Chapter 105

Chapter 105

YHAGK 104

Chapter

 104






   ईशान अपने कमरे में बिस्तर पर बैठा अपने हाथ को सहला रहा था। उसकी हाथ में अभी भी बहुत तेज दर्द हो रहा था। नेहा अपनी ड्यूटी के लिए निकलने वाली थी और तैयार होकर अभी बाथरूम से निकली ही थी कि ईशान बोला, "नेहा! तुम्हारे पास कोई पेन किलर हो तो दे दो, बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!"


     नेहा मन ही मन बोली, "तुम्हें मैं जहर ना दे दू ताकि सब की जिंदगी पर लगा ग्रहण एक बार में छट जाए!" उसने ड्रावॅर में से पेनकिलर निकाला और ईशान को इंजेक्शन दे दिया। नेहा बोली, "लगता है रुद्र के साथ तुम्हारी मुलाकात काफी यादगार रही है!"


     ईशान ने देखा नेहा के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी। उससे यह बर्दाश्त नहीं हुआ। गुस्से में उसने नेहा के बाल पकड़े और बिस्तर पर पटक दिया। "बहुत मजा आ रहा है ना तुम्हें, मुझे ऐसे दर्द में देखकर! उस रुद्र का मैं जो हाल करूंगा वह पूरी दुनिया देखेगी और तुम भी! उसकी आँखों के सामने मैं उसकी शरण्या के साथ क्या क्या करूंगा यह वो सोच भी नहीं सकता। बस एक बार वो होश मे आ जाए।"


     नेहा अपना दर्द बर्दाश्त करते हुए बोली, "तुम्हें सच में ऐसा लगता है? तुम रूद्र का कुछ बिगाड़ लोगे? अब तक तुमने जो किया वह सिर्फ इसलिए क्योंकि वह यहां नहीं था। एक बात जान लो, जो इंसान आते ही तुम्हें इतना दर्द दे गया उसके साथ अगर तुमने पंगे लिए तो वह तुम्हारा क्या हाल करेगा! फिलहाल उसे अहसास तक नहीं है कि शरण्या जिंदा है और तुम्हारी कैद में है। जिस दिन उसे पता चल गया ना वह तुम्हें जान से मार देगा।"


     ईशान गुर्राते हुए बोला, "फिलहाल तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा। शेर अगर जख्मी हो फिर भी वह शेर होता है।" कह कर वो उस पर टूट पड़ा। नेहा एक बार फिर खून के आंसू रो पड़ी। 




     रूद्र लावण्या के शब्दों से काफी ज्यादा आहत था, लेकिन वह यह बात भी अच्छे से समझता था की लावण्या ने जो भी कहा वह उसका गुस्सा नहीं बल्कि शरण्या के लिए उसका प्यार था। उसने अपनी बहन को जिस दर्द में देखा था वह दर्द रूद्र के लिए नफरत बन चुका था और यह एक सामान्य बात थी। रूद्र ने खुद को इस सब के लिए तैयार तो कर लिया था लेकिन खुद को अभी भी इतना मजबूत नहीं बना पाया था कि वह इन सब बातों को झेल सके। यह जिंदगी उसने खुद अपने लिए चुनी थी। इस दर्द के लिए वो किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता था। उसने अपने साथ साथ शरण्या की भी जिंदगी का फैसला कर लिया था जो गलत था। 


       शिखा जी रूद्र के सर पर हाथ फेर रही थी और उसके बाल सहला रही थी ताकि उसे शांत कर सके। उनसे जब रहा नहीं गया तो वह बोली, "देख लिया तूने! तेरी हर अच्छाई का नतीजा यह है! किसने कहा था तुझसे यह सब करने को और क्या मिल गया तुझे यह सब करके? क्या हासिल हुआ, कुछ भी तो नहीं! सिर्फ दर्द और अपमान के अलावा!! इस घर में वापस ना आने का तेरा फैसला बिल्कुल सही था। तेरे पापा तुझे जबरदस्ती यहां ले आए क्योंकि उन्हें लगा उनके बेटे के साथ नाइंसाफी हुई है जो हम सब ने की। लावण्या कुछ नहीं जानती लेकिन कम से कम रेहान को तो लिहाज रखना चाहिए था। आखिर तु उसका बड़ा भाई है। तेरा दर्द हम में से कोई नहीं समझ सकता लेकिन फिर भी एक सवाल मुझे करना है.........! आखिर क्यों.........? क्यों किया तुमने ऐसा? क्यों अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली, उस इंसान के लिए जिसे रत्ती भर भी तेरी परवाह नहीं है? क्यों छोड़ा शरण्या को? अगर मौली को अपनाना ही था तो तुम और शरण्या मिलकर उसे अपना सकते थे, अपना नाम दे सकते थे! फिर भी सब करने की क्या जरूरत थी?"


     रूद्र बोला, "क्या करता मैं मां? मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। शरण्या और इशिता के बीच की नफरत मैं अच्छे से जानता था। शरण्या जितना इशिता के नाम से चिढ़ती थी इशिता उससे कहीं ज्यादा शरण्या से नफरत करती थी। रेहान ने मेरे नाम से इशिता को धोखा दिया। जिस वक्त रेहान और लावण्या सात फेरे ले रहे थे उस वक्त रेहान अच्छे से जानता था कि इशिता प्रेग्नेंट है, इसके बावजूद उसने इशिता और लावण्या दोनों को एक साथ धोखे में रखा। मैं नहीं जानता इशिता को कब रेहान की सच्चाई पता चली लेकिन उस रोज जब मैं हॉस्पिटल गया था लावण्या की प्रेगनेंसी रिपोर्ट लेने, वहां मुझे इशिता मिली और उसने यह सारी बातें बताई। 


     यह सारी कहानी इशिता पहले भी शरण्या को बता चुकी थी और शरण्या ने मुझे। मैं तब भी उसकी बातों पर यकीन नहीं करता लेकिन मेरे सामने उसने वो सारे सबूत रखें। मेरे पास यकीन ना करने की कोई वजह नहीं थी क्योंकि काफी वक्त से मुझे भी रेहान पर शक था। मेरे शक को यकीन में बदला रेहान ने। इशिता रेहान से कोई मतलब नहीं था। जब उसे पता चला कि मैं और शरण्या एक साथ है तो उससे एक साथ सब की जिंदगी तबाह करने का एक मौका मिल गया। वह मेरे जरिए शरण्या से अब तक के सारे हिसाब चुकता कर लेना चाहती थी। शरण्या ने अब तक उसकी जितनी भी इंसल्ट की थी। उस सबका बदला लेने का इससे सुनहरा मौका उसके पास और कुछ नहीं था। मेरे इंकार करने पर उसने साफ-साफ धमकी दी थी कि वह अपनी प्रेगनेंसी के बारे में लावण्या को बता देगी। 


     लावण्या के लिए प्रेगनेंसी थोड़ी कॉम्प्लिकेटेड थी। डॉक्टर ने साफ कहा था कि उसे किसी भी तरह का स्ट्रेस नहीं होना चाहिए। अगर उसे पता चल जाता कि रेहान ने उसे धोखा दिया है तब उसकी जान को भी खतरा था और उसके आने वाले बच्चे को भी। मैं तब भी इस सारी सिचुएशन को संभाल लेता लेकिन रेहान....... उसने यह साफ-साफ कह दिया कि वह इशिता को यहां से कहीं दूर भेज देगा। इतनी दूर कि वह चाह कर भी उस तक पहुंच नहीं पाएगी और इशिता ने यह साफ साफ कहा था कि वह इस बच्चे की जिम्मेदारी नहीं उठा सकती और उस बच्चे को किसी अनाथ आश्रम में छोड़ देगी। बस यही बात में दिल को चुभ गई मां। शरण्या भी तो कुछ साल अनाथ आश्रम में पली बढ़ी है। वहां उसके साथ क्या-क्या ज्यादतियाँ हुई यह आप भी जानती हैं। मैं नहीं चाहता था मां कि रेहान और इशिता की गलती की सजा उस बच्चे को मिले जो अभी इस दुनिया में आया भी नहीं था। बस यही कमजोर पड़ गया मैं, वरना किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मुझे झुका सके। अगर मैंने इशिता को ना अपनाया होता तो आज मेरी मौली ना जाने किस हालत में होती! माना वह मेरी सगी बेटी नहीं है लेकिन खून का रिश्ता तो है ना हमारा! हमारे खानदान का एक वारिश इस घर से दूर, दुनिया के किसी कोने में होता और हम सभी उस से अनजान होते। आज मौली का चेहरा देख कर जीता हूं मैं, उस बच्ची को देखकर जिसे उसके अपने पिता ने उसे ठुकरा दिया और माँ ने भी। सिर्फ जन्म से ही कोई मां बाप नहीं हो जाता है मां, बच्चे के साथ जीना पड़ता है। मौली मेरी बेटी है। अब अगर कोई भी उसे मुझसे छीनना भी चाहे तो यह मै हरगिज बर्दाश्त नहीं करूंगा। उस पर सिर्फ मेरा हक है, बिलकुल वैसे ही जैसे मुझ पर सिर्फ शरण्या का हक है। मुझे लावण्या की किसी बात का बुरा नहीं लगा है मां। उसकी कहीं कोई भी बात गलत नहीं है। बस जब भी शरण्या का जिक्र होता है तो उसका दर्द सीने में टिस् बनकर चुभता है। मेरी शरण्या कभी सुसाइड कर ही नहीं सकती। उसने वादा किया था मुझसे। आप देखना, बहुत जल्द........ बहुत जल्द मैं शरण्या को इस पूरी दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दूंगा और उस ईशान की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दूंगा। पहले ही बहुत देर कर दी है मैंने, अब और देर नहीं कर सकता।" कहते हुए अचानक से रूद्र की नजर दरवाजे पर खड़ी मौली पर गई जो ना जाने कब से पानी का गिलास लेकर वहां खड़ी थी और उसकी बातें सुन रही थी। 


      रूद्र एकदम से उठ गया और बोला, "मौली बेटा! आप कब आए?"


     मौली धीमे कदमों से उसके पास आकर बैठी और पानी का गिलास उसके हाथ में देते हुए बोली, "मैं जानती हूं मेरे डैड कभी कुछ गलत नहीं करेंगे और अगर वह कुछ गलत करेंगे भी तो उसके पीछे बहुत बड़ी वजह होगी। मैं जानती हूं मेरे डैड ने खुद से कभी प्यार नहीं किया, सिर्फ और सिर्फ मेरी शरण्या मॉम से प्यार किया है। और मैं यह भी जानती हूं कि मैं सिर्फ आपकी बेटी हूं। किसी और का मुझ पर कोई हक नहीं। ना आपने कुछ कहा ना मैंने कुछ सुना।"


      रूद्र ने खींचकर मौली को अपने सीने से लगा लिया और अपने आंखों में उभर आए दर्द को छुपाने के लिए आंखें मूंद ली। मौली को यह जानकर सबसे ज्यादा तकलीफ हुई कि अपने डैड के दर्द की वजह वह खुद थी। सिर्फ उसके लिए रूद्र ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। रेहान को तो वह वैसे ही पसंद नहीं करती थी। सारा सच जानकर मौली को रेहान से नफरत हो गई। रूद्र ने बरसो मौली से यह सारी बातें छुपा कर रखी, उसे कभी एहसास नहीं होने दिया कि वह उसकी सगी बेटी नहीं। 




     लावण्या अपने कमरे में बैठी कुछ जरूरी काम निपटा रही थी। उसके हाथ लैपटॉप पर बहुत तेजी से चल रहे थे, उससे भी ज्यादा तेजी से चल रहा था उसका दिमाग। बार-बार ऑफिस में हुई बातें उसके जेहन में घूम रही थी क्योंकि इस बारे में इतने सालों में रेहान ने कभी कोई जिक्र नहीं किया था। आखिर ऐसी कौन सी बात थी किस वजह से रुद्र और रेहान की लड़ाई हो गई थी और रूद्र सबकुछ छोड़कर चला गया था? 


     लावण्या ने किसी को फोन किया और बोली, "मैं तुम्हें एक डेट मैसेज कर रही हूं, मुझे उस डेट की मीटिंग रूम की सीसीटीवी फुटेज चाहिए। चाहे तुम कहीं से भी लाओ, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। बस यह बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए, समझ गए तुम?"


   दूसरी तरफ से उस इंसान ने कुछ कहा और लावण्या ने फोन रख दिया। उसी वक्त रेहान कमरे में दाखिल हुआ और बोला, "लावण्या.......! तुम्हें रूद्र से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी। ठीक है रूद्र ने जो किया सो किया, लेकिन हम वह बदल नहीं सकते। हम अब शरण्या को वापस नहीं ला सकते। लेकिन यह सारी बातें करने से क्या सब कुछ ठीक हो जाएगा? रूद्र खुद भी इस घर में नहीं आना चाहता था इसलिए तो वह सीधे अपने दूसरे फ्लैट में गया। पापा उसे यहां लेकर आए हैं। कम से कम हमें उनके इस बात का मान तो रखना होगा। वह बड़े हैं हमसे। रूद्र पर गुस्सा मुझे भी आ रहा है। उससे नाराजगी है मेरी भी, लेकिन इसके लिए यह घर सही जगह नहीं है। मैं जानता हूं, भले ही पापा ने कुछ नहीं कहा लेकिन वह ये सब देख बहुत ज्यादा तकलीफ में है।"


     लावण्या अपना लैपटॉप बंद कर उस साइड में फेंकते हुए उठ खड़ी हुई और बोली,,मेरी बहन थी वह! भले ही सगी नहीं थी लेकिन सगी बहन से भी बढ़कर थी। रूद्र और शरण्या के रिश्ते की बात मैं अच्छे से जानती थी लेकिन रूद्र का कहना था कि इस बारे में किसी को कुछ भी बताने का हक सिर्फ उन दोनों का है, किसी और को नहीं! मैंने उसकी इस बात का मान रखा और किसी से कुछ नहीं कहा, तुमसे भी नहीं। लेकिन तुम्हारा भाई! वह कब सुधरने वाला था!! जैसे बाकी लड़कियों के साथ उसके रिलेशन रहे, वैसे ही उसने मेरी बहन को भी इस्तेमाल किया और फेंक दिया मरने के लिए। इस सब में उसकी क्या गलती थी? अरे नहीं, सारी गलती तो उसी की थी, जो उसने ऐसे इंसान पर भरोसा किया जिस पर करना ही नहीं चाहिए था। अच्छे से जानती थी वह कि रूद्र किस किस्म का इंसान हैं। हम सब बहुत अच्छे से जानते थे इसके बावजूद भी हमने उन दोनों को नहीं रोका। सारी गलती हमारी थी। मुझे अपनी बहन को रोकना चाहिए था। ये इंसान किसी के भरोसे के लायक नहीं है। एक बार फिर यह हमारी जिंदगी में आया है और इस बार वह हम सब को बर्बाद करके रख देगा। सुना नहीं तुमने ईशान ने क्या कहा, जिस प्रोजेक्ट पर तुम इतने वक्त से मेहनत करते आए हो वह प्रोजेक्ट ही खत्म कर दिया उसने, सिर्फ रूद्र के आने से। क्या जानता है वह बिजनेस के बारे में जो इतना बड़ा सजेशन दे डाला उसने! ईशान को चिढ़ है रूद्र के नाम से भी। तुम्हें लगता है वह ऐसे ही रुद्र का सजेशन मान लेगा? बहुत बड़ी चाल चल रहा है वह। हम सब को हमारी ही कंपनी से निकाल देगा, हम सब सड़क पर आ जाएंगे। तुम्हारा भाई तो यही चाहता है। वह नहीं था हम सब खुश थे, बहुत खुश थे। चाहे जैसे भी थे कम से कम सुकून की सांसे तो ले रहे थे। उसने आते ही सब बिखेर दिया।"


   रेहान को समझ नहीं आया कि वो रूद्र का पक्ष कैसे रखे? ना तो वो रूद्र को गलत कह सकता था और ना ही लावन्या को।