Chapter 159
YHAGK 158
Chapter
158
देर रात सोने की वजह से शरण्या सुबह काफी देर तक सोती रही। उसे एहसास ही नहीं हुआ कि सुबह के 10:00 बज चुके हैं। वो गहरी नींद में थी जब उसका फोन बजा। उसने अधखुली आंखों से बिना नंबर देखें फोन उठाकर कान में लगाया और अलसाई आवाज में बोली, "हेलो......!"
उधर से नेहा की आवाज सुनाई दी, "तु पूरी रात किससे बातें कर रही थी जो तेरा फोन नहीं लग रहा था? कहां बिजी थी तू? रूद्र से बात कर रही थी ना?"
नेहा की बात सुनकर शरण्या नींद से जागी और हड़बड़ा कर उठ बैठी। उसने कहा, "हां वह कल रात में रूद्र के साथ बात कर रही थी। पता नहीं कब आग लग गई। तू बता तूने इतनी सुबह फोन क्यों किया?"
नेहा उसे ताना देते हुए बोली, "इतने सुबह........? तुझे पता भी है सुबह के 10:00 बज चुके हैं। सॉरी....! सुबह तो निकल चुका है, अब यह दिन है और तू इस टाइम तक सो रही है! तेरी सासू मां को पता चलेगा तो वह तेरा जीना हराम कर देगी।"
शरण्या मुस्कुरा कर बोली, "मेरी सासू मां बहुत प्यारी है। वह मुझे कभी कुछ नहीं कहेगी। रही बात तेरी, तू तो इन सारे झमेलो से दूर है। तेरी किस्मत में वह सुख कहां जो मेरी किस्मत में है।" शरण्या ने भी अकड़ कर कहा और आगे बोली, "मेरी छोड़! तू बता इस टाइम तूने मुझे फोन क्यों किया? सिर्फ सुनाने के लिए कि मैं रात भर रूद्र के साथ बिजी थी। तुझे किसने मना किया! तू भी बिजी हो लेती अपने होने वाले के साथ, ब्राइड टू बी!!!"
नेहा गुस्से में बोली, "अच्छा....! तू तो ना इस बारे में बात ही मत किया कर! कुछ बोलना ही मत इस बारे में! कल रात तूने रजत को बोला था कि वह मेरे घर आकर मुझसे मिले? वह भी इस तरह चोरी छुपे? किसीने देख लिया होता तो बैंड बज जाती हम दोनों की। मेरी तो छोड़ो बेचारे रजत की धुलाई हो जाती चोर समझकर। जिस तरह वह बालकनी में खड़ा था मुझे सच में लगा कि कोई चोर है। तु ऐसे उटपटांग हरकतें करती क्यों है? खुद तो करती है दूसरों से भी करवाती है! कम से कम रजत को तो इस सब से दूर रखती तू!"
शरण्या मुस्कुरा कर बोली, "आय हाय!! रजत के लिए बड़ी फिक्र हो रही है तुझे। मतलब आग दोनों तरफ बराबर लगी है। शादी से पहले चुप चुप के मिलने का मजा हीं कुछ और है यार! उसको बोला मैंने, आज रात जी ले अपनी जिंदगी। वह गाना है ना, बस आज की रात है जिंदगी कल हम ही ही ही!!!!"
नेहा गुस्से में बोली, "शट अप शरण्या! ज्यादा बोली ना तो फोन में घुस कर मारुंगी।"
शरण्या उसकी बात को साइड करते हुए बोली, "वैसे कुछ किया क्या तुम दोनों ने? मेरा मतलब, कुछ हुआ क्या?"
नेहा फिर गुस्से में बोली, "शरण्या! मैं तेरा खून कर दूंगी! और खबरदार आइंदा अपने इस बंदरों जैसे प्लान में बेचारे रजत को शामिल किया तो! तेरी मेरी दोस्ती कट्टी!"
शरण्या को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। वह और भी ज्यादा उसे छेड़ते हुए बोली, "तेरी मेरी दोस्ती कट्टि कैसे हो जाएगी? और अगर हो भी गई तो रजत से मेरी अच्छी बॉन्डिंग हो जाएगी यार! वैसे भी रूद्र के साथ रहकर वह बहुत बोरिंग हो गया है। उसे भी तो पता चले कि मैं और रूद्र पहले कैसे थे! हमारे साथ रहकर वह भी अपने टवेन्टीज को एंजॉय करेगा वह भी थर्टीज में!"
नेहा ने अपना सर पकड़ लिया और बोली, "शरण्या! तुझ से बात करना ही बेकार है। मैं फोन रख रही हूं!" कहकर उसने फोन काट दिया। शरण्या फोन साइड में रख कर उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गई।
आज रजत और नेहा की शादी थी और सभी इसी भागदौड़ में लगे हुए थे। रूद्र के लिए तो यह शादी बेहद खास थी क्योंकि रजत उसके लिए रेहान जैसा ही था। एक छोटा भाई जिस पर वह हमेशा अपनी धौंस दिखा सकता था तो उसे गले भी लगा सकता था। रजत की शादी का सारा जिम्मा रूद्र ने अपने ऊपर ले रखा था जिस वजह से उसे अपनी भी कोई सुध नहीं थी। वह तो बीच-बीच में शरण्या उसे फोन कर परेशान करती और खाने-पीने का याद दिलाती वरना उसके भागदौड़ से शिखा जी भी परेशान थी।
वही रजत परेशान सा इधर-उधर घूम रहा था। रूद्र जब उसके कमरे में आया और उसे ऐसे परेशान देखा तो उसे रेहान की याद आ गई। वह भी अपनी शादी के दिन इसी तरह घबराया हुआ था। रुद्र से रहा नहीं गया और उसने रजत को आवाज लगाई। रजत ने देखा तो दरवाजे पर रूद्र खड़ा था। उसे देख वह जाकर सीधे बिस्तर पर बैठ गया और बोला, "मुझे बहुत डर लग रहा है! सब कहते हैं शादी के बाद लाइफ चेंज हो जाती है लेकिन मेरी लाइफ में किस तरह के चेंजेज आएगी मुझे नहीं पता।"
रूद्र मुस्कुराया और उसके पास आकर उसके सर पर पगड़ी बांधते हुए बोला, "सब की लाइफ चेंज हो जाती है। और बीवियां तो खूंखार होती ही है। फिर चाहे वह किसी की भी हो। दूसरों के सामने वह गाय होती है। मेरी वाली को ही देख लो! मैं तो बचपन से उससे डरता आया हूं। वह हमेशा से मेरे लिए शेरनी रही है और डरती तो वह अपने बाप से भी नहीं। लेकिन नेहा के बारे में तुझे एक बात जरुर कहना चाहूंगा। यह बात मैं तुझे पहले भी बता चुका हूं लेकिन एक बार फिर कहता हूं, नेहा एक बहुत अच्छी लड़की है। पूरी कोशिश करना कि वह तेरे सर पर सवार होकर नाचे। तुझ पर अपना हक जताए, तुझसे गुस्सा करें, सवाल करें! तेरे देर से घर लौटने पर वो तेरा इंतजार करें और जब तू घर आए तब वह अपना सारा गुस्सा तुझ पर उतार दे। इसका मतलब यह होगा कि उसने तुम्हें दिल से अपना लिया। इसका मतलब यह होगा कि उसके दिल में तेरे लिए खास जगह है। जहां तक मैं देख रहा हूं, बस यह कुछ दिनों का रिश्ता और तुम दोनों एक दूसरे के काफी करीब आ चुके हो।
मुझे बेहद खुशी है रजत कि तुमने नेहा का हाथ थामने का फैसला किया। वरना मैं तो यही सोच रहा था कि नेहा के लिए ऐसा लाइफ पार्टनर में कहां से लेकर आउंगा! नेहा के मुझ पर बहुत बड़ा एहसान है लेकिन तुम्हारे दिल में कभी इस बात का एहसास ना होने पाए, सिर्फ इसलिए कि तुम मेरी बहुत इज्जत करते हो! तुम्हारे और नेहा के रिश्ते में सिर्फ प्यार होना चाहिए, एक दूसरे के प्रति सम्मान होना चाहिए। जानते हो रजत! यह जो बीवियां होती है ना, इन्हें अपने पति से बहुत सारा प्यार चाहिए होता है। और जितना प्यार चाहिए होता है उससे कहीं ज्यादा यह उनके दिल में अपने लिए सम्मान चाहती है। वरना प्यार तो हर कोई करता है। औरतों का सम्मान बस कुछ लोग ही करते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना, गुस्से में कुछ कहना मत। खामोश रहकर उसे अपना गुस्सा जताना।
जानते हो खूबसूरत रिश्ता कौन सा होता है? जब कोई एक गुस्सा करें और दूसरा खामोश रहे और जब दूसरा गुस्सा करें तो एक खामोश रहे। दोनों अगर एक साथ गुस्सा होंगे तो फिर लड़ाई होनी तय है। अगर गुस्सा आए थे तो चीखने चिल्लाने की बजाए खामोश हो जाओ। क्योंकि हमारी लड़ाई दूसरों के लिए इंटरटेनमेंट का साधन होता है। लड़ोगे तुम दोनों और मजे कोई और लेगा। अगर चुप रहोगे तो किसी को कानों कान खबर नहीं होगी कि तुम दोनों के बीच लड़ाई हुई है। तुम दोनों एक दिन बात नहीं करोगे, दो दिन बात नहीं करोगे लेकिन एक घर में रहते हुए आखिर बात करनी ही पड़ेगी। जब भी लड़ाई हो तो खुद से बात करने की पहल करो, यह उम्मीद मत करो कि वह तुमसे कुछ कहेगी तभी तुम बोलोगे। अपने रिश्ते के बीच कभी अपने अहम को आने मत देना। अगर तुम जरा सा झुकोगे तो वह खुद को पूरी तरह तुम्हें समर्पित कर देगी। लो हो गया..........! बंध गई तुम्हारी पगड़ी!"
रजत इतनी देर से खामोश होकर रूद्र की हर बात सुन रहा था। रूद्र के कहे हर बात रजत ने अपने मन में गांठ बांध ली। आखिर इतने सालों में उसने रूद्र से ही काफी कुछ सीखा था। उसने उठकर आईने में खुद को देखा। पगड़ी बहुत अच्छे से बंधी थी। रजत बोला, "आपने जो पगड़ी बांधा है, मैं कभी इस पगड़ी को खुलने नहीं दूंगा। क्योंकि इसमें आपकी सीख है। वह जैसे रिकॉर्डर में रिकॉर्ड हो जाती है!"
रूद्र मुस्कुरा दिया और उसे गले लगाते हुए बोला, "रिश्ते में ईमानदारी और निष्ठा सबसे ज्यादा जरूरी होता है। जिस तरह सारा सच जानते हुए भी तुमने नेहा को अपनाया है, उसके बच्चे को अपनाया है, कभी भी उसे इस बात का एहसास नहीं होने देना। तुमने उसे अपनाया है उसकी वजह प्यार है कोई एहसान नहीं! क्योंकि अगर उसके मन में यह बात आ गई तो वह अंदर ही अंदर टूट जाएगी, घुटने लगेगी वह इस रिश्ते में। जब भी तुम्हारे मन में ऐसा वैसा कोई भी ख्याल आए तो एक बार विहान और मानव के रिश्ते को देख लेना। मानव अपनी मां से ज्यादा अपने पापा विहान के क्लोज हैं। मैंने कभी उस साले से उम्मीद नहीं की थी लेकिन उसे देखता हूं तो सीना फूल के चौड़ा हो जाता है। तू भी मेरा सीना चौड़ा करना। अब चल! बकरा हलाल होने का टाइम आ गया है।"
रजत ने सुना तो अपनी सारी नर्वसनेस भूल कर हंस पड़ा। रूद्र ने उसका कंधा थपथपाया और उसे नीचे आने को बोल कर कमरे से जाने को हुआ तो रजत ने रुद्र का हाथ पकड़ लिया और बोला, "थैंक यू सो मच सर! आपने मेरी बहुत बड़ी टेंशन दूर कर दी। वरना अब तक मैंने जितना भी सुन रखा था, उस सब की वजह से मैं कुछ ज्यादा ही नर्वस हो रहा था। लेकिन जैसा आपने कहा अगर मैं उन सारी बातों को अपने असल जीवन में उतार लूं तो मुझे नहीं लगता कि मेरे और नेहा के बीच कभी कोई प्रॉब्लम आ सकती है। आपने बिल्कुल ठीक कहा, नेहा से शादी के पीछे सिर्फ मेरा प्यार है और कुछ नहीं। मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि मुझे प्यार होगा। लाइफ में इतना बिजी हो गया था मैं कि कभी एहसास ही नहीं हुआ अपने अकेलेपन का। जब उससे मिला, उसे जाना तब जाकर लगा कि हां मुझे भी किसी के साथ की जरूरत है। शरण्या मैम वाकई में बहुत किस्मत वाली है जो उन्हें आप मिले और मैं भी!"
रूद्र उसके दोनों कंधे को पकड़कर बोला, "आज मेरे एंप्लॉय की शादी नहीं है! आज मेरे भाई की शादी है। वह भाई जिसने इतने सालों तक मुझे संभाल कर रखा। अब जल्दी चलो! बारात निकलने का टाइम हो गया है। मां नीचे इंतजार कर रही है द्वार पूजन के लिए।"
रजत रूद्र के साथ सबके बीच चला आया। शिखा जी ने एक मां का फर्ज निभाते हुए रजत के साथ पूजा करवाई। द्वार पूजन किया और उसको तिलक लगाकर बड़े ही धूमधाम उस की बारात निकाली। रूद्र बहुत खुश था और बारात के आगे आगे नाच रहा था। उसे अपने इमेज की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। इस वक्त वह वही पुराना वाला रूद्र था।
नेहा दुल्हन के जोड़े में सज संवरकर अपने कमरे में बैठी हुई थी। रजत ने नेहा के लिए खास तौर पर लहंगा सेलेक्ट किया था जिसमें बहुत ज्यादा वर्क नहीं था। एक डिजाइनर लहंगा जो कि वजन में बेहद हल्का था और थोड़ा सादा भी। ऐसी हालत में नेहा को वजन ना उठाने थे और ना ही वजनदार कपड़े पहनने थे। शरण्या ने उसके सर पर चादर डाला और बोली, "आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। सच में! मुझे क्या लगता है कि दुनिया की हर दुल्हन अपनी शादी वाले दिन जरूरत से ज्यादा खूबसूरत लगती है।"
नेहा मुस्कुरा कर बोली, "तू भी अपनी शादी वाले दिन सबसे ज्यादा खूबसूरत लगेगी तु देख लेना।"
अपनी शादी की बात सुनकर शरण्या का मन थोड़ा सा उदास हो गया। लेकिन उसी वक्त बारात के आने की आवाज सुनाई दी। शरण्या तो भागते हुए बालकनी में पहुंची। उसने वहां रूद्र को जिस तरह डांस करते हुए देखा उसे रेहान की शादी याद आ गई। उस की बारात में भी रुद्र कुछ इसी तरह नाच रहा था लेकिन उस वक्त एक लड़की उसके साथ नाच रही थी जिसकी वजह से उसने रूद्र की क्लास लगा दी थी। उसके पीछे पीछे नेहा भी बालकनी में चली आई। घोड़े पर बैठा रजत और उसके साथ बैठा मानव दोनों बहुत खूबसूरत लग रहे थे
नेहा और रजत एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए।