Chapter 166
YHAGK 165
Chapter
165
शादी की रस्में शुरू हो चुकी थी लेकिन किसी के भी चेहरे पर रौनक नहीं थी। जिस शादी के सम्पन्न होने की सभी की चाहत थी उस शादी में कोई चाह कर भी खुश नहीं हो पा रहा था। शरण्या ने भी अपनी शादी में खुश होने की कोशिश की लेकिन रूद्र का चेहरा देख उसकी हिम्मत जवाब दे गयी। दुसरो की शादी की हर रस्म इंजॉय करने वाले रूद्र और शरण्या अपनी ही शादी की रस्मों में खामोश बैठे थे। शरण्या को अपनी गलती का एहसास तो था लेकिन रूद्र के चेहरे पर वो मुस्कान कैसे लाए ये उसे समझ नहीं आ रहा था। जैसा कि रूद्र ने कहा था शादी कोर्ट से ही होनी थी। शरण्या के प्रति रूद्र का व्यवहार बदला नहीं था बल्कि वह और भी ज्यादा उसे लेकर इन सिक्योर हो गया था। शरण्या हर पल उसकी आंखों के सामने ही रहती। ना रूद्र उसे कहीं दूर जाने देता, और ना ही शरण्या की इतनी हिम्मत होती।
अगले दिन शादी थी। शरण्या अपने कमरे में बैठी कभी अपनी मेहंदी देखती तो कभी आसमान में चमकते सितारों को। अपनी बेवकूफी पर वो खुद से बुरी तरह नाराज थी और उस पल को कोस रही थी। रूद्र के प्यार पर उसे कभी कोई शक नहीं था और उसकी मेहंदी का रंग इस बात का गवाह भी था। शरण्या अभी अपने ख्यालों में गुम थी तभी रूद्र दरवाज़े पर नॉक करके अंदर आया और उसके सामने टेबल पर एक बैग रखते हुए बोला, "तेरी ड्रेस है इसमें। कल सुबह निकलना है तु तैयार रहना।"
शरण्या को रूद्र का इस तरह से नॉक करके आना खल गया। उसने कोई जवाब नही दिया तो रूद्र आगे बोला, "अगर तुझे पसंद ना हो बता सकती है। चाहे ये ड्रेस हो या यह शादी, तु खुलकर अपनी बात रख सकती है। मुझे बुरा नहीं लगेगा।"
शरण्या बस रूद्र का चेहरा देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन आंखों में दर्द साफ नजर आ रहा था। रूद्र अपनी बात कहकर वहां से जाने को हुआ तो शरण्या बोली, "मुझे यह शादी नहीं करनी। मैं किसी और से प्यार करती हूं।"
रूद्र के कदम वही ठिठक गए। उसे शरण्या से इन बातों की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसमें पलट कर उसकी ओर देखने की हिम्मत भी नहीं थी। रूद्र बोला, "तेरी जिंदगी का फैसला कोई और नहीं कर सकता। तु बता दे वह कौन है, मैं कहीं से भी ले आऊंगा उसे। कल का मुहूर्त अच्छा है हो सके तो तुम दोनों शादी कर लेना और खुश रहना।"
शरण्या उसके करिब आई और बोली, "तु सच में मेरी शादी उससे करवाएगा?"
शरण्या की बातें सुन रूद्र ने आज कई दिनों बाद नजर उठाकर उसे देखा था। उसकी आंखों में जो चमक थी उसे देख रूद्र का दिल टुकड़ों में बिखर गया। यह भी नहीं सोचा कि शरण्या के करीब आखिर उसके अलावा और कौन हो सकता है?
शरण्या उसका हाथ पकड़ते हुए बोली, "बचपन से चाहती हूं उसे। बहुत प्यार करती हूं उसे लेकिन वह ठहरा एक नंबर का दिल फेंक आवारा आशिक। मेरे अलावा हर लड़कियाँ उसे दिखती थी। हर रोज नई लड़कियों से मिलना हर रोज किसी नई लड़की के साथ डेट पर जाना उसकी आदत थी। लेकिन जब से उसने मुझसे प्यार किया, मेरे अलावा कभी किसी और की तरफ देखा तक नहीं। वह मुझसे बहुत प्यार करता है। हमने मंदिर में शादी भी कर ली। हम एक साथ बहुत खुश थे लेकिन एक छोटी सी गलतफहमी और मेरी गलती की वजह से वो एकदम से मुझसे दूर हो गया। पिछले कई दिनों से उसे देखा नहीं है। उसे देखे बिना मैं मर जाऊंगी। तुम ले आओगे उसे? देखने में वो बिल्कुल तुम्हारी तरह लगता है। लेकिन उसकी आंखों में शैतानी हुआ करती है। उसके चेहरे पर हमेशा खुशी झलकती है। उसके होठों पर हमेशा एक मुस्कुराहट रहती है। मैं प्यार से उसे रजिया बुलाती हूं क्योंकि चाहे कितना भी मारू, कितना भी भला बुरा कहूं वो मुझसे कभी दूर नहीं जाता। लौट कर वापस मेरे पास ही आता है। क्या मुझे मेरा प्यार मिलेगा? मैं किसी आर एस से शादी नहीं करना चाहती। मैं उस इंसान को नहीं जानती तो मैं कैसे उससे शादी कर लूं? मेरी शादी तो मेरे रूद्र से हुई है। बस मेरे रूद्र को वापस ला दो, प्लीज! मैं उसके बिना नहीं रह सकती। मैंने जो किया वह मेरी बेवकूफी थी। मुझे उससे बात करनी चाहिए थी लेकिन एक बेवकूफी की वजह से पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाए ऐसा मैंने तो नहीं चाहा था। ना अपनी ना उसकी। जानती हूं वह मेरे बिना नहीं रह सकता। बस उसे कहीं से भी ला दो।" कहते हुए शरण्या की आंखों में आंसू थे।
रूद्र ने अपने दोनों हथेलियों में उसका चेहरा समेट लिया और बोला, "सच कहूँ तो मैं भी उसी को ढूंढ रहा हूं। बहुत कोशिश कर रहा हूं उसके जैसा बनने का लेकिन पता नहीं कहां खो गया वह। तुझसे दूर जाने के एहसास ने उसे किसी अंधेरे में दफन कर दिया हो जैसे। मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं तेरे रूद्र को तेरे पास ले आउँ। मैं खुश हूं इस रिश्ते से। तू मेरे पास है मेरी जिंदगी मेरे पास है मेरी खुशियां मेरे पास है तो फिर मुझे खुशी क्यों नहीं होगी? लेकिन खुश होना मेरी किस्मत में नहीं लिखा। हां मैं खुश हूं लेकिन अपनी खुशी मैं जाहिर नहीं कर सकता। ना जाने कैसे किस्मत है मेरी जो मै अपनी खुशी जाहिर नहीं कर सकता। जब भी करता हूं कुछ ना कुछ ऐसा होता है कि मेरी सारी खुशियां हमेशा के लिए छिन् जाती है।"
शरण्या उसके सीने से लग गई और बोली, "तु ऐसा क्यों सोचता है? मर गई तब भी तेरे पास ही रहूंगी, कहीं नहीं जाने वाली हूं मैं।"
रूद्र ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और बोला, "तु इस कोर्ट मैरिज के बात को अपने दिल पर मत लेना। जो कुछ मैंने किया है और जो भी फैसला मैंने लिया है तेरी वजह से नहीं है। मेरी खुशियों को बहुत जल्दी नजर लग जाती है इसलिए मैं वो सब नहीं करना चाहता। किसी को मौका नहीं देना चाहता कि वह मेरी खुशी को नजर लगाए।"
शरण्या उससे अलग हुई और बोली, "लेकिन एक छोटी सी स्माइल तो दे सकता है ना तू?"
रूद्र जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए बोला, "थोड़ा टाइम लगेगा शरण्या!"
शरण्या शरारत से बोली, "टाइम लगेगा? कितना? 9 महीने चलेंगे ना? आई थिंक इतने टाइम में तो तुम्हारी स्माइल वापस आ ही जाएगी।"
शरण्या की बात सुनकर रूद्र के चेहरे पर वाकई हल्की मुस्कुराहट आई थी। शरण्या ने अपनी ड्रेस की बैग की तरफ देखा और कहा, "यह वाकई में बहुत खूबसूरत है।"
रूद्र बोला, "एक बार खोल कर देख तो ले फिर कहना।"
शरण्या उसकी तरफ देखते हुए बोली, "तू लेकर आया है ना मेरे लिए! जानती हूं तूने खुद पसंद किया है, खराब कैसे हो सकती है? और मैं भी तो तेरी पसंद हूं।"
उसकी बातें सुन रूद्र एकदम से मुस्कुरा दिया और बोला, "अपनी तारीफ करना कोई तुमसे सीखे। रात बहुत होने को है। तू जाकर सो जा, हम कल सुबह मिलेंगे।" कहते हुए रूद्र वहां से जाने को हुआ तो शरण्या ने उसका हाथ थाम लिया और कहां, "रुक जा ना मेरे पास! कौन सी हमारी पहली बार शादी होने जा रही है!"
रूद्र ने प्यार से उसका माथा चूमा और कहा, "मां ने कहा है आज की रात हमें अलग रहना है। वैसे भी मुझे इतना भरोसा तो है तुझ पर कि अब तु मुझे कभी छोड़कर नहीं जाएगी। तुझे अगर जाना होता तो तू वापस नहीं आती, यहां से बहुत दूर जा चुकी होती। मुझे कुछ काम निपटाने है मैं चलता हूं, गुड नाइट।" कहकर रूद्र वहां से निकल गया।
शरण्या आज खुश थी। रूद्र से अपने दिल की बात कहकर उसे बहुत अच्छा लग रहा था और साथ में रूद्र को फिर से मुस्कुराते देख उसे सुकून मिल रहा था। उस रूद्र को वापस लाना शरण्या के लिए मुश्किल जरूर था लेकिन नमुमकिन नहीं। धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा यह सोचकर शरण्या बिस्तर पर लेट गई और लाइट ऑफ कर दिया
रेहान को रूद्र की शादी से कोई मतलब नहीं था। उसका बिहेवियर किसी के भी समझ से परे था। कभी तो वो रूद्र से बहुत ज्यादा प्यार जताता तो कभी उसकी खुशी में शामिल होने से भी कतराता। घर में हर कोई उसकी इस हरकत से परेशान था लेकिन घर का माहौल खराब ना हो इसलिए सभी चुप थे। लावण्या कल के लिए अपनी ड्रेस सेलेक्ट कर रही थी। उसके पास साड़ियों के कुछ ऑप्शन थे जो आज ही वह बुटीक से लेकर आई थी। रूद्र और शरण्या की शादी को लेकर वह कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड थी और साड़ियों को ट्राई करने में लगी हुई थी। वह सारी ड्रेस उसकी पसंद की थी लेकिन कल शादी में हो क्या कहना यह वह समझ नहीं पा रही थी।
उसने रेहान से कहा, "रेहान बताओ ना! इन सब में से कल मैं कौन सा पहनू?"
रेहान अपना काम कर रहा था। उसने चिढ़ते हुए बोला" कोई भी पहन लो! तुम पर सभी अच्छी लगती है।"
लावण्या पैर पटकते हुए उसके पास आई और बोली, "कुछ भी कैसे पहन लूं मैं रेहान? कल मेरी बहन की शादी है और तुम्हारे भाई की भी तो शादी है। उन दोनों ने कितना इंतजार किया है। फाइनली कल उन दोनों की शादी है। कैसा लगता है रेहान जब हम बरसो किसी का इंतजार करें, वो शिद्दत वाला प्यार करें और फाइनली वह हमें मिल जाए, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है!"
लावण्या के बात सुनकर रेहान को जतिन का ख्याल आ गया। जतिन भी तो जाने कितने सालों से लावण्या को पसंद करता आया था। उसका ख्याल आते ही रेहान का मन कसैला हो गया। गुस्से में उसकी मुट्ठीया बंध गई। इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, लावण्या को उबकाई आ गई और वह अपने मुंह पर हाथ रख बाथरूम की तरफ भागी।
लावण्या की उल्टियां देख रेहान के होश उड़ गए। उस रात को गुजरे लगभग डेढ़ महीना होने को था और इस बारे में वह अबतक लावण्या से खुलकर कुछ कह नहीं पाया था। इस तरह उसको उल्टियां होने का मतलब क्या हो सकता था यह सोचकर ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो जल्दी से बिस्तर से उठा और बाथरूम की तरफ भागा।
बाथरूम का दरवाजा बंद किए लावण्या अंदर उल्टियां कर रही थी। रेहान ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाई, "लावण्या......! लावण्या.........!! क्या हुआ तुम्हें तुम ठीक तो हो?"
रेहान हैरान परेशान सा बाथरूम के बाहर खड़ा रहा। कुछ देर बाद लावण्या ने दरवाजा खोला और अपना चेहरा पोंछते हुए बोली, "मैं ठीक हूं। वह शायद मैंने कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा इसीलिए। पिछले कुछ दिनों से अजीब सा लग रहा है। जी मिचला रहा है और सुबह सुबह मॉर्निंग सिकनेस भी हो रही है, जैसे राहुल के टाइम में होता था। पता नहीं बहुत अजीब सा लग रहा है। खाने का स्वाद नहीं मिल रहा। कल अपनी फ्रेंड के साथ लंच पर गई थी। सामने मेरी फेवरेट डिश रखी गई थी। पता नहीं उसको देख मुझे क्या हुआ और उसकी स्मेल से ही मुझे उबकाई आने लगी। आई थिंक मुझे डॉक्टर से मिल लेना चाहिए। या फिर गैस की प्रॉब्लम हो सकती है। कोई बात नहीं एक बार रूद्र और शरण्या की शादी हो जाए उसके बाद जाकर एक बार डॉक्टर से मिल लूंगी।"
रेहान खड़ा-खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। वह वही जम सा गया। उसे कुछ कहते नहीं बना। लावण्या उसे ऐसे ही छोड़ कर बिस्तर पर लेट गई और लाइट ऑफ करते हुए बोली, "रेहान! अगर तुम्हें कुछ काम है तो तुम स्टडी रूम में चले जाना। मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही। प्लीज कमरे की लाइट ऑफ कर दो मुझे सोना है अभी।"
लावण्या की आवाज सुनकर रेहान की तंद्रा टूटी और वह होश में आया। रेहान बेचैन हो उठा था। उसने कमरे की लाइट ऑफ की और बाहर निकल गया। लावण्या यही तो चाहती थी। रेहान को उसने मेंटली इतना परेशान किया कि अब वह अपने मकसद के अंतिम पड़ाव पर थी। उसने खुद से कहा, "कल का दिन तुम कभी नहीं भूलोगे रेहान! कल इस शादी के नाटक से हम दोनों आजाद हो जाएंगे। बस रूद्र और शरण्या की शादी अच्छी तरह से निपट जाए।"