Chapter 140

Chapter 140

YHAGK 138

Chapter

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  दरवाजे पर मीडिया रिपोर्टर्स की भीड़ लगी हुई थी। सभी को नए साल की पार्टी से ज्यादा आर एस और उनकी वाइफ से मिलने में दिलचस्पी थी। उन्हें अच्छे से पता था कि इस पार्टी में बड़े-बड़े लोग आने वाले हैं लेकिन सबसे खास था आर एस का आना वह भी अपनी लाइफ पार्टनर के साथ। लोगों में खलबली तो होनी ही थी। 


   लावण्या बाहर आइ और सब को समझाते हुए बोली, "सबसे पहले तो आप लोगों को हम सब की तरफ से नए साल की बेहद शुभकामनाएं। मैं जानती हूं आप लोग यहां किसके लिए बेचैन है। घबराइए मत आप लोगों को जल्द ही उनके दर्शन भी हो जाएंगे। उन्हें आने में थोड़ा सा टाइम है और पार्टी शुरू होने में भी। तब तक एक काम कीजिए, मैं आप सभी के लिए चाय कॉफी का इंतजाम करवाती हूं। इस ठंड में आप लोगों को कोई परेशानी ना हो इसकी मैं उम्मीद करती हूं और मेरी पूरी कोशिश रहेगी।"


    उसी वक्त रेहान वहां पहुंचा। उसे देखते ही मीडिया रिपोर्टर्स ने उसकी तस्वीर लेनी शुरू कर दी। रेहान मुस्कुराते हुए लावण्या के पास आया और उसकी कमर में हाथ डाल कर पोज देने लगा। लावण्या को रेहान का चूना अच्छा नहीं लग रहा था फिर भी कैमरे के सामने मुस्कुराना उसकी मजबूरी थी। वह जबरदस्ती स्माइल करते हुए एक दो तस्वीरें खिंचवाई और फिर अंदर चली गई। 


  अंदर जाते ही उसने देखा, जैसा कि उसने कहा था जतिन ने पहले ही सबके लिए कॉफी भिजवा दिया था। इस ठंड के मौसम में सारे मीडिया रिपोर्टर को लावण्या का इस तरह ख्याल रखना अच्छा लगा। लावण्या को जतिन की ये बात अच्छी लगी तो जतिन भी बदले में उसे देखकर मुस्कुरा दिया और फिर चला गया। रेहान वहां आ चुका था इसलिए जतिन को वहां रुकना सही नहीं लगा। रेहान किसी ना किसी बहाने लावण्या के करीब आने की कोशिश करता लेकिन लावण्या हर बार उससे दूर छिटक जाती। कभी किसी काम के बहाने तो कभी किसी गेस्ट को फोन करने के बहाने तो कभी पार्टी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए। 


     रेहान को किसी तरह का कोई शक ना हो इसलिए लावण्या ने उसका पूरा ध्यान भी रखा और उससे दूरी भी बनाकर रखी। उसके मन में क्या चल रहा था यह कोई नहीं जानता था। शायद लावण्या खुद भी नहीं। 


    एक एक घर मेहमान आने शुरू हो गए थे और पार्टी बस शुरू ही होने वाली थी। रूद्र ने नेहा को खास तौर पर पार्टी के लिए इनवाइट किया था ऐसे में उसका मना करने का सवाल ही नहीं उठता था। रुद्र और शरण्या के दोस्त की तरह उसने पार्टी हॉल में कदम तो रखा लेकिन उसे घबराहट होने लगी थी। वह जानती थी इस पार्टी में रजत भी होगा और उससे सामना वह करना नहीं चाहती थी। जब से रजत को उसकी प्रेगनेंसी का पता चला था उसके बाद से उसने रजत को एक बार देखा तक नहीं था और ना ही रजत ने उससे मिलने की कोशिश की थी। ईशान के हाथों इतनी तकलीफ सहने के बावजूद वह जाने क्यों रजत पर भरोसा करने लगी थी। उसकी आंखें अब रजत का इंतजार करती थी। 


