Chapter 11
YHAGK 10
Chapter
रूद्र के गाड़ी ले जाते हैं विहान को लगा जैसे अब उसे हार्ट अटैक आ जाएगा। उसके पास रूद्र के गाड़ी की चाबी नहीं थी और उसकी खुद की गाड़ी रूद्र ले गया था। वह क्लब जहां वह लोग आए थे, वहां आसपास कोई कैब या ऑटो आती नहीं थी क्योंकि यह क्लब सिर्फ अमीरों के लिए होता था जहां सभी सिर्फ अपनी गाड़ियों से आते थे। रुद्र के साथ होने वाले हादसे के बारे में सोचकर ही विहान का दिल बैठा जा रहा था। उसने घबराते हुए कांपते हाथों से रेहान को फोन लगाया। रेहान उस वक्त किसी जरूरी काम में बिजी था और अपने ऑफिस में था। विहान का फोन देख उसने सबसे पहले तो उसे अवॉइड करने का सोचा लेकिन फिर ना जाने कौन सी मुसीबत आन पड़ी या फिर रुद्र ने कोई नया पंगा किया हो, यह सोचकर उसने फोन उठा लिया। लेकिन इससे पहले कि रेहान कुछ बोल पाता उधर से विहान की घबराई हुई आवाज आई।
"हेलो रेहान......! रेहान, मैं बोल रहा हूं। वह रूद्र........रूद्र......गाड़ी लेकर चला गया है। मैंने उसे कहा था तुझे घर पहुंचा दे रहा हूं.........लेकिन लगता है सच में उसे चढ़ गई है और वह भी बहुत बुरी तरह से चढ़ गई है। मेरी सुना नहीं वो, मैं क्या करूं? मैं उसके पीछे भी नहीं सकता क्योंकि वह अपनी गाड़ी की चाबी भी लेकर चला गया है। मैं उसके पीछे नहीं जा सकता। अब तुम्हें कुछ करना होगा, प्लीज!!! बचा लो उसे वरना आज उसका मर्डर हो जाना है।" विहान की बात सुन रेहान चौक गया और बोला, "ऐसा क्या कर दिया उसने? कहां गया है वो जो उसका मर्डर हो जाएगा? ऐसे कौन से खतरनाक मिशन पर गया है जो तू इस तरह से रिएक्ट कर रहा है?"
विहान का घबराहट के मारे बुरा हाल था। उसे सांस भी नहीं ले जा रही थी। वह हकलाते हुए बोला, "वह.......वह........घर गया........शरण्या.....शरण्या के घर.....उससे मिलने........इस हालत में.......!आज तो पक्का मारा जाएगा। शरण्या उसकी जान ले लेगी रेहान! कुछ करो, कुछ करो, बचाओ उसे वो मेरा इकलौता दोस्त है। बेवजह मारा जाएगा तो फिर मेरा क्या होगा?" विहान की बात सुन रेहान घबराने के बजाय आराम से अपने कुर्सी पर पसरते हुए बोला, "तो तु इतना घबरा क्यों रहा है? तेरा दोस्त है, तू जा बचाने! वैसे भी वह जिस मिशन पर गया है या तो वह करके आएगा या फिर मर कर आएगा। तू चिंता मत कर, शरण्या उसे "जान" से नहीं मारेगी लेकिन उसके साथ क्या करेगी यह तो मुझे भी नहीं पता। हम कुछ नहीं कर सकते, अब जो करना है उसी को करना है। हम बस इंतजार कर सकते हैं। अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है बेटा तो तू आराम से घर जा मैं तेरे लिए गाड़ी भिजवा दे रहा हूं।" कहकर रेहान ने फोन काट दिया। विहान हक्का-बक्का सा अपना फोन हाथ में लिए उसे देखता रहा। उसे रेहान की बातें कुछ समझ में नहीं आई। जहां वह रूद्र को लेकर इतना परेशान था वही रेहान इतने आराम से कैसे रह सकता है? जबकि सच्चाई उसे भी अच्छे से पता थी एक आग है तो दूसरा पेट्रोल! दोनों जहां होंगे वहां तो आग भड़केगी ही। विहान वही अपना सर पकड़ कर बैठ गया।
रात को अपने कमरे में बैठी शरण्या कुछ नोट्स बना रही थी। अपने स्टडी टेबल पर उसने कई सारे कागजों का ढेर लगा रखा था जिसे साफ जाहिर था कि वह काफी देर से किसी टॉपिक पर उलझी हुई थी और इस बारे में उसे कुछ सूझ नहीं रहा था खुन्नस में उसने सारे पेपर को समेटा उसका एक बॉल बनाकर बालकनी की तरफ जोर से मारा, लेकिन वह बॉल बालकनी से बाहर गिरने की बजाय वापस उसकी तरफ बाउंस होकर उछल गया। शरण्या को यह बात बड़ी अजीब लगी। उसने उस पेपर बॉल को ध्यान से देखा फिर पैर से इधर उधर हिलाडुलाकर उसे हाथ में उठा लिया। यह वही पेपर बॉल था जो उसने अभी-अभी बालकनी की तरफ उछाला था। "पेपर बॉल भी कहीं उछलता है क्या? अभी तक तो मैंने सिर्फ रबड़ की बॉल को चलते देखा है!" सोचते हुए उसने उस बॉल को जमीन पर मारा लेकिन उछलने के बजाय वह पेपर बॉल वैसे ही जमीन पर पड़ा रहा। "हो सकता है बालकनी की रेलिंग से टकरायी हो! यह सोचकर उसने एक फिर से उस बॉल को उठाया और एक बार फिर उस बॉल को बालकनी की तरफ उछाल दिया। हैरानी की बात यह रही कि वह बॉल एक बार फिर बाउंस होकर उसके पास चली आई। इस बार उसने अपने स्टडी टेबल से एक पेपर वेट उठाया और उस पेपर में लपेटकर बालकनी की तरफ फिर से फेंक दिया, इस बार किसी के दर्द से चिल्लाने की आवाज आई।
शरण्या को लगा शायद कोई चोर है, तो वह हाथ में बेसबॉल की बैट लिए भागते हुए बालकनी में पहुंची। वहां पहुंचते ही उसने जो देखा उससे उसकी हंसी छूट गई। बिचारा रूद्र रेलिंग के दूसरी तरफ एक हाथ से अपना सर पकड़े लटका हुआ था और उसके चेहरे पर जो बेचारगी के भाव थे, उसे देखकर किसी के भी हंसी छूट जाए और सामने तो फिर भी शरण्या थी जिसे उस की ऐसी हालत देख मजा आ रहा था। शरण्या को सामने देख रूद्र लगभग दांत पीसते हुए बोला शाकाल!!! तू एक दिन मेरी जान लेकर रहेगा। बार बार कहता हूं तुझसे, एक ही बार में मेरी जान निकाल ले। ऐसे तिल तिल कर क्यों मारती है मुझे? मजा आता है तुझे? मुझ मासूम पर इतना जुल्म करके क्या मिल जाता है तुझे?"
शरण्या हंसते हुए बोली, "मासूम!!! कौन मासूम!!!मुझे तो यहाँ तेरे अलावा कोई नजर नहीं आ रहा तो तु किस मासूम की बात कर रहा है? अब ये मत कहना कि तू अपने आप को मासूम कह रहा है! साली कमीनी!!!कमीनापन तेरी शक्ल से टपकता है, इतना ही मासूम है तो सीधे रास्ते से आने की बजाए यहाँ पर ऐसे क्यों लटका हुआ है? तू करने क्या आया है यहां पर? सच सच बता! शेर की गुफा में घुसने की तेरी हिम्मत कैसे हुई? इतनी हिम्मत तुझ में आई कहां से? जरूर शराब पी रखी है तूने वरना होश में तो तू ऐसी गलती कभी नहीं करता। सच सच बता! चढ़ गई है ना तुझे?" शरण्या की बात सुन रूद्र ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और पीछे की तरफ झुकते हुए बोला, "मुझे तो बस तुझसे कुछ बात करनी थी। तुझसे बात करने के लिए मुझे थोड़ी हिम्मत चाहिए थी और मेरी कोई गलती नहीं है! तेरे भाई ने पिलाई मुझे, पता नहीं कौन सा कॉकटेल पिला दिया उसने मुझे कि एक पैग में ही चढ़ गई। अब चढ़ गई तो चढ़ गई, कम से कम इतनी हिम्मत तो आई कि मैं तेरे सामने खड़ा हो पा रहा हूं। कुछ जरूरी बात करनी थी यार! इसलिए आया हूं। वरना शेर की गुफा में घुसने की हिम्मत कौन करेगा? अब ऐसा ही लटकाकर रखेगी या मुझे अंदर भी बुलाएगी! कम से कम इतनी इंसानियत तो रख।"
शरण्या ने दोनों बाजू फोल्ड करते हुए कहा, "बिच्छू का मंत्र जानता है?" इतना बोल कर वह अपने कमरे में चली गई। रुद्र की समझ में कुछ नहीं आया फिर भी वह रेलिंग पार करते हुए शरण्या के कमरे में पहुंच गया। मन ही मन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं पिछली बार की तरह शरण्या अपने बॉक्सिंग ग्लब्स के साथ में खड़ी हो और अचानक से उस पर हमला न कर दें। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। शरण्या उसके सामने कुर्सी पर टेक लगाए खड़ी थी, कुछ इस तरह मानो वह उसकी क्लास लेने वाली हो। रूद्र को अभी भी डर लग रहा था, वह यहां आ तो गया था लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह शरण्या से कैसे बात करें और पहले किस बारे में बात करें? इससे पहले कि वह अपना मुंह खोलता, शरण्या बोली, "अब बताएगा भी किस वजह से तू यहां मरने आ गया? जरूर कोई बड़ी बात रही होगी वरना तु ऐसे ही सांप के बिल में हाथ नहीं डालेगा! नागिन हूं मैं! संभल के रहना और जो भी बोलना सोच समझकर बोलना वरना तेरी खैर नहीं!"
रूद्र का गला सूख गया, वह अपना थूक निगलते हुए बोला, "वह मुझे......वह मुझे..... मुझे...... मुझे....... मुझे......मुझे भूख लग रही है.....!!! घर पर भी खाना नहीं खाया और बाहर विहान ने भी खाने नहीं दिया। थोड़ा सा कुछ खाने को मिलेगा क्या?" शरण्या ने उसे खा जाने वाले नजरों से देखा तो रूद्र अटकते हुए बोला, "क...... क........कोई बात नहीं! मुझे कॉफी भी चलेगी!!! क्या तु मुझे कॉफी पिला सकती है, प्लीज???? और कुछ नहीं तो पानी ही दे दे.....! मेरा गला सूख रहा है, वैसे भी अभी अभी तु तीन बार मेरा सर फोड़ चुकी है! अभी कम से कम उसी के बदले, प्लीज!!!" शरण्या ने भौंहे टेढ़ी की और कमरे से निकल गई। उसके जाते ही रूद्र ने चैन की सांस ली और बिस्तर पर गिर पड़ा।
"यार! इस लड़की से बात करना इतना मुश्किल क्यों है? क्यों इसके सामने तेरी घिघ्घी बंध जाती है? ऐसे तो नई-नई लड़कियों के सामने बहुत स्टाइल मारता फिरता है तू, लेकिन इसके सामने क्या हो जाता है तुझे? कहां जाता है वो "मैचों रुद्र"? अब पता नहीं क्या करने गई है? हे भगवान! वो कुछ भी लाये बस जहर डालकर न लाएं।" रूद्र अपने आप में बड़बड़ाए जा रहा था और पूरे कमरे में नजर दौड़ाई जा रहा था। तभी उसकी नजर उस पेपर बॉल पर गए जिससे उसे चोट लगी थी। उसे ध्यान आया कि जब आया था उस वक्त शरण्या कुछ लिख रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था। "लेकिन यह लिख क्या रही थी?" यह सोच कर उसने जल्दी से उस पेपर बॉल को उठाया और सारे पेपर्स को खोल कर उन्हें सीधा करने लगा। अंदर एक पेपरवेट था जिसे देखते ही बोला, "तभी मुझे इतनी जोर की चोट लगी थी! तेरा निशाना हमेशा मैं ही क्यों बनता हूं शाकाल? लेकिन ये लिख क्या रही थी?" सोचते हुए रूद्र ने उस पेपर को उठाकर जैसे ही पढ़ना चाहा, शरण्या ने उसकी हाथ से सारे पेपर एक साथ छीन लिए।
अचानक शरण्या के आ जाने से रुद्र घबरा गया। ना जाने वह अब क्या करेगी " यह सोच कर वो दो कदम पीछे हट गया लेकिन कुछ कहने के बजाय शरण्या ने एक प्लेट उसके आगे कर दी जिसमें ब्रेड और जैम लगे थे। फिलहाल खाने के लिए यही है। मैं तेरी बीवी नहीं हूं जो तेरे लिए इतनी रात को खाना बनाऊंगी। जो है उसे चुपचाप खा और यहां से फुट् ले, अगर अपनी सलामती चाहता है तो!!!" रूद्र ने उसके हाथ से प्लेट ले लिया और कुछ देर तक उस ब्रेड जैम को देखता रहा। कभी वह प्लेट को देखता तो कभी शरण्या की ओर। शरण्या समझ गई कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। वह बोली, "खा ले! जहर नहीं डाला है इसमें! वैसे भी, खाकर अगर यहां मर गया तो नुकसान मेरा ही है। पूरे घर की सफाई करनी पड़ेगी।" बेचारे रुद्र का चेहरा एक बार फिर उतर गया। वह बोला, "तु मेरे साथ इस तरह क्यों बर्ताव करती है? कभी तो प्यार से बात कर लिया कर! क्या मैं इतना बुरा हूं?"
शरण्या ने उसे घूर कर देखा और दो कदम आगे आई, जिसे देख रूद्र डर गया और दो कदम पीछे हट गया। वह बोली, "तुझे अगर मेरा दिमाग ही खाना था तो फिर मैं तेरे लिए यह क्यों लेकर आई? पहले ही बता देता! अब चुपचाप खा और यहां से जा वरना इसी बालकनी से नीचे फेंक दूंगी तुझे।" रूद्र ने चुपचाप खाना ही बेहतर समझा। पहला बाइट लेते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह बोला, "तुझे कैसे पता कि यह मैंगो जैम मेरा फेवरेट है?" शरण्या अपने स्टडी टेबल से पेपर समेट रही थी। रूद्र का सवाल सुन उसके हाथ अचानक से रुक गए। फिर कुछ सोचते हुए बोली, "क्योंकि यह वाला मुझे पसंद नहीं, इसलिए तेरे लिए लाई। मुझे पता था जो मुझे पसंद है वह तुझे कभी पसंद नहीं आएगा। हमारी पसंद कभी एक नहीं हो सकती इसीलिए हम दोनों ही अलग-अलग रहते हैं, बचपन से ही! और तू करता भी वही है जो मुझे बिल्कुल पसंद ना हो।" शरण्या चेहरे के भाव कुछ अलग से थे। एक हल्के दर्द की झलक उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी, लेकिन वह रूद्र की तरफ पीठ करके खड़ी थी जिससे रूद्र ने उसके चेहरे की ओर देखा ही नहीं।
क्रमश: