देगा। नहीं लौटा तो ठीक अगर लौटाया तो भी दो बातें होंगी.......! होने को तो बहुत कुछ हो सकता है यार! मैं बस इस सारे टेंशन से फ्री होना चाहता हूं। मैं सच में चाहता हूं कि शरण्या को सब कुछ याद आ जाए। थक गया हूं मैं उसके मासूमियत का फायदा उठाते उठाते। अब नहीं करना चाहता। जो भी होगा मैंने खुद को किस्मत के हवाले कर दिया है। बरसों पहले भी मैंने यही किया था। अब भी यही कर रहा हूं। इस सब की टेंशन छोड़ो और चलो मेरे साथ।"
लावण्या हैरान होकर बोली, "कहां चलूं तुम्हारे साथ? ऑफिस में इतना काम पड़ा है! ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती मैं।"
रूद्र बोला, "तुम्हारा जो भी काम है 1 घंटे में खत्म करो उसके बाद हम लोग शॉपिंग पर जा रहे हैं। मुझे शरण्या के लिए कुछ शॉपिंग करनी है। उसके लिए तुम्हारा होना बेहद जरूरी है और इस बारे में मुझे कोई बहस नहीं चाहिए।"
लावण्या समझ गई कि रूद्र बहाने से उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा है। लेकिन वो रूद्र को टालना नहीं चाहती थी और सच भी नहीं बता सकती थी। उसे सिर्फ रूद्र और शरण्या के एक होने का इंतज़ार था।
रेहान बीच में पड़ते हुए बोला, "1 मिनट! तुझे अगर शॉपिंग के लिए जाना है तो अपनी शरण्या को लेकर जा! तु मेरी बीवी को लेकर क्यों जा रहा है? वह मेरे साथ शॉपिंग पर जाएगी।"
लावण्या एकदम से बोल पड़ी, "मैं रूद्र के साथ जा रही हूं। तुम्हें अगर जाना हो तो तुम किसी और के साथ चले जाना। या फिर तुम बोल दो मैं ले आऊंगी।"
फिर वह रूद्र की तरफ देखते हुए बोली, "रूद्र! मैं अपना काम जल्दी खत्म कर लेती हूं फिर उसके बाद हम चलते हैं।" रूद्र ने भी सर हिलाया और वहां से उठकर अपने केबिन की तरफ चला गया। उस ऑफिस में रूद्र के आने से पहले ही धनराज जी ने उसके लिए एक केबिन बनवा रखा था। उनकी हमेशा से यह ख्वाहिश रही थी कि उनके दोनों बेटे इस कंपनी को संभाले। आज जैसे वह सपना पूरा हो रहा था।
रूद्र रजत के साथ अपने केबिन में गया। वहां पहुंचते ही रूद्र ने रजत से दरवाजा बंद करने को कहा। रजत को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने बिना कोई सवाल किए दरवाजा बंद किया और उसके सामने आकर खड़ा हो गया। रूद्र अपनी कुर्सी पर आराम से पसरते हुए बोला, "तुम्हारे न्यू ईयर के क्या प्लान है?"
रजत सर झुका कर बोला, "कुछ नहीं सर! पार्टी में अगर आप बुलाएंगे तो आ जाऊंगा. नहीं तो फिर घर पर!"
रूद्र अपने सामने की टेबल पर कोहनी टिकाते हुए बोला, "नेहा के साथ तुम्हारा क्या मैटर है? तुम दोनों नहीं जा रहे कहीं?"
रजत मायूसी भरे स्वर में बोला, "नहीं सर! उन्हें अपनी लाइफ में किसी की जरूरत नहीं है। किसी के सहारे की तो बिल्कुल भी नहीं। वह अपने बच्चे के साथ खुश है।"
रूद्र को समझते देर न लगी। वो अपनी कुर्सी से उठा और सामने पड़े सोफे पर बैठ कर उसे भी अपने पास बैठने का इशारा किया। रजत उसके साथ ही बैठा। रूद्र बोला, "पता है रजत! एक लड़की से ज्यादा स्ट्रांग और कोई नहीं होता। वो जिससे प्यार करती है बस उसी के सामने कमजोर होती है वरना वह किसी के आगे नहीं पिघलती। एक बात हमेशा याद रखना, एक लड़की को कभी सहारे की जरूरत नहीं होती। उसे सिर्फ साथ की जरूरत होती है। एक ऐसा साथी चाहिए होता है जो उसका हाथ थाम कर उसे जिंदगी के अंधेरों से निकाले, उस का सहारा ना बने। क्योंकि लड़कियां कमज़ोर नहीं होती। अगर मैं गलत नहीं हूं तो तुम्हें उसके बच्चे को लेकर प्रॉब्लम हो रही है, है ना? रजत! नेहा के साथ जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। नेहा ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी सिर्फ अपने दोस्त को बचाने के लिए। ईशान ने उसके तन और मन पर इतने घाव दिए है जिसे भरना नामुमकिन सा लगता है। लेकिन अगर कोई चाहे तो प्यार से उन सारे घावो को ठीक भी कर सकता और उसके निशान को भी मिटा सकता है। विहान की वाईफ के बारे में तो तुम जानते ही हो। वह नेहा की भाभी थी। मानसी के साथ जो हो वह मैं तुम्हें बता भी नहीं सकता। अपने बच्चे के साथ वह भी अकेले ही जीना चाहती थी। उसके अपने पति ने उसका भरोसा तोड़ा वह भी इतनी बुरी तरह से........ उसे उबरने के लिए इतने साल लग गए। विहान मानसी से बहुत प्यार करता है और मानसी विहान को बहुत मानती है। कितना मानती है कि उसने विहान की लाइफ में आने से मना कर दिया था। अपने प्यार को हारता देख विहान ने जबरदस्ती मानसी से शादी थी, बिना उसकी मर्जी जाने क्योंकि वह जानता था, मानसी उसे प्यार करती है। उसे सहारा देने के लिए नहीं बल्कि विहान को खुद मानसी की जरूरत थी। जब तुमने नेहा की तरफ अपना कदम बढ़ाया तब तुम्हें अच्छे से पता था कि उसके साथ क्या हुआ है और क्या हो रहा है! एक मां के लिए उसका बच्चा क्या मायने रखता है यह सिर्फ एक मां ही बता सकती है फिर चाहे उसका बाप इतना भी बुरा इंसान क्यों ना हो! अपने बच्चे को वो हर बुराई से दूर रखना चाहती है। मैं जानता हूं इतना आसान नहीं है किसी और के बच्चे को अपना नाम देना, प्यार देना। मानव विहान का सजा बेटा नहीं है लेकिन उसके लिए सगे बेटे से भी बढ़कर है जानते हो क्यों? क्योंकि 9 महीने जब वो मानसी की कोख में रहा तब ना सिर्फ मानसी ने बल्कि विहान ने भी उसकी हर सांस को महसूस किया है। बिल्कुल वैसे ही जैसे अपने सगे बेटे को! नेहा ने जितनी दर्द तकलीफ देखी है, उसने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और इतनी तकलीफ है देखने के बाद जो लड़की इतनी मजबूत हो उसे किसी सहारे की जरूरत नहीं होती। सिर्फ इतना ही कहूंगा, जो भी फैसला लेना सोच समझ कर लेना। एक उसके इंकार से तुम्हारा चेहरा लटका हुआ है। जरा सी भी खुशी तुम्हारे चेहरे पर नजर नहीं आ रही। अब ये तुम पर है, तुम नेहा को भूलकर आगे बढ़ना चाहते हो या फिर ऐसे ही मुंह लटका कर जीना चाहते हो या फिर उसके साथ उसका हाथ थाम कर जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हो जिससे तुम प्यार करते हो! हम जब किसी से प्यार करते हैं ना रजत! तब हम उसकी हर अच्छाई बुराई को अपना लेते हैं। उसे बदलने की कोशिश नहीं करते। आगे तुम्हारी मर्जी! नेहा एक बहुत अच्छी लड़की है जिसने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा लेकिन उसके साथ बुरा हुआ। ऐसे में गलती किसकी थी, गुनाह किसने किया ये भगवान ही जाने। आज का जो भी शेड्यूल है तुम मुझे बता दो। अगले 1 घंटे में मुझे शॉपिंग के लिए निकलना है।
रजत ने कुछ कहा नहीं और अपना टैबलेट निकाल कर रूद्र को उसका आज का शेड्यूल बताने लगा।