Chapter 102
YHAGK 101
Chapter
101
रेहान और लावण्या ऑफिस के लिए निकल गए। उन दोनों के जाने के कुछ देर बाद धनराज जी भी ऑफिस जाने के लिए तैयार हुए और रुद्र के कमरे में आए। रुद्र उस वक्त अपना काम कर रहा था। धनराज जी बोले, "रुद्र बेटा......."
रुद्र ने जब अपने पिता को अपने कमरे में देखा तो अपना लैपटॉप साइट रखते हुए उठ खड़ा हुआ और बोला, "जी पापा! आप ऑफिस जा रहे हैं?"
धनराज जी बोले, "हां बेटा! मुझे लगा तुम चलोगे मेरे साथ इसलिए मैं तुम्हें पूछने चला आया।"
रुद्र बोला, "पापा आप आराम से ऑफिस जाइए। मैं कुछ देर में वहां आ जाऊंगा। वैसे मेरे ऑफिस जाने की खबर ईशान को है ना, या फिर मैं उसे सरप्राइज देने जा रहा हूं?"
धनराज जी अच्छे से जानते थे कि ईशान और रूद्र के बीच थोड़ी तल्खी होने वाली है। आखिर शरण्या ने रुद्र के लिए ईशान को छोड़ा था और अपनी ही शादी के मंडप से भाग गई थी। इस बात को ईशान अब तक नहीं भूला होगा क्योंकि बात उसकी ईगो की थी जिसे शरण्या ने चोट पहुंचाई थी। धनराज जी बोले, "ईशान को मैंने बता दिया था कि तुम ऑफिस आ रहे हो और आज मीटिंग में तुम भी शामिल होगे।"
रुद्र मन ही मन मुस्कुरा उठा और धनराज जी से बोला, "पापा आप बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए। ऑफिस की जो भी प्रॉब्लम है वह सब ठीक हो जाएगी और हमारी कंपनी वापस से उसी पोजीशन पर आ जाएगी जहाँ वह पहले थी। शरण्या ने मुझे एक बात कही थी, अच्छा सोचो तो शायद अच्छा हो सकता है लेकिन अगर बुरा सोचा तो जरूर बुरा होता है, इसीलिए उम्मीद नहीं छोड़नी है, ठीक है!"
धनराज जी अपने बेटे के ऐसे पॉजिटिव सोच पर मुस्कुरा दिए और ऑफिस के लिए निकल गए। रुद्र के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए। उसने अपना लैपटॉप फिर से उठाया और स्क्रीन पर नजर गड़ा दी।
इस वक्त उसके स्क्रीन पर शरण्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट खुली हुई थी और रुद्र उनकी सारी बारीकियों को देख रहा था। कहीं कुछ छूटे नहीं इसीलिए उसने विहान को फोन किया और पूछा, "विहान तुम लोगों को कैसे पता चला कि वह बॉडी शरण्या की है?"
विहान बोला, "उसके कपड़े, उसकी ज्वेलरी और सबसे बड़ी बात उसकी बॉडी पर तेरे नाम का टैटू था।"
रूद्र बोला, "हाँ वह मैं देख रहा हूं, बहुत अच्छे से देख रहा हूं!! ठीक है, मुझे ऑफिस के लिए निकलना है। मैं चलता हूं, बाकी के जो डिटेल है वह तु मुझे मेल कर देना। विहान ने भी ठीक है कहा और फोन रख दिया।
रूद्र के सामने जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट थी उससे रूद्र की नजर नहीं हट रही थी। एक अजीब सी मुस्कुराहट उसके होठों पर फैल गई और वह बुदबुदाया, "मैं बहुत जल्द आ रहा हूं शरू! तुम्हारे पास तुम्हें लेने! दुनिया के लिए भले ही चाहे सच जो भी हो लेकिन सच्चाई सिर्फ मैं जानता हूं। मेरी नजर जो देख सकती है दुनिया को उसे समझाने के लिए तुम्हें सबके सामने आना होगा।" रुद्र अपना लैपटॉप बंद कर एक झटके में उठा और अपने कमरे से बाहर निकल गया।
ईशान ऑफिस पहुंचा लेकिन मीटिंग स्टार्ट होने में अभी भी एक घंटा बाकी था। आज वह इतना ज्यादा खुश था कि वह टाइम से पहले ही ऑफिस पहुंच गया था। आमतौर पर वह सबसे लास्ट में ऑफिस आता था, आखिर होल्डिंग कंपनी का मालिक जो ठहरा। उसके ऑफिस आने के कुछ देर बाद ही लावण्या और रेहान भी पहुंचे। ना चाहते हुए भी उन दोनों को ही ईशान को गुड मॉर्निंग विश करना पड़ा।
पिछले कुछ सालों में ईशान ने उन लोगों की हालत ऐसी कर दी थी कि वह लोग चाहकर भी अपना सर नहीं उठा पाते थे। मार्केट में उन लोगों की रेपुटेशन सिर्फ और सिर्फ ईशान की कंपनी की वजह से थी। वरना तो उनकी कंपनी के शेयर के दाम भी काफी हद तक गिर चुके थे।
ईशान अपने केबिन में बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था। बड़ी मुश्किल से उसका वक्त कट रहा था। वह तो जल्द से जल्द रूद्र से मिलने के लिए बेचैन था। गुस्से में उसकी मुठ्ठिया भींच गई। अपने अतीत को याद करते हुए उसने अपना हाथ जोर से अपने टेबल पर दे मारा जिससे टेबल का कांच टूट कर बिखर तो नहीं लेकिन इंसान का हाथ जरूर जख्मी कर गया।
ईशान के असिस्टेंट ने जैसे ही ये देखा, उसने जल्दी से उस टेबल को रिप्लेस करवाया और खुद ईशान के हाथ की मरहम पट्टी करने लगा। ईशान ने भी कोई रिएक्शन नहीं दिया। उसके हाथ से मरहम पट्टी करने के बाद उसका असिस्टेंट बोला, "सर मीटिंग का टाइम हो गया है। मिस्टर रूद्र सिंघानिया कभी भी पहुंचते ही होंगे।"
ईशान उठा और सीधे वहां से मीटिंग रूम के लिए निकल गया। उसके मन में बहुत सी बातें चल रही थी। उसने मन ही मन कहा, "आओ रूद्र! जानते हो हमें सबसे ज्यादा दर्द कब होता है? तब नहीं जब हमें चोट पहुंचती है, बल्कि तब जब हमारे अपनों को तकलीफ होती है। तुम्हारा परिवार तुम्हारी कमजोरी है ना, अब तुम्हारे परिवार को ही तुम्हारे सामने नीचा दिखाऊंगा मैं।" सोचते हुए वह मीटिंग रूम के अंदर घुस गया।
मीटिंग रूम में पहले से ही रेहान लावण्या धनराज और मिस्टर रॉय मौजूद थे, साथ ही बोर्ड के कुछ मेंबर्स भी लेकिन रूद्र वहां अभी भी पहुँचा नहीं था। रेहान बार बार घड़ी देख रहा था और रूद्र के आने का इंतजार कर रहा था। उसने एक दो बार फोन भी किया लेकिन रूद्र ने कोई जवाब नहीं दिया।
ईशान ने आते ही सबके सामने रेहान को सुनाना शुरू कर दिया। "आखिर ये कैसी फाइल तैयार कर रहे हो तुम रेहान जो बार बार रिजेक्ट हो जाती है? मैंने तो सुना था कि तुम अपने कॉलेज में टॉपर थे, हर क्लास तुमने टॉप कर के पास की है लेकिन ऐसा कुछ मुझे दिख तो नहीं रहा! हो क्या गया है तुम्हें? या फिर काम में तुम्हारा मन नहीं लग रहा? तुम्हारी गलत डिसीजन्स की वजह से ही तुम्हारी कंपनी आज इस मुकाम पर खड़ी है। तुम्हें बिजनेस करना नहीं आता। एक काम क्यों नहीं करते, छोड़ दो यह कंपनी। मैं अकेला इस पूरे एम्पायर को संभाल सकता हूं लेकिन तुमसे तुम्हारी एक छोटी सी, अदनी सी कंपनी नहीं संभाली जाती है। तुम्हें एहसास भी है यह कंपनी ऑस्ट्रेलिया की एक बहुत बड़ी कंपनी है। पिछले चंद सालों में उस कंपनी ने एक अलग ही मुकाम हासिल किया है। मिस्टर आर एस को खुश करना कितना मुश्किल है यह तो अब तो तुम समझ ही गए होगे! अगर उस कंपनी के साथ हमारा कोलैबोरेशन हो जाता है तो जानते हो हमारी कंपनी के लिए कितना बड़ा फायदा होगा? लेकिन तुम्हें उससे क्या? तुम तो बस इंजॉय करो अपनी लाइफ! एक काम करो एक महीने की छुट्टी ले लो। वैसे आज शाम तक हमें कैसे भी करके वह फाइल सबमिट करनी थी, अभी तक तैयार नहीं हुआ होगा, है ना! हम रेगुलर उन लोगों को अपने नए प्रोजेक्ट, अपने नए आइडियाज उन्हें सबमिट करते आए हैं लेकिन हमारे हर आइडियाज को उन्होंने नकार दिया है। तुम्हारे पास कोई नए आइडियाज नहीं है क्या? थोड़े क्रिएटिव बनो! लाइफ में जो क्रिएटिव नहीं होते हैं दुनिया उसे रौंदकर निकल जाती है और वह इंसान वही पर पड़े पड़े दम तोड़ देता है। तुम भी यही चाहते हो कि तुम्हारा यही हाल हो?"
उसी वक्त कमरे में एक आवाज गूंजी, "किस का हाल क्या होगा और दुनिया किस को रौंदकर निकल जाएगी यह तो वक्त ही बताएगा!"
ईशान ने पलट कर देखा तो रूद्र दरवाजे पर खड़ा था। ब्लैक रंग के कस्टम मेड सूट, आंखों पर पतले फ़्रेम का चश्मा डालें रूद्र की शख्सियत काफी दमदार लग रही थी। एक पल को तो ईशान खुद चकरा गया और उसे देखकर इंप्रेस हुए बिना न रह सका। उसके साथ एक इंसान और था शायद उसका ड्राइवर.......!
रूद्र आगे बढ़ते हुए बोला, "अक्सर ऐसा होता है कि हम जिसे कमजोर समझते हैं वह लास्ट तक सरवाइव कर जाता है और जिसे जीतने के दावेदार समझते हैं वह बीच राह में ही दम तोड़ देते हैं।" रूद्र एकदम से ईशान के बराबर में आकर उसके ठीक सामने खड़ा हो गया। इस वक्त वह दोनों ही आमने सामने एक दूसरे को कंपटीशन दे रहे थे। रूद्र की हाइट ईशान से थोड़ी लंबी थी, शायद इस वजह से भी रूद्र का ऑरा काफी पावरफुल था।
ईशान बोला, "रूद्र तुम यहां अभी अभी आए हो। इस ऑफिस में क्या हुआ है क्या नहीं यह तुम नहीं जानते तो इस बारे में बिना जाने बिना समझे कुछ भी बोलना तुम्हारे लिए सही नहीं होगा। इसलिए बेहतर है चुपचाप अपनी सीट पर बैठ जाओ और इंजॉय करो......... मेरा मतलब है अब मीटिंग ध्यान से सुनो।"
फिर ईशान सबकी तरफ घूम कर कहा, "हम रेगुलर एक निश्चित समय के अंतर पर उन लोगों को अपना आइडिया सबमिट करते आए हैं। कंपनी के मालिक मिस्टर आर एस यानी मिस्टर रजत सिंधिया को इंप्रेस करने की हमने हर मुमकिन कोशिश की है। लेकिन अब तक नहीं कर पाए और मिस्टर रेहान सिंघानिया को आज शाम तक फाइल तैयार करके सबमिट करना था जो फाइल अब तक तैयार नहीं हुई है। याने कि इस बार हम कोई फाइल सबमिट करेंगे ही नहीं!!!! एक तो वैसे ही वो लोग हमें रिजेक्ट पर रिजेक्ट किए जा रहे हैं, अगर ऐसे हम लोग हार मान लेंगे तो फिर तो हो गई हमारी कंपनी नंबर वन!!!! क्यों रूद्र, सही कहा ना मैंने?"
रूद्र अच्छे से समझ रहा था कि ईशान कहना क्या चाह रहा था। वो सीधे सीधे उसके सामने उसके भाई पर सारा नाकामयाबी का ठीकरा फोड़कर उसे लापरवाह और गैर जिम्मेदार साबित करना चाह रहा था, साथ ही उसे नाकारा भी कह रहा था। रूद्र गुस्सा होने की बजाए मुस्कुरा दिया और बोला, "मैंने ही उसे मना किया था फाइल तैयार करने से! पता है ईशान! अगर हम किसी इंसान को रेगुलर अप्रोच करते हैं तो वह इंसान हमें एक नजर देखता तक नहीं है। लेकिन अगर एक बार उस मौके को स्किप कर दो तो सामने वाला इंसान जरूर इस बात को नोटिस करता है।"
ईशान बोला, "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? अब तुम हमें समझाओगे कि बिज़नेस कैसे की जाती है? जिसने लाइफ में कभी बिजनेस नहीं किया!! तुम जैसे पेंट ब्रश लेकर घूमने वाले इस दुनिया में हर गली हर नुक्कड़ पर मिल जाएंगे।"
रूद्र बोला,"सही बोला तुमने! मेरे जैसे इंसान तुम्हें हर गली हर नुक्कड़ पर मिल जाएंगे, पता है क्यों? क्योंकि इंडिया में जितने प्रॉब्लम है उससे कहीं ज्यादा सोल्युशन लोगों के दिमाग में भरे पड़े हैं। आप सब लोग इतने टाइम से उस कंपनी को अप्रोच कर रहे हैं, उसे इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं। इसीलिए वो लोग आप लोगों को रिजेक्ट कर रहे है। इस बार कुछ मत कीजिए। कभी कभी एक कदम पीछे लेने से जीत आसान हो जाती है। यकीन नहीं होता तो आजमा कर देख लीजिए। यह एक गली नुक्कड़ पर रहने वाले लोगों की ही सीख है। आजमा कर देखने में कोई बुराई नहीं है। वैसे भी अब तक तो आप लोग रिजेक्ट होते ही आए हैं! इस बार कम से कम रिजेक्ट होने का डर तो नहीं होगा। अगर सेलेक्ट हो गया तो पार्टी तो बनती है, क्यो ईशान, सही कहा ना मैंने?"
ईशान का दिल किया अभी रूद्र की जान लेले लेकिन अभी उसके आइडिया को अपना कर उसके परिवार को नीचा दिखाना था।