Chapter 21
YHAGK 20
Chapter
20
पंडित जी ने सब को अपनी बातों से समझा तो दिया था लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में भी यह सवाल था कि आखिर पुरोहित जी ने ऐसे अचानक बच्चों की कुंडलियां क्यों मंगवाई? रूद्र का तो समझ में आता है लेकिन शरण्या का इस सब में क्या लेना देना? रेहान और रुद्र एक दूसरे से जुड़े हैं और अब लावण्या उनसे जुड़ने जा रही है तो फिर उन्होंने शरण्या की कुंडली क्यों मंगवाई? कुछ तो ऐसा जरूर है जो पुरोहित जी नहीं बता रहे हैं, यहां तक कि उनके माथे पर परेशानी की लकीरे भी देखी थी उन्होंने।
शिखा ने रुद्र की कुंडली पंडित जी को देते हुए कहा, "जो आप कह रहे है, वो मैं समझ रही हूं और जब तक पुरोहित जी से बात नहीं हो जाती हम इस बारे में सिर्फ अनुमान पर लगा सकते हैं और उम्मीद कर सकते हैं कि सब कुछ अच्छा ही हो हमारे बच्चों की जिंदगी में। उस सबसे पहले मैं यह जानना चाहती हूं कि मेरे रूद्र की कुंडली में शादी का योग कब बन रहा है क्योंकि वह लड़का तो शादी के नाम से ही दूर भागता है। ऐसा क्या करूं कि वह शादी के लिए मान जाए! कोई तो ऐसी लड़की होगी जो उससे अपने फैसले बदलने पर मजबूर कर दे और वह खुद आकर कहे कि वो शादी करना चाहता है।" शिखा की बात सुन पंडित जी ने रूद्र की कुंडली देखी और उंगलियों पर कुछ गणना बैठाते हुए बोले, "रूद्र की कुंडली के हिसाब से विवाह का योग तो प्रबल है और वह भी बहुत जल्द। कितनी जल्दी यह तो नहीं कह सकता लेकिन इतना तय है इसी वर्ष उसकी भी शादी हो जाएगी लेकिन.........!"
पंडित जी बोलते बोलते अचानक से रुक गए। उनके चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी। शिखा घबराते हुए बोली, "लेकिन क्या पंडित जी? ऐसा क्या है रुद्र की कुंडली में जो आप इतने परेशान नजर आ रहे हैं? पंडित जी मैं मां हूं उसकी! उसके बारे में जानना मेरा हक है।" पंडित जी कभी अपनी उंगलियों पर फिर कभी अपने पंचांग के हिसाब से देखते हुए कुछ जोड़ तोड़ कर बोले, "विवाह का योग तो है लेकिन.........जीवन साथी का योग नज़र नही आ रहा। उसके लिए उसे लंबी प्रतीक्षा करनी होगी अगर मैं गलत नहीं हूं तो! रुद्र के विवाह बारे मे सिर्फ देवी माँ ही बता सकती है और सिर्फ उन्हीं का आशीर्वाद होगा, किसी और का नही।"
पंडित जी की बातें हर किसी के सर के ऊपर से निकल गई। आखिर ऐसी क्या बात है उस कुंडली में और कैसी शादी होगी वह कि शादी के बाद भी जीवनसाथी का योग नहीं! अगर जीवनसाथी नहीं होगी तो फिर वो शादी करेगा किससे? आखिर यह सब था क्या? सब ने एक दूसरे की तरफ देखा क्योंकि किसी के समझ में कुछ नहीं आ रहा था। पंडित जी ने जो कुछ भी कहा वह सब किसी के भी पल्ले नहीं पड़ रहा था। एक तो वैसे ही रूद्र शादी की के नाम से ही दूर भागता था ऐसे में जीवनसाथी का पेंच! इस सबका क्या मतलब था? लावण्या बीच में बोल पड़ी इसका मतलब रूद्र भाग के शादी करेगा? मतलब घरवाले उसकी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे तो वह लड़की को भगा के ले जाएगा?"
अनन्या ने लावण्या को इशारे से चुप रहने को कहा तो शिखा बोली, "ऐसा हो ही नहीं सकता बेटा! रूद्र जिस भी लड़की को पसंद करें हम खुशी-खुशी उसकी शादी करने को तैयार है फिर चाहे वह जो भी हो! रूद्र उनमें से नहीं हैं जो भाग कर शादी करते हैं। उसे पसंद ही नहीं है ऐसी शादी। भले ही रूद्र कैसा भी हो लेकिन हमारी परंपराओं को मानता है वो, हमारे रीति-रिवाजों को तवज्जो देता है। भाग कर शादी करने वालों में से नहीं है और फिर यह भी तो सोचो की शादी का योग है जीवन साथी का नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है?"
"क्या हो सकता है माँ? आप लोग किस बारे में बात कर रहे हो?" रूद्र अंदर आते हुए बोला तो शिखा एकदम से खामोश हो गई। उसे समझ नहीं आया कि इस बारे में रूद्र से बात करनी चाहिए भी या नहीं? और अगर वह बात करती भी है तो कहेगी क्या उससे? और फिर इन सारी बातों का तो कोई मतलब ही नहीं निकलता! भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है यह जानना किसी के भी बस की बात नहीं तो जो होने वाला है उसे वक्त पर ही छोड़ देना चाहिए यह सोचकर शिखा उसके सामने मुस्कुरा दी और बोली, "कुछ नहीं बेटा! वह बस पंडित जी रेहान और लावण्या की शादी के लिए मुहूर्त देख रहे थे, बस उसी बारे में बात कर रहे थे हम लोग।"
रूद्र शिखा के बगल में बैठते हुए एक हाथ से उन्हें हग करते हुए बोला, "अरे मां! जब दो दिल मिल जाते हैं तो शुभ मुहूर्त वही हो जाता है। अब शादी करने के लिए क्या मुहूर्त निकालना, अभी करवा देते हैं शादी! तुम कहो तो यहीं मंडप लगवा दें दोनों का? हजार बारातियों का खाना भी बच जाएगा, हमारी मेहनत भी बच जाएगी और तुम लोगों की कमर....आय! हाय!!! तुम दोनों को दुआएं देंगे। रेहान और लावण्या ने एक दूसरे को देखा और एक साथ बोल पड़े,"हमारी कमर!!! मतलब?" रूद्र ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहां, "अब हजार लोग बाराती में खाना खाने आएंगे तो जाहिर सी बात है तुम दोनों को आशीर्वाद भी देंगे! अब जब आशीर्वाद देंगे तो जाहिर सी बात है बिना तुम दोनों से पैर छुवाए वह तुम दोनों को आशीर्वाद देने से रहे और अगर हजार लोगों के पैर छुए तो सोच लो......तुम दोनों की सुहागरात कैंसिल!"
रुद्र की बात सुन वहां मौजूद सभी को हंसी आ गई और रेहान लावण्या शर्म से झेंप गए। रेहान ने सोफे पर से कुशन उठाया और रूद्र की तरफ जोर से दे मारा। रूद्र भी बचते हुए वहां से भागा और सोफे के पीछे छुप गया। "देखो ना माँ! कैसे कर रहा है ये! मैं तो इन्हीं दोनों के लिए कह रहा था और यह है कि.......लावण्या! समझाओ इस गधे को!.....मां मैंने कुछ गलत कहा क्या?" शिखा प्यार से उसे थामते हुए बोली, "बिल्कुल नहीं! मेरा रुद्र कभी कुछ गलत नहीं कहता है। जो भी कहता है बिल्कुल सोच समझकर कहता है और उसकी यह बात भी बिल्कुल सही है। अगर इतने लोगों के आशीर्वाद तुम दोनों ने लिए तो फिर तुम दोनों के कमर की जो बैंड बजेगी ना कई दिनों तक उठ नहीं पाओगे बेड से। मैं तो रूद्र की बातों से पूरी तरह से सहमत हूं, यहीं पर मंडप लगवा देते हैं सारा खर्चा बच जाएगा और अगले दिन अखबार मे तुम दोनों का इंटरव्यू छपवा देंगे। इस सबको पता चल जाएगा कि तुम दोनो की शादी हो चुकी है।"
रेहान गुस्से में बोला, "हां क्यों नहीं! आप तो बस उसी की साइड लोगे ना! आप का लाडला बेटा जो ठहरा! मैं तो कुछ हु ही नहीं। यही मंडप क्यों लगवाना? मैं और लावण्या भाग कर शादी कर लेंगे मंदिर मे!" रुद्र गुस्से में उंगली दिखाता बोला, "बेटा तू हिम्मत करके तो देख, तेरा क्या हाल करूंगा मैं तुझे तब पता चलेगा! जो सारी नौटंकी की थी ना उससे भी बड़ी वाली नौटंकी हो जाएगी तेरे साथ। जो मजा पूरे घरवालों की मर्जी से शादी करने में है, वह मजा किसी और चीज में नहीं। ऐसे भाग कर शादी करेगा तो सिर्फ अपनों का दिल दुख आएगा तु और ऐसा मैं होने नहीं दूंगा।" रूद्र की बात सुन वहां मौजूद सब उसे घूर कर देख रहे थे। पंडित जी ने जो अभी कहा उसकी कुंडली को देख कर और जो रूद्र कह रहा था वह दोनों ही बातें एक दूसरे से बिल्कुल उलट थी। रेहान ने बात पलटते हुए कहा, "मान ले अगर तुझे कोई लड़की पसंद आ जाए और उसके घर वाले ना माने तब तु क्या करेगा?"
रूद्र बोला, "तुझे सच में लगता है जिस तरह की मेरी इमेज है कोई लड़की मुझे शादी के लिए हा कहेगी और तुझे सच में लगता है कि मुझे शादी करनी है?" तभी उसकी नजर अचानक से सीढ़ियों के ऊपर खड़ी शरण्या पर गई। वह बोला, "और अगर कोई ऐसी लड़की मिल गई ना तो सबसे पहले मुझे उसे मनाने में एक पूरी पापड़ की फैक्ट्री खोलनी पड़ेगी। उसके घर वालों को मनाने की बात तो बहुत दूर की है।आप लोग भी कहा इन सारी बातों में पड़ गए! अब कोई मुझे बताएगा भी सगाई की मुहूर्त कब का निकला है?" रूद्र के कहने पर सब को अचानक से मुहूर्त का ध्यान आया तो पंडित जी ने कहां, "अगले हफ्ते का मुहूर्त सबसे उत्तम है। उसके बाद तो मलमास शुरू हो जाएंगे। आप लोग अगर चाहे भी तो एक महीने से पहले विवाह का कोई मुहूर्त नहीं है।"
अनन्या बोली, "आप बिल्कुल सही कह रहे हैं पंडित जी! आखिर यह हम दोनों ही परिवार मे पहली शादी है। इसी बहाने तैयारियों का थोड़ा वक्त मिल जाएगा। सगाई से ठीक पहले हम लोग पुरोहित जी से भी मिल लेंगे। रूद्र की कुंडली तो आप ले ही जा रहे हैं, शरण्या की कुंडली हम बाद में भिजवा देंगे।" ललित ने अनन्या को तिरछी नजर से देखा। उन्हें अच्छे से पता था कि अनन्या के पास शरण्या की कुंडली नहीं है और यह सब सिर्फ उसका बहाना था। अनन्या ने ललित की ओर देखा और नजर फेर ली।
शरण्या आज पिस्ता रंग के सलवार सूट में थी जो कि रुद्र का फेवरेट कलर था। रूद्र ने कुछ नहीं कहा बस उसे देख कर मुस्कुराते रहा। शरण्या के नीचे आने पर शिखा उसे अपने पास बैठाते हुए बोली, "आप इतनी देर से कहां थी बेटा कब से आपका इंतजार कर रही थी!" शरण्या बोली, "आंटी वो क्या है ना! आजकल मेरे कमरे में कुछ बंदर बिना वजह घुसा आ रहे हैं। उन्हें भगाने के चक्कर में मेरी बालकनी के पर्दे टूट गए। अब ठीक भी तो करवाना पड़ेगा। इस चक्कर में मुझे देर हो गई वरना बहुत पहले आ जाती।" खुद के लिए बंदर कहता सुन रूद्र की त्योरिया चढ़ गई। ललित ने जब सुना तो बोले, "आपको पहले बताना था बेटा! मैं पूरी बालकनी में ग्रिल लगवा देता हूं, पर्दे से कुछ होने वाला नहीं।" शरण्या रूद्र को देखकर मुस्कुराए जा रही थी। लावण्या और रेहान समझ गए उसकी बातों का मतलब क्या था और रूद्र इतनी देर से कहां था। दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिये।
रेहान बोला, "वैसे शरण्या! शहर में बंदर कहां से आए? तुम बताया नहीं, आज तक हमें तो नहीं दिखे!" शिखा उन दोनों की बातों का मतलब अब कुछ कुछ बेहतर समझने लगी थी। उसने एक नजर रूद्र को देखा जिसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी। उसने बात बदलते हुए कहा, "वह सब छोड़ो। कहां तुम लोग भी यह सब बातें लेकर बैठ गए। अच्छा शरण्या यह तो बताओ, कल तुम नेहा के घर गई थी ना उसके भैया के रिसेप्शन में! सब ठीक तो रहा ना? वैसे उन लोगों ने शादी ना बड़ी दूर जाकर की यहां से होती तो हम लोग भी शामिल हो जाते। वैसे नाम क्या है उसकी भाभी का?"
शरण्या बोली, "अरे आंटी! सब कुछ बहुत अच्छा रहा। नेहा की भाभी सच में बहुत खूबसूरत है। सिंपल सी है ज्यादा मेकअप नहीं कर रखा था उन्होंने लेकिन इसके बावजूद बहुत ही प्यारी लग रही थी वह। सबका मन था यहीं से शादी करने का लेकिन अमित भैया ही चाहते थे की शादी ऊटी से हो। भैया क्या! भाभी ही चाहती थी उनकी शादी ऊँटी से हो इसीलिए जल्दबाजी में सबने वहाँ जाकर सिंपल तरीके से शादी संपन्न कराई और रिसेप्शन यहां रखा ताकि सब को बुला सके। कुछ भी कहो, नेहा की भाभी है बहुत प्यारी। दिखने में भी और बातें करने में भी। मानसी नाम है उनका। जितनी जल्दबाजी में अमित भैया की शादी तय हुई उस हिसाब से लगा नहीं था कि उन्हें इतनी प्यारी बीवी मिलेगी लेकिन याए विहान भी ना! एक नंबर का मूडी है। अमित भैया से तो मिला लेकिन भाभी से नहीं। वह तो बस एक नजर दूर से उन्हें देख कर चला गया। रुका भी नहीं, उसके बाद कहां गया उसका कुछ अता पता नहीं।"
"मानसी!!!" यह नाम रूद्र के दिमाग में खटका। उनका ऊटी जाकर शादी करने की बात सुन रूद्र को जैसे कुछ याद आ रहा ही। मानसी नाम उसने पहले भी सुना था और ऊंटी तो वह लोग 2 साल पहले गए थे। विहान कल अमित के रिसेप्शन में गया था और बिना मिले चला गया। यह बात उसे खटकी क्योंकि कल विहान काफी ज्यादा डिस्टर्ब लग रहा था और वैसे भी ऊटी से आने के बाद विहान अपने आप में ही खोया हुआ रहता था। गर्लफ्रेंड बनाना तो दूर किसी लड़की से दोस्ती तक नहीं की उसने। कभी इतनी ज्यादा नहीं पी जितना उसने कल रात पी लिया था। आखिर इसकी वजह क्या थी और सुबह भी वह सीधे नेहा के घर के सामने रुका था। इस वक्त विहान कहा था यह किसी को नहीं पता था। रूद्र सोच में पड़ गया।
क्रमश: