Chapter 153
YHAGK 152
Chapter
152
विहान ने सबके बीच रजत और नेहा की शादी की बात छेड़ दी और कहा, "अब जबकि मलमास गुजर चुका है तो क्यों ना नेहा और रजत की शादी के बारे में भी सोचा जाए? रजत की फैमिली में कोई नहीं है और इस हिसाब से हमें ही सब कुछ करना होगा। नेहा भी कोई गैर तो नहीं! घर की शादी है, अगर जल्दी से दोनों का रिश्ता हो जाए तो इन दोनों के लिए भी बेहतर होगा और आने वाले बच्चे के लिए भी।"
रूद्र बोला, "विहान बिल्कुल सही कह रहा है। बात सिर्फ इन दोनों की नहीं है! बात आने वाले बच्चे की भी है। नेहा और रजत की शादी जितनी जल्दी हो जाए उतना अच्छा होगा। लावण्या और रेहान की शादी की सालगिरह भी नजदीक है और उसके बाद.........!" कहते हुए रूद्र खामोश हो गया। उसने शरण्या की ओर देखा जो उम्मीद भरी नजरों से उसे ही देख रही थी। उसे इस वक्त अपने बारे में बात करना सही नहीं लगा। वो जानता था अगर उसने रजत के सामने अपनी शादी की बात की तो रजत सबसे पहले उसकी और शरण्या की शादी की ज़िद करेगा। इसीलिए उसने खामोश रहना सही समझा। अपनी शादी से पहले उसे मौली की ट्रीटमेंट करवानी थी और शादी तक शरण्या इस घर से दूर रहने वाली थी। इससे अच्छा मौका उससे और नहीं मिलने वाला था।
शरण्या को उम्मीद थी कि रूद्र सबके सामने अपनी शादी की बात करेगा लेकिन रूद्र ने कुछ नहीं कहा। वह खुद इस बारे में कुछ कहना चाहती थी लेकिन जिस तरह कहते हुए रूद्र चुप हो गया, इसीलिए उसनें भी कुछ बोलना सही नहीं लगा। उसे सबसे पहले रूद्र से इस बारे में जानना था।
घर वालों ने भी उन दोनों की शादी के बारे में कुछ नहीं कहा और सभी रजत और नेहा के रिश्ते के बारे में बात करने लगे। पंडित जी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने भी कहा, "एक तारीख को बहुत अच्छा मुहूर्त है। आप लोग चाहे तो उस दिन शादी हो सकती है।"
रूद्र ने रजत से पूछा, "रजत! तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है?"
रजत बोला, "नहीं सर! मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। अगर सबको कोई एतराज नहीं है तो फिर मुझे कोई दिक्कत नहीं। वैसे भी मेरी तरफ से फैमिली के नाम पर आप ही हो। आप लोगों को जैसा सही लगे।"
रूद्र सबसे बोला, "लड़के वाले की तरफ से मैं रहूंगा और विहान, तु लड़की वालों की तरफ से होगा। स्वागत अच्छे से करना पड़ेगा हम लड़के वालों का! नखरे बहुत दिखाने वाले हैं हम!"
विहान ने बगल में पड़ा कुशन उठा कर जोर से रूद्र को मारा और शुरू हो गई दोनों दोस्तों की पिलो फाइट। इंडिया आकर रजत को रूद्र के ऐसे ऐसे रंग ढंग देखने को मिल रहे थे जो उसने कभी सोचे भी नहीं थे। इतने सालों में उसने रूद्र को हमेशा शांत और गंभीर ही देखा था। उसके असली रंग अब जाकर रजत के सामने आ रहे थे जिन्हें देख वह काफी खुश था।
रूद्र और विहान अपनी मस्ती में लगे थे। मौली को कमरे में सुला कर शरण्या जैसे ही रूद्र के कमरे में आई, वहां टेबल पर रखा रूद्र का फोन बज उठा। यह किसी मैसेज का नोटिफिकेशन था। शरण्या ने पहले तो ध्यान नहीं दिया लेकिन जैसे ही भेजने वाले के नाम पर उसकी नजर गई, उसकी आंखें हैरानी से फैल गई। उसने फोन खोल कर देखा तो उसमें इशिता का मैसेज था और उसने होटल पहुंच कर चेक-इन कर लेने की बात लिखी थी। उसके ठीक ऊपर रूद्र ने उसे होटल का नाम और रूम नंबर भेजा था। शरण्या का सर चकरा गया। वो वहीं बैठ गई।
"रूद्र अभी भी इशिता के टच में है? लेकिन उसनें तो कहा था कि वो उसे सालों से नहीं मिला! रूद्र मुझसे झूठ क्यों बोल रहा है? वो मुझसे क्या छुपाना चाह रहा है? क्या इस बारे में मुझे रूद्र से बात करनी चाहिए? वही मुझे सब सच बता सकता है! लेकिन अगर उसे बताना होता तो पहले ही बता देता ना! इस तरह मुझसे छुपकर कोई काम नहीं करता! तो फिर मैं क्या करू? क्या मैं खुद जाकर इशिता के बारे में पता लगाऊं? नहीं शरण्या! यह बेवकूफी मत कर! रूद्र पर भरोसा रख। उसके प्यार पर भरोसा रख। इतने सालों बाद भगवान ने तुझे तेरा प्यार वापस लौटाया है, ऐसी वैसी कोई हरकत मत करना जिससे रूद्र तुझसे दूर हो जाए। अपने मन में किसी तरह की कोई गलतफहमी मत आने देना। कुछ तो ऐसी बात है जो रूद्र नहीं चाहता कि तुझे पता चले। वक्त आने पर वो खुद ही बताएगा। इतना भरोसा तो तुझे अपने प्यार पर रखना ही होगा। इस बार तु किसी को भी अपने प्यार के रास्ते में आने नहीं देगी।" सोचते हुए शरण्या ने फोन वापस टेबल पर रख दिया और कमरे से जाने लगी।
उसी वक्त रूद्र कमरे में आया और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया। शरण्या को लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो। वो घबरा गई। उसे डरा हुआ देख रूद्र बोला, "क्या हुआ? कुछ कर रही थी क्या? तु इतने की घबराई हुई है? क्या हुआ तेरी तबीयत तो ठीक है ना?" रूद्र जल्दी से शरण्या के पास आया और उसके माथे पर पसीना पोंछते हुए बोला, "तु चल अभी मेरे साथ डॉक्टर के पास! तेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही!"
रूद्र हाथ पकड़ कर ले जाने लगा। शरण्या ने अपने दोनों हाथों से रुद्र का हाथ पकड़ लिया और उसे रोकते हुए बोली, "मैं ठीक हूं रूद्र! कुछ नहीं हुआ मुझे। बस तू अचानक से चला आया इसलिए थोड़ा घबरा गई।"
रूद्र ने शरण्या उसे गोद में उठाया और बेड पर बैठाते हुए बोला, "तु सच में ठीक है ना? देख अगर थोड़ा सा भी प्रॉब्लम लगे तो हम अभी डॉक्टर के पास चल सकते हैं।"
शरण्या ने रूद्र का हाथ कस कर पकड़ लिया और मन ही मन बोली, "देख शरण्या! तेरे माथे पर हल्का सा पसीना क्या आया, रूद्र इतना ज्यादा घबरा गया। तू खुद सोच वह तुझसे कितना प्यार करता है! तुझे अभी भी लगता है कि वह तुझे धोखा देगा? कभी नहीं!"
शरण्या रूद्र के गले लग गई और बोली, "तु मुझसे इतना प्यार करता है? इतनी परवाह करता है तू मेरी?"
