Chapter 120

Chapter 120

YHAGK 119

Chapter

119






    शरण्या को होश संभालने में तकरीबन एक हफ्ता लग गया। उसनें धीरे-धीरे सब को पहचानना शुरू कर दिया और सबसे पहले उसने पहचाना था रूद्र को! शरण्या के मुंह से अपना नाम सुनकर रूद्र की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जितने प्यार से उसने रूद्र को पुकारा था, रुद्र के लिए बस वही काफी था। धीरे धीरे उसे सब कुछ याद तो आ रहा था लेकिन अभी भी उसकी यादें पूरी तरह से वापस नहीं लौटी थी। अभी भी वह अपनी पिछली जिंदगी को ही जी रही थी। 


       इन एक हफ्ते में रूद्र ने हॉस्पिटल को ही अपना घर बना लिया था और पूरा टाइम वो शरण्या के साथ ही रहता था। घरवाले आते और शरण्या से मिलकर जाते लेकिन रूद्र वही रहता। इस एक हफ्ते में रूद्र ना तो घर गया, ना ही ऑफिस। उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसकी शरण्या जो थी। 


     मौली को रूद्र की कमी महसूस तो होती थी लेकिन वह ये भी जानती थी कि इस वक्त उसकी शरण्या मॉम को उसके डैड की जरूरत है। इसलिए उसने कभी कोई शिकायत नहीं की। क्योंकि वह काफी अच्छे से अपने पिता को जानती थी। 


   वीकेंड का दिन था और राहुल ने अपने मम्मी पापा से बाहर घूमने जाने की जिद की तो शिखा जी ने भी रेहान से उन्हें बाहर ले जाने को कहा और बोली, "बहुत टाइम हो गया रेहान, बच्चे कहीं घूमने नहीं गए। रूद्र हॉस्पिटल में है वरना उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ती। जितना बेहतर तरीके से उसने ऑफिस और अपनी बच्ची दोनों को संभाला है, वैसे शायद ही कोई कर पाए। आज छुट्टी का दिन है। कम से कम आज तो बच्चों को घुमा ले आओ। मौली कुछ कहती नहीं है लेकिन जानती हूं उसे रूद्र की कमी महसूस होती है। बस कुछ दिनों की बात है, वह भी वापस लौट आएगा।"


    रेहान ने अपनी मां की बातों में हामी भरी और राहुल को तैयार होने का बोलकर मौली के कमरे की ओर चल दिया। मौली और राहुल थे तो भाई बहन लेकिन फिर भी उन दोनों के व्यवहार में जमीन आसमान का अंतर था। राहुल में बचपना था और मौली में समझदारी थी। लेकिन मौली जिस तरह से रूद्र का ख्याल रखती थी, उसे देख विहान को मन ही मन जलन जरूर होती थी। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से उसने मौली के व्यवहार को नोटिस किया था। वह सब से बात करती लेकिन रेहान से नहीं। जहां रेहान होता मौली वहां से उठ कर चली जाती। वो रेहान से बात करना तो दूर उसकी शक्ल तक नहीं देखती थी। यह बात रेहान को अंदर ही अंदर कचोटती थी।


     भले ही रेहान मौली को अपनी बेटी मानने से इनकार करता हो लेकिन ये सच कभी नहीं बदल सकता था कि आखिर उन दोनों में खून का रिश्ता था और वह दोनों बाप बेटी थे। 


     रेहान मौली के कमरे में गया। उस वक्त मौली पेंट ब्रश लिए कुछ पेंट करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। रेहान ने जब देखा तब कहा, "अरे वाह मौली बेटा! आप तो बिल्कुल रूद्र की तरह पेंट करते हो। उसे भी बचपन से पेंटिंग का बहुत शौक था। मैं भी किसे कह रहा हूं? तुम तो जानती ही होगी! वैसे काफी खूबसूरत पेंटिंग बनी है।"


   मौली ने एक नफरत भरी निगाह रेहान पर डाली। अपनी बेटी की आंखों में नफरत देखकर रेहान के दिल में चुभन सी हुई। मौली ने कहा, "आपको ये पेंटिंग अच्छी लग रही है?" कहकर उसने उस पेंटिंग को उसी वक्त फाड़ दिया और बोली, "लेकिन यह पेंटिंग मुझे अच्छी नहीं लगी। थोड़ी गड़बड़ी हुई थी इसमें फिर भी चल सकती थी लेकिन डैड की नजरों से छुप नहीं सकती थी। वो इस बात को नोटिस जरूर कर लेते लेकिन कुछ कहते नहीं और मुझसे दूसरी बनवाते जरूर। ऐसे बेहतर था कि मैंने फाड़ दिया। वैसे इसे फाड़ने का एक और रीजन भी था।"


     रेहान ने हैरानी से पूछा, "वह क्या?"


