Chapter 46

Chapter 46

humsafar 46

Chapter

46









    सारांश ने गाड़ी मे बैठते ही अवनि की आँखों पर पट्टी बांध दिया जिसके कारण अवनि और ज्यादा सोच मे पड़ गयी । कुछ देर बाद सारांश ने गाड़ी रोकी और अवनि का हाथ पकड़ कर उसे एक जगह ले गया और उसकी पट्टी उतार दी। अवनि ने जब आँखे खोली तो खुदको अपने ही कॉलेज के अंदर पाया। वह हैरान रह गयी की आखिर सारांश उसे यहाँ क्यों लेकर आया है जहाँ उसके और लक्ष्य की यादें जुड़ी है। अवनि घबरा गयी की कहीं उसके कुछ बताने से पहले ही सारांश को सब पता तो नही चल गया। 

     अवनि का घबराहट मे गला सूख गया। वह सारांश की ओर पलटी और कुछ कहने की कोशिश करने लगी लेकिन उसको शब्द नही मिल पा रहा था। सारांश उसकी ओर पीठ किये खड़ा था। वह अवनि से दूर हुआ और बोला, "अवनि! क्या तुम्हें पता है मै तुम्हें यहाँ क्यों लेकर आया? यहाँ से कुछ यादें जुड़ी है, उन्ही यादों को समेटने लिए...!" 

    सारांश की बातें सुन अवनि की बेचैनी और ज्यादा बढ़ गयी। उसके गले से आवाज नही निकल पा रही थी तो वह दूसरी ओर पलट गयी। "ये जो कॉरिडोर देख रही हो न..... इसी कॉरिडोर मे आज से तीन साल पहले एक लड़की भागती हुई मेरी बाहों मे आ गिरी थी। शायद किसी से बचने की कोशिश कर रही थी और मुझसे टकराई थी। क्या तुम्हे याद है वो दिन!!!" सारांश अपनी ख्यालो मे गुम बोल रहा था।

     अवनि को अचानक से वो दिन याद आया। उसी दिन तो वह लक्ष्य से मिली थी। उस दिन को कैसे भूल सकती थी। लक्ष्य के दोस्तो ने उसकी रैगिंग करनी चाही थी लेकिन बाद मे उसी ने उसे बचाया भी था। उन्ही लोगो से बचते हुए वह इस कॉरिडोर मे किसी से टकराई थी लेकिन वह शख्स कौन  था ये जानने की उसने कभी कोशिश ही नही की। अब जब वह सारांश के मुह से उस दिन की बात सुन रही थी तब उसे समझ आया की वो शख्स कोई और नही सारांश ही था। फिर भी ये बात खुद सारांश से सुनना चाहती था इसीलिए वो उसकी ओर पलटी और बोली, "क्या वो आप थे?"

    सारांश ने अवनि की ओर देखा जिसकी आँखों मे खुशी की एक लहर सी थी जो ये जानने को बेचैन थी। सारांश ने मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाया तो अवनि जो उससे दूर खड़ी थी, दौड़ कर सारांश के गले लग गयी। सारांश ने भी उसे प्यार से बाहों मे उठाकर गोल घुमा दिया। अवनि,जिसके दिल मे अभी डर बैठा था,उसके दिल मे एक खुशी की लहर दौड़ गयी और उसकी आँखे नम हो गयी। अब उसे नानु की बात अच्छे से समझ आ रही थी। उस दिन वो सारांश से ही मिली थी, वही सारांश जो आज उसका पति है। अवनि ने उसके गर्दन को दोनो बाहों से कस कर पकड़ लिया और उसकी गर्दन मे अपना चेहरा छुपा लिया। 

     अवनि इस वक़्त हवा मे झूल रही थी, सारांश ने उसे मजबूती से थाम रखा था जिससे उसे गिरने कोई डर नही था। उसने धीरे से सारांश का नाम लिया, "सारांश......!"

  "हम्म्......!"

  "आई लव यू" अवनि ने धीरे से कहा। उसे अब कोई झिझक नही थी ये कहते हुए, ना ही कोई सवाल बचा था कोई अब मन मे। अपने एहसास को प्यार नाम देने मे अब उसे कोई संकोच नही था। बस अब सब कुछ भूल कर वह सारांश मे खो जाना चाहती थी। सारांश ने जब अवनि की बात सुनी उसे यकीन नही हुआ तो उसने कहा, "क्या!! क्या कहा? फिर से कहना!"

    अवनि ने शरमा कर उसे और कसकर पकड़ लिया। सारांश ने अभी भी उसे नही छोड़ा था। उसने झुककर उसका चेहरा देखा जो शर्म से लाल हुआ था। सारांश मुस्कुराया और बोला, "वाइफि...! मैंने तो जब से तुम्हे देखा है तब से ही.... आई लव यू टू....!" अवनि ने कुछ नही कहा, शायद कुछ कहने को था ही नही उसके पास। प्यार को वो एहसास जो सारांश के उसकी लाइफ मे आने से हुआ था, वो पहली बार था। श्रेया ने बिलकुल सही कहा था, सारांश ही उसका पहला प्यार है। सिर्फ और सिर्फ सारांश..... और कोई नही, कभी नही, कहीं भी नही। 


   दोपहर मे चित्रा की जब आँख खुली तो उसने खुदको अपने घर मे पाया। कल रात का हैंगओवर का असर था जो उसका सिर भारी हो रखा था। उसने अपने घर मे काम करने वाले केयरटेकर को आवाज लगाई लेकिन किसी ने नही सुनी। चित्रा खुद ही उठकर लड़खडाते कदमो से बाहर निकली तो उसे किचन से कुछ आवाजें आती सुनाई दी। वह किचन की तरफ बढ़ी तो वहा उसे निक्षय दिखा जो बिना शर्ट के एप्रन पहने नाश्ता बना रहा था।  

     जब निक्षय की नज़र चित्रा पर गयी तो उसने मुस्कुरा कर कहा, "गुड आफ्टरनुन मैडम!"

    "तुम.....! तुम यहाँ क्या कर रहे हो? वो भी मेरे घर मे! और घर के नौकर कहाँ है, वो केयरटेकर!!!" चित्रा ने चीखते हुए कहा। 

  "अरे यार!!! रिलैक्स...! वो कल रात को तुमने ही तो सब को छुट्टी दे दी थी और तुमने ही तो कल मुझे जाने नही दिया। याद नही तुम्हे, कैसे चिपक रही थी मुझसे। किस तरह से मुझे पकड़ रखा था।" निक्षय ने जानबूझ कर किस पर जोर दे कर कहा। चित्रा चिढ़ गयी और बोली, "मैंने नही रोका तुम्हें.....! और न कभी कहूँगी! निकलो यहाँ से, अभी के अभी निकलो मेरे घर से।"

    निक्षय ने भोली सूरत बना कर कहा, "अच्छाई का तो जमाना ही नही रहा। तुम्हारी हेल्प करी मैंने और तुम हो की मुझे ऐसे घर से निकाल रही हो! क्या तुम्हे जरा सा प्यार नही आता मेरे ऊपर। और कल रात...! कल रात जो कुछ हुआ क्या तुम्हे कुछ याद नही?" निक्षय को देखकर लगा जैसे वो अब रो देगा लेकिन चित्रा पर उसका कोई असर नही हुआ। वो अभी भी उसी ढिठाई से उसे दरवाजा दिखाकर जाने का इशारा किया। 

    "ठीक है....! मै चला जाता हु। लेकिन ऐसे..! इस हालत मे...! आसपास के लोग मुझे देखेंगे तो तुम्हारे बारे मे क्या सोचेंगे? मुझपर रहम खाओ और अभी के अभी मेरा शर्ट वापस करो।" निक्षय ने कहा तो चित्रा ने भौहें टेढी कर उसकी ओर देखा तो निक्षय ने उसकी ओर इशारा किया। चित्रा को समझ नही आया तो निक्षय ने फिर उसकी ओर इशारा किया तो चित्रा का माथा ठनका। निक्षय उसके कपड़ो की ओर इशारा कर रहा था। 

     चित्रा को अब जाकर महसूस हुआ की उसने निक्षय की शर्ट पहन रखी है। अपनी हालत देख चित्रा को समझ नही आया की वो क्या कहे। उसने खीझ कर उसकी ओर देखा और बोली,  मेरे कपड़े किसने उतारे?" 

     निक्षय ने बड़े ही प्यार से कहा, "मैंने, और किसने! कल रात को तो तुमने सब को भगा दिया था। यहाँ तुम्हारे और मेरे अलावा कोई था ही नही तो कौन कर सकता है! अगर तुम चाहती हो की मै अभी ही चला जाऊ तो बिना शर्ट के मै नही जाने वाला। अभी उतारो, मै अभी चला जाऊंगा। " 

   चित्रा को लगा अब रो पड़ेगी। उसको ऐसे देख निक्षय ने कान पकड़ते हुए कहा, "सॉर्री सॉर्री!!! मैंने कुछ नही किया। वो कल रात मेरी असिस्टेंट आई थी मेरा सामान लेकर उसी ने तुम्हारा ड्रेस चेंज किया था।" निक्षय की बात सुन चित्रा को राहत मिली लेकिन उसका गुस्सा कम नही हुआ। उसने उसके सीने पर मुक्का बरसाना शुरू किया तो निक्षय ने भी ऐसे जताया जैसे उसको सच मे चोट लग रही हो। 


   अवनि सारांश के कंधे पर सिर टिकाए उसकी बाँह थामे कॉलेज के बाहर गेट तक आई। सारांश ने उसे सड़क के उस पर दिखाकर कहा, "रोज ऑफिस जाने से पहले वहाँ..... गाड़ी मे बैठकर तुम्हे कॉलेज आते हुए देखा करता था। तुम्हें देखे बिना मेरा जैसे दिन ही शुरू नही होता है। तुम्हारा मेरे यूँ पास होना मेरे लिए तो ये सब एक सपना जैसा लगता है। मानो अभी किसी ने मुझे जगा दिया तो ये सपना टूट जायेगा और तुम कहीं खो जाओगी।" 

     अवनि ने सिर उठा कर एक नज़र सारांश को देखा और फिर उस जगह को जहाँ सारांश ने इशारा किया था। उसे यकीन नही हुआ की सारांश रोज उसका इंतज़ार करता था। 'क्या सच मे इतनी किस्मत वाली हु मै' सोच अवनि को अपनी ही किस्मत पर यकीन नही हो रहा था। सारांश ने कहा, "तुम मेरे लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो अवनि। हमारी शादी हुई है, और ये कोई मजाक नही है। मै कभी भी, किसी भी हाल मे तुम्हारा साथ नही छोडूंगा। मेरी इस बात पर यकीन करो और अपने दिल मे जो भी है कह दो। बिना ज्यादा कुछ सोचे। और अपने दिल से ये बात निकाल दो की मै कभी तुम्हे छोड़कर जाऊंगा। हाँ तुम कहीं मुझे छोड़कर जाना चाहो .......तो भी मै तुम्हे जाने नही दूँगा।" सारांश ने अपनी बात समझाई तो अवनि सोच मे पड़ गयी। 


क्रमश:


   निक्षय के मना करने के बावजूद उससे नज़र बचा कर चित्रा ने और ज्यादा ड्रिंक कर ली और डांस फ्लोर पर अजीब तरीके से डांस करने लगी जिससे कुछ लोगो को चोट भी लग गयी। निक्षय के लिए उसे संभाल पाना मुश्किल होता जा रहा था। उसने जैसे तैसे चित्रा को वहाँ से निकाला और गाड़ी मे डाल कर उसके घर की ओर निकला। 

    कार्तिक का मूड काफी उखड़ा हुआ सा था। घर पहुँचते ही वह कपड़े बदल कर सो गया। काव्या थोड़ा नशे मे थी, वह लड़खड़ाते हुए कमरे मे पहुँची। कार्तिक को सोता देख उसकी बेरुखी पर काव्या के आँखों से आँसू छलक गए। शादी के बाद से ही कार्तिक का व्यवहार कुछ बदल सा गया था। वो पूरी कोशिश करता खुद को नॉर्मल रखने की काव्या को प्यार करने की लेकिन कहीं न कहीं चित्रा का ख्याल उसको परेशान किए जा रहा था। लाख कोशिश के बावजूद उसके लिए चित्रा को अपने दिमाग से निकाल पाना मुश्किल हो था। इस वक़्त भी उसे निक्षय के साथ चित्रा की नजदीकियां खल रही थी जिस कारण वह काव्या पर ध्यान नही दे पा रहा था। 

    सारांश के दोबारा पूछने पर भी अवनि ने कुछ नही कहा, बस चुप रही। सारांश ने भी उसे फोर्स नही किया और उसे लेकर घर पहुँचा। गाड़ी से उतरकर अवनि ने सारांश की ओर बाहें फैला दी और उसे उठाने का इशारा किया। सारांश भी मुस्कुराया और आगे बढ़कर उसे गोद मे उठाकर कमरे मे ले गया। सारांश को पता ही नही चला कब और कितना चित्रा ने उसके पीठ पीछे अवनि को वाइन पिला दी। अवनि ज्यादा नशे मे नही थी लेकिन उसका बचपना सारांश को अच्छा लग रहा था। 

   अवनि को बाथरूम मे छोड़ सारांश बाहर जाने को हुआ तो अवनि ने उसे पीछे से पकड़ लिया और बोली, "अगर मैंने सच बता दिया तो क्या तुम मुझे छोड़कर चले जाओगे? मत जाओ प्लीज! मेरे पास रहो, हमेशा.... प्लीज.... ऐसे ही! मुझे कुछ और याद नही, कुछ याद करना भी नही है मुझे। बस तुम रहो मेरे पास, मुझे और कुछ नही चाहिए। " अवनि की बातें सुन सारांश को थोड़ा अजीब लगा की आखिर ऐसी कौन सी बात कही कार्तिक ने। लेकिन अवनि के दिल मे अपने लिए प्यार देख सारांश को खुशी हुई। 

    सारांश उसकी ओर पलटा और उसके चेहरे को प्यार से छूकर बोला, "अवनि! कपड़े बदल लो.... सोने जाना है न!" 

लेकिन अवनि पर इसका कोई असर नही हुआ, उल्टे उसके सीने से लगकर और मजबूती से उसे पकड़ लिया। सारांश के मनाने पर कुछ देर बाद अवनि ने उसे छोड़ा लेकिन जाने नही दिया। सारांश वही खड़ा पलट गया ताकि अवनि अपने कपड़े बदल सके। उसके बाद खुद भी वही कपड़े बदल कर अवनि को लेकर बाहर निकला। अवनि तो पूरे टाइम किसी बेल की तरह सारांश से लिपटी रही। सारांश ने जब बेड पर उन दोनो के बीच तकिये की दीवार बनाई तो अवनि ने तकियों को दूर फेक सारांश के सीने मे मुह छुपाये सो गयी। सारांश ने भी उसके माथे को चूमकर उसे प्यार किया और सो गया। 


ओ हिरिए...! तुझे पाके मै हो गया अमीर

ओ हिरिए.....! तुझे पाकर है बदला नसीब


    रात को अपने ख्यालो से जूझते हुए जब कार्तिक को काव्या का ध्यान आया तो वह अचानक से उठ बैठा। कमरे मे जब नज़र दौड़ाई तो पाया काव्या उन्ही कपड़ो मे सोफे पर सोई हुई थी। कार्तिक को बुरा लगा और खुद पर गुस्सा भी आया फिर उसने काव्या को जगाने की कोशिश की लेकिन काव्या गहरी नींद मे थी। उसने काव्या के कपड़े बदले और बेड पर सुला दिया। उसके चेहरे को देख कर प्यार से बोला, "मुझे माफ कर देना काव्या! पता नही क्या हो रहा है मेरे साथ। मै चाह कर भी तुम्हे वो प्यार नही दे पा रहा जो मै हमेशा से चाहता था। एक अजीब से कश्मकश से गुजर रहा हु मै। पता नही क्यों लेकिन बहुत अजीब सा लग रहा है।"

    वही चित्रा भी घर जाते हुए रास्ते मे बारिश के पानी के साथ खेल रही थी और निक्षय उसे गाड़ी के अंदर बैठा देख रहा था। चित्रा की मासुमियत से उसे और ज्यादा उसपर प्यार आ रहा था। चित्रा बेपरवाह होकर उस सुनसान सड़क पर बारिश मे नाच रही थी। कुछ देर भींगने के बाद उसने निक्षय को भी अपने साथ मे खीच लिया। निक्षय को भीगना पसंद नही था लेकिन चित्रा के साथ भीगने मे उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी। घर से लगभग दो किलोमीटर दूर से ही निक्षय चित्रा को अपने पीठ पर लिए उसके घर पहुचा। निक्षय खुद अभी होटल मे रुका था लेकिन चित्रा को ऐसी हालत मे अकेला छोड़कर जाना उसे सही नही लगा तो वो भी वही रुक गया। 

     

     काव्या जब सोकर उठी तो खुद को बिस्तर पर कार्तिक की बाहों मे पाया। कार्तिक इस वक़्त आराम से सो रहा था। काव्या कल की बात से अभी भी कार्तिक से गुस्सा थी। उसने उसकी पकड़ से छुट्ने की कोशिश की जिसके कारण कार्तिक की नींद खुली। काव्या की कोशिश देख वह उसकी नाराजगी समझ गया और काव्या पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी। जितना काव्या कोशिश करती कार्तिक के पकड़ से छुटना मुश्किल हो रहा था तो कार्तिक ने सीधे सीधे उससे कल के लिए माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया। काव्या ने भी थोड़ी देर नाराजगी दिखाई और फिर माफ कर दिया। कार्तिक ने उसे छोड़ा तो वह बाथरूम मे चली गयी और कार्तिक अभी भी खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था। 


    वही अवनि की जब आँख खुली तो उसका सिर पूरी तरह से घूम रहा था। जब उसने उठने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ की उसके हाथ सारांश के सीने पर है। सारांश के शर्ट के उपर के कुछ बटन खुले हुए थे जिनसे उसके गर्दन पर लाल निशान साफ दिखाई दे रहे थे। अवनि हड़बड़ा कर उठी जिससे सारांश की नींद खुल गयी। सारांश ने उसे बेड पर वापस खीच कर सो गया। अवनि को उठना था लेकिन सारांश की नींद पूरी नही हुई थी। अवनि भी पहली बार सारांश को सोता हुआ देख रही थी। आज संडे था तो सारांश को भी उठने की जल्दी नही थी। 

     अवनि ने जब नजर उठाकर उसे देखा तो निगाहें रुक सी गयी। एक अजीब सा सुकून जो उसके पास होने से उसके साथ होने से अवनि को मिलता था वो कहीं और नही होता था। कल की रात अवनि पूरी तरह नशे मे नही थी इसीलिए उसे कुछ कुछ बातें याद थी। रास्ते मे सारांश के साथ भीगने से लेकर उसके पास सोने तक सब कुछ उसके दिमाग मे घूम रहा था। वह सारांश के लिए अपनी फीलिंग्स को नाम नही दे पा रही थी लेकिन कल रात जिस तरह उसने सारांश को थामे रखा था, उसे खोने का डर वह साफ महसूस कर पा रही थी। 

   "जिंदगी भर क्या ऐसे ही घूरती रहोगी! यही हु तुम्हारे पास, हमेशा के लिए।" सारांश ने कहा। अवनि के चेहरे पर एक मिठी सी मुस्कान तैर गयी लेकिन तभी उसे सारांश के कल रात किये सवाल को याद कर उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी और एक डर ने उसके दिल को घेर लिया। अवनि ने फिर से अपना चेहरा सारांश के सीने मे छुपा लिया और बोली, "हमेशा यूँ ही रहोगे न मेरे पास?" 

       अवनि के सवाल से सारांश को हँसी आ गयी। उसने उसके बाल सहलाते हुए कहा, " हमेशा हु मै..... तुम्हारे साथ। कभी कहीं नही जाने वाला तुम्हे छोड़कर। अगर तुम चाहोगी तब भी नही। अब चलो उठो.....हमें कहीं जाना है!" 

अवनि को समझ नही आया की अभी तो सारांश और सोने की बात कर रहा था और अभी कहीं जाने की बात लेकिन ज्यादा कुछ कहने या सुनने की बजाय अवनि चुपचाप सारांश की बात मान तैयार होने चली गयी। 

     नीचे नाश्ते की टेबल पर सिया उन दोनो का ही इंतज़ार कर रही थी। सारांश और अवनि साथ मे पहुँचे और सिया को जॉइन किया। सिया सारांश को बिजनेस से रिलेटेड कुछ बात करना चाह रही थी लेकिन सारांश ने मना कर दिया ये कह कर की अभी वो अवनि को लेकर बाहर जा रहा है और आने मे देर हो सकती है। अवनि को अभी भी समझ नही आया की आखिर वो दोनो ऐसी कौन  सी जगह जा रहे है की आने मे देर लग जायेगी। 




क्रमश: