Chapter 71
सुन मेरे हमसफ़र 64
Chapter
64
कुहू जल्दी से भागते हुए गई और सुहानी को रोकते हुए कहा "क्या कर रही है तू सोनू? इस तरह क्यों मार रही है इसे? कौन है यह?"
सुहानी कुहू को साइड करते हुए बोली "आज आप मत रोको दी! आज मैं इसका मर्डर करके रहूंगी, फिर चाहे मुझे फांसी क्यों ना हो जाए।"
उस लड़के ने कुहू को पीछे से पकड़ लिया और बोला "देखा आपने दी! ये किस तरह मेरे साथ बिहेव कर रही है! बड़ी है इसका मतलब यह तो नहीं कि मुझ पर इस तरह धौंस दिखाएगी। मुझे पता होता कि मेरा स्वागत ऐसे होगा तो मैं यहां आता ही नहीं।"
कुहू ने जब उसकी आवाज सुनी तो खुशी से पलट कर देखा "निर्वाण तुम!!! तुम कब आए?"
सुहानी ने एक बार फिर निर्वान को अपनी सैंडल दिखा कर कहा "तुझे तो कैसे भी आना ही था। अगर अपनी सलामती चाहता है तो........"
निर्वाण ने सुहानी की तरफ नाराजगी से देखा और कुहू से उसकी शिकायत करते हुए बोला "देखा दी! एक आप हो जो मेरे आने से इतनी खुश हो और एक यह है जो मुझे देखते ही मुझ पर टूट पड़ी। जब यह मेरे साथ ऐसा कर रही है तो बेचारे अव्यांश के साथ क्या करती होगी!"
कुहू ने सुहानी को समझाने की कोशिश की "क्या कर रही है तू सोनू? ये बेचारा अभी-अभी आया है। बच्चा है ये और तू आते ही.........! छोड़ ना! ये इतनी दूर से आया है, थोड़ा आराम से बैठने दे, कुछ खा पी लेने दे, उसके बाद अपने हाथ साफ कर लेना। कोई तुझे कुछ नहीं कहेगा।"
यह सुनकर जहां सोनू के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई वही निर्वाण के चेहरे का रंग उड़ गया। उसे लगा कि यह दोनों बहने मिलकर उसकी खटिया खड़ी कर देगी इसलिए वो तुरंत वहां से भागा और खुद को बचाने के लिए जगह ढूंढने लगा।
निर्वान को अव्यांश निशी के साथ किसी से बात करता हुआ नजर आया। वो जल्दी से भाग कर गया और अव्यांश के पास जाकर बोला "भाई भाई! मुझे बचा लो।"
अव्यांश ने जब निर्वान को देखा तो पहले तो एक पंच उसके पेट पर मारा फिर खुश होकर उसे गले लगाता हुआ बोला "नीरू!!! तू कब आया? और कौन तेरे पीछे पड़ा है?"
निर्वान घबराकर बोला "सोनू आज मेरा मर्डर करके रहेगी।"
अव्यांश ने देखा सुहानी और कुहू उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही थी। निर्वान जल्दी से अव्यांश के पीछे छुप गया और बोला "देखो! वह दोनों आ रही है। मुझे खिला पिलाकर हलाल करने का इरादा है इनका।"
कुहू और सुहानी एक साथ बोली "तो गलत क्या है इसमें? जूते खाने वाला काम करेगा जूते ही खायेगा।"
सुहानी दो कदम आगे आई और उस पर बरसते हुए बोली "कब से कॉल लगा रही थी तुझे, लेकिन तू कहां है किसी को नहीं पता। बुआ ने कहा था तू और नेत्रा दोनों आएंगे, कब कैसे यह उन्हें भी नहीं पता। तू तो टपक गया लेकिन तेरी बहन कहां है?"
नेत्रा का जिक्र सुनते ही कुहू के मन में थोड़ी खटास आ गई। लेकिन आखिर थी तो उसकी बहन ही। सगी ना सही, भले ही उन दोनों में दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था, लेकिन चित्रा से तो था! अव्यांश एकदम सिर्फ कुहू के साइड जाकर खड़ा हो गया और सुहानी से बोला "फिर तू मेरे जूते लेगी या अपनी सैंडल उतारेगी?"
सबको एक तरफ देख निर्माण निशी के पीछे जाकर छुप गया और बोला "भाभी प्लीज हेल्प!"
कोई कुछ कहता उससे पहले ही निशी अपने दोनों हाथ फैलाकर निर्वाण को प्रोटेक्ट करते हुए बोली "खबरदार जो किसी ने भी मेरे देवर को हाथ लगाया तो!"
सुहानी और कुहू वही चुपचाप खड़ी रहे लेकिन अव्यांश को मौका मिल गया उसे छेड़ने का। वह निशी के करीब गया और उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला "अगर किया तो क्या कर लेंगी आप?"
निशी ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला, उससे पहले ही अव्यांश ने निशी के पीछे खड़े निर्वान के कमर में अपनी उंगली से पोक किया। निर्वाण उछलकर साइड हो गया लेकिन निशी वही जड़ हो गई। अव्यांश ने दूसरी तरफ से भी ऐसे ही किया और निशी इस बार भी कुछ ना कर पाई। वो बस हैरानी से अव्यांश को देखे जा रही थी और अव्यांश शरारत से मुस्कुरा रहा था।
निर्वान को परेशान करने के बहाने अव्यांश निशी की कमर को बार-बार हाथ लगाए जा रहा था। सुहानी ने कुहू को कोहनी मारी और वह दोनों बहने चुपचाप वहां से निकल गई।
*****
रात के 1:00 बज चुके थे और पार्टी लगभग खत्म होने के कगार पर थी। सारे मेहमान अपने-अपने घर जा चुके थे और जो बचे थे वह भी एक-एक कर जा रहे थे। रह गए थे तो बस घर वाले। समर्थ तो बहुत पहले ही घर के लिए निकल चुका था। सारांश कार्तिक और सिद्धार्थ अपने इन्वेस्टर्स के साथ बात करने में लगे हुए थे।
अव्यांश निशी के साथ कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने हॉल से चुपचाप बिना किसी को कुछ बताए निकल गया था। लेडीज गैंग गॉसिप करने में व्यस्त थी। लड़कियां सारी तस्वीरें खिंचवाने में बिजी थी और निर्वाण को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। बेचारा निर्वाण! उसकी हेल्प करने वाला कोई नहीं था। वह उन लड़कियों की तस्वीरें ले ले कर थक चुका था लेकिन लड़कियां थकने का नाम नहीं ले रही थी।
सारांश अपने किसी क्लाइंट से बात करते हुए चला जा रहा था जितने में वह निर्वाण से टकराया। सारांश उसे संभालते हुए बोला "अरे बेटा आराम से!" जब उसकी नजर निर्वाण कर गई तो उसने चौक कर पूछा "नीरू! तुम कब आए बेटा? अकेले आए हो? नेत्रा नही तुम्हारे साथ?"
निर्वाण ने झुककर सारांश के पैर छूए और परेशान होकर बोला "मैं तो काफी देर पहले ही पहुंचा था। नेत्रा आने वाली ही थी लेकिन पता नहीं! उसका प्लान मुझे कुछ समझ में नहीं आता। इस वक्त वो कहां है यह तो मुझे भी नहीं पता। शायद किसी फ्रेंड के साथ ट्रिप पर गई होगी। उसकी बातें तो डैड को ही पता होती है।"
निर्वाण बात तो सारांश से कर रहा था लेकिन बार बार पलट कर पीछे की तरफ देख रहा था। सारांश समझ गए कि इस वक्त निर्वाण किस से बचकर भाग रहा था। उसने शिवि को इशारे से बुलाया और समझकर निर्वाण को उसके साथ भेज दिया।