Chapter 80
humsafar 80
Chapter
80
सारांश से मिलकर अवनि को काफी राहत मिली और अलीशा को उसका सिखा कर चैन मिला। पूरे रास्ते अवनि बस अपने आने वाले कल की फिक्र थी जो सिर्फ और सिर्फ सारांश के साथ ही था। अवनि जब घर पहुँची तबतक सभी ने खाना खा लिया था और काव्या, रज्जो के हाथों मे भी मेहंदी लग चुकी थी लेकिन जानकी ने मना कर दिया।
जानकी की सूनी हथेली देख अवनि के मन मे कई सवाल उमड़ पड़े जो अब तक उसके मन मे कभी नही आया, "आखिर मासी का इस घर से क्या रिश्ता है?" अवनि ने मन मे सोचा लेकिन किसी से कुछ कहा नही और काव्या के पास चली गयी।
कुछ देर काव्या से बात करने के बाद अवनि अपने कमरे में आई। एक बार फिर जब उसकी नजर अपने फोन पर गई तो लक्ष्य के ख्याल ने उसके मन में डर बैठा दिया। उसने जल्दी से श्रेया को कॉल लगाया, "श्रेया......! मिलना है तुझसे, बहुत जरूरी है।"
" ठीक है! शाम को पाँच बजे के बाद, जब भी तू कहे जहां भी, मैं आ जाऊंगी।" श्रेया ने कहा।
" ठीक है! मैं तुझे टाइम और जगह मैसेज कर दे रही हूं।" अवनि ने कहा और फोन रख दिया।
शाम को तय वक्त से पहले ही अवनि तैयार होकर उसकी कैफे में पहुंच गई जहां उसने श्रेया को मिलने बुलाया था। श्रेया को आने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन जैसे ही वह उस कैफे में पहुंची, अपनी ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ लिया। अवनि के चेहरे पर घबराहट देखकर श्रेया को काफी हद तक समझ आ गया था कि वह क्या बात करना चाह रही है।
अवनि ने बेटर को आर्डर दिया और श्रेया से बोली, "श्रेया....! एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। लक्ष्य वापस आ गया है, उसने मुझे फोन किया था। पता नहीं उसे मेरा नंबर कहां से मिला लेकिन उसने सीधे-सीधे सारांश को नुकसान पहुंचाने की बात की है। मनाली में भी मॉल में जो एक्सीडेंट हुआ था वह भी उसी का काम था। उसने इस बारे में कुछ कहा तो नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि सब उसी का किया हुआ है। मुझे बहुत डर लग रहा है श्रेया! मैं कैसे सारांश को उससे प्रोटेक्ट करूं!!!"
अवनि श्रेया को अपनी बात बता रही थी लेकिन श्रेया के चेहरे पर किसी भी तरह का कोई भाव नहीं देखकर अवनि को शक हुआ, "क्या तू जानती है उसके बारे में? क्या तुझे पता है कि वह वापस आ चुका है?"
श्रेया ने सर झुका दिया और फिर बोली,"अवनि.....! मैं जानती थी कि वह वापस आ गया है। जन्माष्टमी वाली रात मेरा जो एक्सीडेंट हुआ था, वो सब लक्ष्य ने किया था। उसने मुझे बहुत बुरी तरह से चोट पहुंचाई और कहा कि वह तुझे इससे भी ज्यादा दर्द देगा। यही बात मैं तुझे हमेशा समझाती रही अवनि लक्ष्य सही नहीं है लेकिन तूने कभी मेरी बात मानी ही नहीं। तेरी आंखों पर उस कमीने की पट्टी बंधी थी, अब देख उसकी असलियत।"
श्रेया के मुंह से लक्ष्य के बारे में इतना सब कुछ सुन कर अवनि को झटका सा लगा। उसकी नजर में लक्ष्य हमेशा से एक अच्छा इंसान रहा है लेकिन उसकी असलियत जान कर वह अवाक रह गई। "मेरी गलती थी श्रेया, मुझे तेरी बात सुननी चाहिए थी। वह ऐसा होगा मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी। मुझे हमेशा से लगता रहा उसने हमेशा मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया लेकिन अब जब मैं उसके बारे में सोचती हूं ऐसा लगता है जैसे सच में उसने मुझे अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी की तरह ही ट्रीट किया। तु सही थी श्रेया और मैं गलत! लेकिन अब मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं करूं तो करूं? ना जाने सारांश कैसे रिएक्ट करेंगे! समझ में नहीं आ रहा कि मैं उन्हें बताऊं तो कैसे बताऊं!!! मैं कुछ भी खोने को तैयार हूं श्रेया लेकिन सारांश को नहीं! मैं नहीं जी पाऊंगी उनके बिना।"
"तू सबसे पहले शांत हो जा और बिना कुछ सोचे जाकर सारांश को सारी सच्चाई बता दे। वो तुझसे बहुत प्यार करते है अवनी! वो तेरा साथ जरूर देंगे। भरोसा कर अपने प्यार पर, भरोसा रख अपने सारांश पर और बता दे उसे। सारांश कोई छोटा बच्चा नहीं है जिसे तुझे प्रोटेक्ट् करने की जरूरत हो, यह बात तुझे अब तक समझ में आ जानी चाहिए। अवनि.....! इसलिए कह रही हूं उसे सब सच बता दें, अगर तू से बचाना चाहती है तो!" कहते हुए श्रेया की पकड़ अवनी के हाथ पर और कस गई।
कुछ सोचते हुए अवनी ने भी हां में सिर हिला दिया और बोली, "तु सही कह रही है, मुझे उसे सब सच सच बता देना चाहिए। पहले ही मैंने बहुत देर कर दि है, अब और देर नहीं करना चाहती। मैं आज ही उन्हें सब सच बता दूंगी" श्रेया ने अवनि के चेहरे पर कुछ गंभीर भाव देखे जिससे उसे तसल्ली हो गई कि अवनी अब सारांश से कुछ नहीं छुपाने वाली। श्रेया ने खुद सारांश को लक्ष्य के बारे में पहले ही बता रखा था लेकिन सारांश ने अवनी को इस बात की भनक तक नहीं लगने दि और खुद ही वह लक्ष्य को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। जिससे साफ पता चलता था कि वहां अवनी से कितना ज्यादा प्यार करता है।
अवनि ने बिल पे किया और श्रेया से बोली, "चल मैं तुझे घर छोड़ देती हूं।" दोनों बाहर निकले और गाड़ी में बैठ दोनों घर के लिए निकल गए। रास्ते में अवनि को सिया का कॉल आया। अवनी ने फोन उठाया तो उधर से सिया की आवाज आई" अग्नि बेटा आज आप ऑफिस आई थी?"
"हाँ मॉम! आज सारांश को लंच देने में आई थी। क्यों कुछ हुआ है क्या?" अवनि ने पूछा।
कुछ सोचते हुए सिया ने फिर पूछा, "तुम अलीशा से मिली थी क्या? कुछ बात हुई थी क्या उससे?" सिया की बात सुन अवनी को लगा कहीं उसकी वजह से ऑफिस में कोई प्रॉब्लम ना हो गई हो। उसने कहा, "जी मॉम! मै मिली तो थी उससे पर हुआ क्या?"
"कुछ नहीं बेटा! वो बस तुम्हारे जाने के कुछ देर बाद ही सारांश ने उसका ट्रांसफर कर दिया वो भी हमारे केरल वाले ब्रांच में।" सिया ने कहा तो अवनी चौक गयी। उसने कभी नहीं सोचा था कि सारांश इस बात को इतना सीरियसली ले लेगा। उसने तो बस अपना हिसाब बराबर कर लिया था। अवनी खामोश रह गई तो सिया बोली, "शायद मैं कुछ ज्यादा सोच रही हूं। उसकी जरूरत होगी वहां इसलिए सारांश ने उसका ट्रांसफर किया होगा। अच्छा यह बताओ आप कितनी देर में आ रहे हो?"सिया ने पूछा तो अवनि ने कहा, "मॉम मैं बस आधे घंटे में घर पहुंच जाऊंगी।"
"ठीक है आप जल्दी आओ आपका कोई इंतजार कर रहा है यहाँ!" कहकर सिया ने फोन रख दिया।
" क्या हुआ अवनि? सिया आंटी क्या कह रही थी?" श्रेया ने अवनि को मुस्कुराते हुए देखा तो पूछा। अवनि ने भी बिना किसी हिचकिचाहट के से सारांश के ऑफिस में हुई सारी बात बता दी।
"बेचारी अलीशा.....!" श्रेया ने कहा और दोनों ठहाके मार कर हंसने लगे, "अब अगर मेरे सामने मेरे हसबैंड पर डोरे डालेगी तो क्या मै उसे छोड़ दूँगी?" अवनि ने कहा।
कुछ सोचते हुए श्रेया ने कहा," जानती है अवनि!आज जब मै कैफे में आई तब जिस तरह मैंने तुझे बैठे हुए देखा, एक पल को मुझे लगा जैसे तू नहीं बल्कि सारांश बैठा है। इन कुछ दिनों में ही तुझ पर सारांश का ऐसा असर हुआ है कि तु पूरी तरह से बदल गई है। आज जो तूने किया वह मेरी अवनि कभी नहीं कर सकती थी। यह जो हिम्मत तुझ में है वह सारांश का प्यार है। तेरे पति पर किसी लड़की ने नजर उठा कर देखा तब तुझे इतना गुस्सा आया और जो इंसान सारांश को नुकसान पहुंचाना चाहता है तु उससे डर रही है!!!
सारांश ने बिना कुछ जाने उस लड़की का ट्रांसफर कर दिया सिर्फ तेरे लिए क्योंकि तुझे उस लड़की का सारांश के आस पास रहना पसंद नही और यह इस बात का सबूत है कि वह तेरे लिए कुछ भी कर सकता है फिर चाहे तु सही हो या गलत हो। वो हमेशा तेरे साथ खड़ा होगा। तू समझ रही है ना मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूं।"
अवनि ने हां में सिर हिला दिया और कुछ सोचने लगी। श्रेया सही कह रही थी जिस सारांश के लिए वह कुछ भी कर सकती थी तो क्या उसके लिए उस लक्ष्य से नही लड़ सकती थी!!!
"अवनि तेरा घर आ गया!" श्रेया ने कहा तो अवनि होश मे आई और गाड़ी से उतर कर श्रेया के साथ अंदर चली गयी। जब से काव्या की प्रेग्नेंसी की खबर श्रेया को मिली थी वह उससे मिल ही नही पाई थी और इसी बहाने उसे मौका भी मिल गया था आखिर वो भी तो मासी बनने वाली थी। अवनि जैसे ही अंदर आई उसकी नज़र कंचन पर गयी जो हॉल मे ही बैठी थी। अवनि भाग कर उसके गले लग गयी।
टेबल पर रखे बड़े बड़े थाल देख कर अवनि कंफ्यूज हक गयी। "ये सब किस लिए?" अवनि ने अपना सिर खुजाते हुए कहा।
कंचन ने मुस्कुरा कर कहा, "ये हमारी तरफ से तुम्हारी पहली तीज का शगुन है, ये एक थाल मेरी तरफ से और ये एक थाल सिया जी की तरफ से।" अवनि ने देखा उन दोनों ही थाल मे कपड़े गहने, सुहाग का सामान और मिठाईया थी। "लेकिन ये तो दिदु की भी पहली तीज है न, तो उनके लिए कौन सी है?" अवनि ने मासूमियत से पूछा। सिया ने कहा, "वो पहले से ही काव्या के पास है। उसकी पहली तीज है न तो हम कैसे भूल सकते है!!! माना वो व्रत नही कर सकती लेकिन इसका मतलब ये तो नही की हम रश्म नही निभाएंगे!!!"
"अच्छा वो सब छोड़ो और अपनी मेहंदी तो दिखाओ!" सिया ने कहा तो अवनि ने शर्माते हुए अपना हाथ सिया के सामने कर दिया क्योंकि एक बार फिर उसकी मेहंदी मे सारांश का नाम लिखा था और वो भी ठीक बीच मे। "हम्म्....! समधन जी, मेहंदी का रंग देख कर लगता है की एक और खुशखबरी बहुत जल्दी मिलने वाली है!" सिया ने कहा तो अवनि इस बार शर्म से पूरी तरह लाल पड़ गयी। सिया ने उसका हाथ थाम रखा था इस कारण वह वहाँ से भाग भी नही सकती थी।
ये सब चल ही रहा था की तभी सारांश भी ऑफिस से वापस आ गया। उसे देखते ही अवनि के चेहरा गंभीर हो गया। उसने पक्का इरादा कर लिया था की आज वह उसे सारा सच बता कर रहेगी। अवनि उठी और कमरे मे चली गयी और सारांश का इंतज़ार करने लगी। आज किसी भी हाल मे उसे सारांश से बात करनी थी ताकि वह दोनो मिलकर लक्ष्य का सामना कर सके। उसके दिमाग मे नानु की कही बात याद आ गयी, "जब तक दोनो साथ हो, कोई भी मुसीबत तुम दोनो का कुछ नही बिगाड़ पायेगी। लेकिन जैसे ही अलग हुए, सब खत्म हो जायेगा।"
क्रमश: