Chapter 101

Chapter 101

YHAGK 100

Chapter

 100






  आधी रात के बाद रूद्र घर लौटा और सीधे अपने कमरे में जाने को हुआ तभी उसे एहसास हुआ कि कोई हॉल में बैठा हुआ है। उसने मुड़कर देखा तो उसके पिता अभी भी वहीं सोफे में बैठे हुए थे, शायद उसी का इंतजार कर रहे थे। वह उनके पास आया और बोला, "पापा आप इतनी रात तक क्यों जाग रहे हैं? और यहां क्यों बैठे है? आपको सो जाना चाहिए था। देर रात तक जागना अच्छी बात नहीं होती है।"


     धनराज जी बोले, "देखो तो कौन ज्ञान दे रहा है! जो पूरी पूरी रात खुद घर से गायब रहता था और आज भी देर रात घर से लौट रहा है वह मुझे समझा रहा है। बेटा बाप हूं मैं तुम्हारा!! तुमसे ज्यादा दुनिया देखी है मैंने! नहीं, शायद मैं तो यह भी नहीं कह सकता।"


      रूद्र उनका हाथ पकड़ कर उनके सामने घुटने के बल बैठ गया और बोला, "पापा कैसी बातें कर रहे हैं आप! आपका बेटा हूं मैं, आपसे ज्यादा दुनिया नहीं देख सकता मैं।"


   धनराज जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले, "इतनी रात हो गई है। इस वक्त घर से बाहर मत रहा करो। अब मुझ में इतनी हिम्मत नहीं रह गई कि मैं तुम्हें डांट लगाऊ। तुम्हारी सारी बदमाशियां मैं झेलने को तैयार हूं, क्या सब कुछ फिर से ठीक नहीं हो सकता? मेरा परिवार इस वक्त पुरी तरह से बिखर चुका है। एक वक्त था जब हम सब एक साथ बहुत खुश थे। आज इस घर में कोई भी खुश नहीं है। तूम ने पूरी कोशिश की थी इस घर की खुशियों को बरकरार रखने की लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ। मेरी एक बात मानोगे?"


     रूद्र बोला, "आप आदेश दीजिए पापा! आपको कुछ भी कहने से पहले सोचने की जरूरत नहीं है।"


    धनराज जी बोले, "तुम शादी कर लो! मैं तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छी लड़की ढूंढ कर ले आऊंगा या फिर अगर तुम्हें कोई पसंद हो तो तुम बताओ, बस उसे ढूंढने की यह अपनी जिद छोड़ दो।"


   रुद्र बोला, "कैसी बातें कर रहे हैं पापा! किसने कहा कि मेरी शादी नहीं हुई है? जितने साल रेहान की शादी को हुए उतने साल मेरी शादी को भी हो गए। हां मैंने आप सब से छुपाया और उसके बाद मैंने झूठ भी बोला लेकिन इससे सच नहीं बदल सकता। हां मुझे एक लड़की पसंद है और मैंने उसी से शादी की है। अब बस जो गलती मैंने की उसे सुधारना है और उसे अपनी जिंदगी में वापस लेकर आना है। आप देख लेना, आपके हाथों से मुंह मीठा किया है मैंने, उसे ढूंढने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। आप चल कर सो लीजिए वरना आपकी तबीयत खराब हो जाएगी तो मां मुझे ही डाटेंगी और अपनी बेटी के सामने मुझे अपनी माँ से डांट नहीं खाना। मेरी अपनी भी कोई इमेज है पापा।"


     धनराज जी हंस पड़े। उन्होंने ध्यान दिया कि रूद्र के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट भी थी और आंखों में हल्की नमी भी। धनराज जी उठे और अपने कमरे में जाने को हुए तो उन्होंने पलटकर रुद्र से कहा, "रूद्र बेटा! मैं चाहता हूं कि कल तुम ऑफिस आओ। मैंने इस बारे में रेहान से कहा है कि वह तुम्हें आकर खुद कहें लेकिन फिर भी मैं चाहता हूं कि तुम कल ऑफिस आओ।"


    रूद्र बोला, "लेकिन पापा! जब रेहान नहीं चाहता तो फिर मैं ऑफिस क्यों..........! मैंने कहा ना, जो भी जरूरत होगी जहां पर जरूरत होगी मैं हूं आपके साथ।"


    धनराज जी बोले, "मैं कुछ नहीं सुनना चाहता। मैं कभी तुझे कोई हक नहीं दे पाया लेकिन यहां तेरा और रेहान का बराबर का हक है और यह मैं किसी को भी छीनने नहीं दूंगा। तुम कल ऑफिस आ रहे हो मतलब आ रहे हो। ईशान के साथ हमारी मीटिंग है, तुम भी उसे अटेंड करोगे। इसे मेरा आदेश समझो, मैं कुछ और नहीं सुनूंगा।"


    ईशान का नाम सुनकर ही रूद्र के कान खड़े हो गए। उसे इसी वक्त का तो इंतजार था। सिर्फ रेहान की वजह से वह ऑफिस नहीं जाना चाहता था लेकिन यहां बात ईशान से मिलने की थी तो फिर वह मना कैसे कर सकता था! अब तो सीधे सीधे उससे मिलकर उसी से बात करनी थी उसे। 


   रूद्र बोला, "ठीक है पापा! मैं कल ऑफिस आ जाऊंगा। आप चिंता मत कीजिए और अभी सोने जाईए।"


    धनराज जी ने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा और वहां से चले गए। रूद्र भी अपने कमरे में चला आया। मौली ने बेड साइड टेबल पर उसकी दवाइयां रखी थी। रूद्र ने दवाइयां ली और सो गया। अगले दिन के लिए उसने बहुत कुछ सोच रखा था। 




      धनराज जी जब सुबह उठे, उस वक्त तक शिखा जी नहा धोकर पूजा कर चुकी थी और आरती लेकर उन्हीं की तरफ आ रही थी। धनराज जी ने आरती ली और पूछा, "रूद्र अभी तक सोया हुआ है ना? देर रात घर आया था वो, कुछ देर सोने देना उसे। वैसे भी उसे देखकर लगता नहीं है कि वह पिछले कुछ रातों से ठीक से सोया होगा।"


     तभी मौली उबासी लेते हुए नीचे उतरी और अपने दादू से पूछा, "दादू, डैड कल रात घर नहीं आए थे क्या?"


    धनराज जी बोले, "आया था बेटा! सो रहा होगा वह अभी।"


    मौली बोली, "इंपॉसिबल!!! अपने कमरे में नहीं है वह। आज फिर मुझे सोता हुआ छोड़ कर चले गए।"


     तभी रूद्र की आवाज सुनाई दी। "तुम्हें अच्छे से पता है ना मेरे काम करने का तरीका क्या है! यह सब कुछ मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा। मुझे सारी रिपोर्ट्स आज रात तक चाहिए। तुम उसके लिए चाहे जो भी करो मुझे सिर्फ रिजल्ट से मतलब है और कुछ नहीं। काम आज पूरा हो जाना चाहिए।"


    सबकी नजर दरवाजे पर घूम गई। उन्होंने देखा रूद्र अपने कान में हेडफोन लगाए किसी से सख्ती से बात कर रहा था। उसके चेहरे पर गुस्सा था यानी वह अपने किसी एंप्लॉय को गुस्से में बातें सुना रहा था। मौली बीच में पड़ते हुए बोली, "डैड......! कितना परेशान करते हैं आप उन्हें! बेचारी सिंथिया! कितना काम करेगी? हर बात पर आप उन्हें डेडलाइन दे देते हैं। यह काम इतनी देर में, वह काम इतनी देर में....... सोचना भी तो चाहिए किस काम में कितना टाइम लग सकता है!"


     रूद्र बोला, "बेटा ये ऑफिस की बातें हैं, आपकी समझ में नहीं आएंगे। आप जब बड़े हो जाओगे तब आप खुद भी इसी तरह काम करोगे।"


    रूद्र ने मौली के बालों में अपने उंगलीया फिराई फिर अपने मां पापा का आशीर्वाद लिया और आरती लेकर वापस अपने कमरे में चला गया। धनराज जी रुद्र की लाइफ स्टाइल देख कर परेशान थे। सिर्फ काम को अपनी जिंदगी बना रखा था उसने, उसकी खुद की जिंदगी कोई मायने नहीं रखती थी। 




     शिखा जी ने नाश्ता तैयार करवाया और सब को बुलाने के लिए भेज दिया। रूद्र ने भी सबके साथ बैठ कर नाश्ता किया और वहां से जाने को हुआ तो धनराज जी के कहे मुताबिक रेहान ने रूद्र से ऑफिस चलने को कहा। रूद्र बोला, "तुम और लावण्या निकलो, मैं थोड़ी देर बाद आता हूं। मुझे भी ऑफिस से कुछ काम निपटाने है, वह सब करके ही आऊंगा। ज्यादा वक्त नहीं लगेगा, तुम दोनों निकलो!" कहकर वह सीधे अपने कमरे में चला गया। रेहान चिढ़ गया और अपने पिता से बोला, "पूरा टाइम तो अपने कमरे में रहता है वह! घर से निकलने के लिए उसके पास फुर्सत नहीं है। अपने काम के लिए वह तुरंत निकल जाएगा।" कहकर उसने अपना बैग उठाया और बाहर निकल गया। लावण्या भी उसके पीछे ऑफिस के लिए निकल गई। 






      ईशान को जब पता चला कि रूद्र भी उससे मिलने ऑफिस आ रहा है तो उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसे इसी वक्त का तो इंतजार था, जब वह रूद्र से आमने सामने बात करेगा। आखिर शरण्या ने सिर्फ और सिर्फ उसके लिए ईशान को छोड़ा था और ये बात ईशान से बर्दाश्त नहीं हुई थी और ना ही आज हो रही थी। रूद्र से मिलकर उसे नीचा दिखाना, इस वक्त का उसने बेसब्री से इंतजार किया था। वह तैयार हुआ और सीधे ऑफिस के लिए निकला। लेकिन ऑफिस जाने से पहले वह नेहा के हॉस्पिटल गया। 


     नेहा की ड्यूटी खत्म हो चुकी थी और वह घर जाने के लिए निकल चुकी थी इसलिए उससे ईशान का सामना नहीं हो पाया। हॉस्पिटल के एक वार्ड बॉय ने उसे देखा और उसे लेकर सीधे लिफ्ट में चला गया। लिफ्ट सीधे टॉप फ्लोर पर आकर रुकी। 


    ईशान ने उस वार्डबॉय को वहीं रुकने को कहा और खुद लिफ्ट से बाहर चला गया। उस हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर पर आने की इजाजत किसी को नहीं थी। वह फ्लोर पूरी तरह से ईशान के लिए बुक था, आखिर ईशान उस पूरे हॉस्पिटल का मालिक जो था। अपनी मर्जी से वह कहीं भी आ जा सकता था। उसने एक कमरे के दरवाजे पर हाथ रखा और हल्के से धक्का देते हुए खोल कर अंदर चला गया। अंदर कोई था जिसे देखकर ईशान के चेहरे पर मुस्कुराहट और चौङी हो गई। वह धीरे से दबे पांव उसके करीब आया और बिस्तर पर बैठ गया। कुछ देर उस चेहरे को निहारने के बाद वो उसकी तरफ झुका और उसके कान में बोला, "शरण्या...........!तुम्हारा रूद्र आ गया है! और आज मैं तुम्हारे रूद्र से मिलने वाला हूं!"


     रुद्र का नाम सुनकर ही शरण्या के शरीर में हल्की सी हरकत हुई। इसे देख ईशान को गुस्सा आ गया। उसका दिल किया अभी इसी वक्त जाकर रूद्र की जान ले ले। बेहोशी की हालत में भी शरण्या को रुद्र का नाम सुनाई दे रही थी। शरण्या पिछले आठ सालों से कोमा मे थी और पूरी दुनिया के लिए वो मर चुकी थी। वशान ने अब तक उसे अपने पास संभाल कर रखा था और पूरी दुनिया से छुपा कर ताकि जब भी उसे होश आए वह शरण्या से शादी कर सके और उसे वह दर्द दे सके तो उसने कभी ईशान का दिया था। 


     रूद्र इस हॉस्पिटल में आया भी था और इसी बात से ईशान थोड़ा सा परेशान था। अगर गलती से भी रूद्र को यह भनक लग गई कि शरण्या यहां इस हॉस्पिटल में है, अगर गलती से भी नेहा ने रूद्र को बता दिया कि शरण्या जिंदा है तब वह क्या करेगा? उसने किसी को फोन किया और बोला, "हॉस्पिटल की सिक्योरिटी टाइट कर दो। मुझे यहां आने जाने वाले हर इंसान की सारी खबर चाहिए, खासकर एक इंसान! अगर वो इस हॉस्पिटल के आसपास भी नजर आता है तब भी मुझे खबर होनी चाहिए।"


     दूसरी तरफ से कुछ कहा गया और ईशान ने फोन रख दिया। एक बार फिर उसकी नजर शरण्या पर गई उसके चेहरे पर मुस्कुराहट वापस लौट आई। वह फिर से शरण्या के तरफ झुका और उसके बाल सहलाते हुए बोला, "डार्लिंग...... मैं आज उस रूद्र से मिलने जा रहा हूं। मुझे गुड लक विश नहीं करोगी ताकि मैं अच्छे से उसकी और उसके पूरे परिवार की जिंदगी नर्क बना सकूं और उन सभी को सड़क पर लाकर खड़ा कर सकूं! जानता हूं तुम उससे बहुत प्यार करती हो और तुम्हारा यही प्यार तो उसके पूरे परिवार की बर्बादी की वजह बन रहा है। उसके पूरे परिवार को मैं दीमक की तरह चाट रहा हूं और किसी को कानों कान खबर तक नहीं है। उन्हें एहसास भी नहीं है कि अब तक जो भी बर्बादी हुई उनकी सब मैंने किया है और वह बेचारे अभी भी मुझ पर भरोसा किए हुए हैं। अब क्या कर सकते हैं! उनकी किस्मत में यही लिखा था। इस सब मे मेरी कोई गलती नहीं है! चलो मैं चलता हूं, आज फाइनली रूद्र से मिल ही लूंगा।" कहकर उसने शरण्या के माथे को चूमा और वहां से वापस दरवाजा बंद कर बाहर निकल गया। 


     लिफ्ट में आते हुए उसने उस वार्डबॉय से कहा, "इस फ्लोर की सिक्योरिटी पहले से ज्यादा टाइट होनी चाहिए। इस फ्लोर पर आने के लिए एक खास आई कार्ड की बंदोबस्त कर लो।"


     वार्ड बॉय बोला, "जी सर, ऐसा ही होगा। वैसे इतने सालों में कभी इस फ्लोर पर कोई नहीं आया तो अब अचानक से क्यों?"


     ईशान ने उसे गुस्से में घूर कर देखा तो वह बेचारा डर गया लेकिन ईशान अचानक से मुस्कुरा दिया और बोला, "जितना कह रहा हूं उतना करो! अगर तुम्हारी नौकरी तुम्हें प्यार ही नहीं है तो फिर तुम जा सकते हो। तुम्हें यहां काम करने के लिए रखा गया है ना कि सवाल करने के लिए।"


    उस वार्ड बॉय ने अपना सर झुका लिया और खामोश हो गया। ईशान अपनी गाड़ी के पास आया और खुद से बोला, "मैं आ रहा हूं रूद्र! मेरा इंतजार करना!" कहकर वो अपनी गाड़ी में बैठा और वहां से निकल गया। जितना बेचैन ईशान रूद्र से मिलने के लिए था, उतना ही बेताब रूद्र भी ईशान से मिलने के लिए था। पता नहीं इन दोनों की मुलाकात का क्या अंजाम होना था!!!