Chapter 124
सुन मेरे हमसफ़र 117
Chapter
117
निर्वाण अपने कमरे में कपड़े बदलकर तैयार हो रहा था। इतने में शिवि उसके कमरे में पहुंची और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। निर्वाण ने पहले तो हैरानी से उसकी तरफ देखा, फिर बोला "मैं जानता हूं आप मुझसे क्या जानना चाहती हैं।"
शिवि आराम से उसके सामने खड़े होकर बोली "देख नीरू! हम दोनों ही अपनी बहन के लिए परेशान है और हम दोनों ही अपनी बहन के साथ कुछ गलत होते हुए नहीं देख सकते। नेत्रा ने खुद कहा है कि वह कुणाल के साथ रिलेशनशिप में नहीं थी और ना ही कुणाल ने कभी उसकी तरफ कदम बढ़ाया।"
निर्वाण उसकी बात को बीच में काटते हुए बोला "दी! माना नेत्रा के साथ उसका रिश्ता वैसा नहीं था जैसा मैंने सोचा था। फिर भी इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि कुणाल एक बहुत अच्छा इंसान है और वह हमारी बहन को खुश रखेगा। कुहू दी और नेत्रा के बीच चाहे जो भी प्रॉब्लम्स रही हो, लेकिन मेरे लिए तो दोनों एक जैसी है। जब काव्या मां ने हमें अपने बच्चों की तरह प्यार किया है, तो हम कैसे उन्हें अपना ना माने! मेरी समझ में नहीं आता उस इंसान ने आप पर क्या जादू कर दिया है जो आप उसकी साइड ले रहे हो?"
शिवि हैरान हो गई। उसने निर्वाण की गलतफहमी दूर करते हुए कहा "मैं कुणाल के साइड नहीं ले रही। इनफैक्ट, मुझे भी वह कुछ खास पसंद नहीं है, यह बात तुम अपने मन में डाल लो। जिस तरह तुम अपनी दोनों बहनों के लिए परेशान हो, मैं भी उन्हीं दोनों के लिए परेशान हूं। वह दोनों भी मेरी बहने हैं। मैं कैसे उनके साथ कुछ गलत होते देख सकती हूं! जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है। अगर कुणाल कुहू की किस्मत में है तो हम चाह कर भी उसे रोक नहीं सकते। लेकिन कोशिश जरूर कर सकते हैं कि हमारी बहन की किस्मत इतनी खराब नहीं हो जितना हम समझ रहे हैं।"
निर्वाण को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माफी मांगते हुए कहा "सॉरी दी, मैं बस थोड़ा परेशान था इसलिए। मैं जानता हूं आप कुणाल को पसंद नहीं करते, इसलिए हम इस बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन हम सब कुछ तो किस्मत के भरोसे नहीं छोड़ सकते। हमें खुद भी तो कुछ करना होगा।"
शिवि थोड़ा सा आगे आई और निर्वाण के दोनों कंधे पर हाथ रख कर बोली "तू चिंता मत कर। शायद कुहू दी को कुछ कुछ एहसास होने लगा है। उनकी बातों से अब तो मुझे भी लगने लगा है कि कुणाल उनसे प्यार नहीं करता। जिस तरह से कुणाल उन्हें अवॉइड कर रहा है, उससे तो अब कुहू दी को भी थोड़ा शक होने लगा है। बस वह इस बारे में कुणाल से बात करें और सारी बातें साफ हो जाए। अगर कुणाल उनसे प्यार नहीं करता, तो दी कभी इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाएगी, इतना मुझे यकीन है।"
निर्वाण के मन में एक उम्मीद जागी। शिवि उसके बालों को अपनी उंगलियों से ठीक करते हुए बोलो "आगे की चिंता छोड़ो और चलो। नीचे सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। तुम्हारे मन में जो भी परेशानी है, वह सब आज होलिका दहन की उस आग में जला दो। जो कुछ भी होगा, अच्छा ही होगा।"
निर्वाण भी मुस्कुरा दिया और वहां से जाने को हुआ। लेकिन शिवि को कुछ याद आया और उसने निर्वाण को रोकते हुए कहा "तूने अंशु को भी इस बारे में बताया था ना?"
निर्वाण में हां में सर हिलाया तो शिवि ने फिर पूछा "वह क्या कर रहा है इस मामले में?"
निर्वाण ने बिना किसी लाग लपेट के उसे बताया "भाई ने शुरू में तो इस मामले में थोड़ा इंटरेस्ट दिखा रहा था और उसने मुझे कहा भी था कि मैं उसे सारे अपडेट देता रहूं। वह खुद भी कुणाल के पीछे पड़ा था लेकिन अभी वो किसी और ही प्रॉब्लम में फंसा हुआ है।"
शिवि ने सवालिया नज़रों से निर्वाण को देखा और बोली "किसी और प्रॉब्लम में? क्या हुआ है उसे? ऑफिस की प्रॉब्लम है या फिर कुछ पर्सनल है?"
निर्वाण कंधे उचका कर बोला "पता नहीं दी। ऑफिशियल तो नहीं है, शायद यह निशी भाभी से रिलेटेड है। उनकी फैमिली के बारे में शायद, मैंने बस उसे किसी से बात करते सुना था। इसलिए वह इस मैटर पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहा। और मेरे पास ऐसा कुछ अपडेट है भी नहीं जो मैं उसे दे पाऊं।"
निशी की फैमिली के बारे में सुनकर शिवि भी सोच में पड़ गई लेकिन इस मामले में वो बीच में कुछ नहीं बोल सकती थी। क्योंकि अब वह परिवार अव्यांश का भी परिवार था। ज्यादा कुछ ना सोचते हुए शिवि ने निर्वाण को चलने का इशारा किया और दोनों कमरे से निकल गए।
*****
सुहानी बाहर खड़ी दरवाजे को निहार रही थी। किसी के आने का इंतजार था उसे लेकिन अभी तक वह चेहरा उसे नजर नहीं आया था। किसी से पूछ भी नही पा रही थी। इतने में पार्थ अंदर आते हुए बोला "गुड इवनिंग ब्यूटीफुल! आज तो कमाल लग रही हो।"
शिवि जो निर्वाण के साथ चलते हुए बाहर आ रही थी। उसने पार्थ को देख कर कहा "कमाल से धमाल ना हो गया तो कहना। कहां थे इतनी देर तक? मैंने तुम्हें जल्दी आने को कहा था। लगता है दिमाग के डॉक्टर के दिमाग का इलाज मुझे ही करना होगा।"
पार्थ ने अपने सीने पर हाथ रखा और कहा "तुम तो बस मेरे दिल का इलाज कर दो, वही काफी होगा।"
शिवि भौंहे सिकोड़ कर बोली "कुछ ज्यादा ही चीजी लाइन निकल रही है। कहीं किसी गर्लफ्रेंड को घुमा कर तो नहीं आ रहा ना?"
पार्थ ने अफसोस जताते हुए कहा "कहां यार, मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहां! एक तो कोई लड़की मुझे भाव नहीं देती है, और अगर कोई देती भी है तो मेरी लव स्टोरी में तुम सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो। तुम्हारे रहते मैं कभी किसी पर लाइन भी नहीं मार सकता।"
शिवि उसे ताना मार कर बोली "अभी भी वक्त है, अपनी हरकत सुधार लो वरना किसी दिन बहुत अच्छे से पिटोगे।"
पार्थ भी थोड़ा सा झुकते हुए बोला "तुम बस हां कह दो, बाकी सब अपने आप सही हो जाएगा। लेकिन तुम चाहती ही नहीं।"
कुणाल उन लोगों से ज्यादा दूर नहीं खड़ा था। जबसे पार्थ आया था तब से ही कुणाल की नजर उस पर ठहर गई थी। उसे पार्थ और शिविका का यू करीब होकर बात करना पहले दिन से ही खटक रहा था। ऐसे में दोनों का, घर वालों के सामने इस तरह खुलेआम फ्लर्ट करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
सुहानी बोली "आप दोनों बात करो, मैं जाती हूं।"
शिवि मुस्कुरा कर बोली "इससे बात मैं नहीं करूंगी। इससे बात करेगी मेरी जूती।" शिवि जैसे ही अपनी सैंडल बाहर निकालने लगी, पार्थ वहां से बचकर भागने लगा। लेकिन दो कदम चलते ही वह सीधे श्यामा से टकरा गया।
थे ग्रेट श्यामा मित्तल को देखकर पार्थ की हालत खराब हो गई। श्यामा उसके इस तरह टकराने से नाराज होकर बोली "तुम लोगों को देखकर चलने में कोई परेशानी होती है क्या?"
पार्थ हकलाते हुए बोला "नहीं...... नहीं मैम.......! मैं तो बस ऐसे ही..........। हम दोनों तो........... सॉरी!" श्यामा उसकी बात सुने बिना ही वहां से चली गई।
पार्थ की इस हालत को देखकर कुणाल की हंसी छूटने से बची। लेकिन शिवि खिलखिला कर हंस पड़ी। कुहू जो कुणाल के साथ ही खड़ी उसे बात किए जा रही थी, उसका ध्यान इस तरफ गया। कुणाल ने अपनी हंसी रोक रखी थी और शिवि हंस रही थी। दोनों भले ही एक दूसरे के विपरीत दिशा में हो और एक दूसरे को न देख रहे हो, लेकिन कुहू को यह दोनों ही एक दूसरे से जुड़ा हुआ लगा।