Chapter 169
YHAGK 168
Chapter
168
रेहान अपने कमरे की ओर जाने को हुआ लेकिन लावण्या ने ऐन मौके पर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे जबरदस्ती सोफे पर बिठाते हुए बोली, "जब देखो तब काम काम काम! फैमिली नाम की भी कोई चीज होती है। यहां घर में इतना बड़ा मौका है, तुम्हारे भाई की लाइफ इतना बड़ा दिन है आज। ऐसे में तुम थोड़ी देर अपने काम को साइड में नहीं रख सकते? हमारी शादी में उसने अपनी जान लगा दी थी और तुम्हारे पास थोड़ा सा भी टाइम नहीं है उसके लिए! इतने सेल्फिश भी मत बनो रेहान।"
रेहान के पास कहने को कुछ नहीं था। उसे चुपचाप वहां बैठना पड़ा। उसे शांति से बैठा देख लावण्या ने चैन की सांस ली और मन ही मन बोली, "बस कुछ देर और रुक जाओ रेहान! उसके बाद तुम्हारे पैरों तले से जमीन खींच लूंगी मैं।"
लावण्या के कहने पर शिखा जी ने रूद्र शरण्या की अंगूठी ढूंढने की रसम शुरू की जहा रूद्र और शरण्या दोनों ही एक दूसरे को जिताने की कोशिश कर रहे थे। शिखा जी ने उन दोनों के कान पकड़े और कहा, "यहां कोई चीटिंग नहीं होगी। तुम लोगों को जो करना है वह कहीं और करना, यहां जीतने की कोशिश करो। क्योंकि जो जीतेगा उसका हुकुम चलेगा।"
अपनी मां की बात सुनकर रूद्र हंसते हुए बोला, "मां कोई भी जीते, हुकुम तो बीवी का ही चलता है। और वैसे भी यह तो बचपन से ही मुझ पर धौंस जमाती आई है। यहां अगर जीत भी गया तब भी कोई फायदा नहीं होगा। इससे बेहतर है कि मैं हार जाऊं। क्योंकि कभी कभी हार जाना जीतने से ज्यादा अच्छा होता है।"
शरण्या ने शर्मा कर अपनी पलकें नीची कर ली और अंगूठी निकालकर सबके सामने रख दिया। लावण्या ने ताली बजाई और सबने शरण्या को बधाई दी। उसके बाद लावण्या विहान से बोली, "तुझे जो कहा था वह किया? चल निकाल!"
विहान ने अपनी जेब टटोली और उसके चेहरे पर कुछ कंफ्यूज से एक्सप्रेशन थे। उसे ऐसे देख रूद्र ने सवालिया नजरों से लावण्या को देखा और बोला, "ऐसा क्या है जो विहान के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है?"
लावण्या बोली, "वह तुम्हें अभी पता चल जाएगा। तुम्हारे लिए गिफ्ट है, मेरी तरफ से जो मैंने इस गधे को लाने के लिए कहा था। शादी हो गई बाप बन गया फिर भी यह गधा ही रहेगा। एक काम नहीं होता है इससे। नहीं किया ना तूने?"
विहान जल्दी से भागते हुए बाहर गया और कुछ देर बाद अपने साथ एक लिफाफा लाकर लावण्या को पकड़ा दिया। लावण्या उस लिफ़ाफ़े को शरण्या के हाथ में देते हुए बोली, "यह तुम दोनों का गिफ्ट।"
रूद्र नाराज होते हुए बोला, "लेकिन तुमने तो कहा यह मेरे लिए था!"
लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "अंगूठी की रस्म जीता कौन? तुम्हारी बीवी ने, तो जाहिर सी बात है गिफ्ट उसे ही मिलेगा। शरण्या खोल कर देखो।"
शरण्या ने लिफाफा खोल कर देखा उसने फ्लाइट की दो टिकटस् थी। उस ने हैरानी से लावण्या को देखा तो लावण्या बोली, "आज की फ्लाइट है, गोवा कार्निवल शुरू होने को है। जाओ और इंजॉय करो। तुम दोनों की एक हफ्ते की छुट्टी है। रूद्र! मैंने रजत से बात कर ली है, वो एक हफ्ते तक तुम्हारे एब्सेंस में वह ऑफिस संभाल लेगा।"
रूद्र बोला, "लेकिन ऐसे कैसे? इतने अचानक से कैसे निकल जाए हम लोग? अभी पैकिंग भी करनी है, कुछ काम भी निपटाने है।"
लावण्या बोली, "कोई काम नहीं निपटाना और सारी पैकिंग मैंने पहले ही कर दी थी। वहां पहुंचकर तुम लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी, इसलिए फटाफट निकलो। गाड़ी तैयार है। अगले 2 घंटे में तुम दोनों की फ्लाइट है। कपड़े बदलना है तो बदलो नहीं तो फिर ऐसे ही निकलो कौन सी तुम दोनों की नई नई शादी है। मौली की टेंशन मत लेना वह यही रहेगी सबके साथ अब जाओ जल्दी से चेंज करके आओ तुम्हारे पास ज्यादा टाइम नहीं है। नहीं तो फिर ऐसे ही घर से निकाल दूंगी!"
रूद्र को लावण्या की हड़बड़ाहट थोड़ी खटकी जरूर थी लेकिन इस बारे में उसने कुछ कहा नहीं और शरण्या का हाथ थाम कर कमरे में चला आया। शरण्या ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और बाथरूम से बाहर निकली। तब तक रूद्र भी चेंज कर चुका था और नॉर्मल टी शर्ट पैंट और ब्लेजर में था। शरण्या ने अपने काम में छोटे-छोटे बूंदे पहनते हुए कहा, "आज ही शादी और आज ही हनीमून पर! इतनी जल्दी कौन जाता है?"
रुद्र का ध्यान भी इसी बात पर था। उसने मन ही मन कहा, "इस जल्दबाजी के पीछे दो बातें हो सकती हैं। या तो वह वाकई में हम दोनों को हनीमून पर भेजना चाहती है या फिर वह हमारे पीछे कुछ तो करने वाली है लेकिन क्या? ऐसा क्या हो सकता है? इस बारे में शरण्या से कुछ बात कहूं या नहीं? नहीं...... अभी वह खुश है। यह सब कह कर मैं उसे अपसेट नहीं करना चाहता।"
रूद्र को खोया हुआ देख शरण्या बोली, "क्या हुआ रूद्र! कहां खो गए? क्या सोच रहे हो?"
रूद्र बोला, "कुछ नहीं बस यह सोच रहा हूं कि लावण्या पता नहीं कितने दिनों से इस सब की प्लानिंग कर रही होगी! क्योंकि कार्निवल के टाइम तो वैसे ही बुकिंग अच्छी खासी होती है। वहां इस टाइम होटेल नहीं मिलता। खैर तुम्हारा हो गया हो तो चले?" कहते हुए उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
शरण्या ने उसका हाथ पकड़ने की बजाए उसके गले में बाहें डाल दी और कहा, "मैं तैयार हूं पतिदेव! आप जहां कहेंगे मैं वहां चलने को तैयार हूँ।" रूद्र ने उसकी कमर पर हल्की गुदगुदी कर दी जो शरण्या से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो खिलखिलाकर हँस पड़ी। वाकई में इस वक्त उन दोनों को एक दूसरे के साथ की बहुत ही ज्यादा जरूरत थी।
रेहान अभी भी वही सब के बीच बैठा हुआ था। उसे वहां से उठकर जाना था लेकिन लावण्या उसे जाने नहीं दे रही थी। लावण्या ने आवाज लगाई तो रूद्र और शरण्या नीचे आए। लावण्या उन दोनों का कुछ सामान गाड़ी में रखवा चुकी थी और कुछ सामान वहीं गोवा के होटल में था। लावण्या बस जल्दी से रूद्र और शरण्या को वहाँ से भेज देना चाहती थी जिसमें वह कामयाब भी हो गई। उन दोनों को गाड़ी में बिठाते हुए लावण्या ने विहान से कहा, "इन दोनों को सिर्फ एयरपोर्ट छोड़ कर मत आना। जब तक कि यह दोनों फ्लाइट में बैठकर उड़ ना जाए वापस मत आना।"
विहान ने भी एक आज्ञाकारी भाई की तरह सर हिलाया और उन दोनों को लेकर निकल गया। इधर लावण्या और बाकी सब रूद्र और शरण्या को बाहर भेजने में लगे थे, उधर मौका मिलते ही रेहान वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला गया। सब के जाने के बाद लावण्या बाकी घरवाले सभी लोग घर के अंदर आए तो अनन्या जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "अब हमें निकालना चाहिए। वैसे भी अब ये हमारी दोनों बेटियों का घर है। यहां ज्यादा देर रुकना हमारे लिए सही नहीं होगा।"
शिखा जी बोली, "कैसी बात कर रही हो अनन्या! तुम्हारा भी घर है यह। समधन होने से पहले हम दोनों सहेलियां हैं और हमेशा रहेंगे। लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि जिन दोनों को मैंने अपनी बहू के रूप में चाहा था वह दोनों मुझे मिल गए। इससे बड़ी खुशी की बात मेरे लिए और कुछ हो ही नहीं सकती। रूद्र कि जिंदगी में सिर्फ खुशियां ही खुशियां हो, वह और शरण्या कभी एक दूसरे से अलग ना हो, बस भगवान से मेरी यही प्रार्थना है। दोनों बच्चों ने बहुत तकलीफ से देखी है, अब और नहीं। बस अब भगवान सब कुछ ठीक करें।"
लावण्या बोली, "अब सब कुछ ठीक होगा जो भी परेशानियां आनी थी वह आ चुकी, अब कुछ नहीं। अब सब कुछ अच्छा होगा। जो भी होगा भगवान सब अच्छा ही करेंगे। वैसे मां आप लोग घर के लिए निकल रहे थे मैं भी चलती हूं आपके साथ।"
अनन्या जी लावण्या से हल्का गुस्सा दिखाते हुए बोली, "तुम जाओगी और फिर 2 दिन में ही वापस यहां चली आओगी। उस से बेहतर है कि तुम जाओ ही मत। सिर्फ एक शर्त है मेरी, इस बार अगर आ रही हो तो कम से कम 1 महीना मेरे पास रुकना होगा।"
लावण्या हंसते हुए बोली, "मां! इस बार आप 1 महीने की बात कर रही हैं, मैं तो हमेशा के लिए आपके पास रहने का सोच रही थी। आपकी बेटी हूं ना मैं, तो क्या आपके घर में मुझे जगह मिलेगी?"
उसकी बात सुन शिखा जी और अनन्या जी दोनों हैरान थी। शिखा जी ने लावण्या से कहा, "यह कैसी बात कर रही हो तुम बेटा? तुम्हें कभी बहू नहीं समझा मैंने, बचपन से ही मैंने तुम्हें अपनी बेटी माना है। वह भी तुम्हारा घर है और यह भी तुम्हारा घर है। इन दोनों घरों पर तुम्हारा बराबर का हक है। जब तक चाहे तुम अपने मायके में रह सकती हो और जब तक तुम चाहो ससुराल में सकती हो। ऐसी बातें नहीं करते बच्चा! हमारे प्यार में कोई कमी रह गयी हो तो बताओ।"
लावण्या अपना दर्द छुपाते हुए बोली, "नहीं मां! इस घर में मुझे जितना प्यार मिला वह बहुत था। आप मेरी मां है और हमेशा रहेगी। आप से मेरा रिश्ता कोई नहीं तोड़ सकता लेकिन जिस एक की वजह से मेरा आपसे इस घर से रिश्ता था उससे मैं वो रिश्ता हमेशा के लिए तोड़ कर जा रही हूं। मैं चाहती तो यह बहुत पहले कर सकती थी लेकिन मुझे रूद्र और शरण्या की खुशी ज्यादा प्यारी थी। इसीलिए आज ही मैंने उन दोनों को बाहर भेज दिया क्योंकि मैं अब और नहीं सह सकती। मां इस घर से मेरा रिश्ता बस यही तक था। मैं आऊंगी माँ! जब भी आप बुलायेंगी तो मैं जरूर आऊंगी। लेकिन सिर्फ आपकी बेटी बन कर आपकी बहू बनकर अब नहीं रह सकती।"
अनन्या जी उसका बाजू पकड़ कर गुस्से में बोली, "क्या बकवास कर रही है लावी? तुझे होश भी है तु क्या बोल रही है? किसी ने कुछ कहा क्या तुझसे? तेरा रेहान से झगड़ा हुआ है क्या? कैसी बात कर रही है तु? ऐसी बातें गलती से भी मत करना। जिंदगी के फैसले इस तरह एक झटके में नहीं लिए जाते। तुम दोनों के बीच अगर कोई झगड़ा हुआ है या कोई बहस हुई है तो आपस में सुलझाओ, ऐसे बात बात पर रिश्ते नहीं तोड़े जाते और झगड़े किस पति पत्नी में नहीं होते? रेहान कहां है बुलाओ उसे!" कहते हुए उन्होंने रेहान को आवाज लगानी चाही।
लेकिन लावण्या उन्हें रोकते हुए बोली, "नहीं मां! मैंने बहुत सोच समझ कर ये फैसला लिया है। इसके लिए काफी टाइम से मैं इस बारे में सोच रही थी और यह फैसला मैंने किसी के दबाव में आकर नहीं लिया, ना ही मेरे और रेहान के बीच कोई लड़ाई हुई है। और मुझे पूरा यकीन है कि रेहान को भी मेरे इस फैसले से कोई एतराज नहीं होगा। जो भी बात है वह मैं खुलकर नहीं बता सकती लेकिन इतना जान लीजिए कि अब हम दोनों साथ नहीं रह सकते, बिल्कुल भी नहीं। रेहान चाहे तो राहुल पर अपना हक जता सकता है। अगर वह चाहे तो राहुल की कस्टडी देने के लिए भी तैयार हूँ। लेकिन मैं उसके साथ एक छत के नीचे रहना मेरे लिए पॉसिबल नहीं है।"
शिखा जी लावण्या के चेहरे को छूकर बोली, "ऐसा नहीं बोलते बच्चे! रेहान ने कुछ कहा है ना! आज मैं उसकी क्लास लगाती हु। तु रुक जा।" कहते हुए उन्होंने रेहान को आवाज लगाई।
इधर रेहान जल्दी से अपने कमरे में आया और अपना जरूरी सामान लेने लगा। कुछ फाईल और पेनड्राईव लेकर वो जैसे ही जाने को हुआ उसकी नज़र बेड साइड टेबल पर रखे पेपर्स पर गयी। रेहान ने ध्यान से देखा तो पाया वहाँ साथ में एक प्रेग्नेन्सी टेस्ट किट भी रखी थी जिसे देख रेहान का चेहरा एकदम से पिला पड़ गया। जिस बात का डर था वही हुआ। रेहान खुद से बोला, "इसका मतलब लावण्या प्रेग्नेंट है?"
फिर उसनें खुद को झुठलाते हुए कहा, "नहीं नहीं!! ऐसा नहीं हो सकता। जरूर ये कोई गलती है। एक मशीन ही तो है, गलती भी कर सकता है।" उसके बाद उसनें सामने रखी फाईल को देखा तो उसे यकीन नहीं हुआ। उस फाईल में तलाक के पेपर्स थे जिस पर लावण्या ने पहले ही साइन कर दिए थे। तभी उसे अपनी माँ की आवाज सुनाई दी।