   मौली एक तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोली, "क्योंकि यह पेंटिंग आपको अच्छी लगी थी, एंड आई.......हेट.......यू!"


    अपनी बात पूरी कर मौली दूसरी तरफ पलट गई और अपना हाथ पोंछते हुए बोली, "यहां किस काम से आए थे?"     


     रेहान बोला, "तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे डैड को अब तुम्हारी कोई परवाह नहीं है! पिछले 1 हफ्ते से उसने तुम्हें देखा तक नहीं। ना ही तुमसे मिलने की कोशिश की। जब से शरण्या आइ है तब से वह उसी में लगा है। तुम्हारी इंपॉर्टेंस खत्म हो गयी है उसकी लाइफ में।"


     मौली गुस्से में पलटी और अपने हाथ में पकड़ा उस टिशू पेपर को डस्ट बीन फेंकते हुए बोली, "मेरे डैड की लाइफ में मेरी क्या इंपोर्टेंस है ये आपको मुझे समझाने की जरूरत नहीं है। जो आप करने की कोशिश कर रहे हैं ना, मैं अच्छे से समझ रही हूं। मेरे डैड ने क्या कुछ नहीं सहा आपकी वजह से, इसके बावजूद आपको उनकी खुशी देखी नहीं जा रही। वह खुशी जो बरसों बाद उनकी जिंदगी में लौटी है। वह खुशी जो आपकी वजह से छीन गई थी। अगर भाई आप जैसे होते हैं ना, तो मुझे खुशी है कि मेरा कोई भाई नहीं है। अब आप जा सकते हैं, मुझे यहां सफोकेशन सी हो रही है। आई नीड फ्रेश एयर।"


     मौली की ये बातें रेहान के लिए किसी बेज्जती से कम नहीं थी। कहाँ तो वो मौली हो अपने साथ ले जाने के लिए कहने आया था लेकिन मौली की बातों ने उसे बुरी तरह से हर्ट किया। उसने गुस्से में कहा, "तुम्हें पता भी है तुम किस से बात कर रही हो? तुम्हें पता भी है तुम्हारा और मेरा रिश्ता क्या है?"


     इस बार मौली ने गुस्सा नहीं किया बल्कि अपने नॉर्मल अंदाज में अपने दोनों हाथ पैंट के पॉकेट में डालते हुए कहा, "आपका और मेरा रिश्ता तो पता नहीं लेकिन डैड और मेरा रिश्ता किसी को भी मुझे बताने की जरूरत नहीं। और मेरा बाप बनने की कोशिश भी मत करना आप! सह नहीं पाओगे! क्योंकि..........!" कहते हुए मौली ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।


     रेहान गुस्से में तमतमाया, "अपनी बात पूरी करो मौली! तुम कहना क्या चाहती हो!"


    लेकिन मौली ने कुछ कहा नहीं और कमरे से बाहर निकल गई। नीचे आकर उसने सबसे पहले रूद्र के ड्राइवर को फोन किया ताकि वह उसे हॉस्पिटल लेकर जा सके। शिखा जी ने जब सुना तब बोली, "क्या हो गया बेटा? रेहान तुम्हें और राहुल को बाहर लेकर जाना जाता है और तुम हॉस्पिटल जाना चाहती हो! कल वापस आ रही है आपकी शरण्या मॉम!"


     मौली खुश होते हुए बोली, "जानती हूं दादी इसीलिए मैं पहले हॉस्पिटल जाकर मॉम से मिलना चाहती हूं। उसके बाद यह मेरे और डैड के बीच की बात है। लेकिन मॉम यही आएंगी ना हमारे घर कहीं? और तो नहीं जाएंगी ना?"


     शिखा जी बोली, "पता नहीं बच्चा! शायद शरण्या यहां आएगी, आखिर ये उसका ससुराल है.......... पता नहीं........ ललित भाई साहब और अनन्या दोनों इस बात की इजाजत देंगे या नहीं! लेकिन अब तो शरण्या का घर यह है! मुझे खुद नहीं पता कि मुझे क्या करना है? इस घर को सजाना है या उस घर को? इतने सालों बाद हमारी बच्ची लौट कर आ रही है। अनन्या खुद भी अपनी बेटी के लिए तरस रही थी। हमने तो यही सोचा था कि जब शरण्या वापस लौट रही है तो उसे हम यहां लेकर आएंगे लेकिन पता नहीं!"


      मौली अपनी दादी के हाथ पर हाथ रखते हुए बोली, "दादी माँ आप परेशान क्यों हो रही है? मैं जाती हूं और डैड से पूछूंगी, उसके बाद मैं आपको बताऊंगी। मुझे पूरा यकीन है कि डैडका फैसला यही होगा कि मॉम यहां हमारे साथ आ कर रहे।"


    शिखा जी बोली, "लेकिन बेटा! शरण्या को अभी तक पूरी तरह से सब कुछ याद नहीं आया है। वह अभी भी अपनी पिछली जिंदगी में ही है।"


    मौली ने अपनी दादी का हाथ अपने हाथ में लिया और हौले से दबा दिया। मौली के चेहरे पर मुस्कुराहट देख शिखा जी शांत हो गई। इतनी छोटी सी बच्ची में इतनी समझदारी देख उन्हें खुद हैरानी हो रही थी। बच्चों का बचपन मां और बाप दोनों के साथ होता है। दोनों में से किसी एक की कमी बच्चों का बचपन छीन ले जाता है और यही मौली के साथ हुआ था। रूद्र ने भले ही मौली को किसी तरह की कोई कमी ना होने दी थी इसके बावजूद मां की कमी उसकी जिंदगी में कभी पूरी ना हुई। 




     शरण्या ने धीरे-धीरे अपना होश संभाल लिया था। रूद्र डॉक्टर से उसके डिस्चार्ज की बात करके जैसे ही उसके कमरे में आया, शरण्या ने एक भरपूर नजर रूद्र के चेहरे पर डाली और कहा, "इतना बदला बदला सा क्यों लग रहा है तु? मतलब पहले से काफी ज्यादा वेट यूज़ कर लिया है तूने! चेहरे पर झाड़ियां उग गई है। मतलब एकदम माचो लुक में नजर आता है। एकदम से इतना बदलाव........ और आजकल मैं नोटिस कर रही हूं, तू पार्टी के लिए भी नहीं जाता। कल पूरी रात यहीं था ना मेरे पास?"


    रूद्र मुस्कुराया लेकिन कहा कुछ नहीं। अपने साथ लाया फ्रूट का बास्केट उसने टेबल पर रख दिया और एक निकाल कर उसके सामने उछाल दिया। शरण्या ने जल्दी से उस सेब को पकड़ा और बोली, "ओए कमीनी! क्या कर रही है? अभी चोट लग जाती मुझे तो?"


     रूद्र बिना उसकी तरफ देखे बोला, "तु क्या इतनी नाजुक है जो तुझे चोट लग जाएगी? खुद को भूल रही है तू। पहचान खुद को कि तू कौन है?"


    शरण्या ने वही सेब रूद्र के सिर पर दे मारा। लेकिन उसी वक्त रूद्र पलटा और उस सेब को अपने हाथ में पकड़ लिया। उसका स्टाइल देख शरण्या के होठों पर हल्की सी मुस्कान खिल गई और अपनी शरण्या को वापस से पहले के अवतार में देखकर रूद्र भी खुश हो गया। धीरे-धीरे ही सही लेकिन उसकी शरण्या और उसकी यादें लौट रही थी। 


    लेकिन अचानक ही रूद्र के मन में एक डर बैठ गया। "अगर शरण्या को पिछले पुरानी सारी बातें याद आ गई, तब क्या होगा?"


   शरण्या ने पूछा, "एक बात बता! मैं यहां क्या कर रही हूं? क्या हुआ है मुझे?"


    रूद्र बोला, "तेरा दिमाग कुछ ज्यादा चल रहा था इसलिए तु पागल हो गइ और हम तेरा इलाज कराने यहां आ गए। ये कोई नॉर्मल हॉस्पिटल नहीं है! यह एक मेंटल हॉस्पिटल है। यहां पागलों का इलाज होता है।"


    शरण्या बोली, "अच्छा तो फिर तू यहां क्या कर रहा है? तुझे डर नहीं लगता कि कहीं यहां किसी ने तुझे इलेक्ट्रिक शॉक दे दिया तो? और मुझे बेवकूफ मत बना। यह बता मैं घर कब जा सकती हूं?"


     रूद्र बोला, "अभी डॉक्टर से इसी बारे में बात करके आ रहा हूं। उन्होंने कहा कि कल तुझे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।"


    रूद्र वाही शरण्या के सामने बैठा और उसी सेब को पोंछ कर टुकड़ों में काटने लगा। शरण्या ने एक बार फिर सवाल किया, "मुझे सब कुछ इतना बदला हुआ सा क्यों लग रहा है? ऐसा क्यों लग रहा है जैसे मैं एक लंबे अरसे से सो रही थी और मेरे उठने के बाद पूरी दुनिया ही बदली हुई सी है। ऐसा क्या हो गया है? मुझे क्या हुआ है और तुझे क्या हुआ है? तू क्यों बदला सा लग रहा है? पहले वाला रूद्र बिल्कुल भी नहीं लग रहा। तेरी आंखों से कमीनापन टपकता था, ये वह आंखें नहीं है। ऐसा क्या हो गया रूद्र? मैं कब से इस होस्पिटल में हूं?" 


    रूद्र बोला, "अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत दे वरना फट जाएगा।" तभी रूद्र के फोन में नोटिफिकेशन की घंटी बजी और उसका स्क्रीन ऑन हो गया। शरण्या की नजर फोन की स्क्रीन पर गई और वहां आज की डेट देखकर वह हैरान रह गई। उसने रूद्र से पूछा, "ये डेट आज की है?*


    रूद्र ने अपना निचला होंठ भिंच लिया और बोला, "तुझे प्रॉब्लम हो रही है ना कि तू अब 24 कि नहीं है बल्कि 33 की हो गई है! अपने टीनएज् से बाहर निकल गई है तू, अधेड़ उम्र की लड़की!" कहकर मुस्कुरा दिया। 


    शरण्या समझ गई कि रूद्र ने उसकी टांग खींची है। उसने अपना तकिया उठाया और रूद्र के सर पर मारा। "अगर मैं अधेड़ उम्र की लड़की हु तो तू बढ़ा हो गया है कमीनी रजिया!"


    शरण्या के मुंह से एक बार फिर अपना पुराना नाम सुनकर रूद्र को बहुत अच्छा लगा लेकिन वो जानता था शरण्या को अभी मेहनत वाला कोई काम नहीं करना है। उसने शरण्या को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसे बेड पर आराम से लेटाते हुए कहा, "ज्यादा खुद को परेशान मत कर। अभी आराम कर, उसके बाद मैं खुद तेरा इतना ख्याल रखूंगा कि तू मजबूत हो सके और मुझे अच्छी तरह से अपना पंचिंग बैग बना सके, हमेशा की तरह, ठीक है?"


     रुद्र का यू करीब आना शरण्या का दिल धड़का गया। इस अहसास को उसने बचपन से जिया था लेकिन कभी कह नहीं पाई थी। वह अपने ख्यालों में गुम रूद्र के चेहरे को देखे जा रही थी। उसी वक्त मौली ने एंट्री ली और बोली, "डैड....! आपसे कुछ बात करनी थी। 2 मिनट टाइम मिलेगा क्या?"


     रूद्र ने मौली की तरफ देखा और कहा, "बस 2 मिनट प्रिंसेस!" फिर उसने शरण्या का सर सहलाया और कहा, "मैं थोड़ी देर में आता हूं।" 


     शरण्या को मौली का रूद्र को डैड कहना परेशान कर गया। "यानि अब रूद्र की एक बेटी है? मतलब रूद्र की शादी हो चुकी है?" ये सोचकर ही शरण्या उदास हो गई।