Chapter 176

Chapter 176

YHAGK 175

Chapter

 175






 सारी कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद एडवोकेट श्रीवास्तव ने तलाक की फाइनल कॉपी रेहान और लावण्या को पकड़ा दी। अब वो कानूनन अलग हो चुके थे। रेहान की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह उन कागजात पर एक नजर डालें। लावण्या की आंखें छलक आई। वह बस उठी और अपनी गाड़ी की तरफ चली गई। मिस्टर रॉय और अनन्या जी भी उस ओर जाने को हुए। 


       शरण्या रुद्र से कुछ पूछना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह रूद्र से कैसे बात करें। रूद्र ने उसकी झिझक समझी और उसे प्यार से गले लगाते हुए बोला, "तुम इस वक्त अपनी बहन के साथ रहना चाहती हो ना?" 


     शरण्या ने धीरे से हां में सिर हिला दिया तो रूद्र बोला, "इसके लिए तुम्हें मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है। वह तुम्हारी बहन है। जिस तरह इस वक्त मैं अपने भाई के लिए परेशान हूं वैसे ही तुम भी अपनी बहन के लिए परेशान हो। और यह जाहिर सी बात है। तुम जाओ, लावण्या इस वक्त भले ही बाहर से खुद को स्ट्रांग दिखा रही हो लेकिन अंदर ही अंदर काफी ज्यादा परेशान है। जितनी तकलीफ रेहान को हो रही है उतनी ही तकलीफ उसे भी हो रही है। तुम जाओ और उसे संभालो। मैं रेहान के साथ रहूंगा। तुम ज्यादा टेंशन मत लेना और अपना ख्याल रखना वरना हमारे बेबी को प्रॉब्लम हो जाएगी।"


      शरण्या रूद्र की बातों से ही इमोशनल हो रही थी लेकिन एकदम से उसे एहसास हुआ कि आखिर में रूद्र ने उसे क्या कहा। वो एकदम से रूद्र से दूर हुई और हैरानी से देखते हुए बोली, "अब इस सब में बेबी कहां से आया? रूद्र मैं भी प्रेग्नेंट नहीं हूं!"


     रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "जानता हूं। मैं तो बस यह देखना चाह रहा था कि अपनी बहन के स्ट्रेस में तुम कहीं बावली तो नहीं हो गई। तुम्हें कुछ भी नहीं हुआ है, चलो अच्छा लगा ये जानकर। कम से कम तुम्हारा दिमाग सही जगह पर है। जाओ जल्दी वरना वो लोग चले जाएंगे।"


     शरण्या ने गुस्से में जोर से रूद्र के कंधे पर मारा और वहां से चली गई। रूद्र उसे मुस्कुरा कर जाते हुए देखता रहा जब तक शरण्या उसकी नजरों से ओझल ना हो गई। 


      रेहान ऊपर से बहुत शांत था लेकिन अंदर से पूरी तरह टूटा हुआ था। सारे घर वाले वहां से जा चुके थे और अब वही दोनों मौजूद थे। रूद्र ने रेहान को कंधे से पकड़ा और उसे खींच कर अपने साथ ले गया। रेहान का वैसे ही बिल्कुल मन नहीं था कहीं जाने का। वह बस अकेले रहना चाहता था। रूद्र ने जब गाड़ी का दरवाजा खोला तो रेहान ने बैठने से मना कर दिया। रूद्र जबरदस्ती उसे गाड़ी के अंदर बैठाया और उसे लेकर वहां से निकल गया। 


     इस वक्त वह दोनों ही घर नहीं जाना चाहते थे। रूद्र ने सबसे पहले घर पर फोन किया और रेहान के साथ होने की बात बता दी ताकि कोई भी उसे लेकर परेशान ना हो। पूरा दिन रूद्र रेहान को लेकर दिल्ली की सड़कों पर भटकता रहा। दोपहर का टाइम था और इस वक्त क्लब बंद होते हैं इसलिए उसे कहीं तो वक्त काटना ही था। रूद्र काफी देर से गाड़ी ड्राइव कर रहा था और रेहान अपना सर पकड़े बैठा हुआ था। उसने एकदम से पूछा, "हम लोग कहां जा रहे है? ऐसी कौन सी मंजिल है कि यह रास्ता कट नहीं रहा।" 


   रूद्र उसे देखकर मुस्कुरा दिया और बोला, "कभी अपनी बीवी के साथ लॉन्ग ड्राइव पर नहीं गया। कभी किसी और लड़की के साथ भी नहीं गया। आज तेरे साथ जा रहा हूं। सोच तु कितना लकी है कि तुझे रूद्र के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाने का सौभाग्य मिल रहा है।"


    रूद्र ने जिस नौटंकी से अपनी बात रखी रेहान ने उसे अजीब नजरों से घूर कर देखा। वहीं पास में कुशन रखा हुआ था जो शरण्या का फेवरेट था। रेहान ने वह कुशन उठाया और रूद्र के मुंह पर फेंक दिया। इतने दर्द में होने के बावजूद उनके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई। रूद्र ने भी जल्दी से उस कुशन को कैच करते हुए पीछे सीट पर फेंक दिया और बोला, "यह शरण्या का फेवरेट कुशन है। उसने देख लिया ना तो मेरा खून पी जाएगी। तू क्यों चाहता है कि वह आकर मुझे मार डाले!"


     रेहान धीरे से बोला, "तूने खुद शेर के जबड़े में हाथ डाला है। फिर भी तु मरने से डरता है? यह बात थोड़ी अजीब नहीं है? वैसे तुम दोनों का रिश्ता भी महाअजीब है। किसने सोचा था तुम दोनों आगे चलकर एक दूसरे के लिए इतने खास हो जाओगे। इंसान जो सोचता है वो नहीं होता और जो कभी नहीं सोचता वह हो जाता है। लाइफ बहुत अनप्रिडिक्टेबल होती है। पहले से हम तय नहीं कर सकते कि हमारी लाइफ किस ओर जाएगी। कभी-कभी अचानक से खुशियां हमारे दरवाजे पर चली आती है और कभी एकदम से सब कुछ खत्म हो जाता है। कितना अच्छा हो ना, हम जो चाहे हमारी लाइफ में वही हो। हम जो भी प्लान करें सब कुछ उसी तरह से हो। कुछ भी ऐसा ना हो जो हमने नहीं सोचा था, जो हमने नहीं चाहा था। सिर्फ खुशियां ही खुशियां हो।"


       रूद्र बोला, "अगर लाइफ में सिर्फ खुशियां होंगी तो उन खुशियों के कोई मायने नहीं रह जाएंगे। खुशियों की कीमत तभी समझ आती है जब हमें गम मिलता है। अच्छाई की कीमत तभी होती है जब हम किसी बुराई से सामना करते हैं। दर्द से गुजर कर जो सुख हमें मिलता है, फिर चाहे वह थोड़ा सा ही क्यों ना हो बहुत खास और सुकून भरा होता है, बहुत ज्यादा कीमती। इन सब बातों में तूने एक बात नोटिस की? लावण्या ने कहा कि अगर किस्मत ने चाहा तो तुम दोनों एक बार फिर साथ आओगे। वह हमेशा तुमसे प्यार करेगी। प्यार कभी मरता नहीं है रेहान बस कभी कभी गुस्सा और नफरत प्यार से बड़ी हो जाती है। जिस दिन यह एहसास कम होने लगते हैं तब प्यार एक बार फिर अपनी जगह बनाने लगता है। जैसे बाढ़ में कोई पौधा डूब जाता है लेकिन जब पानी कम होता है तो वह पौधा वापस वही नजर आता है। बिल्कुल वैसे ही उसे थोड़ा वक्त लग सकता है लेकिन हो सकता है एक बार फिर तुम दोनों साथ आ जाओ। उसने कहा ना कि वह जिंदगी भर तुमसे प्यार करेगी किसी को अपने पास नहीं आने देगी। उसे वापस पाने के लिए तुझे अपना प्यार साबित करना होगा। उसका इंतजार करना होगा।"


     रूद्र ने रेहान का हाथ पकड़ा और उसे समझाते हुए कहा,। रेहान पर भी रूद्र की बातों का थोड़ा-थोड़ा असर अब होने लगा था। उसने अपनी आंखें मूंद ली और पीछे सीट से सर टिका दिया। उसके अंदर दर्द का तूफान था लेकिन अपना दर्द इस तरह सब के सामने जाहिर करके वो सब को दुखी नहीं करना चाहता था। लंबा सफर रेहान को हमेशा से बहुत पसंद था उसने गाड़ी का शीशा नीचे किया और खिड़की पर सर लगाकर बाहर देखने लगा। गाड़ी हाईवे से होते हुए शहर से बाहर की तरफ निकल गई थी। बाहर देखते हुए रेहान का मन थोड़ा थोड़ा शांत होने लगा था। लावण्या की कमी उसकी लाइफ में कोई पूरी नहीं कर सकता था। इसके बावजूद उसे खुद को संभालना था। और किसी के लिए ना सही लेकिन उसे राहुल के लिए तो खुद को मजबूत दिखाना ही था। दोनों भाई घंटों सड़कों पर ऐसे ही घूमते रहे शाम होने पर रुद्र उसे उसी क्लब में ले आया जहां वह और विहान अक्सर आया करते थे। 


    रेहान ऐसे तो ड्रिंक नहीं करता था लेकिन आज उसे बहुत ज्यादा जरूरत थी। रूद्र भी नहीं चाहता था कि वह ड्रिंक करे लेकिन आज रूद्र ने रेहान का मूड देखकर उसे मना नहीं किया। साथ ही उसको कंपनी देने के लिए रूद्र ने भी थोड़ी सी ड्रिंक कर ली। जब उसे लगा की रेहान अब और संभाल नहीं पाएगा तो उसने रेहान के सामने से ग्लास हटा दिया लेकिन रेहान उस ग्लास को पकड़ते हुए बोला, "ये आखरी वाला मेरे बैचलर होने की खुशी में। आज एक बार फिर मैं बैचलर हो गया। आज मुझे कोई रोकने टोकने वाला नहीं है और ना ही मैं किसी से डरने वाला हूं। आज मुझे पीने दे बस यह आखरी यह लास्ट। इसके बाद मुझे घर जाना है। मेरी लावण्या इंतजार कर रही होगी। तु मुझे उसकी डाँट से बचा लेना बस।" कहते हुए उसने जैसे ही ग्लास उठाई उसकी हिम्मत जवाब दे गई और वह वही रूद्र के कंधे पर बेहोश हो गया।