Chapter 30
humsafar 29
Chapter
30 अवनि जितना सुनते जा रही थी उतनी ही शॉक होते जा रही थी। नीतू की हर एक बात से उसे घबराहट होने लगी थी इसीलिए इससे पहले वह और कुछ कहती अवनि ने दरवाजा नॉक किया। अवनि की हिम्मत नही हो रही थी अंदर जाकर काव्या का सामना कर सके इसीलिए दरवाजे से ही बिना काव्या की ओर देखे उसने त्रिशा की असिस्टेंट से त्रिशा का बैग मांगा तो उसने भी मुस्कुरा कर त्रिशा का पर्सनल बैग उसे पकड़ा दिया। अवनि बाहर निकल कर अपने कमरे मे चली आई और त्रिशा को बैग पकड़ा दिया।
त्रिशा ने अवनि को आराम से बैठाया और उसके बाल सवारने लगी। अवनि को भी अब थोड़ा थोड़ा शक़ होने लगा था की उसके बाल बनाने के लिए त्रिशा ने काव्या को अपने असिस्टेंट के पास क्यों छोड़ा जबकि दुल्हन काव्या है सारी लाइम लाइट उसी के उपर होनी है। आखिर क्यों उसे इतनी स्पेशल ट्रिटमेंट दी जा रही है और किसके कहने पर ये सब हो रहा है। उसे सबसे पहले सारांश का ही ख्याल आया। क्या ये सब वही कर रहा है या फिर लक्ष्य?!?! वो भी तो बड़े घर से है और आज आने वाला भी तो है। लेकिन ये ड्रेस तो सिया मैम ने...... ! सोचते हुए उसने अपनी आँखे बन्द कर ली।
त्रिशा ने उसके बाल बनाये और थोड़ा सा लेकिन उसके ड्रेस के मुताबिक अपने अनुसार मेक अप भी कर दिया। अवनि ने कुछ देर बाद जब अपनी आँखे खोली तो खुद को आईने मे देख पहचान ही नही पायी। उसका दिल किया खुद को काला टिका लगा ले। त्रिशा बोली, "जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत है आप।"
अवनि ने सुना तो मुस्कुराहट उसके होंठो पर फैल गयी।
त्रिशा ने अपना सामान समेटा और वहाँ से बाहर निकल गयी। उसके जाने के बाद कुछ देर तक अवनि वहीं बैठी आईने मे खुद को निहारती रही फिर अचानक से उसे त्रिशा के कहे शब्दो पर ध्यान दिया "जितना सुना था??! किससे सुना था?" अवनि सोच मे पड़ गयी। वह त्रिशा से पूछना चाह रही थी मगर तबतक वह जा चुकी थी।
कंचन द्वार पूजन के लिए आरती की थाली तैयार कर रही थी। उसने अवनि और श्रेया को आवाज़ लगाई। अवनि संभलते हुए नीचे उतरी, उसे बस यहि डर लग रहा था की उसकी किसी गलती से एक भी डायमंड गिरा तो उसकी भरपाई कैसे कैसे करेगी ऊपर से वह बहुत भारी भी था। उसने मन ही मन तय किया की शादी के बाद उन्हे वापस कर देगी। कंचन ने जब अवनि को देखा तो बस देखती रह गयी।
सच! उस लहंगे मे और हल्के से मेक अप से अवनि बहुत प्यारी लग रही थी। कंचन की आँखों मे खुशी के आँसू आ गए, उसने नानु से कहा, "पिता जी! मेरी बच्ची तो किसी राजकुमारी से भी ज्यादा सुंदर लग रही है। चाँद की रौशनी भी फीकी लग रही है तेरे आगे। कहीं मेरी ही नज़र न लग जाय।"
"फिर तो हम इसके लिए किसी ऐसे को ढूंढना होगा जो तारे तोड़कर ला सके।" विशाल ने कहा तो अवनि ने शरमा कर आँखे झुका ली मगर नानु ये बात सुन मुस्कुराये और बोले, "बिल्कुल!!! इस दुनिया मे जो इसके लिए बना है वो सच मे आसमान के तारे को इसके कदमों मे डाल देगा।"
"ओह प्लीज नानु! आप हर बार यही बोलते है। ऐसा भी कही होता है भला। बी प्रैक्टिकल नानु!!! ये सब बातें किताबो मे होती है असल जिंदगी मे नही।" अवनि ने कहा तो नानु हँस कर बोले, "लगी शर्त!! अगर उसने ऐसा कर दिखाया तो?"
"तो तब की तब देखेंगे नानु! अभी फिल्हाल दिदु की शादी देखनी है।" कहकर अवनि ने बात टाल दी।
अवनि ने कंचन की हेल्प करते हुए श्रेया के बारे मे पूछा तो विशाल ने कहा की उसने उसे बारात मे जाते देखा है। अवनि समझ गयी की वो बस सारांश के पीछे गयी होगी।
बारात थोड़ी देर घूमने के बाद वापस कम्पाउंड मे दाखिल हुई और कुछ देर तक सबने काफी देर तक नाचा और इन सब मे कार्तिक को भी घोड़ी से उतार कर शामिल कर लिया। कार्तिक के चेहरे पर खुशी थी मगर ना जाने क्यों कहीं न कहीं एक हल्की सी उदासी भी थी जिसे सारांश ने भाँप लिया। उसने उसे चीयर करने का सोचा और जाकर माइक पकड़ ली।
"मेरे दोस्त, मेरे भाई!!! ये तेरे लिए....
तू जो रूठा तो कौन हंसेगा तू
जो छूटा तो कौन रहेगा
तू चुप है तो ये डर लगता है
अपना मुझको अब कौन कहेगा
तू ही वजह.. तेरे बिना बेवजह बेकार हूँ मैं
तेरा यार हूँ मैं तेरा यार हूँ मैं"
कार्तिक के चेहरे खुशी से खिल गया और उसने सारांश को गले से लगा लिया। सही मायने मे उन दोनो की दोस्ती हर रिश्ते से ज्यादा मजबूत थी और दोनो ही भाई से कहीं भी कम नही थे। सारांश को अचानक ही चित्रा का ख्याल आया आखिर वो दोनो उसे कैसे भूल सकते थे, वह भी इस दोस्ती का अहम हिस्सा थी।
कार्तिक की नज़र साइड मे खड़ी चित्रा पर गयी तो उसने इशारे से उसे बुलाया। वह भी चलते हुए सब के बीच पहुँची और उन तीनों ने ग्रुप हग किया। लेकिन अचानक ही उसने सारांश के हाथ से माइक छिना और अपने ही धुन मे गाने पर थिरकने लगी
"कब वो दिन आयेगा जब हम भी मेहंदी लगवाएंगे
ना जाने कब आयेंगे और डोली मे ले जायेंगे
बारी ना आई हमारी बाराते देखी सारी
नाचे हम सब की बारातों मे
याद पिया की आने लगी है भीगी भीगी रातों मे"
चित्रा की हरकतें देख दोनो को समझ आगया की उसे चढ़ गयी है। दोनो ने एक दुसरे को देखकर कंधे उचका दिया और फिर सारांश चित्रा को वहाँ से खीच कर अपने साथ ले गया ताकि वह कहीं कुछ गड़बड़ न कर दे।
मंडप घर के अंदर ही सजाया गया था। बारात जब दरवाजे पर पहुँची तो विशाल ने भाई होने का रस्म निभाते हुए कार्तिक को घोड़ी से उतारा। कंचन अवनि नानु और बाकी सब दरवाजे पर ही खड़े थे। कंचन ने पहले तो आरती की फिर नाक खिचा और अंदर आने के लिए कहा। कार्तिक ने जैसे ही अंदर आने के लिए कदम उठाये श्रेया बीच मे ही टपक पड़ी।
"ऐसे नही जीजू! अंदर जाने के लिए रिश्वत तो देनी पड़ेगी" श्रेया ने मुस्कुरा कर कहा।
"रिश्वत! कैसी रिश्वत? आपका कोई हक नही बनता साली साहिबा क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले तो आप बारात मे नाच रही थी। इस हिसाब से आप मुझे लूटने का हक़ खो चुकी है और अब आप चीटिंग नही कर सकती।" कार्तिक कहा तो वहाँ बाकियो ने भी उसका साथ दिया और श्रेया से कुछ कहते नही बना। अपनी दोस्त को ऐसे देख अवनि से रहा नही गया।
"लेकिन मेरा तो पूरा हक बनता है न आप को लूटने का!!! क्यों!! अब लाइये निकालिए मेरी रिश्वत। " अवनि ने दोनो हाथों को फोल्ड करते हुए कहा। कंचन ने उसे रोकना चाहा तो नानु और धानी ने ये कह कर रोक दिया की ये हक है उसका।
"लेकिन मेरी जेब तो तुम पहले ही खाली कर चुकी हो। रुको मै कुछ देखता हु।" कार्तिक ने अपने आस पास देखा और सारांश को आवाज़ लगाई।
उधर सारांश चित्रा को लेकर गाड़ी के पास गया, उसे कुछ समझाया और अपना कार्ड निकालने लगा लेकिन चित्रा ने उसका वॉलेट झटके से छीन कर गाड़ी मे बैठ गयी और ड्राईवर से चलने को कहा। जैसे ही गाड़ी बाहर निकली उसे कार्तिक की आवाज़ सुनाई दी जो उसे ही बुला रहा था।
सारांश ने देखा अवनि फिर से रास्ता रोक खड़ी है तो उसने कार्तिक से कहा, "तेरी साली है, तु देख। मेरे पास फिलहाल कुछ नही है। अभी अभी चित्रा मैडम सब लेकर चली गयी।" उसने अपनी मजबूरी बताई।
कार्तिक ने अवनि को देखा और बोला,"ठीक है! अगर मै कुछ ऐसा दू जो हमेशा तुम्हारे साथ रहे जीवन भर के लिए तो क्या तुम स्वीकार करोगी।"
"अरे नेकी और पूछ पूछ!!! बिलकुल! आप जो भी देंगे मुझे मंजूर होगा।" कहकर अवनि ने खुशी मे अपना दाहिना हाथ आगे किया फिर मेहंदी के बारे मे याद आते ही झट से वापस खिच लिया और बाया हाथ आगे कर दिया।
"सोच लो फिर मना नही कर पाओगी"
"सोच लिया जीजू, आप बस दे हि दो। वादा करती हु आप जो भी देंगे उसे जिंदगी भर दिल से लगा कर रखूँगी।" कहते हुए अवनि ने अपने हथेली की ओर इशारा किया।
"मेरे पास जो सबसे कीमती है वो यही है और अब जब तुमने वादा कर ही दिया है तो आज ये मै तुम्हे सौंपता हु।" कहते हुए कार्तिक ने अपने बगल मे खड़े सारांश का हाथ पकड़ा और उसे अवनि के हाथ पर रख दिया। अवनि और सारांश दोनो ही भौचक्के से रह गए और पूरा माहौल अचानक से शांत हो गया।
क्रमश: