Chapter 110

Chapter 110

YHAGK 109

Chapter

 109



   पूरा परिवार इस वक्त रॉय हाउस में मौजूद था और आज शरण्या की बरसी थी। उसे गए पूरे 8 साल हो गए थे। मिस्टर रॉय ने शरण्या के नाम से हवन और पूजा रखवाइ थी जिसके बाद शरण्या की सारी चीजें आज दान कर दी जाती। मौली ने जैसे ही सारा इंतजाम देखा, उसने मौका मिलते ही रूद्र को फोन लगाया और उसे यहां के बारे में सारी खबर दे दी। 


     रूद्र ने भी जब सुना तो उससे रहा नहीं गया और इस पूजा को रोकने निकल गया। रूद्र के आने तक मौली को कैसे भी करके उस पूजा में विघ्न डालना था। उसने कोशिश तो बहुत की थी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। पंडित जी ने हवन कुंड में पूर्णाहुति डालने को कहा और इससे पहले कि मिस्टर रॉय पूर्णाहुति देते उसी वक्त किसी ने हवन कुंड में पानी डाल दिया। यह देख हर कोई चौक गया। 


     मिस्टर रॉय ने नजर उठाकर देखा तो सामने रूद्र को खड़ा पाया। सबकी नजर रुद्र पर ठहर गई। आखिर वह करना क्या चाहता है? शिखा और धनराज जी ने एक दूसरे को देखा और फिर रूद्र को। वह दोनों ही सोचने लगे कि आखिर रूद्र को इस बारे में पता कैसे चला? 


      ईशान इस पूजा में विघ्न पढ़ने से बौखला सा गया था। वो इस वक्त रूद्र को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करना चाहता था लेकिन सबके सामने तमाशा खड़ा कर वह मिस्टर रॉय की नजरों में गिरना नहीं चाहता था। लेकिन वहां अगर कोई खुश था तो वह थी सिर्फ नेहा। 


   मिस्टर रॉय गुस्से में उठ खड़े हुए और बोले, "क्या है यह सब? इस बदतमीजी की वजह जान सकता हूं मैं? तुम्हें किसी ने बुलाया नहीं था। इस तरह बिन बुलाए किसी के भी घर में खुश जाना गैरकानूनी होता है जानते हो ना! इसके लिए अगर मैं चाहूं तो तुम्हें पुलिस में दे सकता हूं।"


       रूद्र ने बड़ी बेबाकी से कहा, "पुलिस.........! आप मुझे पुलिस की धमकी दे रहे हैं? ठीक है! आपको किसी ने नहीं रोका है। आप चाहे तो फोन कर सकते हैं। कहे तो मैं अपना फोन दू आप को, कॉल करने के लिए?"


     रेहान रुद्र का हाथ पकड़ते हुए बोला, "तू यहां क्या कर रहा है? हम लोग नहीं चाहते थे कि तू यहाँ आए, इसलिए हमने तुझे इस बारे में नहीं बताया।"


   रूद्र बोला, "बहुत बड़ी गलती कर दी तूने। मुझे इस बारे में बताया होता तो यह सब कुछ, यह सारा तमाशा जो यहां हो रहा है कभी होने ही नहीं देता।"


     मिस्टर रॉय गुस्से में बोले, "तमाशा........? तमाशा वह था जो तुमने मेरी बेटी का बनाया। तुम्हारी वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई। खत्म कर लिया उसने खुद को तुम्हारे लिए। लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? तुम तो अपनी जिंदगी में खुश हो। वो पागल तुम्हारे प्यार में उसने खुद को पूरी तरह कुर्बान कर दिया। हमारे लाख समझाने के बावजूद, हमारे लाख मनाने के बावजूद आखिर अपनी शादी के दिन घर से भाग ही गई वह।"


     रूद्र उनकी आंखों में झांकते हुए बोला, "घर से भागी थी वह? आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं कि वह घर से भागी थी? यह तो हो सकता है कि किसी ने उसे जबरदस्ती अगवा किया हो!"


     मिस्टर रॉय बोले, "तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो कि उसे अगवा किया गया था? पागल हो गई थी वह, पूरी तरह पागल! सही गलत अच्छे बुरे की समझ को चुकी थी। अच्छा ही हुआ जो इस दर्द भरी जिंदगी से उसे छुटकारा मिल गया लेकिन वो यह सब कुछ डिजर्व नहीं करती थी। तुम्हारी वजह से मैंने अपनी बेटी खोई है और आज मैं उसकी बरसी मना रहा हूं। इस दिन को मैं सिर्फ इसलिए याद करता हूं ताकि एक दिन मैं अपने हाथों से तुम्हारी जान ले सकू।"


       रूद्र उनके और करीब आया और बोला, "कुछ नहीं हुआ है उसे! कुछ भी नहीं!! आपके पूजा में मुझे विघ्न डालने का कोई शौक नहीं है। लेकिन मैं इतना बता दू अगर आप मेरी बीवी के लिए पूजा रखवा रहे हैं तो इससे मुझे खुशी होगी लेकिन उसके जीते जी कोई उसकी बरसी मनाए ये मैं बर्दाश्त नहीं करुंगा।"


     रूद्र की बात सुन मिस्टर रॉय एकदम से हैरान रह गए। और सबसे ज्यादा परेशान ईशान हो गया। इसका मतलब रूद्र को पता चल गया है कि शरण्या जिंदा है? इसका मतलब उसे ये भी पता चल गया होगा कि वह कहां है?"


     बाकी के घर वाले रूद्र के इस पागलपन को अच्छे से समझते थे। उन्होंने तो कुछ नहीं कहा लेकिन मिस्टर रॉय बोले, "बस करो!! उसके रहते तो तुमने कभी उसे अपनाया नहीं। अब उसके मरने के बाद उसे अपनी बीवी कहने वाले तुम होते कौन हो?"


     रूद्र ने उनकी बात का जवाब नहीं दिया और बोला, "जिंदा लोगों की बरसी मनाने से अपशगुन होता है, आप जानते हैं ना? आप ही ने कहा ना कि वह घर से भागी थी। अपने साथ कुछ तो लेकर गई होगी ना वह या फिर ऐसे ही खाली हाथ भाग गई?" फिर उसने अपने चारों ओर देखा और कहा, "ये सारा सामान उसी का है ना? मुझे तो सारी चीजें नजर आ रही है और आप ही ने कहा ना कि मेरे प्यार में पागल हो गई थी तो फिर इसे कैसे छोड़ सकती थी वह?" कहते हुए रूद्र ने पास में रखे सामानों में से सिंदूर की डिबिया उठाकर मिस्टर रॉय के सामने कर दिया।


     मिस्टर रॉय बोले, "ये दो कौड़ी का सामान! इससे तुम क्या साबित करना चाहते हो?"


     इस बार रूद्र अपना गुस्सा दबाते हुए बोला, "आप लोगों की नजर में यह दो कौड़ी का होगा मिस्टर रॉय लेकिन मेरे एक सवाल का जवाब दे दीजिए। क्या शरण्या के रहते आप लोग इसे हाथ भी लगा पाए? नहीं ना! सिंदूर की डिब्बी और सिंदूर चाहे कितनी भी सस्ती क्यों ना हो, एक सुहागन के लिए सबसे कीमती खजाना होता है। कोई फर्क नहीं पड़ता वो रास्ते से खरीदा हो या फिर हीरो से जड़ा हो। अगर शरण्या को भागना होता तो चाहे कुछ ले या ना ले इस सिंदूर की डिब्बी को कभी अपने से अलग नहीं करती, जैसे इस घर में रहते हुए उसने तभी आप लोगों की नजर तक नहीं पड़ने दी थी। आप मानो या ना मानो, शरण्या घर से भागी नहीं थी उसे अगवा किया गया था। वह जिंदा है और ये मैं आप सबको साबित करके रहूंगा। बस एक बार मुझे पता चल जाए वह कहां है! जिसने भी यह किया है मैं उसे जिन्दा नहीं छोडूंगा।"


     ईशान अपने मन में अपना गुस्सा दबा कर रह गया उसे इस बात की तसल्ली थी कि अब तक रूद्र को शरण्या के होने की खबर नहीं मिली थी। लेकिन फिर भी वह रूद्र को एक भी मौका नहीं देना चाहता था शरण्या के पास पहुंचने का। इससे पहले कि रूद्र को शरण्या के होने की बात पता चले उससे पहले ही उसे शरण्या को वहां से शिफ्ट करना होगा। 


    रूद्र की बातों से मिस्टर रॉय कुछ पल को खामोश हो गए। उन्हें रूद्र की बातों में सच्चाई तो नजर आ रही थी लेकिन जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त रूद्र यहां नहीं था तो फिर वह इतने यकीन से कैसे ये सब कह सकता था? उन्होंने कुछ कहना चाहा लेकिन उसी वक्त तीन चार लोग आए और शरण्या का सामान बॉक्स में डाल कर ले जाने लगे। मिस्टर रॉय ने हैरानी से उन सभी लोगों को देखा और रुद्र से बोले, "क्या है यह? सब कहां ले जा रहे हो तुम यह सारी चीजें? यह सब मेरी बेटी का सामान है इसे तुम यूं ही नहीं ले जा सकते, वो भी बिना मेरी इजाजत के!" 


    रूद्र बोला, "वैसे भी आप इन सब को दान करने वाले थे। और जो आप दान करने वाले थे वह शायद ही उन लोगों के काम आता जिन्हें आप देने की तैयारी कर रहे थे। और वैसे भी इस दुनिया में मुझसे गरीब आपको कोई नहीं मिलेगा इसलिए सारी चीजें मैं लेकर जा रहा हूं ताकि जब शरण्या लौटे तब उसकी चीजें उसके पास हो। वह फिर से वही शरण्या बन सके जैसे वह पहले थी। अगर फिर भी आपको इस सब से कोई एतराज है तो इसकी जितनी कीमत चाहे आप ले सकते हैं।"


    मिस्टर रॉय ने तँज भरी मुस्कान के साथ कहा, "है क्या तुम्हारे पास जो तुम इस सब के बदले दे सकते हो? औकात क्या है तुम्हारी?"


    रूद्र बोला, "इन सारी चीजों की कीमत आप लगा सकते हैं मैं नहीं। मेरे लिए अनमोल है यह सारी चीजें। लेकिन फिर भी अगर आपको इस सब की कीमत चाहिए तो मेरे पास आपके लिए एक ऑफर है।" कहकर उसने अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाया। 


     रूद्र के पीछे खड़े एक आदमी ने उसके हाथ में एक फाइल पकड़ा दी। रूद्र ने वह फाइल ली और मिस्टर रॉय की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "आपका वो ड्रीम प्रोजेक्ट जो पिछले 4 सालों से लटका हुआ है, अधूरा पड़ा हुआ है। जिसके बायर्स ने आप पर केस कर रखा है और आपको हर महीने कोर्ट में हाजिर होना होता है। उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आपको जितनी भी कीमत चाहिए मैं देने को तैयार हूं। यह उस कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी है। अगर आपको पसंद आए तो हम डील फाइनल कर सकते हैं। मुझे आपके उस ड्रीम प्रोजेक्ट से कुछ नहीं चाहिए। जो भी नफा नुकसान होगा वह सिर्फ आपका होगा मेरा इस सब से कोई लेना-देना नहीं। मैं आपके प्रोजेक्ट का एक इन्वेस्टर हू बस और कुछ नहीं। आप सोचने के लिए जितना चाहे उतना वक्त ले सकते।"


      मिस्टर रॉय ने एक नजर उस फाइल पर डाला और बोले, "तुम्हें पता भी है उस प्रोजेक्ट में कितने की इन्वेस्टमेंट चाहिए? दे पाओगे तुम उतना जो मेरे सामने ऑफर दे रहे हो?"


      रूद्र मुस्कुराया और बोला, "जो चीजें मैं यहां से लेकर जा रहा हूं उसके लिए तो मैं अपनी पूरी जायदाद लुटा दूं। यह तो फिर भी चंद रुपए है मेरे लिए, यूं ही बेकार पड़े हुए। बस यूं समझ लीजिए किमत दे रहा हूं मैं आपको। जितना चाहिए ले सकते हैं, अभी या बाद में जब चाहे जितना चाहे। इस फाइल को पढ़कर आपको समझ आ जाएगा कि मुझे आपके इस प्रोजेक्ट के हर एक ईंट की जानकारी है तो ज्यादा सवाल जवाब मत कीजिए। अपना भी वक्त बचाईए और मेरा भी। उम्मीद करता हूं बहुत जल्द आपसे मुलाकात होगी........., ससुर जी!!!"


     कहते हुए रूद्र ने अपने पतले प्रेम का चश्मा अपनी आंखों पर डाला और वहां से जाने के लिए पलट गया। दरवाजे के पास पहुंचते ही अचानक से रुद्र के कदम रुक गए और उसने बिना पलटे ही कहा, "ईशान.......! मुबारक हो, कांटेक्ट साइन करने जा रहे हो। पार्टी तो बनती है। याद है या भूल गए?"


     ईशान अचानक से होश में आया और बोला, "हां......! हाँ मैं वो.......... मैं पार्टी जरूर दूंगा। खासकर तुम्हें और तुम्हारी फैमिली को। ऐसी पार्टी दूंगा कि तुम में से कोई भी भूल नहीं पाएगा, इतनी शानदार पार्टी होगी।"


     रूद्र बिना उसकी और देखे यह बता सकता था कि उसके चेहरे पर कितनी मक्कारी भरी है। वो हल्के से मुस्कुराया और वहां से निकल गया। रूद्र के अपने घरवाले रूद्र की इस हरकत पर हैरान भी थे और परेशान भी आखिर रूद्र के पास इतना पैसा है कि वह उस अधूरे पड़े प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट भी कर सकता है और बदले में उसे कुछ भी नहीं चाहिए? यानी कि एक तरह से वह मिस्टर रॉय को इस प्रोजेक्ट में लगाने के लिए पैसे दान में दे रहा था! 


     मौली एकदम से सोफे पर से उठ खड़ी हुई और बोली, "मैं डैड के साथ जा रही हूं। मुझे उनसे कुछ जरूरी बात करनी है। आ.. ह.... नानु!!! डैड के इस ऑफर पर आप सोचियेगा जरूर, फायदे में रहेंगे। वैसे भी उनके साथ काम करने वाले कभी भी घाटे में नहीं रहते है। लोग उनके साथ काम करने के लिए मरते हैं। आप किस्मत वाले हैं जो उन्होंने खुद आगे बढ़कर आप को ऑफर दिया है। वरना वो यह काम कभी नहीं करते है। मैं चलती हूं बाय!" कहकर मौली उछलते कुदते वहां से बाहर निकल गई। उसके चलने का तरीका देखकर ही शिखा जी को समझने में देर न लगी थी कि इससे पहले जो भी मौली ने किया वह सिर्फ एक नाटक था और रूद्र को यहां के बारे में उसी ने बताया। लेकिन उसी वक्त अनन्या भी तेजी से बाहर की तरफ निकली। किसी को कुछ समझ नहीं आया।