Chapter 115

Chapter 115

YHAGK 114

Chapter

     ईशान ने रेहान की कंपनी के सारे शेयर्स बेचकर उसी को एक ग्रैंड पार्टी दे दी। जब यह बात रेहान ने सुनी, वह भी खुद ईशान के मुंह से तो वह उसकी बेशर्मी पर आग बबूला हो गया और उसका कलर पकड़ते हुए चिल्लाया, "तुम घटिया इंसान! तुम ऐसी हरकत कर कैसे सकते हो? तुम्हें अच्छे से पता था वो शेयर्स हमारे लिए कितने मायने रखते हैं! इसके बावजूद तुमने ऐसी हरकत की? अरे क्या कुछ नहीं किया मैंने तुम्हारी कंपनी के लिए! आज जिस डील के पूरे होने की खुशी में उन्हें पार्टी दिया ना उसपर सारी मेहनत मेरी थी। मेरी ही मेहनत को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर तुमने हमें ही धोखा दिया! मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं!!"


   ईशान बेशर्मी से बोला, "मत छोड़ना! बिल्कुल मत छोड़ना!! मैंने ऐसा कब कहा? लेकिन पहले इस लायक तो बन जाओ कि मेरे गिरेबान में हाथ डालने की हिम्मत कर सको! अगर मैं चाहूं तो अभी इसी वक्त तुम्हें जेल भेज सकता हूं, मेरी पार्टी में मेरी इंसल्ट करने के जुर्म में। कानून तुम्हें सजा दे या ना दे लेकिन जेल में तुम्हारे साथ क्या होगा यह तुम अच्छे से सोच सकते हो, या फिर शायद कभी सोचा भी नहीं होगा! यह सब कुछ आज से नहीं बहुत पहले से सोच रखा था मैंने। तुझे पता है तुम्हारी कंपनी के शेयर के भाव कैसे गिरे? एक वक्त था जब तुम्हारी कंपनी के शेयर की कीमत आसमान छूती थी। उसे मैंने आधे पौने दाम में इतने लोगों को बेचा है कि तुम अगर चाहो भी तो उन सब को ढूंढ कर अपने शेयर्स वापस नहीं ले सकते। अब मैं भी देखता हूं इतनी कम कीमत में तुम अपनी कंपनी को कैसे खड़ा रख सकते हो? वैसे अगर तुम चाहो तो तुम्हें कंपनसेशन के तौर पर कुछ पैसा दे सकता हूं मैं लेकिन मुझसे ज्यादा उम्मीद मत करना।"


    मिस्टर रॉय ने जब सुना तब उन्हें यकीन नहीं हुआ कि ईशान ने उन्हें धोखा दिया है। पूरी तरह नहीं लेकिन इतना भरोसा तो वह करते ही थे। आज वह भरोसा भी ईशान ने तोड़ दिया। उन्हें इतना गुस्सा आया कि उन्होंने पूरी पार्टी के सामने ईशान को एक थप्पड़ जड़ दिया। 


     धनराज जी वहीं कुर्सी पर बैठ गए। उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह कुछ कहे। विहान खुद भी यह सब से बहुत ज्यादा हैरान था। उसने रूद्र की तरह नजर दौड़ाई जो अभी भी बार काउंटर पर अपना चेहरा टिकाए बैठा था। उसने मन ही मन कहा, "अब तो तू ही कुछ कर सकता है रूद्र! इस ईशान को जवाब देने के लिए तुझसे बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता। किसने कहा था तुझे इतना पीने को? तू कब से इतना पीने लग गया?"


     रेहान मिस्टर सिंधिया से बोला, "जिस प्रपोजल को देखकर आपने इसके साथ डील फाइनल की है वह सारा प्रपोजल मेरा तैयार किया हुआ है। ना सिर्फ यह, इससे पहले हमने जितने भी प्रपोजल आप को भेजे थे वह सब मेरी मेहनत थी जिसे इस आदमी ने धोखे से चुराया है। क्या आप एक ऐसे धोखेबाज इंसान के साथ डील करना चाहेंगे जिसकी अपनी कोई डिग्निटी ना हो? ऐसे इंसान पर भरोसा कर सकते हैं?"


    ईशान बोला, "मिस्टर सिंधिया हमारी डील फाइनल हो चुकी है और आप यह डील तोड़ नहीं सकते। यह बात आप अच्छे से जानते है। रही बात इस इंसान की तो इस इंसान के पास अब ऐसा कुछ नहीं है जिससे ये अपनी कंपनी को फिर से खड़ा कर सके या फिर कोई डील साइन कर सके। वैसे मुझे तो बहुत मजा आ रहा है।"


     फिर वो मिस्टर ललित रॉय के पास आकर कहा, "आपकी बेटी की वजह से जो बेज्जती मैंने झेली है उस सब का हिसाब तो आप लोगों को चुकाना ही था। कुछ नहीं भूला हूं मैं। जिस तरह शरण्या ने सबके सामने मेरा रिश्ता ठुकराया था, मेरे दोस्तों के सामने मजाक बनकर रह गया था मैं। उस दो टके की लड़की को तो मैं........."


    ललित रॉय को गुस्सा आ गया। उन्होंने ईशान की बात खत्म भी ना होने दी और उसका कॉलर पकड़ते हुए कहा, "मेरी बेटी थी वह......! और मेरी बेटी का नाम तमीज से लेना घटिया आदमी!"


       ईशान हंसते हुए बोला, "बहुत गुस्सा आ रहा है आपको? मुझे भी ऐसे ही गुस्सा आ रहा था! उसी वक्त मेरा दिल कर रहा था कि मैं उस लड़की और उसके बॉयफ्रेंड को मैं.............! वैसे बॉयफ्रेंड से याद आया, कहां हो तुम रूद्र? आखिर इस सब की वजह तुम ही तो हो। तुम्हारे लिए उसने मुझे छोड़ा था, मुझे ठुकराया था उसने!" कहते हुए ईशान रूद्र के पास गया। मिस्टर सिंधिया वहीं पर खड़े सब कुछ देख रहे थे और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी। 


       रूद्र यूं ही सबसे बेखबर बार काउंटर पर बैठा हुआ था, जैसे उसे कुछ सुनाइ ही ना दे रहा हो। रेहान रूद्र की इस हरकत पर और भी ज्यादा झुंझला गया। ईशान रूद्र के पास आया और बोला, "रूद्र! बहुत बेचैन होकर अपनी शरण्या को ढूंढ रहे हो ना? क्या मिला तुम्हें, कुछ भी नहीं! पता है क्या, तुम्हें अपने पत्ते मेरे सामने नहीं खोलने चाहिए थे। तुम्हें बिल्कुल भी नहीं कहना चाहिए था कि शरण्या जिंदा है और तुम उसे ढूंढ रहे हो। अगर ऐसा नहीं करते तो अब तक शरण्या तुम्हें मिल गई होती। वह भी जिंदा और सही सलामत!!"


    उस पार्टी में खड़े सभी लोग जो शरण्या को जानते थे, उन्होंने जब सुना तो हैरान रह गए। आखिर ईशान के कहने का मतलब क्या था? लेकिन रूद्र जो का त्यों वह काउंटर पर अपना सर टिकाए उस वाइन के ग्लास पर अपनी उंगलियां घुमा रहा था। वही ग्लास जो ईशान ने खुद अपने हाथों से उसे दिया था कुछ देर पहले। 


    रूद्र को किसी भी तरह का कोई रिएक्शन ना देते देख ईशान बोला, "तुम सुन रहे हो ना रूद्र! या फिर इतने नशे में हो कि तुम्हें कुछ सुनाई नहीं दे रहा? अगर तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा तो फिर भी मैं बताता हूं। शरण्या जिंदा है और मेरे पास है, इस वक्त मेरी कैद में.........., नहीं नहीं, मेरे पास सही सलामत है। तुमने बिल्कुल सही कहा था। शरण्या घर से भागी नहीं थी उसे किडनैप किया गया था। पता है किसने किडनैप किया था? मैंने और किसने!!! मेरे अलावा और हो भी हो सकता है? कुछ भी कहो, जिस वक्त वो मेरी बाँहों में छटपटा रही थी ना, मुझे बहुत मजा आ रहा था। लेकिन मेरी जरा सी लापरवाही, मैंने उसे इंजेक्शन दिया लेकिन डोज शायद ज्यादा हो गया और वह बेचारी कोमा में चली गई। पिछले 8 सालों से इंतजार कर रहा था कि वो अब जागेगी अब जागेगी लेकिन नहीं!! इतने साल गुजर गए। लेकिन अब किस्मत मेरे साथ है और भगवान भी मेरे साथ है। तभी तो तुम आए, इधर शरण्या को कभी भी होश आ सकता है। तुम्हारी फैमिली को बर्बाद करने का जो मैंने इतने सालों से सोच रखा था वह भी पूरा हो गया। भगवान मेरे साथ है। कौन कहता है बुराई नहीं जीतती? बुराई भी जीतती है अगर दिमाग से काम ले तो! तुम सुन रहे हो ना रूद्र?"


