Chapter 85
humsafar 85
Chapter
85
एक ओर जहाँ शुभ के आने से कोई भी खुश नही था वही जानकी उसे देख कर खुश थी। अवनि सारांश के भरोसे खुद को हिम्मत बंधाये हुए थी और सारांश भी उसके साथ ही था, हमेशा.......! पूजा और आरती खत्म होने के बाद जब अखिल ने जाने की बात की अवनि ने उन्हे रोकना चाहा लेकिन बेटी के घर यूँ बार बार आना और यहाँ रुकना उन्हे भी अच्छा नही लग रहा था इसीलिए उन्होंने अवनि की हर गुज़रिश् को अपनी मजबूरी बता कर टाल दिया।
जब अखिल और कंचन रुकने को नही माने तब सिया ने अवनि को समझाते हुए कहा, "तुम उदास मत हो अवनि! ये तो नॉर्मल सी बात है की जब भी बीवी व्रत करती है तब अचानक ही पति रोमांटिक हो जाते है। इतने सालों तक तुम दोनों बहनों ने उन्हे मौका ही नही दिया होगा। अब जब मौका मिला है तब भी तुम उन्हे डिस्टर्ब करना चाहती हो! वेरी बैड बेटा.......!"
सिया की बात सुन कंचन शर्मा गयी और अखिल झेंप गए। अवनि के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी। अपने माँ पापा को इस उम्र मे भी ऐसे एक दूसरे के साथ देख अवनि ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की, "हे ईश्वर! जीवन के अंत तक मै और सारांश भी ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे रहे, बस और कुछ नही मांगती मै आप से।"
अवनि को यूँ अपने माँ पापा की ओर हसरत भरी निगाहों से देखता पाकर सारांश उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसके कान मे बोला,"डोन्ट वरी! जब हमारे बच्चों के भी बच्चे हो जायेंगे और जब तुम्हारे सारे दाँत भी झड़ जायेंगे तब भी हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के साथ होंगे, तुम टेंसन मत लो।"
अवनि ने सारांश की बात सुनी और उसे घूर कर देखा, " क्या मतलब आप का कि जब मेरे सारे दाँत गिर जायेंगे तब? जब तक मेरे दाँत गिरने शुरू होंगे तब तक आपके सारे दाँत गिर चुके होंगे और साथ ही सिर के सारे बाल भी।" अवनि ने भी धीरे से कहा ताकि कोई सुन ना पाए और कोहनी उसके पेट पर दे मारी।
सारांश की बातों ने कुछ देर के लिए ही सही लेकिन अवनि के चेहरे पर मुस्कान ला दी थी लेकिन ऊपर सीढ़ियो के पास खड़ा शुभ उन दोनों को खुश होते देख रहा था। उसके होंठों का एक एक कोना ऊपर की ओर उठ गया और अपने चेहरे पे एक शैतानी मुस्कान लिए अपने कमरे मे चला आया।
सबके जाने के बाद सारांश और अवनि अपने कमरे मे आराम करने आ गए। उन दोनों ने ही सुबह से पानी नही पिया था तो सिया ने पंडित जी के कहने पर पूजा के बाद रज्जो के हाथों दोनों के लिए पानी और जूस भिजवा दिया तबतक दोनों ने ही कपड़े बदल लिए थे। अवनि के लिए ये व्रत इतना भी आसान नही होने वाला था। गर्मी के मौसम मे उसका गला सूखने लगा था लेकिन फिर भी उसने पानी पीने से मना कर दिया तो सारांश उसे गोद मे लेकर पूल मे उतर गया।
अपनी बाहों मे समेटे हुए सारांश ने अवनि को फिर से समझाना शुरू किया तब अवनि ने सिर्फ इतना ही कहा, "मुझे सिर्फ आप के लिए डर लग रहा है! अगर इन सब मे आपको खरोच भी आई तो मै......."
"तो अच्छा ही है!!! अवनि अगर सामने वाला कमजोर हो तो हम ओवर कॉन्फिडेंस मे कोई न कोई गलती जरूर करते है और यही मै चाहता हु। सिंपली कहु तो जब कोई और ऑप्सन नही होता तब डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते है, जिसमे सीधे सीधे बॉडी पर गहरा घाव लगाना ही पड़ता है लेकिन उस एक घाव से किसी की जान तो बच जाती है। वैसे ही अगर थोड़ा सा नुक्सान झेलकर हम अपनी सबसे बड़ी परेशानी से बाहर निकल सकते है तो कोई बात नही। तुम ज्यादा मत सोचो, मैंने सारी तैयारी कर ली है बस तुम मेरा साथ कभी मत छोड़ना।"
सारांश की बाते अवनि के दिल को काफी हद तक सुकून दे रहे थे। उसे ख्याल आया की वो दोनों इस वक़्त पूल के अंदर है और काफी देर भी हो चुकी थी। आसमान मे काले बादल घिर आये थे जो कभी भी बरसने को तैयार थे। "आई थिंक हमें अंदर जाना चाहिए", अवनि ने कहा और सारांश से अलग हुई लेकिन सारांश ने उसे अपने करीब खीच लिया," मॉम ने कहा की जब बीवी व्रत करती है तो हसबैंड रोमांटिक हो जाता है लेकिन उन्होंने ये नही बताया की बीवी कुछ ज्यादा ही बोरिंग हो जाती है।"
सारांश की बात सुन अवनि ने उसे हैरानी से देखा और मुस्कुरा कर बोली, "आपको मै अब से ही बोरिंग लगने लगी!!!" फिर उसके सीने मे अपना चेहरा छुपाकर बोली, "मैंने आपको बहुत परेशान किया है न!" इसपर सारांश ने कहा, "अभी तक तो नही लेकिन अब जरूर कर रही हो!" अवनि। उसकी बात का मतलब समझ गयी और शर्म से उसे और कस कर थाम लिया।
कुछ ही देर मे सारांश के फोन पर सिया का कॉल आया। सारांश ने जब फोन उठाया तब सिया ने उसके कुछ बोलने से पहले ही कहा, "अगले।पंद्रह मिनट मे मेरे स्टडी रूम मे आकर मुझे मिलो।" सिया के आवाज़ मे एक आदेश था जिसे सुन सारांश तुरंत ही अवनि को लेकर पानी से बाहर निकला।
सारांश जैसे ही कपड़े बदलकर कमरे से बाहर जाने को हुआ तभी अचानक से अवनी को कुछ याद आया। वह पलटी और सारांश से बोली, "सारांश एक बात पूछूं! यह जानकी मासी कौन है और हमारे साथ वह कब से है? मतलब उनकी अपनी कोई फैमिली तो होगी न! वो कहाँ है?"
अवनी के सवाल से सारांश एक पल को चौका कि आखिर वो अचानक से जानकी मासी के बारे में ऐसा क्यों पूछ रही है! फिर भी उसने बिना ज्यादा कुछ सोचे जवाब दिया, "जानकी मासी और मॉम बचपन की सहेलीयां है। दोनों साथ में पले बढ़े हैं और जानकी मासी की अपनी कोई फैमिली नहीं है और ना ही उन्होंने कभी शादी की। उन्होंने बस हम बच्चों को ही अपना माना और पूरी जिंदगी इस घर को दे दी। वो और मॉम एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ भी है और एक दूसरे की राजदार भी। अब तुम सो जाओ मैं मॉम से मिलने जा रहा हूं", कहकर सारांश वहाँ से चला गया। अवनि को नींद नहीं आ रही थी इसलिए बात कमरे में ही टहलने लगी।
सारांश सिया के स्टडी रूम में पहुंचा जहां वह दरवाजे की ओर पीठ किए खड़ी थी। सारांश के आने की आहट सुनते सिया ने गुस्से से उसकी तरफ पलट कर देखा। सारांश समझ गया किस सिया क्या कहना चाह रही है। उसने कहां, "मॉम! मुझे भी नहीं पता कि वह कब वहाँ से निकला। कुछ दिन पहले ही मुझे पता चला इस बारे में। हमारे लोगों को कैद करवाने मे उसने अपने दोस्तों को इस का सहारा लिया। आई एम सॉरी मॉम! मुझे आपको पहले बता देना चाहिए था यह सब।"
"और उसका क्या? कुछ पता चला की वो कहाँ है?" सिया ने पूछा तो सारांश ने कहा, "मॉम...! हम पूरी कोशिश कर रहे है उसे ढूँढने की। ऐसा लग रहा है जैसे कोई उसकी मदद कर रहा छुपने मे।"
"दो मर्डर किए है उसने.....! और एक रेप भी! इसके बावजूद हम उसे फांसी नही दिलवा सके। जो जहाँ भी है मुझे वो चाहिए किसी भी हाल मे जिंदा या मुर्दा....!" सिया का चेहरा गुस्से मे काला पद गया था जिसे देख सारांश भी कुछ देर के लिए सहम गया।
" क्या और भी कुछ है जो मुझे नहीं पता और तुम्हें पता है!!!" सिया ने गुस्से में उसे घूरा।
"नहीं मॉम! फिलहाल तो ऐसी और कोई बात नहीं है जो आप आपको ना पता हो।" सारांश ने कहा तो सिया का मन थोड़ा शांत हुआ और उसने उसे वहां से जाने का इशारा किया। सारांश बाहर जाने को मुड़ा फिर उसे अचानक अवनि का ख्याल आया और उसने सिया की तरफ मुड़कर कहा, "मॉम एक बात है लेकिन वह अवनी से जुड़ी है। मैं अभी यह बात किसी को नहीं बता सकता, यह फिलहाल मेरे और अवनी के बीच ही है। वक्त आने पर शायद आप सबको पता चल जाए।" कहकर सारांश स्टडी रूम से बाहर निकल गया।
सारांश जब बाहर निकला तब हॉल में वह कार्तिक से टकरा गया। कार्तिक ने उसके चेहरे पर चिंता की लकीर देखी तो उसे रहा नहीं गया और पूछा, "क्या हुआ सारांश? कोई टेंशन है क्या? देख तू मुझे बता सकता है! अगर तु बड़ी माँ के स्टडी रूम से निकला है इसका मतलब यही की यह टेंसन काम को लेकर है। और ऑफिस की कोई बात नहीं है ऐसी जो हम दोनों ने एक दूसरे से छुपाई हो।
"अरे नहीं वो बस ऑफिस की थोड़ी टेंशन थी। वह अगले वीक मे एक टेंडर खुलने वाला है ना तो बस इसीलिए।" कहते हुए सारांश गंभीर हो गया।
"तो इसमें टेंशन वाली क्या बात है! यह कांट्रेक्ट हमेशा से हर साल तुम्हें ही मिलता है। देखना इस बार भी तुम्हें ही मिलेगा", कार्तिक ने शांत भाव से कहा तो सारांश ने कहा, "ऐसा नहीं है! इस बार एक टेंशन है क्योंकि.....', कहते हुए सारांश ने हॉल मे चारों ओर देखा और फिर कार्तिक को लेकर ऊपर छत पर चला गया। ऊपर जाते ही सारांश कुछ देर बेचैनी में इधर-उधर टहलने लगा तो कार्तिक ने पूछा,"क्या हुआ? इतना टेंशन क्यों ले रहा है! हर साल तो तुझे ही मिलता है यह कॉंट्रैक्ट् फिर इस साल तु इतना क्यों घबरा रहा है! ऐसा क्या है इस बार?"
शुभ की नजर जब सिया के स्टडी रूम से निकलते हुए सारांश पर पड़ी, उसने कार्तिक और सारांश के बीच की बातें सुनी और उन दोनों का पीछा करते हुए छत पर चला गया। सीढ़ियों पर दरवाजे की ओट में खड़े होकर उसने सारांश और कार्तिक की बातें सुनने की कोशिश करने लगा। सारांश ने कहा, "इस बार थोड़ा सा टेंशन है। तुझे नहीं पता लेकिन एक नई कंपनी आई है इंडिया में जो सिर्फ इसलिए आई है ताकि मुझे बर्बाद कर सकें। मैं उसके हाथों एक जमीन का टुकडा नीलामी मे गवा चुका हूं और इस बार भी वो लोग इस मैदान में मेरे सामने खड़े हैं।
सारांश की बातें कार्तिक के समझ में नहीं आई तो सारांश ने आगे कहना शुरू किया, "तुझे याद है अब्रॉड में मैं किसी लड़की के साथ सीक्रेट रिलेशनशिप में था। क्या नाम था उसका......! देख उसका नाम तक याद नहीं और ना ही मैं उसे लेकर सीरियस था। टाइमपास थी वो मेरे लिए लेकिन उसने सीरियसली ले लिया। यह मैटर इतना तूल नहीं पकड़ता अगर उसने सुसाइड की कोशिश ना की होती। अब उसकी फैमिली मेरे पीछे पड़ी है खास कर उसका भाई। अब अगर ये बात घर मे किसी को पता चल गयी तो मेरी बनी बनाई इमेज खराब हो जायेगी और अवनि जो तमाशा करेगी सो अलग।"
कार्तिक को सारांश बाते अब कुछ कुछ समझ मे आने लगी थी, "नाम क्या है उस कंपनी का?"
"ए एस एम ग्रुप। वो लोग यहाँ के नही है इसीलिए उन्होंने किसी और नाम से ये कंपनी खोली है और खुद कहीं और से ये सब हैंडल करते है। मुझे बस इसी बात का डर है यार।" कहते हुए सारांश ने अपने माथे पर आए पसीने को पोछा।
शुभ जो की वही छुपकर सारी बाते सुन रहा था, उसकी आँखों मे एक चमक आ गयी। उसे सारांश की कमजोर नस जो मिल गयी थी। उसने मन ही मन कहा, "डोन्ट वरी मित्तल साहब! आपका ये राज अब मै आपकी प्यारी बीवी तक पहुचाऊँगा। ए एस एम.......! मिलना पड़ेगा आप से" सोचते हुए वह अपने कमरे मे वापस चला आया। सारांश भी जब अपने कमरे मे पहुँचा तबतक अवनि गहरी नींद मे सो चुकी थी। "उम्मीद करता हू अवनि! जो मैंने सोचा है वो पूरा हो जाय इस बार", उसने प्यार से उसके माथे को चूमा और अपनी बाहों मे समेट कर सो गया।
क्रमश: