Chapter 39
YHAGK 38
Chapter
38
शरण्या कभी रुद्र की हथेली देखती तो कभी अपने हाथ में पकड़े उस स्केल को, तो कभी रूद्र के मासूम चेहरे को। रूद्र की बातें शरण्या को इमोशनल कर रही थी। उसके चेहरे से मासूमियत टपक रही थी। इस वक्त शरण्या का दिल कर रहा था कि वह उसे कसकर गले लगा ले और जी भर कर प्यार कर ले लेकिन अपनी हद में बँधी शरण्या चाह कर भी अपने प्यार के रास्ते में एक कदम भी आगे ना बढ़ा पाई। शरण्या को सोचता देख रूद्र ने कहा, "सोच क्या रही है शरू! निकाल मैं अपनी सारी भड़ास। जो मैंने तेरे साथ किया उससे भी बुरा हाल मेरा होना चाहिए। जिन हाथों से मैंने तुझे चोट पहुंचाई, उन हाथों को इतनी सजा दे कि आइंदा से कभी ऐसी गलती ना करें। तेरी आंखों में आंसू देखने से पहले मैं मर जाना पसंद करूंगा।"
रुद्र की बातें शरण्या को इमोशनल कर रही थी। इतने दिनों से जो गुस्सा उसने अपने मन में दबा के रखा था वह सब कहीं गायब हो गया। रूद्र इस वक्त किसी मासूम बच्चे की तरह अपने पनिशमेंट का इंतजार कर रहा था और शरण्या अपने हाथ में स्केल लिए किसी टीचर की तरह खड़ी थी। रूद्र की आंखों में सिर्फ और सिर्फ खुद से नाराजगी थी और शरण्या सजा पाने का उसे जरा सा भी डर नहीं था। उसे एहसास था कि उसने किया है। शरण्या को बस इसी बात से तसल्ली थी। उसे कुछ ना बोलता देख रूद्र ने फिर कहा, "देख अगर तुझे स्केल नहीं उठाना तो मत उठा, अगर तुझे चाकू या ब्लेड लेना है तो मुझे वह भी मंजूर है। तू मेरे हाथ के साथ जो करना चाहे कर सकती है बस इतना ध्यान रखना कि मेरी नस ना कटे, अगर मैं मर गया तो तू अपनी दुश्मनी कैसे निकालेगी और किस पर अपना हाथ साफ करेगी?"
रूद्र के बात से शरण्या को मन ही मन हंसी आ गई। उसने कहा, "तु यह सब इसलिए कर रहा है ना ताकि मुझे तसल्ली मिले, मेरे मन का भड़ास निकल जाए और मुझे सुकून मिले।" रूद्र ने हां में सर हिलाया। शरण्या बोली, "अगर तु सच में चाहता है कि मुझे सुकून मिले तो तू मेरा एक काम करेगा? एक बार...... सिर्फ... एक बार........ क्या तु मुझे अपने गले से लगाएगा? मुझे कभी किसी ने प्यार से अपने गले नहीं लगाया। क्या तु मुझे वो हक़ देगा?" कहते हुए शरण्या हकलाने लगी थी। उसकी बात सुन और उसकी आंखों में नमी देख रूद्र के बिना एक भी पल गवाए आगे बढ़कर शरण्या को गले से लगा लिया। इस वक्त जो दो लोग एक दूसरे के गले लगे हुए थे वो ना तो दोस्त थे और ना ही दुश्मन। वह दो प्यार करने वाले थे जो एक दूसरे की फीलिंग से अभी भी अनजान थे, जरूरत थी तो सिर्फ किसी एक के इजहार की।
रूद्र का दिल एक बार फिर सुकून से भर उठा। वही सुकून जिसकी तलाश में पिछले कई दिनों से भटक रहा था। वही सुकून जैसे उस रात शरण्या को गले लगाने से मिला था, वही एक बार फिर उसे महसूस हो रहा था और अब तो यह बात और भी ज्यादा कंफर्म हो गई कि उस रात उसके कमरे में आने वाली सिर्फ और सिर्फ शरण्या ही थी कोई और नहीं। "आप बिलकुल सही थी दादी! मेरे दिल मे सिर्फ शरण्या ही थी, हमेशा से। हाँ मै उससे प्यार करता हु, मै मेरी शाकाल से प्यार करता हु और जिस एहसास से अब तक भागता रहा उसे अपने दिल से जिंदगी भर लगाकर रखूँगा, अपनी आखिरी सांस तक!" रूद्र ने मन ही मन दादी को थैंक यू बोला। शरण्या रूद्र के एहसासों के बारे में अभी भी अनजान थी लेकिन रूद्र कुछ हद तक शरण्या के दिल में उठे जज्बातों के बारे में जानता था, उसे बस यह यकीन करना था कि जो कुछ भी दादी ने कहा वह सब सच था। रूद्र का हाथ शरण्या की पीठ पर गया जिसे उसने चोट पहुँचाई थी। वो उस चोट को देखना चाहता था लेकिन रुक गया। "नही रूद्र! अभी तु सिर्फ उसका दोस्त है और ये दोस्ती की हद से बाहर है। जब तक तु अपने प्यार का इजहार नही करता और जब तक शरण्या तेरे प्यार को अपना नही लेती तब तक तुझे ये हक नही।"
जाने कब से वो दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे। उन्हें वक्त का होश ही नहीं रहा। ना तो शरण्या रुद्र से अलग होना चाहती थी और ना ही रूद्र शरण्या को खुद से दूर करना चाहता था लेकिन वक़्त कहां किसी के लिए ठहरता है। जैसे ही शरण्या के कमरे की घड़ी ने रात की 12:00 बजे की घंटी बजाई तब जाकर वह दोनों होश में आए। रूद्र शरण्या के बाल सहलाते हुए बोला, "तेरी और भी कोई विश हो तो बोल, तेरा सैंटा वह सब पूरी करेगा।" शरण्या ने हैरानी से उसे देखा और चारों ओर नजर दौड़ाते हुए बोली, "सैंटा? कहां है मेरा सैंटा? मुझे तो कहीं नजर नहीं आ रहा! यहां तेरे और मेरे सिवा कोई नहीं है।"
"तो मैंने कहा किसी तीसरे का नाम लिया! तेरा सेंटा तेरे सामने खड़ा है। तू बोल तुझे जो कुछ भी चाहिए वह सब ला कर दूंगा मैं। तेरी हर चाहत पूरी करना मेरी ड्यूटी है। आज तु पूरे हक से मुझसे कुछ भी करवा सकती है। मुझे डांट सकती है, मुझे मार सकती है, मुझसे करतब करवा सकती हैं या फिर और भी कोई ख्वाहिश तो तेरी, तु बस इशारा कर, तेरी खुशी के लिए कुछ भी कर जाऊंगा। तू कहे तो आज तेरी खुशी के लिए तेरे नाम का पट्टा अपने गले में पहनने को तैयार हूं।" रुद्र की बात सुन शरण्या खिलखिला कर हंसने लगी और उससे अलग होकर बोली, "तो आज रात के लिए तुम मेरे सैंटा हो? तो फिर मुझे कौन सी विश मांगने चाहिए? वैसे तो मेरे पास विश लिस्ट काफी लंबी पड़ी है उनमें से कौन सी वाली मांगु मेरी समझ नहीं आ रहा।"
रूद्र अपना सर खुजाते हुए बोला,"एक काम कर, वो लिस्ट निकाल और एक-एक कर पढ़ना शुरू कर दें। जो अभी हो सकता है वह मैं अभी पूरी कर दूंगा और जो बाद में हो सकता है वह बाद में और जो नहीं कर सकता उसे पूरी करने की कोशिश तो जरूर कर सकता हूं ना! लेकिन मैं अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता। देख तुझे कसम है मेरी, अब जल्दी से अपनी विश लिस्ट निकाला और एक एक कर पढ़ना शुरू कर।" शरण्या आज बहुत खुश थी इसलिए उसने भी ज्यादा कोई सवाल जवाब नहीं किया और सबसे पहले उसे ख्याल आया वह था उसके रिश्ते का। अगले हफ्ते नए साल पर वो लोग शरण्या से मिलने आने वाले थे जो कि शरण्या बिल्कुल भी नहीं चाहती थी और उसे कोई बहाना भी नहीं मिल रहा था जिससे वह लड़के वालों को मना कर सकें। उसने उदास मन से कहा, "बाकी के विश तो मै खुद भी पूरी कर सकती हूं या फिर वक्त के साथ पूरे हो जाएंगे लेकिन इस वक्त मेरी एक सबसे बड़ी वाली टेंशन है, अगले हफ्ते लड़के वाले देखने आ रहे मुझे और लड़का खुद भी आ रहा है। मुझे उसका नाम तक नहीं पता, उसकी फोटो तक नहीं देखी है मैंने। मुझे उससे शादी नहीं करनी तु कुछ कर सकता है?"
रूद्र ने एक बार फिर अपना सर खुजाया और कुछ सोचते हुए बोला, "यह तो बड़ा ही सीरियस मैटर है। इसका भी कुछ ना कुछ होगा ही। क्या होगा, क्या होगा........ एक काम क्यों नहीं करती! अपने बाप को बोल कि तू कहीं पार्ट टाइम जॉब करती है, सिक्रेटली!!! और तेरा बॉस तेरा इस्तीफा मंजूर नहीं करेंगे क्योंकि तूने उनके साथ कोई 3 साल या 4 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है उससे पहले तो जॉब नहीं छोड़ सकती। अगर वो लड़का तुझसे शादी करने में इंटरेस्टेड है तो कम से कम तीन-चार साल तो उसको रुकना हीं पड़ेगा। ऐसे में वह लोग आए या ना आए शादी तो इतने टाइम के लिए टाला जा सकता है, क्या बोलती है?" शरण्या को रुद्र का आईडिया तो काफी अच्छा लगा लेकिन उसके चेहरे की हंसी एकदम से गायब हो गई, यह सोच कर कि रूद्र को कैसे पता चला उसके जॉब के बारे में और अगर उसे उस जॉब के बारे में पता है भी है तो क्या वह उस आरजे शायराना के बारे में जानता है जिसके पीछे वह दीवानों की तरह पड़ा हुआ है, लेकिन यह कैसे हो सकता है?"
शरण्या ने रूद्र को घूर कर देखा और बोली, "तेरा आईडिया तो बड़ा अच्छा है लेकिन तेरे दिमाग में यह शातिर प्लान आया कहां से? सच-सच बता!" शरण्या ने खुद को नार्मल रखा ताकि रूद्र को किसी तरह का कोई शक ना हो उस पर। कुछ भी बोलने या सोचने से पहले वो यह बात कंफर्म करना चाहती थी कि रूद्र उसके बारे में कितना और क्या जानता है। रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैंने तुझे बताया था ना मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में जो आर जे हैं रेडियो दिल्ली में! उसी का आईडिया है।" रेडियो दिल्ली का नाम सुनकर ही शरण्या के होश उड़ गए। वह उसी रेडियो स्टेशन में तो काम करती थी, और रूद्र किसकी बात कर रहा है यह उसे समझ नहीं आ रहा था! शरण्या को ऐसे कन्फ्यूज्ड देख रूद्र बोला, "मैंने नहीं बताया था तुझे? शायद भूल गया बताना! अरे नहीं...... इस बीच तो हम मिले ही नहीं थे तो बताऊंगा कैसे! कोई बात नहीं अभी बता देता हूं। तुझे तो याद ही होगा, मैं और विहान उस रेडियो स्टेशन के पास अक्सर घुमा करते थे। वहां पर एक आरजे है, आर जे शायराना! जिसका सुबह-सुबह प्रोग्राम चलता है तुझे तो पता ही होगा। तुझे कैसे पता होगा? उसका शो तो सुबह-सुबह आता है, मैं भी तुझे क्या बता रहा हूं, सीधे लाइन पर आता हूं। तो वह जो आरजे शायराना है ना उसकी आवाज बहुत प्यारी है, इतनी प्यारी उसकी आवाज सुनकर ही मुझे उससे प्यार हो गया। काफी मशक्कत के बाद जाकर वह मिली मुझे। मुझे तो लगा था कि काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे लेकिन वह तो पहले से ही मेरे प्यार में मिली यार! हाय सच में!!! बहुत खूबसूरत है वह। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा मेरी किस्मत पर कि मेरी गर्लफ्रेंड इतनी प्यारी है।"
"तू किसकी बात कर रहा है रूद्र? सच सच बता, तु उसका नाम जानता है? तु मिला है उससे?" शरण्या रुद्र की बात सुन हैरान रह गई। उसे यकीन नहीं हुआ कि रूद्र उससे मिला और उसको ही खबर नहीं। एक हफ्ते से तो वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकली, रेडियो स्टेशन कैसे जाती? तो फिर रूद्र मिला किससे और कौन उसके नाम से रुद्र पर डोरे डाल रही है? शरण्या का सवाल सुन रूद्र मुस्कुरा कर रह गया। वह शरण्या से इतनी जल्दी अपने प्यार का इजहार नहीं करना चाहता था और इस तरह तो बिल्कुल भी नहीं। उसने कुछ सोचा और एक गहरी सांस भरकर बोला, "इश्श्!!!" रुद्र के मुंह से बस इतना सुनने की देर थी और शरण्या समझ गई कि वह किसका नाम ले रहा है। वह और कोई नहीं रेडियो स्टेशन में जिस लड़की से वो सबसे ज्यादा चढ़ती थी वो थी इशिता, और यह अदा उसी की थी। शरण्या को इतना ज्यादा गुस्सा आया कि अपने हाथ में पकड़ी स्केल उसने रूद्र पर बरसा दिया। रूद्र खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागा, कुछ देर बाद जब शरण्या तक गई तो आराम से कुर्सी पर जा बैठी और रुद्र बिस्तर पर पसर गया।
कुछ देर सांस लेने के बाद शरण्या ने पूछा, "तो तुझे उस लड़की से प्यार हो गया है? सीरियसली?? इस पर कितने दिनों के लिए तुझे प्यार हुआ है और ये कितने नंबर की गर्लफ्रेंड है तेरी?" शरण्या का सवाल सुन रूद्र एक झटके से उठ गया था और फुर्ती से उसके सामने आकर खड़ा हो गया जैसे किसी ने उसकी सारी थकान पल भर में गायब कर दी हो। वह बोला, "कितने दिनों से तेरा क्या मतलब? मुझे उससे प्यार हुआ है, सच्चा वाला! मैंने कभी आज तक तुझसे कहा है कि मुझे किसी लड़की से प्यार हो गया? पहली बार बोल रहा हूं क्योंकि इस बार हो गया, इस बार मुझे प्यार हो गया। एक लड़की है जिसके साथ में अपनी पूरी लाइफ गुजारना चाहता हूं। तु यकीन नहीं करेगी लेकिन सच यही है, मुझे प्यार हो गया है।" शरण्या ने रूद्र की आंखों में देखा तो उसका दिल धक से रह गया। रूद्र की आंखों में वह एहसास साफ-साफ झलक रहा था। शरण्या ने खुद को संभाला और अपनी आंखें मूंद ली। रूद्र ने उसे फिर छेड़ते हुए कहा, "तेरी एक विश तो मैंने पूरी कर दी, और भी है ना तेरे पास? बता क्या करना है मुझे! आज की पूरी रात तेरी, मैंने कहा था ना तो जल्दी बता।"
शरण्या को वैसे ही रूद्र पर गुस्सा आ रहा था फिर भी उसने खुद को शांत रखा और मुस्कुराते हुए बोली, "जहां तक मुझे पता है, दिल्ली में या फिर इंडिया में कोई स्ट्रिप क्लब नहीं है। वैसे तो मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन इस वक्त मेरा दिल कर रहा है कि मैं लाइव स्ट्रिप डांस देखूं, तो चल शुरू हो जा और मेरी विश पूरी कर।" स्ट्रिप डांस के नाम से ही रूद्र के होश उड़ गए। उसे यकीन नहीं हुआ कि शरण्या उससे ऐसा भी कुछ करवा सकती है। पहले तो उसे लगा शायद वह मजाक कर रही है लेकिन उसके चेहरे पर जो भाव थे उससे बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह किसी भी तरह के मजाक के मूड में है। जब रुद्र ने आनाकानी करनी चाही तो शरण्या की भौहें टेढ़ी हो गई।
क्रमश: