Chapter 184
YHAGK 183
Chapter
183
हल्दी का फंक्शन रॉय मेंशन में रखा गया था। राहुल उस घर का सबसे बड़ा नाती था और दोनों ही घरों के लिए ये बरसों बाद कोई मौका आया था। इसीलिए दोनों घरों को रोशन किया गया और यह तय किया गया कि हल्दी रॉय मेंशन में और मेहंदी सिंघानिया हाउस में रखी जाए।
नैना का घर काफी छोटा था और राहुल का परिवार नहीं चाहता था कि नैना और उसके परिवार पर शादी की कोई जिम्मेदारी आए शादी का पूरा खर्चा वह लोग खुद उठा रहे थे, लड़की वालों की इसमें कोई भागीदारी नहीं थी। मौली और मानव की हल्दी भी राहुल के हल्दी के साथ ही रखी गई थी। दोनों भाई बहन की शादी एक ही दिन तय हुई थी तो सारी रस्में एक साथ हो रही थी। मौली को लेकर मिस्टर रॉय के मन में अब किसी भी तरह की कोई बात नहीं थी। जितनी भी गलतफहमियां थी सारी दूर हो चुकी थी। जिस तरह शरण्या के लिए मौली उसकी अपनी बेटी थी वैसे ही मिस्टर रॉय और अनन्या जी के लिए भी मौली उनकी अपनी थी
चारों दूल्हा दुल्हन अपनी हल्दी की रस्म के लिए बैठे हुए थे। सभी लोग एक जगह इकट्ठा थे। लावण्या ने हल्दी का कटोरा सामने रखा और रूद्र से पूछा, "रेहान कहां है? दूल्हे का बाप है वह, पहले हल्दी लगाने का हक उसे है।"
रूद्र बोला, "वह बेचारा अपनी धोती ठीक करने गया है जैसे तैसे यहां तक तो पहुंच गया था लेकिन यहां आते ही उसकी धोती खुल गई।" कहते हुए वह हंस पड़ा।
लावण्या ने आंखों से गुस्सा किया और उस तरफ चली गई जहां रेहान था। रेहान की धोती खुली नहीं थी बल्कि रूद्र ने जानबूझकर खोली थी। उसे पता था लावण्या उसकी हेल्प करने जरूर जाएगी।
लावण्या जब तक रेहान की धोती ठीक कर रही थी रेहान बड़े प्यार से उसे देखे जा रहा था। लावण्या वहां से जाने को मुड़ी और बिना उसकी तरफ देखें कहा, "सब इंतजार कर रहे हैं तुम्हारा, आ जाओ जल्दी।" कहकर वो बाहर चली गई।
हल्दी की रस्म के दौरान रूद्र शरण्या आपस में ही काफी रोमांटिक हो रहे थे। बच्चे बड़े हो चुके थे फिर भी रूद्र को इस सब से फर्क ही नहीं पड़ता था। रेहान भी आज के दिन को यादगार बनाना चाहता था लेकिन उसके किसी हरकत से लावण्या को बुरा ना लग जाए बस यह सोच कर ही शांत हो जाता। फिर भी ना चाहते हुए उसके हाथ लावण्या के गाल पर लगे हल्दी पर चले गए और वहां से लेकर हल्दी अपने चेहरे पर लगा लिया। उसकी इस हरकत से लावण्या का दिल भर आया। वो इस वक्त रेहान के गले लग जाना चाहती थी लेकिन उसने खुद को रोका और वहां से चली गई।
नैना उम्र में अभी काफी छोटी थी लेकिन फिर भी कुछ बातों की समझ तो उसे अच्छे से थी। अपने ससुराल वालों से वह धीरे धीरे खुलने लगी थी और अपनी सास को समझने की कोशिश कर रही थी। राहुल के मां पापा अलग रहते थे यह बात हर कोई जानता था लेकिन उन दोनों के बीच का रिश्ता नैना को बहुत अजीब लग रहा था। अलग होने के बावजूद जैसा कि राहुल ने बताया था उन दोनों में प्यार अभी भी बरकरार था लेकिन बीच में एक रेखा खींची हुई थी जिसके पार वह दोनों ही नहीं जा रहे थे।
सिंघानिया हाउस में मेहंदी का फंक्शन था। सास होने के नाते लावण्या ने अपनी बहू की हथेली पर मेहंदी लगाना शुरू किया। सभी डांस करने में मगन थे। मानव और राहुल मेहंदी का शगुन करके मेहमानों के बीच बैठे हुए थे। मौली की हाथों में मेहंदी लग रही थी। लावण्या नैना के साथ बैठी थी और उसकी मेहंदी में बड़ी बारीकी से ध्यान दे रही थी।
मेहंदी लगाने के बाद सभी आराम से बैठे हुए थे और आपने मेहंदी सूखने का इंतजार कर रहे थे। लावण्या उठी और उस कमरे की तरफ गई जहां वह और रेहान कभी एक साथ रहा करते थे। अब तो इस कमरे में ना लावण्या रहती थी ना ही रेहान। लावण्या के जाने के बाद रेहान ने इस कमरे से रिश्ता तोड़ दिया और गेस्ट रूम में शिफ्ट हो गया लेकिन यह कमरा अभी भी बिल्कुल वैसा ही था जैसा लावण्या छोड़ कर गई थी, जैसे वह इस कमरे को संवारा करती थी।
उस कमरे को देखकर लावण्या की आंखें भर आई। इतने सालों में कई बार उसका दिल किया कि वो रेहान के पास लौट जाए लेकिन अब तक उसे वह बहाना नहीं मिला, ना हीं रेहान ने कोई जिद की। इतने सालों में रेहान ने भी खुद को पूरी तरह बदल दिया था। उन दोनों के अलग होने का असर रेहान पर साफ दिखता था। उम्रकैद भी इतनी लंबी ना होती जितनी सजा रेहान ने काटी थी। यह रिश्ता खुद उसने तोड़ा था फिर कैसे लौट आती?
तभी किसी ने लावण्या के कंधे पर हाथ रखा। उसने पलट कर देखा तो नैना खड़ी थी। उसने मुस्कुराकर कहा, "अब तो मैं आपको मां बुला सकती हूं।"
लावण्या ने हां में गर्दन खिलाई तो नैना ने कहा, "आपका और पापा का रिश्ता मेरी समझ से बाहर है। इतनी बड़ी नहीं हूं मैं लेकिन आप दोनों के बीच जो प्यार है वह आज भी दिखता है। इतने साल हो गए आप दोनों को। अलग होते हुए भी आप और पापा अलग नहीं है। तो जब अलग होकर भी अलग नहीं ऐसे में एक हो जाना गलत तो नहीं! मां राहुल से मैं जब से मिली हूं उनकी आंखों में हमेशा दर्द देखा है, आप दोनों को अलग-अलग देखने का दर्द। मैं कभी नहीं सोच सकती अगर मुझे अपने मां बाबा में से किसी एक को चुनना पड़े तो। मैं जानती हूं मैं अपनी हद पार कर रही हूं। मुझे ऐसे नहीं कहना चाहिए लेकिन जहां थोड़ा सा भी प्यार हो वह रिश्ता कभी नहीं टूटता। यह सब आप दोनों पर डिपेंड करता है लेकिन एक सवाल मैं आपसे पूछना चाहूंगी, हल्दी उस घर में हुई जहां आप रहती हैं और मेहंदी इस घर में जहां राहुल के पापा रहते हैं तो फिर शादी करके जब मैं आऊंगी तो मेरा गृहप्रवेश किस घर में होगा? मैं बस आपसे पूछ रही हूं क्योंकि थोड़ा कंफ्यूजन है मुझे। राहुल के लिए दोनों घर उनके अपने हैं लेकिन मैं दोनों घरों तो नहीं रह सकती, किसी एक घर में ही रहना होगा। मैं चलती हूं शायद मां बुला रही है मुझे।" कह कर नैना वहां से चली गई।
लावण्या सोच में पड़ गई। आखिर नैना की कहीं हर एक बात सही थी। कुछ भी तो गलत नहीं कहा था उसने।