रूद्र उसकी पीठ सहलाते हुए बोला, "तुझसे प्यार नहीं करूंगा तो फिर जिउँगा कैसे? और मुझे अपनी जिंदगी बहुत प्यारी है।" शरण्या उससे अलग हुई और हल्के से उसके कंधे पर मुक्का मारा। रूद्र उसके चेहरे पर आए बालों की लटों को ठीक करते हुए बोला, "सब लोग नीचे तेरा इंतजार कर रहे हैं, घर वापस जाने के लिए। मुझे माफ कर देना! मैं हमारी शादी के बारे में बात करने वाला था लेकिन बात रजत और नेहा की शादी की होने लगी तो ऐसे में मुझे हमारे बारे में बात करना सही नहीं लगा। रजत ने एक भाई की तरह मेरा साथ दिया है। कभी अपने बारे में नहीं सोचा। मुझे और मौली को ही अपनी फैमिली मानता है। उस समय अपनी खुशी से पहले मुझे उसकी खुशी के बारे में सोचना ज्यादा जरूरी लगा। और अगर गलती से भी मैं उसके सामने हमारी शादी की बात करता तो वो सबसे पहले हमारी शादी करवाने जिद पर अड़ जाता। प्रेगनेंसी की हालत में एक लड़की को अपने पार्टनर की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। नेहा को भी इस वक्त रजत की ज्यादा जरूरत है और दोनों की शादी पहले हो जाए इसीलिए मैंने हमारी बात नहीं की।"
शरण्या उसका सर चूमते हुए बोली, "तू जो करता है, कभी गलत नहीं होता। तु जो सोचता है वह और कोई नहीं सोच पाता। तु बहुत दूर की देख सकता है, इसलिए तुझ से सवाल करने की हिम्मत नहीं होती मेरी। मानसी भाभी बिल्कुल सही कहती है, तु बहुत ज्यादा समझदार है और दुनिया में सबसे अच्छा। मुझे तुझसे कोई शिकायत नहीं है और ना कभी होगी।"
रूद्र ने एक बार फिर पूछा, "तू सच में ठीक है ना?"
शरण्या ने मुस्कुराकर हां मैं गर्दन हिला दी और बोली, "मैं बिल्कुल ठीक हूं। तू परेशान मत हो और मुझे इतना प्यार भी मत कर कि तेरे बिना मर जाऊं।"
रूद्र का दिल भर आया। उसने खींचकर शरण्या को अपने सीने से लगा लिया। नीचे से अनन्या जी की आवाज आई तो शरण्या उससे अलग हुई और वहां से चली गई। शरण्या के जाने के बाद रूद्र ने अपना फोन लिया और इशिता से मिलने चला गया। रात बहुत हो गई थी फिर भी उसे इशिता से मिलना ही था। मौली को अभी तक अपनी बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं था। रूद्र अगले दिन से ही मौली का ट्रीटमेंट शुरू करवाना चाहता था। इसीलिए जितनी जल्दी हो सके वो सारे काम निपटा लेना चाहता था।
अगले दिन सुबह मौली को स्कूल में भेजने की बजाए रूद्र उसे अपने साथ ले गया। हॉस्पिटल में जाकर मौली को अजीब लग रहा था क्योंकि उसके पापा कभी भी उसे हॉस्पिटल नहीं लेकर आते थे। वहां इशिता पहले से ही रूद्र और मौली का इंतजार कर रही थी। रूद्र को देखते ही इशिता उसके पास आइ और कुछ पेपर उसके सामने रख दिए। उसकी नजर रूद्र के पीछे खड़ी मौली पर गई।
रूद्र ने पेपर को अच्छे से देखा और जब उसकी नजर इशिता पर गई तो उसे महसूस हुआ कि वह मौली को ही देखी जा रही थी। वही मौली पूरे हॉस्पिटल को निहार रही थी। रूद्र ने मौली को आवाज दी और अपने पास बुलाया। मौली आकर रूद्र का हाथ पकड़ते हुए बोली, "यस डैड! आपने बुलाया?"
रूद्र उसे इशिता से मिलवाते हुए बोला, "मौली बेटा! इनसे मिलो, ये इशिता है। आप इनको बड़ी मॉम बुला सकती हैं।"
मौली को यह बात अजीब लगी। उसने सर से पांव तक इशिता को देखा और हाथ हिलाते हुए बोली, "हेलो आंटी!"
अपनी ही बेटी के मुंह से आंटी सुनकर इशिता को अच्छा नहीं लगा। लेकिन वह मौली के मुंह से अपने लिए मां शब्द सुन भी नहीं सकती थी। उसने अपने चेहरे के भाव स्थिर रखें और मुस्कुराकर कहा, "हेलो बेटा! कैसे हो आप?"
मौली भी मुस्कुरा कर बोली, "मैं ठीक हूं। आप डैड की फ्रेंड हो? आपको पहले कभी नहीं देखा!"
उसी वक्त रूद्र का फोन बजा। देखा तो शरण्या उसे कॉल कर रही थी। शरण्या का नंबर देखकर ही रूद्र थोड़ा घबरा गया। मौली हॉस्पिटल में है यह बात घर में किसी को नहीं पता थी। यहां तक कि मौली खुद भी इस सब से अनजान थी। शरण्या का नंबर देखते ही उसने रूद्र के हाथ से फोन छीन लिया और लेकर दूसरी तरफ भाग गई। रूद्र उसे आवाज देता रह गया। इशिता बोली, "लगता है शरण्या से उसकी काफी अच्छी दोस्ती हो गयी है।"
रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "दोस्ती? माँ बेटी है दोनों! मेरे पीठ पीछे ना जाने क्या क्या करती रहती है। दोनों बिलकुल एक जैसी है। मुझे डर था कि शायद शरण्या मौली को ना अपनाए! लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। इतना कुछ होने के बाद भी शरण्या को मौली से कोई शिकायत नहीं है। और ना ही मुझसे! मैंने पहले ही कहा था, अगर मैं कहूंगा तो शरण्या उस बच्चे को जरूर अपना लेगी।" इशिता झेंप गई। उसे याद आ गया किस तरह उसने सिर्फ शरण्या से बदला लेने के लिए अपने बच्चे को हथियार बनाकर रूद्र को शरण्या से अलग किया था।
रूद्र से दूर होते ही मौली ने फोन उठाया और बोली, "हेलो मॉम!!!! आप कहाँ है? डैड मुझे हॉस्पिटल लेकर आए हैं। पता नहीं क्या काम है? शायद मेरी रिपोर्ट्स के बारे में बात करनी है। लेकिन डैड यहां किसी आंटी से भी मिलने आए है। कोई इशिता नाम है उनका! मैंने सोचा आपको बता दूं। डैड ने कहा कि वह मेरी बड़ी मॉम है। लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है? मैंने तो उन्हें कभी नहीं देखा। इनफैक्ट उनकी एक तस्वीर तक नहीं है हमारे घर में।"
शरण्या ने जब सुना रूद्र इशिता से मिलने हॉस्पिटल गया है, वह भी मौली को लेकर तो उसे ज्यादा हैरानी नहीं हुई। लेकिन हॉस्पिटल में क्यों? यह बात शरण्या को थोड़ी सी खटकी। उसने मौली से कहा, "कोई बात नहीं बेटा! वो तुम्हारी आंटी है, उसे मॉम या बड़ी मॉम कुछ बुलाने की जरूरत नहीं है। आपकी मॉम सिर्फ़ मैं हु और कोई नहीं। और एक बात! अभी जो कुछ अपने मुझे कहा, वो सब सिर्फ हमारे बीच ही रहे। अपने डैड को बताना मत।" कहकर उसने फोन काट दिया। रूद्र के इशिता से मिलने की बात सुनकर ही शरण्या परेशान हो उठी।