Chapter 138
YHAGK 136
Chapter
137
लावण्या के मन में क्या चल रहा था यह तो सिर्फ लावण्या ही जानती थी। जतिन का इस तरह सामने आना और लावण्या का उसके साथ इतनी देर तक घूमना, जतिन को लेकर लावण्या से क्या प्लांस थे यह तो शायद वह भी नहीं जानती थी। लावण्या ने हंसते हुए कहा, "तुम्हें पता है रेहान! जतिन कितना ज्यादा फनी है! सीरियसली..... जितनी देर मैं उसके साथ में रही हूं उसने मुझे बहुत हंसाया है। मुझे याद नहीं मैं पिछली बार इतना कब हंसी थी। शायद कभी नहीं! इतना मजाकिया है ना वो! उसनें कहा कि अगर मैं तुम्हें तलाक दे दूं तो आज भी मुझसे शादी करने के लिए तैयार है। कितना फनी है ना! मतलब ऐसा कोई होता है क्या? एक बात समझ नहीं आई! जतिन ने अभी तक शादी नहीं की। कॉलेज में कोई लड़की थी जिसे को बहुत पसंद करता था लेकिन कभी उसे बता नहीं पाया। वह आज भी उसी से प्यार करता है। सच कहूं तो मैं दिल से चाहती हूं, जैसे मुझे मेरा प्यार मिला वैसे ही जतिन को भी उसका प्यार मिल जाए। आखिर इतने सालों से वो उससे दूर रहकर भी उससे प्यार करता है, रूद्र के जैसे!"
बेचारा रेहान! वह इस बारे में कुछ बोल नहीं सकता था। क्योंकि वह यह बात अच्छे से जानता था कि जतिन जिस लड़की से प्यार करता था आज वह उसकी बीवी है। गुस्से में उसकी मुठ्ठिया भींच गई लेकिन वह लावण्या से कुछ कह भी पाया। उसपर से जब से वह आई थी तब से वह सिर्फ जतिन का ही नाम लिए जा रही थी। एक ही दिन में उसने लावण्या पर अपना अच्छा खासा इंप्रेशन छोड़ दिया था। यह देख रेहान की आत्मा तक जल गई। वह वही पत्थर की मूरत के जैसे खड़ा रहा तो लावण्या उसके पास आई और उसकी आंखों की आगे चुटकी बजाते हुए कहा, "कहाँ खो गए? क्या सोच रहे हो?"
रेहान होश में आया और हड़बड़ा कर बोला, "कुछ नहीं! कुछ नहीं बस वह मैं तो यह सोच रहा था कि कॉलेज में हम भी तो छुप छुप कर ही एक दूसरे को देखा करते थे। वह सब छोड़ो और रात बहुत हो गई है, हमें सो जाना चाहिए। कल की पार्टी की सारी तैयारी भी तो करनी है ना! तुमने सोचा है कुछ, क्या करना है?"
लावण्या बड़ी लापरवाही से बोली, "हां बिल्कुल! मैं और जतिन उसी की प्लानिंग तो कर रहे थे। यु नो, जतन एक इवेंट मेंनेजर है और इस तरह के पार्टीज् के लिए उसे बेहतर मुझे कोई मिला नहीं। वैसे तो कल उसके कई जगह इवेंट है लेकिन फिर भी मेरे कहने पर उसने कल हमारी पार्टी को ऑर्गनाइज् करने के लिए हां कह दिया है। लेकिन मुझे उसकी हेल्प करनी होगी क्योंकि उसके पास स्टाफ कम पड़ जाएंगे। मैं ऑफिस से ही दो-चार को उठा लूंगी जो फ्री होंगे। चिंता मत करो, मैं और जतिन सब संभाल लेंगे।"
लावण्या ने आखिरी लाइन को जिस तरह से कहा वह रेहान के गुस्से को बढ़ाने के लिए काफी था। लेकिन फिर भी उसने आंखें मूंद कर अपना गुस्सा कंट्रोल किया। लावण्या अपनी बात पूरी कर सोने के लिए चली गई। घर के सारे लोग सो चुके थे। सभी इस सब से बेखबर थे कि आगे क्या तूफान आने वाला था। रेहान भी सोने चला दिया। वो लावण्या से अब और बात नहीं करना चाहता था क्योंकि आगे और बात करने का मतलब होता और जतिन की तारीफ जो वह सुनना नहीं चाहता था। अगले दिन ही पार्टी थी।
जैसा कि रूद्र ने तय किया था, उसने सुबह-सुबह शरण्या को जगाया। इस वक्त सुबह के 6:00 बज रहे थे और काफी अंधेरा था। शरण्या ने एक आंख खोलकर खिड़की की तरफ देखा और वापस से सो गई। रूद्र ने आवाज लगाई, "शरण्या.......! उठो.........! हमें वॉक पर जाना है।"
लेकिन शरण्या सोने का नाटक करने लगी। रूद्र ने फिर आवाज लगाई तो शरण्या कुनमुनाते हुए बोली, "थोड़ी देर और सोने दो ना!" और दूसरी तरफ पलट गई।
रूद्र बेड के दूसरी तरफ आया और जूते निकाले। बिना उसे कुछ कहे उसने शरण्या को बिस्तर पर ही जूते पहनाए और उसे गोद में लेकर बाहर निकल गया। शरण्या एकदम से छटपटाने लगी। उसे अभी और सोना था और इतनी सुबह उठ कर वॉक पर जाना, अपनी नींद हराम करना उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। हालांकि यह वही शरण्या थी जो सुबह के 5:00 बजे रेडियो स्टेशन पर जॉब करती थी। थोड़े बहुत बदलाव तो शरण्या में भी आ गए थे।
रूद्र उसे गोद में उठाए घर से बाहर निकल गया और सड़क पर खड़ा कर दिया। अब शरण्या के पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं था। उसने अपने सारे हथियार डाल दिए। वापस आते आते शरण्या की हालत खराब थी। जिस तरह रूद्र उसे गोद में उठाकर लेकर गया था वैसे ही उसे गोद में ही उठाकर लेकर आया। क्योंकि शरण्या का अब चलने का बिल्कुल भी मन नहीं था और दो तीन राउंड लगा कर ही वही पार्क में ही बैठ गई थी। जब तक वह दोनो घर लौटे, सभी जाग चुके थे। शरण्या की ऐसी हालत देखकर सब की हंसी छूट गई, खुद रुद्र की भी।
रूद्र ने उसे सोफे पर बैठाया तब गुस्से में शरण्या ने कुशन उठाकर जोर से रुद्र की तरफ फेंका जिससे उसने कैच कर लिया। लावण्या ने उसकी तरफ थम्स् अप का इशारा किया तो रुद्र ने सोफे पर बैठते हुए पूछा, "लावण्या......! आज के पार्टी के लिए क्या इंतजाम है?"
लावण्या ने एक नजर ऊपर खड़े रेहान की तरफ देखा और बोली, "डोंट वरी! मैंने जतिन से बात की है। वह हमारी पार्टी ऑर्गेनाइज करेगा। उसके पास स्टाफ मेंबर्स की कमी है सभी दूसरे इवेंट के लिए गए है लेकिन हम लोग मैनेज कर लेंगे। वह चाहता है कि मैं उसकी हेल्प करूं। अब जब पार्टी हमारी है तो हेल्प तो बनती है।"
पार्टी का नाम सुनते ही बच्चे खुश हो गए। मौली को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा नए साल की पार्टी मनाने वाले हैं। शरण्या वैसे ही रूद्र से नाराज थी तो वह उठकर वहां से अपने कमरे में चली गई। उसके जाते ही लावण्या ने पूछा, "और तुम्हारा क्या प्लान है?"
रूद्र अपने दोनों हाथ सोफे पर फैलाते हुए बोला, "वह मैंने सब इंतजाम कर दिया है। उस बार भी मैंने खुद किया था और इस बार भी मैंने खुद किया है। सब कुछ वैसा ही चाहता हूं मैं जैसा पिछली बार हुआ था।" कहते हुए रुद्र के चेहरे के भाव थोड़े गंभीर हो गए।
लावण्या जल्दी से फ्रेश होकर निकली और तैयार होने लगी तो रेहान ने उसे रोकते हुए कहा, "इतनी सुबह कहां जा रही हो? कल भी तुम सुबह सुबह ऑफिस निकल गई थी और आज भी!"
लावण्या ने खुद को आईने में देखा और आँखों मे काजल लगाते हुए बोली, "कल मुझे ऑफिस में काम था इसलिए गई थी और आज जतिन मुझे लेने आने वाला है। मैं उसी के साथ जा रही हूं। बस अभी पहुँचता ही होगा।"
सुबह सुबह एक बार फिर जतिन का नाम सुनकर रेहान चिढ़ गया और बोला, "वह डबल बैटरी!!! वह तुम्हें लेने क्यों आ रहा है?"
लावण्या ने कटाक्ष भरी मुस्कान के साथ कहा, "कल रात को तुम्हें बताया तो था! मैं जा रही हूं उसके साथ। आज पूरा दिन मैं उसके साथ रहूंगी और पूरी रात भी!"
रेहान की आंखें हैरानी से फैल गई तो लावण्या अपनी ही बात को जस्टिफाई करते हुए बोली, "अरे! उसके साथ पार्टी ऑर्गेनाइज करनी है! हमारी अपनी पार्टी है। आज पूरा दिन उसके साथ रहूंगी और पूरी रात भी तो हम सब साथ होंगे ही। उसे पार्टी से भगा तो नहीं दूँगी ना! इस वक्त हमें उसकी जरूरत है। तुम्हें सारी बातें खुलकर बताया था मैंने और तुम एक बार फिर मुझ पर शक कर रहे हो! मैंने कहा तो था रेहान! जिस तरह तुम हमारे रिश्ते में ईमानदार हो मैं भी बिल्कुल उसी तरह हमारे रिश्ते में इमानदार रहूंगी। जिस तरह तुमने कभी मेरे अलावा किसी और को नहीं छुआ, मैं भी किसी और को खुद को छूने नहीं दूंगी। पति पत्नी का रिश्ता बराबरी का होता है। जो पति कर सकता है वही पत्नी भी कर सकती है, फिर चाहे वो घर के काम हो या बाहर का! और तुम मुझ पर इतना शक क्यों कर रहे हो? क्या तुम्हारे मन में कोई चोर है रेहान?"
रेहान घबरा सा गया। उसने देखा, लावण्या आईने से उसे ही देखे जा रही थी। उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जिसे वह सह नहीं पा रहा था। उसने नजरें फेर ली और बाथरूम में चला गया। लावण्या की आंखों में आंसू आ गए। उसने मन ही मन कहा, "जो तुमने मेरे साथ किया रेहान वह मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं कर सकती। मैं बस उससे काम के सिलसिले में मिल रही हूं तब तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है! तुम तो मेरे दर्द का अंदाजा भी नहीं लगा सकते। रूद्र से मैंने झूठ नहीं बोला लेकिन सिर्फ आधा सच कहा है। मैं तुम्हें अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती रेहान! मां पापा से बात करके रूद्र और शरण्या की शादी की बात करनी होगी ताकि जल्द से जल्द वो इस घर में बहू बनकर आए और मैं यहां से हमेशा के लिए चली जाउँ। तुम्हारे साथ एक छत के नीचे एक कमरे में रहना मुश्किल है मेरे लिए। मुझे कितनी घुटन हो रही है ये तुम सोच भी नहीं सकते। जानती हूं मैं इस सब में जतिन को इस्तेमाल कर रही हूं और उस बेचारे को इसका अंदाजा तक नहीं। भगवान! प्लीज मेरी हेल्प करना।"
लावण्या का फोन बजा देखा तो जतिन का ही नंबर था। उसने फोन उठाकर कहा, "हेलो जतिन! बाहर हो क्या?"
जतिन ने "हा" कहा तो लावण्या बोली, "अंदर आ जाओ ना! पापा से मिल लो और रुद्र से भी!" कहते हुए वह हंस पड़ी।
जतिन झेंप गया। रूद्र से मिलने का मतलब क्या था वह अच्छे से जानता था। लेकिन फिर भी एक शिष्टाचार के तहत उसे घर के अंदर आना ही पड़ा। आखिर कल इतनी रात को उसने लावण्या को घर छोड़ा था जिससे उन दोनों के रिश्ते पर उंगली उठाई जा सकती थी। जतिन जैसे ही दरवाजे पर आया, लावण्या उसकी बांह पकड़कर उसे खींचते हुए अंदर ले आई और शिखा जी और धनराज जी से मिलवाया।
शरण्या तब तक फ्रेश हो चुकी थी और नीचे आ चुकी थी। उसकी नजर जैसे ही जतिन पर गई वो उसे याद करने की कोशिश करने लगी। रूद्र पुराने अंदाज में उससे मिला और उसे साथ में नाश्ता करने को कहा। जतिन ने मना करना चाहा लेकिन उससे पहले ही लावण्या ने मना करते हुए कहा, "नहीं रूद्र! नाश्ता बाद में कर लेंगे, बाहर ही! अभी हमें सारे अरेंजमेंट देखने हैं। अगर देर हो गई तो फिर पार्टी में भी देर हो जाएगी। लावण्या की बात भी सही थी इसलिए किसी ने उसे रोका नहीं और वह दोनों वहां से आराम से निकल गए।
बाहर आकर जतिन ने लावण्या से पूछा, "शरण्या अभी भी पहले जैसी है! तुम दोनों बहने आज भी वैसे ही लगती हो जैसे पहले लगती थी। रूद्र वाकई में उससे बहुत प्यार करता है लेकिन मैंने तो कुछ और सुना था! लाइक रूद्र इंडिया में नहीं है और शायद शरण्या की शादी होने वाली थी, किसी और से!"
लावण्या बोली, "जब दो प्यार करने वाले शिद्दत से एक दूसरे को चाहते हैं ना, तब चाहे दुनिया कितनी भी कोशिश कर ले, उन दोनों को कभी अलग नहीं कर पाती। यही तो सच्चा प्यार है। जिस तरह एक पेड़ हर आंधी तूफान के सामने मजबूती से खड़ा रहता है, रुद्र और शरण्या का प्यार भी उसी पेड़ की तरह मजबूती से डटा हुआ है। जो होना था वह हो चुका। बस अब वो दोनों हमेशा के लिए एक हो जाए और उन दोनों के बीच कभी कोई ना आए।" कहते हुए लावण्या का ध्यान कहीं और था और वो अपना सीट बेल्ट लगा रही थी लेकिन उससे लग नहीं पा रहा था।
जतिन उसके करीब आया और उसके हाथ से बेल्ट लेकर लगा दिया। उसके इतने करीब आने भर से लावण्या अंदर तक कांप गई। रेहान के अलावा कभी कोई उसके इतने करीब नहीं आया था। कुछ गलत होने के एहसास से ही लावण्या ने आंखें मूंद ली और पीछे सीट पर अपना सर दिखाते हुए दूसरी तरफ चेहरा कर लिया।