Chapter 23

Chapter 23

humsafar 23

Chapter

23  

     सुबह जब अवनि की आँख खुली, उसने पाया की सारांश वहाँ नही है। वह उठी और कमरे से बाहर निकलने लगी तभी उसकी नज़र कंप्युटर स्क्रीन पर पड़ी जिसे सारांश रात भर देखता रहा था। अवनि हैरान रह गयी जब उसने देखा और पाया की सारांश रात भर उसके पापा को खुद मॉनिटर कर रहा था। इतनी देर मे सारांश भी दरवाजे से अंदर दाखिल हुआ और बोला,"हम लोग अंकल को डिस्चार्ज कर रहे है, तुम्हे कुछ पेपर्स पर साइन करने होंगे।" "लेकिन इतनी जल्दी डिस्चार्ज!!!" अवनि ने पूछा। वह जानती थी की उसके पापा की सबसे ज्यादा फिक्र इस वक़्त सिर्फ सारांश को है फिर भी वह सवाल पूछने से रोक नही पायी। "घबराओ मत!!!वहाँ  सारे इंतज़ाम करवा दिया है मैंने। हॉस्पिटल की सारी फसिलिटिज् वहाँ घर पर ही मिल जायेगी। डॉक्टर की एक टीम उनके साथ हमेशा होगी और मुझे पूरा यकीन है, वो नही चाहेंगे की शादी मे कोई भी अड़चन् आये।" कहकर सारांश ने चाय का कप अवनि की ओर बढ़ा दिया जो अभी कैफेटेरिया का स्टाफ वहाँ रख कर गया था। 

    "कल अपने देखा था मेरे पापा को, मै तो आपके साथ ही थी न फिर भी अपने मुझे बताया नही और ना ही अपने साथ चलने को कहा। सिर्फ निचे आने को बोलकर तेजी से निकल गए।" अवनि ने कहा। 

   अवनि की बात सुन सारांश खामोश हो गया और मन ही मन सोचा, "तुम्हे कैसे बताऊ की मैंने क्या देखा जिस कारण वहाँ से निकला था। मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था की उन्हे इतना बड़ा सदमा लगेगा।" सारांश कुछ कहता इससे पहले एक नर्स रिपोर्ट फाइल ले आई और वह उसको देखने मे बिजी हो गया। अवनि को सारांश के चश्मे का ख्याल आया तो वह पूछ बैठी मगर सारांश ने कहा, " मेरी आँखे खराब नही है। वो तो बस ऑफिस मे थोड़ा इंप्रेसन जमाने के लिए पहनता हु वरना कोई मुझे सीरियसली नही लेगा।" यह सुन अवनि को समझ नही आया की वह क्या बोले।।


    दिन चढ़ने से पहले ही अखिल को शिफ्ट कर दिया गया और नर्स डॉक्टर की एक टीम को उनके देखभाल के लिए लगा दिया गया। कंचन और धानी दोनो शादी को कुछ समय के लिए टाल देना चाहते थे मगर सारांश ने मना कर दिया, "अगर अंकल को बिल्कुल भी अच्छा नही लगेगा की उनकी वजह से शादी टली। सब कुछ वैसा ही होगा जैसा तय किया गया था।" और सब को रस्मे शुरू करने को कहा। 

उसकी पर्सनलटी मे जाने ऐसा क्या था की उसकी बात काटना या न मानना बहुत ही मुश्किल था।

   कंचन ने शगुन की मेहंदी तैयार की और अवनि को लेकर आने को कहा। अवनि ने जैसे ही मेहंदी का कटोरा उठाया, साइड मे लगी मेहंदी उसके हाथ मे लग गयी। अवनि पोछने के लिए टिशू ढूँढने, धानी ने देखा तो बोली, "अरे बेटा!! ये शगुन की मेहंदी है,ये तो शुभ होता है इसे पोछते नही है।" 

अवनि ने कुछ नही कहा और काव्या को लेने चली गयी। 

     अवनि काव्या को लेकर आई और उसे सबके बीच मे बैठा दिया। कंचन ने काव्या और कार्तिक के हाथ मे शगुन की मेहंदी लगाकर रस्म की शुरुआत की। फिर मेहंदी वाली ने डिजाइन बनाना शुरू किया। अवनि की आँखे न चाहते हुए भी सारांश को ढूँढ रही थी। सिया बाहर से आई, उसके हाथ मे एक पेनड्राईव था । उसने जानकी को आवाज़ लगाई और पेनड्राईव को सारांश के कमरे मे पहुँचाने को कहा। 

    जानकी उस वक़्त कुछ काम मे उलझी थी तो अवनि खुद ही आगे आकर सिया के पास से पेनड्राईव लिया और चली गयी। सिया खुश थी  मगर अवनि दिल और दिमाग के बीच उलझन मे सारांश के कमरे के बाहर नॉक करके दरवाजा हल्का सा खोलकर अंदर झांककर देखा। सारांश इस समय बोर्ड मीटिंग मे था। हेडफोन की वजह से उसने दरवाजे पर हुई दस्तक सुनी नही। सारांश के सीरियस और गुस्सैल चेहरे को देख अवनि थोड़ी डर गयी मगर जिस काम के लिए आई थी उसे तो करना ही था।

      अवनि सधे कदमो से अंदर दाखिल हुई । उसे अपने कमरे मे देख सारांश पहले तो थोड़ा हैरान हुआ, अचानक ही उसके चेहरे के भाव सॉफ्ट हो गए फिर उसने हाथ उठा कर मीटिंग को बीच मे ही रोक दिया। अवनि ने अपने हाथ मे पकड़ा पेनड्राईव उसकी ओर बढ़ा दिया। बिना कुछ कहे सारांश ने पेनड्राईव उसके हाथ से ले लिया। कुछ पल की हाथ की छुअन से दोनो को ही एक सिहरन सी हुई और धड़कने बढ़ गयी। दोनो कुछ देर एक दूसरे को यू ही देखते रहे। 

      

अवनि नीचे आई तो सब ने उसे भी मेहंदी लगाने के लिए पकड़ लिया। धानी ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "अवनि! बहुत जल्दी रंग चढ़ गया बेटा!! लेकिन अगर मेहंदी थोड़ी देर और रहने देती तो और अच्छा होता।" अवनि ने देखा उसके हाथ मे लगी मेहंदी का रंग बड़ी जल्दी चढ़ आया था। उसी के ऊपर से अब एक बहुत ही खूबसूरत डिजाइन भी बन गया था। अवनि को अपने ऊपर आँखों की चुभन महसूस हुई, उसने नज़र उठाकर देखा ऊपर सारांश की आँखे उसी पर थी उसने अभी तक चश्मा पहन रखा था जिसके कारण उसकी आँखे और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। 

     मेहंदी वाली ने अवनि से कुछ पूछा मगर उसे कुछ सुनाई नही दिया जिसे देख सारांश मुस्कुरा दिया और नीचे चला आया। कार्तिक को भी वही मेहंदी लगाई जा रही थी तो सारांश भी वही बैठ गया और उसके हाथ देखने लगा। "कहते है मेहंदी का रंग जितना गहरा होगा प्यार का रंग भी उतना ही गहरा होगा। तु भी लगवा के  देख ले, शायद रंग गहरा उतरे।" कार्तिक ने उसे छेड़ते हुए कहा। "मुझे किसी और के हाथ से मेहंदी नही लगवाना। प्यार का रंग अगर प्यार के हाथो लगे, उससे खूबसूरत बात कुछ और नही होती।" कहकर सारांश ने अपनी हथेली आगे कर दी। 

     कार्तिक ने देखा सारांश के हाथ पर पहले से मेहंदी लगी थी। उसकी बात से समझ गया की ये अवनि के हाथ से लगी है। उसने आँखे छोटी करके कहा, "तु इतना लकी कैसे हो सकता है" यह सुन सारांश की हँसी छूट गयी और वह उठकर अखिल को देखने चला गया। 

     अखिल के कमरे मे स्क्रीन लगा था जिसपर वह शादी की सारी रस्मे देख सकते थे। सारांश को देख वह मुस्कुराये तो सारांश ने पलके झपका कर उन्हे आश्वस्त किया की सब ठीक है और आगे भी सब ठीक होगा। श्रेया और उसकी कुछ दोस्त वही डांस कर रहे थे। जब अवनि की मेहंदी पूरी हो गयी तो सब ने उसे भी डांस मे खीच लिया। काव्या की मेहंदी पूरा होने मे अभी टाइम लगना था। काव्या ने एक नज़र अपनी मेहंदी मे लिखे कार्तिक के नाम को देखा और फिर अपने पापा के कमरे की ओर देखते हुए उसकी आँखों मे नमी तैर गयी। 

   कार्तिक ने देखा तो झट से उसके आँसू पोछते हुए उसे दिलासा दिया की वो है हमेशा उसके साथ। तभी काव्या की नजर सारांश पर गयी जो अखिल के कमरे के बाहर खड़ा उन दोनो को ही देख रहा था। अवनि की नज़र भी सारांश पर गयी जो काव्या और कार्तिक को ही देख रहा था। उसके चेहरे पर गंभीर भाव थे और आँखों मे न जाने क्या था जिसे वह समझ नही पायी। 

    सिया ने सारांश को आवाज़ देकर बुलाया जहाँ सारी औरते जमा थी। "सारांश! तुम्हारी छोटी माँ जानना चाहती है की तुम्हे कैसी लड़की चाहिए क्योंकि अगली बारी तुम्हारी ही होने वाली है।" सिया ने कहा। 

   "मॉम! आपको मेरी पसंद तो पता है फिर भी अगर जानना चाहती है तो बस इतनी सी फरमाइस है, अर्ज किया है.... 

" कभी लौंग तो कभी किशमिश हो

और कुछ हो न हो, तुनक मिज़ाज़ और चश्मिश् हो"

    "वाह वाह!!! पर ऐसी लड़की मिलेगी कहा?" धानी ने कहा। 

  "मिल जायेगी छोटी माँ! बहुत जल्द मिल जायेगी।" कहकर सारांश ने एक नज़र अवनि की ओर देखा जो उसकी बात कान लगाए सुन रही थी। 

क्रमश: