Chapter 108

Chapter 108

YHAGK 107

Chapter

107






      विहान को जैसे ही उसकी मम्मी का फोन आया वह घबरा गया और फोन रखते ही रूद्र से बोला, "मानसी को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है। मम्मी उसके साथ ही है। मुझे जाना होगा।"


    रूद्र बोला, "लेकिन अभी तो उसकी डिलीवरी में कुछ दिन बाकी थे ना तो फिर जल्दी........? हो भी सकता है! तू चल, मैं भी तेरे साथ चलता हूं। वैसे कौन से हॉस्पिटल में है वो?"


    विहान बोला, "वही नेहा के हॉस्पिटल में। नेहा की फ्रेंड है जो मानसी की ट्रीटमेंट कर रही है।" कहकर विहान ने जल्दी से अपनी जेब से चाबी निकाली और गाड़ी की तरफ चल दिया। 


    रूद्र के पास एक अच्छा मौका था उस हॉस्पिटल में जाने का। अगर मानसी की डिलीवरी उसी हॉस्पिटल में होनी है तो उसे अच्छा खासा वक्त मिल जाएगा उस हॉस्पिटल के बारे में छानबीन करने का। बार बार उसका दिल कहता जैसे शरण्या वही आस पास ही थी, शायद उसी हॉस्पिटल में और वह यूं ही वहां जाकर खोजबीन नहीं कर सकता था। इसी बहाने शायद उसे मौका मिल जाए। ना जाने क्यों लेकिन ईशान को लेकर उसे शुरू से शक था और अब यह शक यकीन में बदलने वाला था। रूद्र और विहान एक ही गाड़ी में बैठे और हॉस्पिटल के लिए निकल गए। 




     लावण्या आज बहुत खुश थी कि रेहान उसके लिए वक्त निकालकर उसे बाहर लंच पर ले गया, वह भी किसी टेबल पर नहीं बल्कि एक प्राइवेट रूम में। एक अरसे के बाद उन दोनों ने एक साथ अकेले वक्त गुजारा था। वरना ऑफिस के काम में वह दोनों इतने उलझे हुए थे कि खुद के लिए भी वक्त नहीं निकाल पाते थे। रेहान जब होटल पहुंचा उसे पता चला कि रूद्र ने टेबल बुक करने की बजाय पूरा एक प्राइवेट रूम ही बुक कर दिया है तो उसे बहुत ज्यादा हैरानी हुई लेकिन ऐसे में रूद्र का नाम लेकर वह लावण्या को अपसेट नहीं करना चाहता था। 


    उन दोनों ने ही वहां लंच किया और आपस की सारी नाराजगी को भुला दिया। लावण्या ने रेहान को एक प्यार भरा थैंक्यू बोला और वह दोनों जाने को हुए तो रेहान ने वेटर को बिल के साथ बुलाया। वेदर के आते ही रेहान ने जब उससे बिल मांगा और कार्ड निकाल कर उसकी तरफ बढ़ाया तब वेटर बोला, "सर आपका पेमेंट हो चुका है!"


    लावण्या ने सुना तो उसे हैरानी हुई। उसे यह समझते देर ना लगी कि यह लंच का सारा प्रोग्राम रेहान का नहीं बल्कि किसी और का था। उसने सवालिया नज़रों से रेहान की तरफ देखा तो रेहान से कुछ कहते नहीं बना। आखिर इतने सालों में किसी ने भी उन दोनों की तरफ इतना ध्यान नहीं दिया था तो फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसने उन दोनों की लंच डेट प्लान किया हो? 


    लावण्या एकदम से बोल पड़ी, "यह सब कुछ रूद्र ने किया है ना? तुम उसके कहने पर मुझे यहां लेकर आए? ये सारा सेटअप रूद्र का किया हुआ है, है ना?"


    रेहान को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर वह इस बात का जवाब दे या ना दे! लेकिन वह जानता था लावण्या बिना अपने सवालों का जवाब लिए छोड़ेगी नहीं। रेहान ने कुछ कहा नहीं बस सर झुका कर हां में सिर हिला दिया। लावण्या गुस्से में उठी और वहां से निकल गई। 


    रेहान मन ही मन बोला, "लगा था सब कुछ ठीक हो गया है लेकिन एक बार फिर तेरे नाम से सब कुछ खराब हो गया। अब मैं क्या करूं?"


     विहान और रूद्र भागते हुए हॉस्पिटल पहुंचे। मानसी को एक्जामिन किया जा रहा था। विहान ने सबसे पहले अपनी मम्मी से सवाल किया तो उसकी मम्मी बोली, "पता नहीं बेटा! हो सकता है यह लेबर पेन हो या फिर डिलीवरी से पहले भी किसी किसी को यूं ही दर्द होता है। इसलिए हमने चांस नहीं लिया और उसे लेकर चले आए। अगर डिलीवरी हो भी जाती है या नहीं भी होती है कम से कम हमें तसल्ली तो रहेगी कि सब कुछ ठीक है।"


    कुछ देर बाद ही डॉक्टर बाहर निकली और बोली, "अभी डिलीवरी पॉसिबल नहीं है। यह नॉर्मल दर्द है जो डिलीवरी से पहले अक्सर होता है तो घबराने वाली बात नहीं है। हो सकता है थोड़ा खाने पीने की वजह से भी उसे गैस हो गई हो इसलिए दर्द हुआ हो। लेकिन एक बात और भी है। डिलीवरी का टाइम नजदीक है इसलिए आप लोगों को उसका ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखना होगा और हमेशा कोई ना कोई उसके साथ जरूर हो।"


     रूद्र ने पूछा, "क्या हम उसे अभी लेकर जा सकते हैं या कुछ देर यहां रुकना होगा?"


    डॉक्टर बोली, "आप चाहे तो अभी ले जा सकते हैं, उसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है!"


     लेकिन रूद्र को तो इस हॉस्पिटल में रुकना था और मानसी से बेहतर बहाना और कोई हो ही नहीं सकता था। उसने तुरंत कहा, "मानसी को अभी-अभी यहां लाया गया है। माना कि हॉस्पिटल का माहौल मुझे पसंद नहीं आता लेकिन कुछ वक्त के लिए मानसी को थोड़ा आराम करने देना चाहिए। वैसे ही थोड़ी घबराई हुई होगी। थोड़ा आराम करेगी जब अच्छे से रिलैक्स हो जाएगी उसके बाद हम लोग उसे यहां से लेकर चले जाएंगे। कम से कम एक घंटा!"


    विहान को भी रूद्र की यह बात सही लगी। उसने भी डॉक्टर से कहा तो डॉक्टर ने इस बात से इनकार नहीं किया और मानसी के लिए कुछ दवाइयां लिखकर चली गई। डॉक्टर के जाते हैं रूद्र ने वक्त बर्बाद नहीं किया और विहान से बोला, "तु मानसी के पास बैठ, मैं मानसी की जरूरी दवाइयां लेकर आता हूं।"


      विहान बोला, "ठीक है तू जा! नीचे फ्लोर पर है और जल्दी आना!"


    रूद्र ने जल्दी से दवाई की पर्ची ली और बिना विहान की कोई भी बात सुने वहां से तेजी से निकल गया। हॉस्पिटल में भीड़ थी जिस वजह से रूद्र को परेशानी हो रही थी। जनरल वार्ड में शरण्या के होने का कोई चांस नहीं था। ईशान ने अगर शरण्या को किडनैप करके रखा है और वह भी इसी हॉस्पिटल में तो फिर उसे किसी प्राइवेट एरिया में या किसी प्राइवेट रूम में रखा होगा जहां सिर्फ वह हो और कोई नहीं। उसने एक-एक कर वहां के सारे फ्लोर को चेक करना शुरू किया लेकिन उसे अब तक ऐसा कोई भी कमरा नहीं मिला जहां शरण्या के होने की उम्मीद थी। वह लिफ्ट के अंदर दाखिल हुआ। वहां पहले से ही हॉस्पिटल के कुछ स्टाफ मौजूद थे। 


     रूद्र ने अनजाने में ही टॉप फ्लोर का बटन दबा दिया। हॉस्पिटल के स्टाफ ने जब देखा तब उसने कहा, "हेलो मिस्टर!!! यह क्या किया अपने? आपको पता नहीं यहाँ टॉप फ्लोर पर जाना मना है! वह एक प्राइवेट एरिया है जहां सिर्फ वीआईपी से भी बड़े वीआईपी लोग जाते हैं और कोई नहीं! स्टाफ में से भी बस कुछ लोगों को ही वहां जाने की इजाजत है। आप यहां क्या कर रहे हैं और कौन है आप?"


      रूद्र को अचानक से खयाल आया कि उसने टॉप फ्लोर का बटन दबा दिया था। उसने कहा, "सॉरी भाई! वो गलती से मैंने..........! एक्चुअली मै केमिस्ट की दुकान ढूंढ रहा था। किसीने बताया कि ऊपर फ्लोर पर है। मैं ढूंढते ढूंढते यहां आ गया।"


    वह स्टाफ बोला, "किसने बोल दिया आपको? केमिस्ट की दुकान नीचे बेसमेंट में है। आपको वहां जाना चाहिए था। आइंदा ऐसी गलती ना हो। शायद आप पहली बार आ रहे हैं!"


    उसी वक्त लिफ्ट का दरवाजा टॉप फ्लोर पर खुला। रूद्र ने चारों ओर निगाह दौड़ाई और कुछ देर में ही लिफ्ट का दरवाजा एक बार फिर बंद हो गया। रूद्र ने मुस्कुरा कर कहा, "मैं पहली बार आ रहा हूं यहां पर, इसलिए गलती हो गई। इसके बाद नहीं होगी। आप चिंता मत करो।"


     लिफ्ट बेसमेंट में जाकर रुकी और रूद्र वहां से निकल गया। मन में ढेरों खयाल थे और वो ख्याल रूद्र के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए काफी थे। रूद्र ने मानसी की दवाइयां ली और वापस से मानसी के रूम में चला आया। विहान उस वक्त मानसी का हाथ पकड़े बैठा हुआ था और उसका पेट शहला रहा था। 


     विहान बोला, "आप दोनों ने तो मुझे डरा ही दिया था और दादी को भी। अभी से इतना परेशान कर रहे हो आप, जब आप आ जाओगे तब कितना परेशान करोगे? कोई बात नहीं, जितना मर्जी परेशान कर लेना लेकिन पहले आप आ जाओ। भैया तो बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं आपका।"


     मानसी बोली, "पहली बार बाप बनने जा रहे हो। तुमसे ज्यादा बेसब्री और कौन हो सकता है!"


     विहान मानसी को डांटते हुए बोला, "मानसी!!! यह बात तुमने अभी कह दी, दोबारा मत कहना। ये हमारा दूसरा बच्चा है। मानव में भले मेरा खून नहीं लेकिन मेरा प्यार और मेरी परवरिश दोनों है। यह बात गलती से भी मानव तक नहीं पहुंचनी चाहिए। अब तक हमने उसे इन सब बुराइयों से दूर रखा है और आगे भी रखेंगे। मानव हमारा पहला बच्चा है। उसने मुझे पिता होने का एहसास दिलाया है। चाहे कुछ भी हो जाए मेरे लिए वो हमेशा खास रहेगा।"


     मानसी खामोश हो गई। विहान की अच्छाई उसे समझ नहीं आती थी। इतना जुड़ाव तो एक मां होकर वह खुद भी मानव से महसूस नहीं कर पाती थी। कहीं ना कहीं अमित की परछाई उसकी ममता पर हावी हो जाती लेकिन विहान के प्यार में कभी कोई कमी नहीं आई। कभी उसे एहसास ही नहीं होने दिया कि विहान और मानव के बीच खून का रिश्ता नहीं। 


    विहान और मानसी को ऐसे प्यार से एक दूसरे का हाथ थामे देख एक बार फिर रूद्र को शरण्या की यादों ने घेर लिया। 




     "मेरे प्रेग्नेंट होने से तुझे कोई प्रॉब्लम है जो तू मुझे यह खाने को दे रहा है? यहां नीचे सब हमारी शादी की बात कर रहे हैं और तू है कि यह सब.......... मुझे नहीं खानी कोई दवाई। अपनी दवाई अपने पास रख!" शरण्या गुस्से में बोली और वहां से जाने को हुई तो रूद्र ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे गले लगा कर बोला, "हमारा बच्चा कभी हमारे लिए प्रॉब्लम नहीं हो सकता। लेकिन अभी हमारी शादी की बात चल रही है। घरवालों को नहीं पता कि हमने शादी कर लिया है। उनकी खुशी के लिए हमें उनके सामने शादी करनी होगी और हमारी शादी में अभी वक्त है। मैं नहीं चाहता हमारे बीच जो हुआ उसकी वजह से तुझ पर कोई उंगली उठे। जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती, तेरा कंसीव करना सही नहीं होगा।"


      शरण्या ने पूछा, "हमारे बीच जो हुआ तुझे उसको लेकर पछतावा है?" 


     रूद्र अपनी पकड़ और मजबूत करते हुए बोला, "हमारी शादी तेरे जिद का नतीजा है। तेरी जिद की वजह से हमने शादी की और तेरे जीद की वजह से हम एक हुए। इन दोनों बातों को लेकर मैं तुझसे बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं और ना ही कोई पछतावा है मुझे। इन दोनों बातों के लिए मैं जिंदगी भर तेरा एहसानमंद रहूंगा। मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों को मैंने तेरी वजह से पाया है। कल तक सिर्फ मैं तेरा था अब मेरी आत्मा भी तेरी है। तू मेरी सांसो में बसती है, मेरा दिल बनकर धड़कती है। तू है तो मैं जिंदा हूं। हमारा बच्चा हमारे प्यार की निशानी होगा और हमारा प्यार कभी मेरे लिए मुसीबत नहीं हो सकता। इसलिए कह रहा हूं जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती तब तक यह सब कुछ नहीं। इसलिए मैंने तुझ से दूरी बनाकर रखी थी वरना तुझसे ज्यादा मैं बेचैन था। मैंने तेरी हर बात मानी है, हर जिद पूरी की है, बस मेरी एक बात मान ले तू! इसे खा ले!"


      शरण्या ने कोई सवाल नहीं किया और चुपचाप रूद्र के हाथ से दवाई खा ली। रूद्र ने मन ही मन कहा, "मुझे माफ कर देना शरू! मैं नहीं चाहता यह सब हो। तेरे साथ पूरी जिंदगी का सपना देखा था मैंने लेकिन अपने हाथों से मुझे वह करना पड़ रहा है जो मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था। मैं नहीं चाहता मेरे जाने के बाद तेरे साथ भी वही हो जो इशिता के साथ हो रहा है। तुझ पर कोई उंगली उठाए यह मैं नहीं सह पाऊंगा। बस तुझे इस जमाने से बचाना चाहता हूं। जानता हूं तू मुझे कभी भूल नहीं पाएगी लेकिन आगे बढ़ने में तुझे थोड़ी आसानी तो होगी।"


    "रूद्र!!!!!!" विहान ने आवाज लगाई तब रूद्र अपने ख्यालों से बाहर निकला और मानसी की दवाइयाँ विहान के हाथों मे पकड़ा दी।