     रूद्र पर कोई असर नहीं हो रहा था। वह अभी भी वाइन के उस ग्लास पर वैसे ही उंगलियां घुमा रहा था। रूद्र ने एकदम से अपना हाथ गिलास से हटाया और अपनी उंगलियों को आपस में इस तरह रगड़ा मानो उसने किसी गंदी सी चीज को हाथ लगा दिया हो। इतने में मिस्टर सिंधिया रूद्र की तरफ बढ़े। वहां मौजूद सभी लोग जैसे कोई फिल्म देख रहे हो। मूकदर्शक की तरह सभी वहां खड़े थे और वहां हो रहे तमाशे को कुछ लोग एंजॉय भी कर रहे थे तो कुछ परेशान थे। 


   मिस्टर रजत सिंधिया रूद्र की तरफ आए। उन्होंने अपने पॉकेट से एक सेनीटाइजर स्प्रे और अपना रुमाल निकाला। उन्होंने रूद्र के हाथ पर सैनिटाइजर स्प्रे किया और अपने रुमाल से साफ कर दिया। अब चौंकने की बारी ईशान की थी। आखिर इतना बड़ा आदमी रूद्र जैसे इंसान की सेवा क्यों कर रहा था? लेकिन मिस्टर सिंधिया इतने पर नहीं रुके! उन्होंने अपने उसी रुमाल से और उसी सैनिटाइजर स्प्रे से उस वाइन के ग्लास को साफ किया और रूद्र के सामने रख दिया। 


    रूद्र ने आंखें मूंदकर हल्का सा ना में सर हिया तो मिस्टर सिंधिया ने वो वाइन का ग्लास उठाया और सीधे ईशान के मुंह पर फेंक दिया। वहां मौजूद हर कोई भौचक्का सा खड़ा रह गया। किसी को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि जिस सिंधिया के साथ डील करने के लिए ईशान ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया वह मिस्टर सिंधिया ईशान के साथ ऐसा कुछ करेगा वह भी रूद्र के एक इशारे पर!


    ईशान हैरानी से मिस्टर सिंधिया को देख रहा था तो मिस्टर सिंधिया बोले, "सॉरी मिस्टर वालिया! लेकिन आर एस ऐसे किसी भी चीज को नहीं छूने वाले जिसे आपने हाथ लगाया हो!"


    ईशान ने हैरानी से एक नजर रूद्र की तरफ देखा और बोला, "मिस्टर सिंधिया यह आप कैसी बात कर रहे हो? आर एस तो आप है ना! तो फिर इस इंसान के लिए आप......."


   मिस्टर सिंधिया बोले, "माना मेरा नाम भी आर एस से ही शुरु होता है इसका मतलब यह नहीं कि मैं वो इंसान हूं। आर एस का मतलब रजत सिंधिया नहीं बल्कि रूद्र सिंघानिया है जो इस वक्त आपके सामने बैठे हुए हैं और थोड़ा तमीज से पेश आएं आप, वरना बहुत बुरा होगा आपके साथ।"


     ईशान ने जैसे ही बात सुनी, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। जिस रूद्र और उसके पूरे खानदान को बर्बाद करने वह चला था, अंजाने में अपना सब कुछ उसी के हवाले कर दिया था। ईशान को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। वह हड़बड़ाता हुआ बोला, "आप मजाक कर रहे हैं ना सर! आपको मजाक करने के लिए मैं ही मिला हूं? यहां मेरे सारे क्लाइंट और कलीग्स है। उनके सामने तो मेरी इंसल्ट हो जाएगी।"


      मिस्टर सिंधिया कुछ कहते, उसी वक्त एक आदमी अपने हाथ में दो फाइल लेकर आया और उनकी तरफ बढ़ा दिया। मिस्टर सिंधिया ने दोनों फाइल लिया और रूद्र को एक देते हुए बोले, "सर! यह आपके पापा के कंपनी के शेयर्स जिसे मिस्टर ईशान वालिया ने बेचा था। उसे मिसेज् शिखा सिंघानिया और मिसेज् अनन्या रॉय के बीच बराबर बांट दिया गया है।"


     रूद्र ने एक तिरछी नजर उस फाइल पर डाली और वापस से अपना चेहरा घुमा लिया। उसने बारटेंडर को एक और ड्रिंक लाने का इशारा किया तो मिस्टर सिंधिया बोले, "आर एस प्लीज आपको बहुत ज्यादा चढ गई है। आप पीते नहीं है। इतना संभाल नहीं पाएंगे आप।"


   रूद्र बोला, "तो तुम किस दिन काम आओगे? तुम्हें सैलरी किस बात की मिलती है? दूसरी वाली दिखाओ!"


   मिस्टर सिंधिया ने दूसरी फाइल रुद्र की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "और यह मिस्टर ईशान वालिया के कंपनी के 51% शेयर के पेपर हैं। आपके कहे मुताबिक इसे भी 25% आपके नाम और 26% आपकी वाइफ के नाम कर दिया गया है।" रूद्र ने इस फाइल को भी एक तिरछी नजर से देखा और रेहान को आवाज लगाई, "रेहान......!"


     रेहान जो खुद हैरानी से सारा तमाशा देख रहा था, रूद्र की आवाज से होश में आया और उसकी तरफ बढ़ा। रूद्र ने दोनों फाइल लिए और रेहान के हाथ में देते हुए बोला, "इसे संभाल के रखना। तेरे हाथ में बहुत बड़ी जिम्मेदारी दे रहा हूं।"


   रेहान ने दोनों फाइल हाथ में पकड़ी और उन्हें खोलकर देखा। वाकई में जैसा मिस्टर सिंधिया ने कहा था, सारे पेपर्स बिल्कुल वैसे ही थे। जो शेयर्स कुछ दिनों पहले तक ईशान के नाम थे और वह लोग ईशान के हाथ की कठपुतली बने हुए थे। आज वह सारे शेयर्स उसकी मां और उसकी सासू मां के नाम थी। इससे भी बढ़कर रूद्र ने ईशान के आधे से ज्यादा शेयर्स हड़प लिए थे। रेहान को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। उसने फिर भी पूछा, "यह सब क्या है रूद्र? वह ऑस्ट्रेलियन कंपनी का मालिक......वह तु है? वह आर एस जिसके पीछे हम लोग इतने दिनों से पड़े हुए थे?"


    रूद्र अपनी ड्रिंक लेते हुए बोला, "तो तुझे क्या लगा, इतने सालों से मैं बाहर बैठा झक मार रहा था? तूने मुझसे यह पूछा कि मैं काम क्या करता हूं? कभी मेरी कंपनी का नाम जानने का कोशिश नहीं किया तूने। अगर पूछ लेता तो मैं तुझसे झूठ बोल नहीं पाता और तुझे पता चल जाता।"


    ईशान तब तक खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था। उसे यकीन हो चला था कि जिस कंपनी के पीछे वह पड़ा था और जिसके नाम उसने अपनी आधी से ज्यादा शेयर गिरवी रख दिए थे वह रूद्र ही था। लेकिन बाजी अभी भी ईशान के हाथ में थी। उसने कहा, "तुमने मुझसे अपने बाप की कंपनी वापस ले ली और मेरी कंपनी भी। लेकिन एक चीज है जो तू मुझसे कभी नहीं ले सकता और वो है शरण्या....! शरण्या कहां है किस हाल में है, यह सिर्फ मैं जानता हूं और जब तक तुम उसे ढूंढोगे ना, मैं उसे लेकर यहां से बहुत दूर चला गया होऊंगा।"


   रूद्र ने जब सुना तो उसके माथे पर हल्की शीकन उभर आई।