      बीते कुछ दिनों में रजत ने नेहा को इतना परेशान किया था कि अब जैसे उसे आदत सी हो गई थी। लेकिन रजत वहां कहीं नहीं था, यह देखकर नेहा ने चैन की सांस तो ली लेकिन फिर परेशान हो गई। अपने दिल की बात नेहा खुद भी नहीं समझ पा रही थी। 




      शरण्या पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और रूद्र बस उसके आने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही वो तैयार होकर बाहर निकली, रूद्र ने रजत को फोन किया और गाड़ी लेकर आने को कहा। रजत बस इसी इंतजार में था। अगले 10 मिनट के अंदर ही रजत रूद्र के बताए लोकेशन पर मौली के साथ पहुंचा। वह उतरा और दोनों के लिए गाड़ी का दरवाजा खोलना चाहता था लेकिन रूद्र ने उसे इशारे से मना कर दिया और शरण्या के लिए खुद से दरवाजा खोला। 


    शरण्या इस वक्त सातवें आसमान पर थी। रूद्र उसे इतने प्यार से ट्रीट करेगा ये उसने कभी नहीं सोचा था। इस वक्त जैसे वह एक राजकुमारी हो।  वो आराम से जाकर गाड़ी के अंदर बैठी तो दूसरी तरफ से रूद्र आकर बैठ गया। मौली भी अपनी मॉम के साइड आकर बैठ गयी।


     रजत आगे बैठा और ड्राइवर से चलने को कहा। आज की रात उसके लिए भी खास थी। बहुत कुछ ऐसा था जो उसने तय किया था। नए साल में उसकी जिंदगी क्या मोड लाएगी और आने वाला साल उसके लिए कैसा होगा यह बात वो खुद भी नहीं जानता था। बस भगवान से सब कुछ सही होने की प्रार्थना कर रहा था। रजत के चेहरे पर जो भाव थे उन्हें देख रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "देखना कहीं तुझे जूते ना पड़ जाए!"


    रजत को समझते देर ना लगी कि रूद्र उसके मन की बात जान चुका है। वह मुस्कुरा कर बोला, "आप बचा लेना सर! वरना आज की रात जूते पड़े ही जाएंगे।"


    शरण्या ने उन दोनों को कंफ्यूज हो कर देखा और बोली, "यह तुम दोनों किस बारे में बात कर रहे हो? और पार्टी में तुम ऐसा क्या करने वाले हो जो तुम्हें जूते पड़ेंगे?"


    रुद्र और रजत दोनों ने शरण्या की तरफ देखा और फिर दोनों ही खिड़की से बाहर देख कर हंसने लगे। शरण्या अभी भी कंफ्यूज बैठी थी। वह समझ गई कि इन दोनों के बीच ऐसी कोई खिचड़ी पक रही है जिसके बारे में वह दोनों ही किसी को कुछ नहीं बताने वाले। उसने बुरा सा मुंह बनाया और अपने दोनों हाथ फोल्ड करके बैठ गई। इस वक्त वो  बिल्कुल मौली की तरह बिहेव कर रही थी। मौली भी अपनी मॉम की हरकत पर मुस्कुरा दी। 


     गाड़ी जाकर सीधे पार्टी वेंन्यू पर पहुंची। तब तक शरण्या की नाराजगी कुछ कम हो चुकी थी। गाड़ी जैसे ही गेट पर रुकी सारे मीडिया रिपोर्टर्स की नजर उन्हीं पर ठहर गई। सबसे पहले रजत निकला जिसे हर कोई जानता था। रजत का चेहरा किसी भी मीडिया रिपोर्टर के लिए अनजान नहीं था। रजत ने उतर कर सबसे पहले रूद्र के लिए दरवाजा खोला। रूद्र बाहर निकला तो कैमरा की लाइट उसके चेहरे पर पड़ी। रूद्र ने शरण्या के लिए दरवाजा खोला। मौली का हाथ थामे और दूसरे हाथ से रूद्र का हाथ पकड़े शरण्या बाहर निकली। इस वक्त दोनों मां बेटी एक ही तरह के ड्रेस में थे। उन दोनों को देखकर ही कोई भी अपनी नजर ना हटा पाए। 


     रूद्र भी शरण्या की ड्रेस है मैचिंग सफेद कोट और ब्लैक पेंट में था। कैमरे की चमक से शरण्या की आंखें चौंधीया गई और वह थोड़ा सा लड़खड़ा गई लेकिन रूद्र ने उसे मजबूती से थाम लिया और उसे संभालते हुए तीनों अंदर की ओर बढ़ने लगे। इस वक्त वह तीनों ही इतने खूबसूरत लग रहे थे कि किसी का मन ही नहीं हुआ उनसे कोई सवाल करें। सभी उनकी तस्वीरें लेने में बिजी थे। रुद्र ने भी उन्हें निराश नहीं किया। कुछ देर तस्वीरें खिंचवाने के बाद वह चारों पार्टी हॉल में पहुंचे। 


    सारे मेहमान आ चुके थे और पार्टी शुरू करने के लिए रुद्र और शरण्या का ही इंतजार था। आखिर वह दोनों इस पार्टी के गेस्ट ऑफ ऑनर जो थे। अंदर आते ही रजत की नजर सबसे पहले नेहा पर गयी जो अपनी मां के साथ बैठी हुई थी। 


     नेहा जो कि दरवाजे पर शरण्या को देख रही थी उसकी नजर एकदम से रजत की नजरों से जा टकराई। इससे पहले रजत की नजरें झुक जाए उससे बेहतर उसने खुद ही मुंह फेरना ज्यादा सही समझा। वह कोई उम्मीद नहीं बांधना चाहती थी। वैसे भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था।


    खैर पार्टी शुरू हुई और सभी एक दूसरे से बातें करने में लग गए। मौली ने भी अपने लिए एक कोल्ड ड्रिंक का गिलास उठाया और अपनी दादी के पास जाने को हुई। उसी वक्त मानव ने उसे आवाज दी, "तुम बीमार पड़ जाओगी!"


     मौली ने कहा, "बीमार पड़े मेरे दुश्मन! मैं बीमार नहीं पड़ूँगी। तुमसे किसने कहा?"


    मानव बोला, "इस ठंड में तुम कोल्ड ड्रिंक पी रही हो तो जरूर तुम बीमार पड़ जाओगी।"


     मौली ने कहा, "मैं तुम्हारी तरह बच्ची नहीं हूं और वैसे भी हम लोग जहां रहते थे वहाँ इससे भी ज्यादा ठंड पड़ती थी। इसलिए मुझे ठंड की आदत है, तुम चिंता मत करो कुछ नहीं होगा। और तुम इस वक्त मेरे पास क्या कर रहे हो? तुम्हारा राहुल कहां है?" मौली ने जानबूझकर राहुल पर कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा। 


    मानव का चेहरा उतर गया और उसने इशारे से राहुल की तरफ दिखाते हुए बोला, "उसे कुछ नए फ्रेंड मिल गए हैं उन्हीं के साथ बिजी है। मुझसे बात भी नहीं कर रहा।"


     मौली मुस्कुराई और उसके गाल खींचते हुए बोली, "अरे मेरे मंगू! तेरा चंगू उधर है तो कोई बात नहीं, वह तुझे भूल सकता है मैं तुझे कैसे भूल सकती हूं? माना मैं तेरी दोस्त नहीं हूं लेकिन तेरी बॉस तो बनी सकती हूं! तू घबरा मत मैं तुझे बिल्कुल भी परेशान नहीं करूंगी। चल हम लोग साथ में बैठते है। फिर देखना तेरा चंगू किस तरह जल भूनकर यहां वापस आएगा तेरे पास।" कहकर मौली मानव को अपने साथ ले गई। 




      रजत को नेहा से कुछ बात करनी थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि शुरू कैसे किया जाए। जब भी वह नेहा की तरफ देखता उसकी हिम्मत जवाब दे जाती। क्योंकि इस वक्त वह अपनी मां के साथ बैठी थी और उनके सामने नेहा से बात करने की हिम्मत रजत में नहीं थी। रूद्र ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया आखिर यहां से जो भी करना था वो रजत को ही करना था। 


   आने वाला नया साल सबके लिए खुशियों भरा होने वाला था। मिस्टर एंड मिसेस सिंघानिया और मिस्टर एंड मिसेस रॉय, सभी बहुत खुश थे। शरण्या लावण्या के साथ चली गई तो रूद्र विहान के साथ साइड में रखें सोफे पर बैठ गया। एक वेदर हाथ में ड्रिंक लिए जैसे ही शरण्या के पास से गुजरा तो बातें करते करते शरण्या ने उसकी ट्रे में से एक ड्रिंक उठाने को हुई। लेकिन उस वेटर ने ट्रै में से एक सॉफ्ट ड्रिंक शरण्या को पकड़ते हुए कहा, "मैम! सर ने आपको यह देने को कहा है।"


     शरण्या ने देखा एक सिंपल सा एप्पल जूस था जिसे पीकर ही उसका मन कड़वा हो गया। आज की रात वो थोड़ा ड्रिंक तो करना चाहती थी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे रूद्र उसके बगल में ना होते हुए भी यहां उसके ऊपर अच्छी खासी नजर बनाए हुए था। हाथ में क्लास थामें उसने जब रूद्र की तरफ देखा तो रूद्र ने भी मुस्कुरा घर अपना वाइन का क्लास हवा में ऊपर उठा दिया। शरण्या ने एक गुस्से वाली हंसी के साथ उसे देखा और दूसरी तरफ पलट गई। 


     लावण्या दोनों की इस हरकत पर हंसे बिना ना रह सकी और बोली, "तेरा रूद्र वाकई में तुझे बहुत प्यार करता है। तू चाहे कुछ भी कर ले उसकी नजरों से बच नहीं पाएगी।"


    अपनी बहन को भी रूद्र की तरफदारी करते देख शरण्या चिढ़ गई और वहां से उठकर दूसरी तरफ चली गई। लावण्या को एकदम से ध्यान आया कि उसे अपने मां पापा से रूद्र और शरण्या की शादी की बात करनी थी। वो मौका देखते ही मिस्टर रॉय के पास गई और कहा, "पापा बस 2 मिनट!" उसने उनका हाथ पकड़ा और अपने साथ लेकर गई।


    मिस्टर रॉय को कुछ समझ नहीं आया आखिर लावण्या को ऐसी कौन सी बात करनी थी! एक कोने में ले जाकर लावण्या अपने पापा से बोली, "डैड! आपको नहीं लगता कि नए साल में कुछ नई और कुछ अच्छी चीजें होनी चाहिए! मैं चाहती हूं कि रुद्र और शरण्या की शादी जल्द से जल्द हो जाए।" यह सुनकर मिस्टर रॉय के माथे पर हल्की शिकन ऊभर आई। माना रूद्र ने आते ही सारी प्रॉब्लम चुटकियों में सुलझा दी थी और अब सब कुछ सही हो चुका था लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं था कि उसने जो कुछ भी शरण्या के साथ किया था उसे माफ किया जा सकता था। 


     उन्हें सोच में डूबा देख लावण्या बोली, "डैड! क्या सोच रहे हैं आप? प्लीज डैड! इस रिश्ते में सोचने वाली कोई बात है ही नहीं। वह दोनों वैसे ही पति पत्नी है। एक घर में एक साथ रहते हुए भी वह दोनों साथ नहीं है, सिर्फ इसी वजह से। मैं चाहती हूं शरण्या को जो उस वक्त नहीं मिला वह अब मिले। रूद्र की पत्नी बनकर वह सिंघानिया हाउस में रहे जैसे अब रह रही है लेकिन अभी वो रूद्र की बीवी नहीं बनी। प्लीज डैड! मैं चाहती हूं आप इस बारे में मॉम से बात करिए और फिर पूरे रीति रिवाज के साथ उन दोनों की शादी हो जाए। बस यही चाहती हूं मैं। मां पापा तो कब से तैयार है। वह तो हमेशा से यही चाहते थे। बस आप लोग तैयार हो जाए आखिर आप भी तो यही मानते हैं ना कि शरण्या रूद्र की बीवी है।" 


    मिस्टर रॉय के पास कहने को कुछ नहीं था।