Chapter 44

Chapter 44

YHAGK 43

Chapter

 43




    अमित के उस क्लाइंट के बारे में जान कर रूद्र के होश उड़ गए। कहीं ना कहीं उसे विहान की कहीं सारी बातें अब जाकर समझ में आ रही थी। उस आदमी का ऐसे मानसी को छूना और अमित का यूं खामोश बैठे रहना यह सब उसी ओर इशारा कर रहे थे लेकिन मानसी यह सब कुछ बर्दाश्त क्यों कर रही थी यह रुद्र को समझ नहीं आ रहा था। जहां तक उसने विहान से मानसी के बारे में जाना था वो ऐसी लड़की नहीं थी जो किसी के दबाव में आकर कुछ करे या अपना स्टैंड ना ले सकें। शरण्या और बच्चों के जाने के बाद रूद्र कुछ और देर तक वहां बैठा रहा। वह जानना चाहता था आखिर जो कुछ भी हो रहा था और जो भी वो समझ रहा था क्या वह सब सही था या फिर एक गलतफहमी! 


     अमित की इमेज एक सीधे शरीफ इंसान की थी जिसके बारे में कोई ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकता था लेकिन इस वक्त जो कुछ भी उसे नजर आ रहा था वह सब उसकी समझ से परे था। हो सकता है अमित नशे में हो और उसे इस बात का एहसास ही ना हो कि उसकी बीवी के साथ क्या हो रहा है। इस बारे में विहान को बताएं या ना बताएं यही सोच कर रूद्र परेशान था और तय नहीं कर पा रहा था। उसका शक यकीन में तब बदल गया जब अमित वहां से उठकर अपने क्लाइंट से हाथ मिलाते हुए वहां से मानसी को उसके साथ छोड़ कर चला गया। उसकी चाल से बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उसने पी रखी है, मतलब वह होश में था और उसके होश में रहते हुए कोई और आदमी उसकी बीवी को छू रहा था ये बात रूद्र से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसका दिल किया अभी इसी वक्त मानसी को लेकर वहां से चला जाए और अमित की अच्छी खासी मरम्मत करें लेकिन मानसी इस सब का विरोध नहीं कर रही थी और उसके चेहरे से साफ जाहिर था कि जो कुछ भी हो रहा था इस सब में उसकी मर्जी नहीं मजबूरी थी। लेकिन कैसी मजबूरी? 


      वह आदमी उठा और ऊपर होटल के कमरे की ओर निकल पड़ा। मानसी भी सर झुकाकर उसके पीछे पीछे चल दी। रुद्र के पास उन दोनों का पीछा करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। उन दोनों के होटल के कमरे में पहुंचते ही रूद्र ने विहान को फोन लगाया और मानसी के बारे में बताना चाहा। "विहान कहां है तू इस वक्त? क्या कर रहा है? तुझे पता है अमित मानसी को लेकर या किसी से मिलने आया था होटल में!" विहान इस वक्त काफी थका हुआ सा लग रहा था। वह अलसाई आवाज में बोला, "यार मैं अभी कुछ देर पहले ही घर पहुंचा हूं और सोने जा रहा हूं। अमित मानसी को लेकर अक्सर जाता है अपने क्लाइंट से मिलने। मानसी भी उसे उसके बिजनेस में हेल्प कर रही है ना ऐसे में उसका भी मीटिंग में शामिल होना जरूरी रहता है। नेहा से आज ही मेरी बात हुई थी इस बारे में, उसी ने बताया।" 


     अमित मानसी को हर मीटिंग में लेकर जाता है यह सुनते ही रूद्र का माथा ठनका। "विहान मैं तुझे अपना लोकेशन भेज रहा हूं, तू जल्द से जल्द यहां पहुँच। तुझे एहसास भी नहीं है इस वक्त मानसी के लाइफ में क्या चल रहा है। तू जानेगा तो हैरान रह जाएगा। तुझे याद है वह मिस्टर गिरपड़े! या घोरपड़े! जो भी है उसका नाम, वही जिसने लावण्या के साथ बदतमीजी की थी और डैड और अंकल ने उसका कॉंट्रेट कैंसिल कर दिया था, बदले में हमें काफी बड़ी पेनल्टी देनी पड़ी थी। मानसी इस वक्त उसी के साथ है। अमित खुद उसे उसके साथ छोड़ कर गया है होटल के कमरे में, तु समझ रहा है इसका मतलब? मानसी ठीक नहीं है यार, तुझे जो लगा था बिल्कुल सही था। मैं तुझे लोकेशन भेज रहा हूं तू आ जल्दी से।"


     विहान ने जब सुना तो उसके होश उड़ गए। उसे यकीन नहीं हुआ जो रूद्र ने उसे कहा। उसे रूद्र ने जो इंफॉर्मेशन दी थी उसे सुनते ही विहान ने ना अपनी जैकेट पहनी ना ही जूते। वह वैसे ही नंगे पांव घर से बाहर की ओर भागा। उसकी मां उसे आवाज देती रह गई लेकिन उसने कुछ सुना नहीं और गाड़ी लेकर वहां से निकल पड़ा। रूद्र अपना लोकेशन उसे भेज कर कमरे के दरवाजे की तरफ आया तो वहां पर डु नॉट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा हुआ था जिसे देखकर वह परेशान हो उठा। लेकिन वह इस तरह मानसी को किसी और के हाथ का खिलौना नहीं बनने दे सकता था। उसने जल्दी से तीन चार बार बेल बजाई और कॉरिडोर के दूसरी तरफ भाग गया। उस आदमी ने दरवाजा खोला और वहां किसी को ना पाकर झुंझला गया। इस तरह बीच में डिस्टर्ब होने से उसका मूड खराब हो चुका था और उसने अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया। रुद्र को समझ नहीं आया अभी उसे क्या करना चाहिए! इससे पहले कि बहुत देर हो जाए उसे कुछ तो करना था। उसने वापस से रेहान के असिस्टेंट को फोन लगाया और उस क्लाइंट का नंबर मांगा जो उसे तुरंत ही मिल गया। 


     रूद्र भागता हुआ रिसेप्शन पर गया और वहां के लैंडलाइन से उसके नंबर पर फोन लगाया और बोला, "सर! आपके नाम से एक पार्सल है रिसेप्शन पर, प्लीज आकर आप उसे कलेक्ट कर लीजिए बहुत ही अर्जेंट है!" उस आदमी ने आनाकानी करने की कोशिश की तो रूद्र उसे रिक्वेस्ट करते हुए बोला, "सर प्लीज! जब तक आप यह पार्सल एक्सेप्ट नहीं करते मैं यही खड़ा रहूंगा और सर मेरी नौकरी चली जाएगी। प्लीज सर बस दो मिनट की बात है आकर इसको रिसीव कर लीजिए बहुत ही अर्जेंट पार्सल है। प्लीज सर! किसी ने बड़े ही प्यार से आपके लिए भेजा है प्लीज सर।" उस आदमी ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, "ठीक है मैं आता हूं! तुम 10 मिनट इंतजार करो।" रूद्र बोला, "सर प्लीज जल्दी कीजिएगा, मुझे और भी कई जगह अर्जेंट डिलिवरी के लिए जाना है।" 


     उस आदमी फोन रखा और अपने कपड़े पहनने लगा। रूद्र भागता हुआ अपनी गाड़ी के पास गया लेकिन गाड़ी तो उसने शरण्या के हवाले कर दी थी। कुछ सोच कर उसने होटल के बाहर लगे एक बैनर को चुपके से खींचकर अखाड़ा और वापस कॉरिडोर मे आकर उस आदमी के बाहर निकलने का इंतजार करने लगा। विहान को आने में थोड़ा वक्त लगता तब तक रुद्र को ही यह सब कुछ संभालना था। ज्यादा देर उसे इंतजार नहीं करना पड़ा और वह आदमी खुद चलते हुए उसके पास से गुजरा। रूद्र ने उसकी तरफ पीठ कर रखी थी जिसमें उस आदमी ने उसे देखा नहीं। उसके करीब आते ही रूद्र ने बैनर वाला कपड़ा उसके सर पर डाल दिया और एक जोरदार पंच उसके सर पर ऐसी जगह हमारा जिससे वह बेहोश हो जाए, और हुआ भी ऐसा ही। उसके बेहोश होते ही रूद्र गुस्से में उस पर टूट पड़ा, "मिस्टर गिरपड़े! कुछ तो शर्म करता तु! थोड़ा तो अपनी उम्र का लिहाज रखता। कमीने! तुझे लगा मैं तुझे ऐसा कुछ करने दूंगा? पिछली बार तूने लावण्या के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की थी, इस बार तूने अपनी हद पार कर दी है। अब तो तू गया!"


      रूद्र ने जब देखा कि वह आदमी की पूरी तरह से बेहोश हो चुका है तो उसने उसके सारे कपड़े उतारे और उसे बाथरूम में ले जा कर बंद कर दिया। विहान भागता हुआ होटल पहुंचा तो रूद्र वही एंटरेंस पर ही खड़ा मिल गया। रूद्र ने उसे देखते ही सिर्फ उस होटल रूम का नंबर बता दिया। विहान ने कुछ कहा नहीं और उस कमरे की ओर भागा। रूद्र भी उसके पीछे पीछे ही था। "मानसी इस वक्त कमरे में अकेली हैं। उससे आराम से बात करना और प्लीज गुस्सा मत करना। वो जो कुछ भी कर रही है अपनी मर्जी से नहीं कर रही, इस सब के पीछे अगर कोई है तो वो है सिर्फ अमित, इसीलिए तु उससे नरमी से पेश आना। गुस्सा मत होना उस पर वरना वो और ज्यादा डर जाएगी।"


      रूद्र बोलता ही रह गया लेकिन विहान को तो जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। वह गुस्से में दरवाजा खोलकर अंदर गया। रूद्र ने इस वक्त अंदर जाना सही नहीं समझा, ना जाने मानसी किस हाल मे होगी? यह सोचकर ही वो कमरे के बाहर रुक गया। मानसी इस वक्त एक पतले से नाइट गाउन में सर झुकाए खड़ी थी। उसे ऐसे कपड़ों में देख विहान ने बिस्तर से चादर खींच कर उठाया और मानसी के ऊपर फेंक दिया। मानसी एकदम से चौंक पड़ी। उसने जब पलट कर देखा तो सामने विहान को देखकर और भी ज्यादा हैरान रह गई। विहान की आंखों में खून उतर आया था। उसे इतने गुस्से में देख मानसी ने जल्दी से खुद को चादर में समेटा और किसी अपराधी की तरह उसके सामने सर झुकाए खड़ी रही। 


      विहान ने गुस्से में मानसी की गर्दन को पकड़ा और एक ही झटके में उठाकर दीवार से लगा दिया। मानसी दर्द से चीख उठी लेकिन विहान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। उसके सर पर खून सवार था मानों आज वह किसी की जान लेकर रहेगा। गुस्से में मानसी की गर्दन पर उसकी पकड़ और मजबूत हो गई। मानसी ने भी खुदको छुड़ाने की कोशिश नहीं की। विहान गुस्से में चीख पड़ा। "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी यह सब करने की? तुम्हें एहसास भी है इस वक्त मुझे कैसा लग रहा है? दिल कर रहा है अभी इस वक्त मैं तुम्हारी जान ले लूं? जिस लड़की को अपने दिल में बसा कर रोज उसे याद करता रहा, जिसके आँसुओं ने मुझे मजबूर कर दिया उसका इंतजार करने पर, उस लड़की को इस हालत में देखूंगा मैंने सपने मे न सोचा नहीं था। तुम्हें पता भी है, दो साल से हर सुबह यही सोच कर जागता था कि शायद आज मुझे मेरी मानसी की कोई खबर मिल जाए,आज मैं उसे ढूंढ पाउ। कहीं से कुछ तो ऐसा मिले तो मुझे मेरी मानसी तक पहुंचा दे। तुम मुझे मिली भी तो कहा! एक दुल्हन के रूप में। मेरा तुम्हारे सामने आना तुम्हें गलत लगता था। यह गलत है' यहीं कहा था ना तुमने? लेकिन इस तरह इन कपड़ों में किसी गैर मर्द का इंतजार करना, क्या ये सही है? मुझे अब तक ऐसा लगता रहा कि तुम अमित के साथ खुश हो इसीलिए मैंने कभी अपना प्यार तुम पर जाहिर नहीं होने दिया। कभी एहसास नहीं होने दिया कि तुम्हें देखे बिना जीना मेरे लिए कितना मुश्किल है! बहाने से ही सही लेकिन एक नजर तुम्हें देख लेता तो जिंदगी आसान लगती है मुझे। कभी तुम्हारे करीब आने की कोशिश नहीं की ताकि तुम्हें कोई तकलीफ ना हो, ऐसे मे किसने हक दिया तुम्हें? मेरे प्यार को यू सारे बाजार नीलाम करने का हक़ किसने दिया तुम्हें? आज मै तुम्हारी जान ले लूंगा मानसी!!" 


     मानसी किसी भी बेजान की तरह उसके चंगुल में खड़ी रही। ना तो उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की और ना ही आंखें बंद की। वो तो बस विहान की आंखों में अपने लिए फिक्र और गुस्सा देख रही थी। वह गुस्सा जो अमित की आंखों में होना चाहिए था उसे विहान की आंखों में नजर आ रहा था। वह सब जो अमित को करना चाहिए थी विहान कर रहा था। यह सब देख कर ही मानसी की आंखों में आंसू आ गए। उसके आंसुओं ने एक बार फिर विहान को कमजोर कर दिया। एक झटके से मानसी से दूर हुआ और दूसरी तरफ पलट गया अपने दोनों हथेलियों से अपने सर और आंखों को ढक कर खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा लेकिन मानसी की मौजूदगी उसे शांत होने नहीं दे रही थी। 


     इतनी देर मे रूद्र भी विहान की आवाज़ सुन अंदर आ गया था। उसे बस इस बात की फिक्र थी कि कहीं विहान गुस्से मे कुछ कर ना बैठे। विहान एक बार फिर मानसी की तरफ पलटा और बेबसी से बोला, "क्यों मानसी, क्यों? यह सब........ आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो तुम इस तरह इस हालात में मुझे मिली? मैं तुम्हें इस हाल में........... तुम्हें कोई आईडिया नहीं है इस मुझ पर क्या गुजर रही है। किसने मजबूर किया तुम्हें? बताओ मानसी किसने मजबूर किया तुम्हें? अमित ने किया ना? उसी की वजह से तुम यह सब कर रही हो? वह मिस्टर घोरपड़े अमित का इन्वेस्टर है इसलिए अमित तुम्हें उसके साथ छोड़ कर गया है?"


      अचानक से मिस्टर घोरपड़े का नाम सुनते ही मानसी को ख्याल आया कि वह तो अभी कमरे में नहीं है और कुछ ही देर में लौटते ही होंगे। उसने विहान के सामने हाथ जोड़ें,"प्लीज विहान! तुम इस वक्त यहां से चले जाओ! तुम्हारा यहां होना सही नहीं है। वो आदमी कभी भी यहां आता ही होगा। प्लीज विहान तुम चले जाओ यहां से। यही मेरी किस्मत है और मुझे ही इसे झेलना है। वो इंवेस्टर किसी भी वक्त आता ही होगा। उन्होंने अगर तुम्हें यहाँ मेरे साथ देख लिया तो नाजाने तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा।" विहान सख्त होकर बोला, "वो आदमी अब नहीं आने वाला। अपने कपड़े पहनो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं।" कहते हुए उसने मानसी की साड़ी उसके हाथों में पकड़ा दी और बाथरूम की तरफ इशारा कर दिया। 










क्रमश: