Chapter 121
YHAGK 120
Chapter
120
शरण्या धीरे धीरे ठीक हो रही थी और अब तो डॉक्टर ने भी उसके डिस्चार्ज की बात कह दी थी। शरण्या खुश थी कि वह घर जा रहे हैं। उससे भी ज्यादा खुश थी कि रूद्र उसका ख्याल रख रहा था। लेकिन वह अभी भी 10 साल पुरानी यादों में जी रही थी। उसने जब रूद्र के फोन में आज की डेट देगी तो चौक पड़ी। रूद्र ने भी उसकी उम्र को लेकर मजाक बना दिया ताकि शरण्या ज्यादा ना सोचे। उसके दिमाग से भी यह बात निकल गई।
रुद्र का करीब आना उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसी वक्त मौली का रूद्र को डैड कहके बुलाना उसका दिल तोड़ गया। रूद्र मौली के पीछे जाने को होगा तो शरण्या ने पूछा, "यह तेरी बेटी है?"
रुद्र ने मुस्कुरा कर हाँ कहा तो शरण्या बोली,"बिलकुल तेरी तरह दिखती है। शक्ल सूरत तो तेरी तरह है, बस सीरत तेरी जैसी ना हो।"
रुद्र को हंसी आ गई और वह बोला, क्सशक्ल सूरत मेरे जैसी है और हरकतें सारी मेरी बीवी जैसी! कार्बन कॉपी है उसकी!"
रूद्र के मुह से अपनी बीवी के बारे में सुनकर उसे शायद इतनी तकलीफ ना होती लेकिन अपनी बीवी के बारे में बात करते हुए रूद्र की आंखों में जो चमक थी वह देखकर शरण्या का दिल टूट गया। शरण्या उससे कुछ और भी पूछना चाहती थी लेकिन रूद्र तब तक बाहर जा चुका था। उसे यकीन नहीं हुआ कि रूद्र जैसा इंसान शादी कर सकता है या किसी से प्यार कर सकता है!
"तुझे इतनी तकलीफ क्यों हो रही है शरण्या? तुझे तकलीफ नहीं होनी चाहिए। तूने अपना गुस्सा उतारने में कभी कोई कमी नहीं रखी। तेरा प्यार गुस्सा बनकर उस पर उतरता रहा। कभी तो कहा होता कि तू उससे प्यार करती है! चला गया ना किसी और के साथ! एक बार कह कर तो देखती, शायद वह.........! अब क्या फायदा इस सबका? कुछ करने से पहले तो तू सोचती है नहीं, बस जो दिल में आया वह किया! जब मर्जी जहां मर्जी उसे मारा! उसकी बीवी उसे बहुत प्यार करती होगी तभी तो वह इस तरह उसका नाम ले रहा था।" सोचते हुए शरण्या का मन उदासी से भर गया।
रूद्र मौली के पीछे गया और उससे पूछा, "क्या हुआ बेटा आप अंदर नहीं आए! मॉम से नहीं मिलना था आपको?"
मौली ने कहा, "आप दोनों के रोमांस में मैंने डिस्टर्ब किया उसके लिए सॉरी। वह क्या है ना, कल मॉम घर आ रही है तो उनकी पसंद नापसंद के बारे में आपसे पूछना था। आप से बेहतर कौन बता सकता है! मैं तो पूरे घर को डेकोरेट करने वाली हूं।"
रूद्र ने मौली गोद में उठाया और रेलिंग पर बैठाते हुए बोला, "बस इतनी सी बात? या कोई और बात है जिसने आपको परेशान किया है?"
मौली ने खामोश होकर सर झुका लिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस बारे में कैसे बात करें। रेहान ने उसे जो कुछ भी कहा अगर रूद्र को पता चलेगा तो उसे कितना बुरा लगेगा!
रूद्र ने फिर पूछा, "वीकेंड है और आप अपना वीकेंड इस तरह खराब नहीं करते। आई नो कि हम दोनों हर वीकेंड कहीं ना कहीं घूमने जाते हैं लेकिन इस वक्त मेरा शरण्या के पास रहना जरूरी है।"
मौली ने कहा, "मैं जानती हूं शायद इसलिए तो मैंने कोई शिकायत नहीं की और ना ही करूंगी। इसलिए मैं जानती हूं इस वक्त शरण्या मॉम को आप की ज्यादा जरूरत है और अगर वह 10 साल पीछे है तो फिर आपको संभल कर रहना चाहिए।"
रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "सो तो है। लेकिन आप बताओ क्या हुआ है?"
मौली खामोश हो गई। कुछ देर बाद बोली, "क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं आप मॉम और दादू दादी कहीं और रहे?"
रूद्र समझ गया कि मौली हो किसी और से नहीं बल्कि रेहान से प्रॉब्लम है क्योंकि राहुल को तो वह अपने उल्टे हाथ से सीधा कर सकती है। उसने पूछा, "रेहान से कुछ बात हुई? कुछ कहा उसने?"
मौली न खामोशी से सर झुका लिया तो रूद्र फिर बोला, "मैं बचपन से जानता हूं उसे। दिल का बुरा नहीं है बस कभी-कभी उसका बिहेवियर अजीब हो जाता है। कभी वह किसी से बहुत ज्यादा प्यार करेगा तो अगले ही पल उस इंसान से चिढ़ जाएगा। उसके मूड स्विंग्स बहुत होते हैं। ये बात आप अभी नहीं समझोगे। बस इतना समझ लो कि उसके मूड स्विंग्स बहुत ज्यादा होते हैं और कब किस मूड में रहता है उसे खुद नहीं पता होता। आप समझ रहे हो ना? उसकी बातों का बुरा मत मानना और हो सके तो उससे दूर रहना। मैं खुद भी नहीं चाहता था कि हम उस घर में रहे लेकिन आपके दादू खुद हमें वापस उस घर में लेकर आए। अगर अब हम लोग कर छोड़ते हैं ना, तो इससे आपके दादू को बुरा लगेगा और मैं मेरे पापा को हर्ट नहीं कर सकता। सच कहूं तो जितना डर से हमको है उससे कहीं ज्यादा डर उसे है और अब तो शरण्या अभी वापस आ रही है तो सब कुछ भूल कर आप उसकी तैयारी के लिए जाइये, ठीक है? और जैसे होगा मैं आपकी हेल्प करूंगा। फिलहाल तो अंदर अपनी शरण्या मॉम से मिलने जाईए और हां! उन्हें अपने बारे में कुछ भी बताना मत और शरण्या मॉम कह कर तो बिल्कुल भी मत आवाज देना, ठीक है?"
मौली सर उठा कर देखा उसके पापा की आंखों में शरारत नजर आई। उसे यकीन नहीं हुआ उसके पापा शरारती भी हो सकते हैं! उन आंखों में जो खुशी की चमक थी। मौली तो बस वह देख कर ही खुश हो गई। उसने रेलिंग पर से छलांग लगाई और शरण्या के कमरे तक चली गई। मौली मुस्कुरा कर उसके पीछे आया तो शरण्या के बिस्तर पर मौली को बैठा पाया। जैसा के मौली ने कहा था, मौली ने शरण्या से कुछ नहीं कहा। बस उसके गले लग गई और उसके गाल पर किस कर दिया फिर वह रूद्र से बोली, "डैड! मैं घर चलती हूं फिलहाल मुझे मॉम के लिए बहुत कुछ करना है।" कहकर उसने आंख मार दी।
रूद्र समझ गया कि उसकी बेटी बहुत बड़ी नौटंकी है। उसने अपने ड्राइवर को फोन किया और मौली को अपने साथ ले जाने को कहा। रूद्र के चेहरे पर एक अलग तरह की खुशी थी। शरण्या से रहा नहीं गया और उसने पूछा, "तेरी इतनी बड़ी बेटी है? मतलब तूने शादी कब की?"
रूद्र ने आंख छोटी शरण्या को देखा और बोला, "बेटी के लिए शादी करनी जरूरी है क्या?"
शरण्या ने गुस्से में उसे मारना चाहा तों रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला, "मजाक कर रहा हूं यार! हां शादी हो गई मेरी। 9 साल हो गए हमारी शादी को। हुए नहीं मतलब हो जाएंगे और एक 8 साल की बेटी है मेरी।"
शरण्या बोली,,"तेरे जैसा इंसान शादी करेगा कोई नहीं मान सकता। किसकी जिंदगी बर्बाद कर दी तूने?"
रूद्र उसकी कलाई पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए कहा, "ऐसा समझ लो, मेरी बीवी ने बंदूक की नोक पर उसने मुझसे शादी की थी। खबरदार जो उसके लिए ऐसा वैसा कुछ भी कहा तो! बहुत प्यार करता हूं मैं उससे, खुद से कहीं ज्यादा!"
शरण्या का दिल पूरी तरह से टूटा। रूद्र की आंखों में जो खुशी थी, उसकी आवाज में जो कशिश थी वो सब शरण्या अपने लिए चाहती थी। वह तो उसी वक्त रो देना चाहती थी लेकिन अपने आंसुओं को अपनी आंखों मैं रोके रखा उसने और बोली, "मेरे इतने करीब मत आन! तेरी बीवी तुझे जान से मार देगी।"
रूद्र मुस्कुराया और बोला, "उसके हाथों तो मरना भी मंजूर है मुझे! मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत लमहे सारे उसकी ही देन है। हर वो यादें जिन्हें याद कर मैं दर्द मे भी मुस्कुरा उठता हूं, उनमें वह जरूर शामिल होती है। उसका गुस्सा उसकी जिद उसका पागलपन, इस सब में उसने मेरी जिंदगी को इतना खूबसूरत बनाया है कि मैं चाह कर भी उसे दूर नहीं हो सकता और ना ही कभी वह मुझे छोड़कर जाएगी। फिलहाल तु आराम कर, ज्यादा सोच मत वरना तेरे घुटने में दर्द हो जाएगा।" कहते हुए रूद्र ने शरण्या को आराम से लेटाया और पलट कर वहीं खड़ा हो गया।
उसे इंतजार था शरण्या कि उस हरकत का जो शरण्या का फेवरेट था और शायद रूद्र का भी। शरण्या ने उसे निराश नहीं किया और एक किक उसकी कमर पर जमा दी। "तू निकल यहां से! मुझे सोना है।"
रूद्र मुस्कुराता हुआ वहां से निकल गया लेकिन शरण्या की आंखों में नींद कहां थी। उसके दिमाग में तो बस रूद्र की बीवी घूम रही थी। "ऐसी कौन सी लड़की मिल गई तुझे जो उससे प्यार हो गया? एक बार मेरी तरफ देखा भी नहीं। एक बार भी नहीं सोचा कि मैं भी तो हो सकती हूं ना!! तू क्यों सोचेगा? तुझसे कुछ और उम्मीद कर भी क्या सकते हैं?" सोचते हुए शरण्या ने अपना चेहरा कंबल के अंदर छुपाया और थोड़ी देर में उसकी आंख लग गई।
रूद्र हौले से दरवाजा खोलकर एक नजर शरण्या को देखा। व सो चुकी थी। उसने धीरे से उसका कंबल ठीक किया और वही अपना लैपटॉप लेकर बैठ गया। एक बार फिर वापस से अपनी उसी शरण्या को पाकर एक तरफ जहां रूद्र बहुत खुश था वही उसके मन में डर अब बढ़ने लगा था। शरण्या को फिलहाल कुछ भी याद नहीं इसीलिए वह पहले की तरह ही बातें कर रही थी लेकिन जिस दिन उसे यह बीते 9 साल याद आ जाएंगे तब क्या होगा? रूद्र ने मन ही मन कहा, "तुझे मुझे जो सजा देना होगा तु देना, मेरे साथ चाहे जैसा सलूक करना चाहे तु करना लेकिन प्लीज कभी मुझे छोड़कर मत जाना।"
रूद्र का फोन वाइब्रेट हुआ। शरण्या की वजह से उसने अपना फोन साइलेंट कर रखा था ताकि कभी भी उसकी नींद में खलल ना पड़े। उसने फोन उठाया और बाहर चला आया। दूसरी तरफ से उसका लॉयर था जो ईशान के खिलाफ केस बना रहा था। रूद्र ने कहा, "आपको जो करना है कीजिए जितने भी धाराएं लगानी है लगाइए सही गलत जिस भी केस में उसे फसाना है फसाईये लेकिन मुझे वह आदमी कभी भी जेल के बाहर नजर नहीं आना चाहिए। अगर किसी एक केस में बेल मिलती है तो दूसरे केस में उसे अंदर कर दो। उसका केस कभी खत्म नहीं होना चाहिए। उस इंसान ने जो किया है उसके लिए फांसी की सजा बहुत कम होगी। बस उसे जेल में सड़ते हुए देखना चाहता हूं।" कहकर उसने फोन काट दिया।
नेहा की मम्मी नेहा के लिए खाना लेकर हॉस्पिटल आई थी जब उन्होंने नेहा और मानसी को बात करते हुए सुना। नेहा अपने केबिन में थी और बार-बार रोए जा रही थी। उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मानसी वहीं बैठे उसे समझाने की कोशिश कर रही थी। उसने कहा, "तुम क्या करने जा रही हो नेहा? ये गलत है, बहुत गलत है! इस सब में उसकी क्या गलती? यही गलती मैं भी करने जा रही थी तभी विहान ने मुझे समझाया था और आज मैं खुश हूं। जो कुछ ईशान ने किया उसकी सजा तुम इस मासूम को नहीं दे सकती!"
नेहा बोली, "मैं कभी इस बच्चे से प्यार नहीं कर पाऊंगी, कभी नहीं! जब भी इसे देखूंगी मुझे उस दरिंदे का चेहरा नजर आएगा। सही कहा आपने, अपने भी यही करने की कोशिश की थी लेकिन आपके साथ विहान था। उसने मजबूती से आपका हाथ थामे रखा, किसी बुराई को कभी पास आने नहीं दिया। मेरे पास कौन है जो मुझे संभालेगा? माँ पापा पर मैं यह बोझ नहीं डालना चाहती और ना ही मुझे किसी का साथ चाहिए। इस वक्त जितनी नफरत मुझे इस बच्चे से हो रही है क्या आपको नहीं हुई थी? अमित भैया ने आपके साथ जो किया उसके बाद आप उनकी आखिरी निशानी को भी इस दुनिया से मिटा देना चाहती थी। इतनी नफरत करती थी आप उनसे और शायद आज भी करती हैं!"
अमित का नाम एक बार फिर अपने सामने सुनकर मानसी के रोंगटे खड़े हो गए। नेहा बोली, "आज भी अमित भैया का जिक्र आपको तकलीफ देता है, मैं जानती हूं! आपके दिल में उनके लिए नफरत कम नहीं हुई और मैं मानती भी हूं। मेरे भाई ने जो किया आपके साथ उसके बाद वो माफी के लायक तो नहीं बिल्कुल भी नहीं। उनके किए की सजा हम सब भुगत रहे हैं। जो कुछ उन्होंने आप के साथ किया वही मेरे साथ भी तो हुआ। मेरे मन और मेरे शरीर पर इतने जख्म दिए उस इंसान ने कि मैं चाहकर भी किसी और से रिश्ता नहीं जोड़ सकती। यहां तक कि इस बच्चे से भी नहीं! नफरत है मुझे उस इंसान से और उससे जुड़े किसी भी रिश्ते से। इतना कुछ होने के बावजूद आप मानव से इतना प्यार नहीं करती जितना एक मां अपने बच्चे से करती है। जितना आप अपने दूसरे बच्चे से करते हैं।"
मानसी हैरान थे कि आखिर नेहा को अमित और उसके बारे में कैसे पता? उसने पूछा, "नेहा! तुम्हें कैसे..........!"
नेहा बोली, "ईशान ने बताया मुझे। उसे सारी खबर थी, अमित भाई आपको जिस जिस क्लाइंट के पास लेकर जाते थे उस सब की पूरी लिस्ट थी उसके पास और किस-किस को परोसने वाले थे उसकी लिस्ट भी थी। उस दिन मुझे अपने आप से नफरत हो गई कि मैं उस इंसान की बहन हूं!"
नेहा की मम्मी ने सुना तो नहीं यकीन नहीं हुआ कि उनका बेटा इतनी घटिया हरकत कर सकता है! अपने मरे हुए बेटे के बारे में ऐसा कुछ जानना उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। वह वहीं लड़खड़ा कर बैठ गइ।