Chapter 7
YHAGK 6
Chapter
इससे पहले कि रेहान दरवाजे के अंदर जा पाता रूद्र ने पीछे से उसका मुंह दबा कर दूसरी तरफ खींच लिया। रेहान अचानक से हुए इस हमले से घबरा गया लेकिन उसे समझते देर नही लगी कि रूद्र ने जरूर कुछ गड़बड़ की है। रूद्र की इस हरकत से साफ हो गया कि अंदर उसकी गैरमौजूदगी में उसने जरूर कोई ऐसी हरकत की है जिसके लिए उसे उसकी मदद चाहिए। उसने सीधे और साफ शब्दों में पूछा, "अब क्या किया है तुमने? कौन सा कांड किया है? जिसका कवर तुम मुझसे करवाना चाहते हो? अपनी हरकतों से का बाज आओगे रूद्र? हम दोनों बड़े हो चुके हैं! कब तक मैं तुम्हारी हरकतों पर पर्दा डालते रहूंगा और कब तक मैं तुम्हारा बचाव करता रहूंगा? कल रात में तुम जहां थे वहां किसी को नहीं होना चाहिए था! ना तुम्हें और ना ही मुझे! लेकिन तुम थे और तुम्हारी वजह से मुझे भी वहां जाना पड़ा! इसका मतलब समझते हो तुम?"
रूद्र अपने आसपास देखते हुए बोला, "वह सब मैं समझता हूं भाई और उसके लिए तुमसे माफी मांगने को तैयार हूं लेकिन अभी मेरी बस एक बात मान ले और अभी मेरी हेल्प कर दे वरना तुझे पता ही है अंदर शाकाल बैठी है जो मुझे खड़े-खड़े निगल जाएगी और डकार भी नहीं मारेगी।"
रेहान को शक तो था लेकिन रुद्र के बातों से उसे यकीन हो गया कि उसने जरूर कोई बहुत बड़ा कांड किया है। उसने कहा, "अब बोल भी दे करना क्या है? वरना बुलाऊँ मैं शाकाल को? आई मीन शरण्या को? वही तुझे सुधारेगी।" रेहान की बात सुन रूद्र घबराया और कुछ कहने के बजाय उसका कोट उतारने लगा जिसे देख रेहान को कुछ समझ नहीं आया। वह बोला, "अबे इस शहर की सारी लड़कियां मर गई है क्या जो तू मेरे साथ जबरदस्ती करने का सोच रहा है? तू कर क्या रहा है? अब कुछ बोलेगा भी या फिर मेरी इज्जत यही उतारने का सोचा है?"
रिहान की बातों से रूद्र झल्ला गया और बोला, "चुपचाप अपना कोट उतार और मुझे दें।" रूद्र की बात अभी भी रेहान के पल्ले नही पड़ी तो वह फिर बोला, "अबे यार! तेरा कोट ही तो मांग रहा हु कौन सी तेरी पैंट उतारने को बोल रहा हु जो तु इतना सोच रहा है! अब जल्दी कर!" कहते हुए उसने जल्दी से कोट उतारा और खुद पहन लिया। रुद्र ने जानबूझकर ऐसा कॉम्बिनेशन पहना था जैसा कि रेहान पहनकर ऑफिस गया था। रुद्र की इस हरकत से रेहान को समझते देर नहीं लगी कि वक्त वह रेहान बनकर अंदर सबके साथ था। वह बोला, "इसका मतलब रेहान पहले ही यहां पहुंच चुका है और अब रूद्र जाएगा, है ना? मतलब किसी ने भी तुझे वहां पहचाना नहीं? नही! नही!! नही!!! ऐसा तो हो ही नहीं सकता! जरूर किसी ने तुझे पहचाना है तभी तो तु यहां है और हो ना हो यह सब शरण्या की वजह से है। अब सच सच बता वहां हुआ क्या?
रूद्र बोला, "हां मैं तेरे नाम से ही गया था। लेकिन क्या करूं, ऐसा मैंने जानबूझकर नहीं किया था। लेकिन जब मैंने देखा कि वहाँ पूरी फैमिली इकट्ठा है और शाकाल.....आई मीन शरण्या अकेली अपने कमरे में बैठी है तो मुझे बहुत बुरा लगा। इसलिए मैंने तेरा नाम ले लिया ताकि वह बेझिझक नीचे आ सके। लेकिन पता नहीं कैसे उसने मुझे पहचान लिया यार! मेरे समझ में नहीं आ रहा, ऐसा कोई पहली बार नहीं है जब उसने मुझे पहचाना हो। बस यही बात मैं भूल गया था। मुझे लगा जैसे घर के बड़े मुझे नहीं पहचान पाए वैसे ही शरण्या और लावण्या भी मुझे नहीं पहचान पाएंगे। लावण्या का तो नहीं पता लेकिन यह शरण्या सच में शाकाल है। एक नजर में उसने मुझे पहचान लिया और अपने कमरे में ले जाकर इतनी बुरी तरह से मारा उसने मुझे कि मैं चिल्ला भी नहीं पाया। अब चल अंदर! सब तेरा इंतजार कर रहे होंगे। जिस तरह मैं उससे बचकर आया हूं सबको तुझ पर शक हो रहा होगा।" कहकर रूद्र रेहान को लेकर जैसे ही अंदर जाने को हुआ दरवाजे के पास ही शरण्या खड़ी मिल गई। उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी उसे देख एक पल को रूद्र घबरा गया।
शरण्या मुस्कुरा कर बोली, "हाय रेहान! कहां थे तुम? कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी! अंदर चलो सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।" शरण्या को इतना कॉन्फिडेंट देख रेहान बोला, "तुम्हें कैसे पता कि मैं रेहान ही हूं रूद्र नहीं? ऐसा भी तो हो सकता है कि मैं रूद्र हूं और यह रेहान!" शरण्या मुस्कुराते हुए बोली, "ऐसा हो ही नहीं सकता! मैं तुम्हें पहचानू या ना पहचानू, लेकिन इस रजिया की तो मैं रग रग से वाकिफ हूं। सबसे कमीनी है इसकी ये स्माइल जो इस वक्त इस के चेहरे पर है और उससे भी बड़ी कमीनी है इसकी आंखें, जिससे कमीनापन भर भरकर बहता है। तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि मैं अपनी रजिया को ना पहचानू! क्यों रजिया सही कहा ना मैंने?तो रेहान! अंदर चले सब तुम दोनों का इंतजार कर रहे हैं। नहीं!!! मेरा मतलब रेहान का इंतजार हो रहा है तो रुद्र! तुम कुछ देर बाद आना, ठीक है!!"
अपने आखिरी शब्द बोलते हुए शरण्या जिस तरह मुस्कुराई और जिस इज्जत के साथ उसने रूद्र से कहा वह सोचने वाली बात थी। रूद्र बिचारा अपना सर खुजा कर रह गया कि आखिर उसे अंदर जाना चाहिए या नहीं? क्योंकि उसे शरण्या से भी कुछ बात करनी थी, उस आरजे को लेकर जो अब तक नहीं हो पाई थी। शरण्या वहां ज्यादा देर रुकी नहीं और अंदर चली गई। उसके जाते ही रेहान ने मुस्कुराकर कहा, "देख! कितने अच्छे से तुझे पहचान लेती है! इतने अच्छे से तो हमारे मां पापा भी पहचान नहीं पाते। तुम दोनों के बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है! मां से बात करनी पड़ेगी इस बारे में।"
रूद्र बोला, "ज्यादा अपना दिमाग मत चला और अंदर जा वरना वह शाकाल ना जाने अंदर क्या गुल खिलाएगी? मैं घर जा रहा हूं, यहां तू न बस मेरी एक हेल्प कर दे। मुझे शरण्या से बात करनी थी, कुछ अर्जेंट था। तो क्या तू उसे मेरे लिए मनाएगा? प्लीज! प्लीज!! प्लीज!!! अर्जेंट है वरना मैं कभी शरण्या के शक्ल भी ना देखूं तो बस मेरा इतना सा काम कर दे मेरे भाई प्लीज रूद्र ने जिस मासूमियत से कहा, उससे रिहान को उस पर दया आ गई और उसने वादा किया कि वह शरण्या से इस बारे में जरूर बात करेगा जिसे सुनते ही रुद्र के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और रेहान को गले लगाते हुए वहां से चला गया। रेहान सोच में पड़ गया "आखिर इन दोनों का क्या होगा? इन दोनों की वजह से मेरी और लावण्या की लव स्टोरी साइलेंट होकर रह गई है। हे भगवान! ईतना लड़ते हैं दोनो, इन दोनों में प्यार कब होगा?"
रेहान ने जैसे ही घर के अंदर कदम रखा वैसे ही उसकी नजर सबसे पहले लावण्या पर गई जिसे देखते ही रेहान की सारी थकान दूर हो गई और वह होठों पर एक मुस्कान सजाएं सबसे मिला। शरण्या की नजर दरवाजे पर थी और वह अपने आप से ही शर्त लगा रही थी कि रुद्र आएगा या नहीं लेकिन रेहान को अकेले आता देख वह समझ गई और रेहान से बोली, "और बताओ रेहान! कैसी चल रही है ऑफिस? कितनी मेहनत करते हो तुम, थोड़ा कुछ अपने निकम्मे भाई को भी सिखा दो। थोड़ी तो हेल्प हो जाएगी तुम्हारी। देखो कितने थके हुए लग रहे हो तुम! ऑफिस में दिन रात मेहनत करते हो और एक वह है जब तुम्हारे पैसों से अय्याशी करता है! मतलब कमाल की जोड़ी है तुम दोनों भाइयों की। एक पूरब है तो एक पश्चिम एक दिन को जागता है तो दूसरा रात को। सही है! सही है!! तुम दोनों एक दूसरे को बैलेंस करते हो, पता है तुम्हें", कहकर शरण्या अपनी ही बात पर ठहाका मार कर हंस पड़ी। रेहान भी मुस्कुरा कर रह गया, उसे अच्छे से पता था कि वह क्या कहना चाह रही है। रुद्र की यह हरकत किसी से भी छुपी नहीं थी।
ललित ने बीच में टोकते हुए कहा, "क्या बात है! आजकल रूद्र नजर नहीं आ रहा। हम तो कई दिनों से उसी का इंतजार कर रहे थे, सोचा आज मुलाकात होगी लेकिन आज भी पार्टी में गया होगा। वैसे तुम अचानक से इतने थके हुए क्यों लग रहे हो? कुछ देर पहले तक तो बिल्कुल ठीक थे और अभी अचानक से तुम बाहर कहां चले गए थे? सब ठीक तो है?" रेहान बोला,"कुछ नहीं अंकल! वह बस रूद्र का फोन आया था। उसे कुछ चाहिए था तो इसलिए मैं बाहर गया था। बाकी कुछ नहीं और उसका तो कुछ पता भी नहीं चलता। कब आता है कब जाता है कब क्या करता है उसे खुद पता नहीं होता तो किसी और को क्या पता चलेगा। अभी यहां आया और मैंने उससे कहा भी अंदर आने को, लेकिन वह तो शरण्या के नाम से ही डर कर भाग गया। अब क्या करें! हमारी शरण्या का खौफ ही कुछ ऐसा है।"
रेहान की बात सुन सब हंस पड़े। कुछ देर के बाद ही अनन्या और लावण्या ने मिलकर सबके लिए डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया। रेहान ऐसी जगह बैठा जिसके बगल में अनन्या बैठ सके। यह देख अनन्या मुस्कुराए बिना ना रह सकी। लेकिन वह जैसे ही रेहान के बगल में बैठने को हुई, ना जाने रुद्र कहां से हवा के झोंके की तरह आया और लहराते हुए उस कुर्सी पर बैठ गया जिसे देख रेहान और लावण्या दोनों के ही चेहरे उतर गए। "इसे भी अभी आना था, कबाब में हड्डी कहीं का" सोचते हुए रेहान बोला, "रूद्र तुम तो घर गए थे ना! तो फिर यहां क्या कर रहे हो? तुमने तो कहा था कि तुम यहां नहीं आओगे तो फिर यहां कैसे?"
रूद्र रेहान को दरवाजे पर छोड़ घर के लिए तो निकल गया था लेकिन उसे शरण्या से बात करनी थी इसीलिए घर जाकर उसने अपने कपड़े बदले और वापस चला आया। लेकिन अभी तक उसे इतना भी ख्याल नहीं आया कि वह बहाना क्या देगा? रेहान के इस सवाल से रूद्र सोच में पड़ गया कि आखिर वह सब को जवाब क्या दें? कुछ सोच कर वह बोला, "वह क्या है ना भाई! घर पर खाना तो हम रोज खाते हैं और फिर आंटी के हाथ की दाल मखनी की तो बात ही कुछ और है। जब यहां आया था तभी दाल मखनी की खुशबू बाहर तक आ रही थी। इसलिए मैं खींचा चला आया। अब भले किसी को मेरा यहां आना पसंद आए या ना आए, मुझे तो मेरी दाल मखनी प्यारी है, क्यों आंटी?"
अनन्या बोली, "बिल्कुल बेटा! तुम जब चाहो यहाँ आ सकते हो और जब चाहो मैं तुम्हारे लिए दाल मखनी बनाकर भेज दिया करूंगी। तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है, यह तुम्हारा भी घर है।"
रूद्र बोला, "आंटी आप कितनी प्यारी है और लावण्या! वह भी कितनी प्यारी है, बिल्कुल आप की तरह! लेकिन आपकी यह स्वीटनेस बाकियों को क्यों नहीं मिली?" फिर मन ही मन बोला, "मेरे जैसा भोला भाला मासूम इंसान को कितना टॉर्चर होना पड़ता है आपको पता भी है? आपकी छोटी बेटी! उसने तो जैसे कसम खा रखी है मेरी जिंदगी हराम करने की! ना जाने किस जन्म का बदला लेती है मुझसे!"
सभी खाना खाने बैठे थे लेकिन रूद्र को चैन नहीं था। उसने रेहान को कोहनी मारी और शरण्या की तरफ इशारा किया कि उसे कुछ बात करनी है और इसके लिए वह उसे मनाएं लेकिन रेहान ने साफ साफ मना कर दिया और अपने खाने पर फोकस करने लगा। उसका पूरा ध्यान सामने बैठी लावण्या पर था। ऐसे में अगर वह शरण्या से बात करता तो कहीं लावण्या को बुरा न लग जाए और वह कुछ गलत ना समझ ले, इस बात से वो डरता था लेकिन रूद्र तो ठहरा रूद्र! उसे कहा इस सबकी परवाह थी। उसे तो बस अपना काम निकालना आता था फिर चाहे वह जैसे भी हो। उसने खुद से पहल करनी चाही लेकिन जैसे ही उसकी नजर शरण्या पर गई, वह डर गया। शरण्या जिस तरह चिकन पर चाकू चला रही थी और मुस्कुरा रही थी, ऐसा लग रहा था मानो वह चिकन नहीं बल्कि रूद्र की गर्दन पर चाकू मार रही हो जिसकी खुशी उसके चेहरे पर नजर आ रही थी।
क्रमश: