Chapter 185

Chapter 185

YHAGK 184

Chapter

 184








 शादी का दिन था और सभी अपने-अपने काम में लगे हुए थे। अपना काम निपटाकर शरण्या जैसे ही उठी शिखा जी ने कहा, "बेटा जल्दी जाकर नहा लो, पूजा की तैयारियाँ तुम्हें ही करनी है। पंडित जी बस आते ही होंगे।"


    शरण्या ने भी हां में गर्दन हिलाई और एक नजर चारों तरफ देखा। उसे रूद्र कहीं नजर नहीं आया। वो चुपचाप अपने कमरे की ओर चल दी। अपने कमरे में जाते ही उसने देखा, रूद्र खिड़की के पास चुपचाप खड़ा हुआ किसी सोच में गुम था। शरण्या को यह बहुत अजीब लगा क्योंकि घर में सभी उसी को ढूंढ रहे थे और रूद्र यहां अकेले खड़ा था। 


     शरण्या ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली, "तुम यहां क्या कर रहे हो घर में सभी तुम्हें ढूंढ रहे हैं! पंडित जी थोड़ी देर में आते ही होंगे। आज तुम्हारी बेटी की शादी है।"


      शरण्या जैसे ही रूद्र के सामने खड़ी हुई वह घबरा गई। रूद्र की आंखें नम थी और वह थोड़ा परेशान भी लग रहा था। शरण्या ने प्यार से उसके चेहरे को थामा और कहा, "मैं भी तो अपने मां पापा को छोड़ कर आई हूं ना! माना वो तुम्हारी लाडली है लेकिन बच्चों की शादी हर मां बाप का सपना होता है, खासकर बेटी की शादी। कौन सा हमारी बच्ची हमसे दूर जा रही है, इस घर से उस घर पर। मानव को तो तुम हमेशा से पसंद करते थे। तुम और विहान इस दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे फिर ये आंसू क्यों?"


     रूद्र ने कुछ कहा नहीं बस उसने शरण्या को कसकर अपने सीने से लगा लिया। शरण्या उसकी पीठ सहलाते हुए बोली, "बेटियां पराई होती है रूद्र! एक न एक दिन उन्हें जाना ही होता है। समझ रही हूँ तुम इस वक्त कैसा महसूस कर रहे हो। उसका पहला रिश्ता तुमसे है। जब मुझे इतनी तकलीफ हो रही है तो तुम्हें कितनी हो रही होगी। लेकिन हम अपने इस दर्द में मौली की खुशियां इग्नोर नहीं कर सकते। देखना, हमारी बेटी दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन लगेगी। जैसी शादी तुम हमारी चाहते थे वो सारी ख्वाहिश अपनी बेटी की शादी में पूरी कर ली तुमने। जितना खूबसूरत तुम हमारी शादी बनाना चाहते थे उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हमारी बच्ची की शादी होगी। चलो जल्दी से, तुम्हें भी कुछ रस्मो का हिस्सेदार बनना है। वक्त इतना जल्दी बीत गया ना! मौली बड़ी हो गई और आज किसकी शादी है।" कहते हुए शरण्या की भी आंखों में आंसू आ गए। 




    मौली बाथरूम से बाहर आई तो देखा उसके फोन में मानव के कई सारे मिस्ड कॉल आ चुके थे। उसने फोन उठाया और मानव को ऑडियो कॉल कर दिया। दूसरी तरफ से मानव ने झुंझलाते हुए फोन उठाया और कहा, "मुझे तुम्हें देखना है अपना कैमरा ऑन करो।"


   मौली आराम से बिस्तर पर बैठते हुए बोली, "अभी नहीं। पहले मैं तैयार हो जाऊं उसके बाद। वैसे भी शादी से पहले एक दूसरे को देखना शुभ नहीं माना जाता, समझ रहे हो ना? इसलिए इंतजार करो क्योंकि इंतजार का फल मौली होती है।" कहकर उसने फोन काट दिया। उसी वक्त शरण्या कमरे में आई और उसे गौरी पूजन के लिए ले कर चली गई। 




    शाम को बारात निकलने का वक्त हो चुका था। राहुल और मानव दोनों ही एक साथ घोड़ी पर बैठकर बारातियों के साथ निकले और शादी के वेन्यू पर पहुंचे। दुल्हन बनी मौली और नैना दोनों ही बहुत खूबसूरत लग रही थी। बारात आने की खबर सुनकर दोनों बालकनी की तरफ बढ़ी। अपनी बारात को देखना हर किसी की किस्मत में नहीं होता है ऐसे में वो दोनों यह मौका कैसे छोड़ देती? 


     दरवाजे पर पहुंचकर मानव जैसे ही घोड़ी से उतरने को हुआ ऋषभ और कार्तिक दोनों ने अपने हाथ आगे कर दिए ताकि मानव उनके हाथ पर पैर रखकर नीचे उतर सके। लेकिन मानव नीचे उतरता उससे पहले ही दोनों भाइयों ने उसे गोद में उठा लिया। मानव की डर से जो हालत थी उसे देख हर कोई हंस पड़ा। बड़ी मुश्किल से दोनों भाइयों ने मानव को नीचे उतारा लेकिन उससे पहले एक मोटी रकम नेग के तौर पर ऐठ ली यह कहकर कि उसकी कोई साली नहीं है और यह हक उन दोनों का बनता है। 


     अब बारी थी राहुल की। नैना का कोई भाई नहीं था ऐसे में नैना के पापा आगे आए और उन्होंने राहुल के उतरने के लिए अपना हाथ आगे कर दिया लेकिन उसी वक्त मानव ने उनके हाथ से भी ऊपर अपना हाथ बढ़ा दिया और बोला, "माना तू मेरी होने वाली बीवी का भाई है लेकिन नैना से मेरा भी तो कोई रिश्ता बनता है ना! चल उतर जा, अब क्या जिंदगी भर घोड़ी पर बैठे रहने का इरादा है?"


     मानव की बातें सुनकर नैना के पापा की आंखें नम हो गई। मानव ने राहुल को नीचे उतारा और दोनों घर के अंदर दाखिल होने को हुए जहां दरवाजे पर नैना की मां और शरण्या आरती की थाल लिए खड़ी थी। उन दोनों ने ही अपने अपने होने वाले जमाई को तिलक किया और आरती करने के बाद घर के अंदर लेकर आए। अंदर दो मंडप बने हुए थे। 


    शुभ मुहूर्त शुरू होते ही पंडित जी ने दोनों दुल्हनों को बुलाने के लिए कहा। मौली और नेहा धीमी कदमों से अपने भारी-भरकम लहँगे को संभाले हुए मंडप की ओर बढ़ी तो राहुल और मानव ने आगे बढ़कर अपनी अपनी दुल्हन का हाथ थाम लिया। मंडप के एक तरफ नेहा रजत के साथ अपने दो बेटे और एक बेटी के साथ खड़ी थी। नेहा के मम्मी पापा भी इस वक्त वहां अपने पोते की शादी में मौजूद थे। 


    मानव अच्छे से जानता था कि उन दोनों से उसका क्या रिश्ता था लेकिन यह बात उसने कभी किसी पर जाहिर नहीं होने दी। नेहा की मम्मी अपने पोते को दूल्हे के रूप में देख अपने बेटे को याद करने लगी जिसकी शादी उन्होंने बड़े अरमानों से की थी लेकिन उनका बेटा ऐसी हरकत करेगा यह उसे उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। अपनी 10 साल की सजा काटकर अमित जब वापस उनके पास आया था तब उन दोनों ने ही उसे पहचानने तक से इंकार कर दिया था। अमित को शायद सच में काफी पछतावा हो रहा था इसीलिए अपने मां-बाप का ऐसा रिएक्शन देखकर वह वहां से बहुत दूर चला गया। इतना दूर कि इतने सालों में उसने कभी मुड़कर भी अपनी शक्ल नहीं दिखाई, ना कभी अपने बेटे पर अपना हक जताया। वह तो जैसे इस दुनिया में था ही नहीं। 


    अचानक तालियों की गड़गड़ाहट से नेहा की मां होश में आई तो देखा मौली ने वरमाला मानव के गले में डाल दिया था और मानव भी चुपचाप अपने सर झुकाए वहां खड़ा था। नैना ने भी मौका मिलते ही जल्दी से राहुल के गले में वरमाला डाल दी। राहुल हैरानी से नैना को देखे जा रहा था। उसने बिल्कुल भी इस बात की उम्मीद नहीं की थी। जैसे ही राहुल और मानव की बारी आई ऋषभ और कार्तिक ने मिलकर मौली और नैना को अपने कंधे पर उठा लिया। 


    यह सारी हंसी ठिठोली देखकर रेहान को अपनी शादी याद आ गई। उस वक्त रूद्र ने जिस तरह लावण्या का साथ दिया था बिल्कुल उसी तरह ऋषभ और कार्तिक कर रहे थे और अपने भाई को परेशान करने में उन्हें मजा भी आ रहा था। रेहान मुस्कुराते हुए सब कुछ देख रहा था। उसने अपने बगल में खड़ी लावण्या की तरफ देखा लेकिन लावण्या वहाँ नहीं थी। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई लेकिन लावण्या उसे कहीं नजर नहीं आई। उसे ढूंढते हुए रेहान वहां से बाहर निकल गया।