Chapter 66

Chapter 66

सुन मेरे हमसफ़र 59

Chapter

59






     

    मौका मिलते ही कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल का हाथ पकड़ा और वहां से निकल गया। उन सबसे दूर जाकर कार्तिक ने राहत की सांस ली और कुणाल से बोला, "यार! ये लोग बड़े खतरनाक है। तू इनके घर शादी कर रहा है?"


    कुणाल की हंसी छूट गई। उसने कार्तिक के कंधे पर हाथ रखा और कहा, "अरे मेरे प्यारे टिक्कू! वो बस तेरे साथ मजाक कर रहे थे। तेरे मॉम डैड के कॉलेज फ्रेंड है वो, इतना तो बनता है मेरे टिक्कू!!" कुणाल के मुंह से अपना घर का नाम सुनकर टिक्कू उर्फ कार्तिक नाराज हो गया।



   सिद्धार्थ और सारांश सबको रुद्र और शरण्या के बारे में और ज्यादा बता रहे थे। बाकी सभी वहां खड़े उनकी बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे लेकिन समर्थ की नजरे किसी को ढूंढ रही थी। सारांश का ध्यान जब समर्थ की तरफ गया तो उसे भी तन्वी का ख्याल आया और ना चाहते हुए उसने तन्वी के बारे में पूछ ही लिया। सुहानी बोली, "उसके बाल थोड़े उलझ गए थे तो वो वाशरूम गई है। थोड़ी देर में आती ही होगी।"


   समर्थ के हिस्से काम सारांश ने कर दिया था। वो चुपचाप वहां से निकलने की कोशिश करने लगा तो श्यामा ने उसे पकड़ा। "कहां जा रहा है? बैठ हमारे साथ।"


     समर्थ को तो एक बार फिर तन्वी से अकेले मिलने का मौका मिला था। ऐसे कैसे वो इस मौके को छोड़ता! उसने बहाना बनाकर कहा, "मां! मेरा एक जरूरी कॉल है, मैं बस थोड़ी देर में आता हूं।"


     सिद्धार्थ ने उसपर नाराज होकर कहा, "अभी कौन सा जरूरी कॉल है? इस वक्त ऑफिस का कोई काम करेगा। जो भी काम है, वो कल देख लेना।"


    अव्यांश ने एकदम से पूछा, "शिवि दी अभी तक नही पहुंची। है कहां वो? किसी को कोई खबर भी है?" 


     सारांश ने परेशान होकर कहा, "क्यों बेचैन हो रहा है? आ जायेगी वो। छोटी बच्ची नहीं है वो।"


    समर्थ ने जल्दी से बात पकड़ी और कहा, "हा! मैं एक बार उसी को देखने जा रहा था। पता ही नही चल रहा, उसकी फ्लाइट लैंड कब होगी! यहां पर आप लोग गेस्ट को संभालिए, मैं शिवि को देखता हूं। वैसे भी यहां अभी हर कोई सिर्फ अंशु और निशी को पूछेगा, मुझे नहीं।" इतना कहकर वो तेजी से वहां से निकल गया।


     अव्यांश ने समर्थ को आवाज लगाई, "भाई! मैं भी चलता हूं आपके साथ।" लेकिन तब तक समर्थ वहां से जा चुका था।


   बाहर से अचानक ढोल नगाड़े की आवाज आने लगी। उससे बचने के लिए कुणाल और कार्तिक सिंघानिया वहां से थोड़ा दूर जाकर खड़े हो गए। वह दोनों अभी बात कर रहा था कि कुहू वहां पहुंची और मुस्कुरा के कहा "हेलो सिंगु!"


      कार्तिक ने हैरानी से कुहू की तरफ देखा। उसने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी कि वह कुहू को यहां देखेगा। उसने कुहू से नाराज होकर कहा "यार प्लीज! तुम मुझे इस नाम से क्यों बुलाती हो?"


    कुहू ने बड़े बेबाक तरीके से कहा "क्योंकि मुझे तुम्हारा ये नाम अच्छा लगता है। वैसे भी, कार्तिक मेरे पापा का नाम है और जैसी तुम्हारी हरकतें हैं, मैं नहीं चाहती कि मेरे पापा का नाम खराब हो।"


     अब कार्तिक ने कुणाल से शिकायत की "तूने बताया नहीं कि यहां आने वाली है! तुम दोनों अभी भी एक दूसरे के टच में थे?"


    लेकिन कार्तिक को उससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई जब कुहू ने कुणाल के करीब जाकर उसे साइड से हग किया और बोली "तुम मुझसे मिलना चाहते थे ना? लो मैं आ गई।"


    कार्तिक ने हैरानी से कुहू को देखा फिर कुणाल को। कुणाल कुहू के इतने करीब होने से थोड़ा असहज हो रहा था। उसने कुहू से थोड़ी दूरी बनाने की कोशिश की और कार्तिक से हिचकते हुए बोला,"कार्तिक! कुहू ही मेरी मंगेतर है।"


   कार्तिक पहले तो शॉक्ड हो गया। फिर उन दोनों को बधाई देते हुए कुणाल से पूछा "यानी बाहर जिस तूफान से मैं टकराया था, वह कुहू की बहने थी?"


    कुणाल ने कुछ कहा नहीं, बस अपनी गर्दन एक तरफ झुका ली। कार्तिक ने अपना सर पकड़ लिया। बाहर बज रहे ढोल नगाड़े की आवाज और तेज होती जा रही थी।




*****




     अव्यांश समर्थ के पीछे पीछे तो निकला, लेकिन समर्थ आगे जाकर कहां गुम हुआ उसे पता ही नहीं चला। उसे भी शिवि को लेने जाना था। लेकिन अभी तक शिवि कहां है, उसकी फ्लाइट लैंड हुई या नहीं, इस बात की जानकारी उसे नही थी। उसने समर्थ को ढूंढने के लिए बाहर जाने का सोचा और दरवाजे की तरफ बढ़ चल।


     इधर समर्थ कॉरिडोर में होते हुए वॉशरूम के पास पहुंचा। संयोग से वहां दूसरा और कोई नहीं था और तन्वी भी उसी वक्त बाथरूम से बाहर निकली। समर्थ को देखकर तन्वी थोड़ा ठिठक गई और अपने एक हाथ से गर्दन के उस हिस्से को छुआ जहां समर्थ ने निशान छोड़े थे। वो गुस्से में समर्थ की तरफ बढ़ी और कहा "ये आपने ठीक नहीं किया। किसी ने देख लिया तो मैं क्या जवाब दूंगी?"


    समर्थ ने कुछ कहा नहीं, बस अपने एक हाथ से तन्वी के कंधे पर के बाल को एक तरफ किया तो वो लाल निशान साफ नजर आने लगा। समर्थ ने बड़े प्यार से उस निशान को छुआ तो तन्वी ने एक झटके में समर्थ का हाथ अपने से दूर किया और दो कदम पीछे होकर बोली "आपकी शादी तय हो चुकी है सर! यह सब करके आप मुझे बदनाम कर देंगे। दूर रहिए मुझसे।"


    तन्वी वहां से जाने लगी लेकिन समर्थ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोल "कल तुमने आधे दिन की छुट्टी ली है, क्यों? वजह नहीं बताई।"


     तन्वी कुछ कहने को हुई लेकिन समर्थ ने उसे बोलने का मौका नहीं दिया। "कल तुम्हें देखने लड़के वाले आने वाले हैं। है ना?"


     तन्वी यह बात समर्थ को नहीं बताना चाहती थी। क्योंकि अब शायद उन दोनों के बीच ऐसा कुछ बाकी नहीं रह गया था। "जब मुझे आपसे उम्मीद थी, तब तो आपने कभी ऐसी कोई बात नहीं की और अब जब आपका रिश्ता किसी और के साथ तय हो चुका है तो फिर मेरे रिश्ते में क्या खराबी है? आने दीजिए, लड़के वाले हैं। आएंगे, देखेंगे, पसंद आ गई तो शादी तय हो जाएगी, मुझे शगुन देकर चले जाएंगे। अगर नहीं पसंद आई तो चुपचाप खाना खाकर चले जाएंगे। ये हम लड़कियों की नॉरमल लाइफ है। ऐसा लगभग हर लड़की के साथ होता है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। हां! आप जैसे बड़े लोगों के घर में ऐसा कुछ नहीं होता होगा, क्योंकि वहां तो बिजनेस डील की तरह रिश्ता जोड़ता है। अपने बराबर वाले में रिश्ता जोड़ा जाता है ताकि बिजनेस को फायदा हो और कभी बिजनेस को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्ते जोड़े जाते हैं। हम मामूली लोग हैं सर! हमें यह सब डील करना नहीं आता। इसलिए बेहतर होगा आप अपनी दुनिया में रहे और मैं अपनी दुनिया में। अच्छा हुआ ना, जो आपने अपने कदम आगे नहीं बढ़ाए। वरना शायद मेरे पास खोने के लिए कुछ बाकी ही नहीं रहता। सब खत्म हो जाता। थैंक यू, मुझे सही राह दिखाने के लिए। आप वाकई में बहुत अच्छे प्रोफेसर है।"


    समर्थ नाराज होकर बोला "तुम्हें लगता है इस निशान को देखने के बाद कोई भी इंसान तुम्हें अपने लिए पसंद करेगा?"


     तन्वी ने समर्थ की आंखों में आंखें डाल कर देखा और दृढ़ता से बोली "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस वक्त आप नशे में है। ऐसी कोई हरकत मत कीजिए जिसको लेकर कल होश में आने के बाद आपको शर्मिंदा होना पड़े।" तन्वी ने एक झटके में अपना हाथ समर्थ की पकड़ से छुड़ाया और वहां से निकल गई।


     पीछे खड़े समर्थ ने धीरे से उसका नाम पुकारा "तन्वी! बहुत मुश्किल से हिम्मत आई है मुझमें। कह लेने दो जो भी कहना है। तुम्हें ऐसे खुद से दूर नहीं जाने दूंगा। यू आर माय लाइफ। बहुत प्यार करता हूं मैं तुमसे। नहीं खो सकता तुम्हें। लेकिन ना जाने किस बंधन में मेरे पैरों को जकड़ रखा है।"