Chapter 96
humsafar 96
Chapter
96
सिया अवनि को घर भेजना चाहती थी लेकिन अवनि ने साफ इंकार कर दिया और सिया को ही घर वापस जाने को कहा। वह जानती थी अगर सारांश को पता चला की सिया पूरी रात हॉस्पिटल मे थी तो वह नाराज हो जायेगा। बहुत मनाने पर भी जब अवनि नही मानी तब हार कर सिया को कार्तिक के साथ घर जाना पड़ा लेकिन जाने से पहले उसने अवनि के लिए पूरी व्यवस्था करवा दी जिससे उसे किसी तरह की परेशानी ना हो और अपने हाथों से खाना भी खिलाया।
सुबह होते ही सारांश को होश भी आ गया। अवनि को अपने पास सोया देख उसे लगा शायद वह दोनों घर पर ही है लेकिन जैसे ही उसने अवनि के चेहरे पर आए लटों को हटाने के लिए अपना हाथ उठाया, उसने देखा उस हाथ पर ड्रिप लगी हुई थी। तब जा कर उसे याद आया कि कल रात को हुआ क्या था। सारांश के हरकत करने से अवनि की नींद खुल गयी। उसे अपने सामने सही सलामत देख अवनि ने राहत की सांस ली। "कहीं मैंने तुम्हें हर्ट तो नही किया?" सारांश ने पूछा।
अवनि ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, "ऐसा कभी हो ही नही सकता।"
"तो....... कैसा लगा हाथ साफ कर के?" सारांश की बात अवनि को समझ नही आई लेकिन जब उसके मुस्कुराते हुए चेहरे पर नज़र गयी तब उसे समझ आया की वह अलीशा की बात कर रहा था। वो दोनों ही खिलखिला कर हँस पड़े।
अवनि और सारांश के हॉस्पिटल मे होने की वजह से सिया को एनजीओ जाना पड़ा जहाँ वह पहली बार श्यामा से मिली। श्यामा अपने नाम की तरह ही श्यामल वर्ण की लेकिन खूबसूरत थी। उसका लंबा कद, लम्बे बाल, बड़ी बड़ी आँखें और उनपर घनी पलके। एक सादी सी कुर्ती मे भी उसकी खुबसुरती निखर कर आती थी। सिया जब एनजीओ मे उससे मिली तो उससे प्रभावित हुए बिना ना रह सकी लेकिन श्यामा का सच जानकर उसे बहुत ही ज्यादा दुख हुआ। श्यामा के काम से और उसके व्यक्तित्व से वह कितनी खुश थी और उसकी बातों से इतनी जल्दी उससे घुल मिल गई कि सिया ने उसे घर आने का न्योता तक दे दिया।
श्राद्ध पक्ष शुरू होने के कुछ दिन बाद ही धानी भी वापस लौट आई। आते ही उसने सबसे पहले काव्या की बलाएँ लेना शुरू किया और काफी देर तक उसकी अलग अलग तरीके से नजर उतारती रही जिसे देख कर कार्तिक और सिया ने अपना माथा पीट लिया। जी भर के काव्या की नजर उतारने के बाद धानी गांव से अपने साथ लाए सामान सबको देने लगी। वह जानती थी कि सिया को गांव के शुद्ध और ताजी चीजें कितनी पसंद है।
धानी के आने की खबर सुनकर अवनी भी अपने सारे काम जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी निपटा और घर जाने के लिए निकली। मेन गेट पर पहुंचकर कार में बैठने से पहले उसने सारांश को फोन लगाया," हेलो मिस्टर हस्बैंड! मैं घर जा रही हूं, आप कब तक फ्री होंगे?"
" मुझे अभी एक से डेढ़ घंटा और लगेगा एक अर्जेंट मीटिंग है फिर उसके बाद ही मैं आ पाऊंगा", सारांश ने कहा।
"मतलब मुझे एक घंटा और आपका इंतजार करना पड़ेगा! वैसे अगर आप कहें तो मैं ऑफिस आ जाऊं? आपकी मीटिंग खत्म होने के बाद हम दोनों साथ में चलेंगे" अवनि ने खुश होकर पूछा।
"तुम घर जाओ वाइफि! यहां आ कर बोर हो जाओगी।
घर चलो मैं एक डेट घंटे बाद वही पहुंच जाऊंगा तुम्हारे पास!" सारांश ने शरारत भरे लहजे में कहा तो अवनी शर्मा गई और फोन रख दिया।
दो घंटे बाद सारांश ने अपना सारा काम खत्म किया और घर जाने के लिए निकला। अवनि को आदत थी कि घर पहुंचते ही वह सारांश को एक मैसेज कर देती थी लेकिन उसका मैसेज नहीं आया था आज। गाड़ी में बैठते ही उसने सबसे पहले अवनी को फोन लगाया लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था। सारांश को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर सोचा शायद फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी और फोन चार्ज करने में वह हमेशा से आलसी रही है।
होटल वाली घटना के बाद से ही माहौल एकदम शांत हो गया हुआ था। उसके बाद शुभ ने भी कभी कोई गड़बड़ करने की कोशिश नहीं की और ना ही उसके स्टडी रूम में गया। अलीशा भी गायब थी उसे ढूंढने में सारांश के लोग लगे हुए थे। तीन दिनों मे उसे पकड़ लिया गया और उसे जेल की बजाय एक अगल ही कैद मे रखा गया जहाँ से भागना उसके बस की बात नही थी। सारांश ने शुभ पर घर से लेकर बाहर तक नजर रखना शुरू कर दिया क्योंकि उसे पूरा शक था कि अलीशा ने जो किया उसमें कहीं ना कहीं शुभ भी इंवॉल्व हो सकता है लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं था और ना ही उन दोनों के बीच किसी तरह का कोई कनेक्शन नजर आया था और आज तो वह पूरा दिन घर से बाहर निकला ही नहीं था।
सारांश जब घर पहुंचा उसने धानी के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया लेकिन धानी ने आशीर्वाद की झड़ी ही लगा दी और जल्दी से जल्दी घर भरने का आशीर्वाद दे दिया लेकिन वह इतने पर ही नही रुकी। "अभी जिस बच्चे की हमें कोई उम्मीद भी नहीं है उनके भी बच्चों का आशीर्वाद देने लगी। अभी तो यहां बाप तक बनने के कोई आसार नहीं है और आप मुझे अभी से दादा बनाने की फिराक में है! क्या छोटी मां आप भी!" सारांश ने मन ही मन सोचा। उस ने उम्मीद से कार्तिक की ओर देखा ताकि वह उसे धानी से बचा सके। कार्तिक समझ गया और वह मुस्कुराकर धानी के पास आया लेकिन सारांश को बचाने की बजाय उसने धानी को और भी ज्यादा इनकरेज करना शुरू कर दिया। सारांश का चेहरा देखने लायक था और कार्तिक उसके मजे ले रहा था।
धानी जब थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा,"अरे अवनि कहां है! उस को कहां छोड़ा है! वह क्यों नहीं आई तुम्हारे साथ। हमें तो लगा तुम दोनों साथ ही आओगे। कोई बात नहीं, होगा कुछ काम इसलिए अटक गई होगी, आ जाएगी थोड़ी देर में।"
धानी की बात सुन सारांश चौक गया,"अवनि घर नहीं पहुंची? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, वह तो मुझसे भी दो घंटे पहले घर के लिए निकल चुकी थी। उसने खुद मुझे फोन करके बताया था। अगर यहां नहीं आई तो फिर वह गई कहां!"
" हो सकता है अपने मां पापा से मिलने उनके घर गई हो", सिया ने अंदाजा लगाया लेकिन सारांश को तसल्ली नहीं हुई उसने कहा, "नहीं मॉम!!! मैं आज सुबह ही उसे वहां लेकर गया था और अवनि ने एनजीओ से निकलने से पहले मुझे फोन करके बताया था कि वह यही आ रही है। यानी कि उसे कम से कम डेढ़ घंटे पहले यहां पहुंच जाना चाहिए था। यहां नहीं है तो फिर वह गई कहां दो घंटे से वह कहां है? उसका फोन भी बंद है, मैंने कॉल करना चाहा था उसे!"
"मैं एक बार मां को फोन करके पूछती हूं शायद हो सकता है अवनि को कुछ जरूरी काम हो और वहां चली गई हो", काव्या ने कहां और अपनी मां को फोन लगाया। लेकिन सारांश ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, "काव्या ध्यान से! अगर वह वहां नहीं है तो मां को पता नहीं चलना चाहिए की अवनि मिसिङ है वरना वह परेशान हो जाएगी और पापा के लिए टेंशन लेना सही नहीं होगा।"
कंचन के फोन उठाते ही काव्या ने नॉर्मल आवाज में उससे बात करनी शुरू की लेकिन कंचन की बातों से सभी को इतना तो समझ में आ गया था कि अवनि वहां नहीं है। सारांश में ड्राइवर को फोन किया लेकिन उसका फोन भी बंद था। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले उसने एक बार श्रेया को और काव्या ने चित्रा को फोन लगाया लेकिन दोनों ही तरफ से एक ही जवाब सुनने को मिला।
अवनि पिछले दो घंटे से भी ज्यादा समय से गायब थी और किसी को जरा सी भी भनक नहीं थी कि वह इस वक्त कहां है। सारांश ने अपना लैपटॉप खोला और उसके कार की जीपीएस लोकेशन ट्रैक किया। दो मिनट के अंदर ही उसे गाड़ी का लोकेशन मिला जो कि एनजीओ का ही था। उसने एनजीओ में फोन कर पता किया तो वहाँ से वह पहले ही निकल चुकी थी। "मैंने खुद उसे कार मे बैठाया था। उस वक़्त वह आप से ही बात कर रही थी",श्यामा मे कहा।
'लेकिन उसकी गाड़ी का लोकेशन वही पर क्यों दिखा रहा है' सारांश को कुछ समझ नही आया तो उसने खुद ही जाकर देखने का फैसला किया। एनजीओ पहुंचते ही सारांश को दरवाजे पर श्यामा मिल गई जो उसी का इंतजार कर रही थी," सर हम लोगों ने पूरा एनजीओ ढूंढ लिया लेकिन अवनि यहां नहीं है। मैंने खुद यहां दरवाजे पर उसे गाड़ी में बैठते हुए देखा था और गाड़ी के जाते वक्त भी मैं वहीं पर थी।"
श्यामा की बात पर सारांश को यकीन तो था लेकिन गाड़ी की लोकेशन का यहां होना उसे समझ नहीं आ रहा था। जब उसने लोकेशन चेक किया तो वह कार अभी भी बेसमेंट मे खड़ी मिली। वहां पर ना अवनी थी और ना ही ड्राइवर का कुछ पता था। सारांश श्यामा और कुछ लड़कियों ने पूरे बेसमेंट का एक-एक कोना छान मारा लेकिन कहीं कोई सुराग नजर नहीं आया। तभी एक लड़की ने सारांश को आवाज लगाई,"सारांश भैया यहां देखिए बाथरूम में कोई है!"
सारांश भागता हुआ बाथरूम की ओर गया तो पाया कि बेसमेंट में बने बाथरूम में अवनि की गाड़ी का ड्राइवर बंधा हुआ था और बेहोश था। उसने उसे बाहर निकाला और होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी का छींटा मारा। जब ड्राइवर होश में आया तब उसने बताया कि किसी ने उसके सर पर जोर से वार किया था इसके अलावा उसने ना कुछ देखा और ना ही कुछ और उसे याद है।
सारांश को समझते देर न लगी कि अवनी किसी बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुकी है लेकिन वह कहां है इसका पता उसे अभी तक नहीं चला था। उसको गुम हुए दो घंटे से ऊपर हो गया था और इतना वक्त काफी होता है बहुत कुछ बुरा होने में। उसने सिक्योरिटी रूम जाकर आज का फुटेज चेक किया जिसमें अवनी बिल्कुल वैसे ही तरह की गाड़ी में बैठ कर जाती हुई दिखी लेकिन ना तो ड्राइवर का चेहरा नजर आया और ना ही गाड़ी का नंबर प्लेट। सारांश के होश उड़ गए, बुरे बुरे ख्याल ने उसे और ज्यादा बेचैन कर दिया। अवनि का नंबर अभी भी बंद ही था और इतनी देर के बाद भी किसी का कोई कॉल या मैसेज नही आया था।
सारांश का पहला शक शुभ पर गया। वह घर पहुंचा तब तक काव्या भी अवनि के बाकी दोस्तों को कॉल कर उससे अवनी के बारे में पूछ चुकी थी लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। सारांश को देखते ही सब उम्मीद भरी नजरों से उस की ओर देखने लगे लेकिन किसी को भी कोई जवाब देने की बजाय सारांश सीधे शुभ के कमरे में गया और बिना नॉक किए जोर से लात मार कर उसके कमरे का दरवाजा खोला। शुभ उस वक्त शराब के नशे में पूरी तरह से डूबा था इसीलिए आज दिन भर वह कमरे से बाहर नहीं निकला था। लेकिन सारांश को शक था कि आखिर यह कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता, जरूर इसमें उसका भी कोई हाथ है या फिर इस सबके पीछे अलीशा है लेकिन यह काम वह अकेली नहीं कर सकती किसी ने उसके लिए इस काम को अंजाम दिया है। अगर शुभ नहीं तो फिर कौन?
सारांश शुभ को कॉलर से पकड़ कर बाथरूम में ले गया और टब में पानी भर कर उसका सिर उस में डुबो दिया ताकि वह होश में आ सके। तीन से चार बार में ही उसका नशा उतर चुका था और उसके सारे होश ठिकाने आ चुके थे। शुभ कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सारांश उसके साथ करना क्या चाहता है! शुभ को होश में आया देख सारांश ने उसके दोनों गाल को अपने एक हाथ से पकड़ते हुए पूछा "अवनि कहां है?"
शुभ को लगा शायद उसने गलत सुन लिया है फिर भी उसने अजीब सी शक्ल बनाकर कहा, "तुम्हारी बीवी है तुम जानो! मुझे उससे क्या! कौन सा को मुझे भाव देती है जो मैं उसके बारे में सोचू या उसका पीछा करु। जब से तुमसे शादी हुई है तब से वह मुझे काटने को दौड़ती है लेकिन कुछ भी कहो, है बड़ी तीखी मिर्ची। साली ने आज तक कभी हाथ तक नहीं लगाने दिया मुझे।"
अवनि के बारे में शुभ के मुंह से ऐसी भाषा सुन सारांश का खून खौल गया। उसने एक बार फिर से उसके सिरको टब के पानी में डुबो दिया जिससे कि वह और कुछ देर तक सांस लेने के लिए छटपटाता रहा। सारांश ने उसे वही छोड़ा और बाहर निकल आया। घर में सभी परेशान थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कार्तिक ने कहा, "पहले ही काफी देर हो चुकी है। अब हमें पुलिस को फोन कर देना चाहिए, वही ढूंढ सकती है अवनि को क्योंकि इतनी देर होने के बावजूद हमें फिरौती का कोई कॉल नहीं आया अगर अवनि का किडनैप हुआ है तो इतना तो तय है कि किड्नैपर्स ने पैसों के लिए उसने किडनैप नहीं किया है।"
" तुम सही कह रहे हो कार्तिक! लेकिन कुछ भी करने से पहले एक बार हमें पहले सारांश से बात करनी होगी कि वह क्या कहता है इस बारे में" , सिया ने कहा।
सारांश शुभ के कमरे से निकलकर सीधे अपने कमरे में आया। एक अजीब सा खालीपन उस कमरे को घेर रखा था। अवनी के उस कमरे में ना होने का एहसास ही उसे अंदर तक खाए जा रहा था। सारांश ने एक बार अपना लैपटॉप चेक किया कि कहीं से उसकी कोई लोकेशन मिल जाए लेकिन किसी तरह का कोई सिग्नल उसे नहीं मिला। वक्त बीतने के साथ ही उसकी घबराहट और बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी।
सिया जब सारांश के कमरे में आई उस वक्त वह बेचैनी में इधर से उधर टहल रहा था और बार-बार अपना लैपटॉप चेक कर रहा था। सिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा। सिया को देखते ही सारांश एक पल को रुका और उसके गले से जा लगा। सिया उसे संभालना चाहा लेकिन उस के गले लगते ही सारांश की रुलाई छूट गई, "मुझे बहुत डर लग रहा है मॉम! पता नहीं वह कहां है, वो ना जाने किस हालत में होगी! कहीं से कोई सुराग नहीं मिल रहा मुझे उसका!" सिया ने सारांश को आज पहली बार इस तरह रोते और हारते हुए देखा था जिससे उसका दिल पूरी तरह टूट गया।
क्रमश: