Chapter 7
humsafar 7
Chapter
7 थोड़ी ही देर मे कंचन जी ने नास्ता टेबल पर लगते हुए बोली, "अरे क्या हो गया तो!! थोड़ा तो खा ही सकते है। ज्यादा नही तो बस हमारा दिल रखने को ही सही।"
बेचारा कार्तिक!!! आलू के पराठे देख उसके मुह मे पानी आ रहा था लेकिन सारांश की वजह से कुछ बोल भी नही पा रह आ था। जैसे ही कंचन जी ये कहा, कार्तिक को मौका मिल गया और उसने लपक कर एक कुर्सी खीची और बैठ गया।
"अरे सारांश अब जब माँ इतने प्यार से बोल रही है तो उनका दिल रखने के लिए हम एक पराठा तो खा ही सकते है। तुम भी बैठो न,,, आओ। माँ बहुत ही अच्छा पराठे बनाती है एक बार ट्राई तो करो आओ आओ" कार्तिक ने कहा तो सारांश भी बैठ गया, भूख जो लगी थी इसीलिए ज्यादा नखरे नही दिखा सकता था।
"अब तुझे नही जाना?? देर हो रही थी न तुझे! क्या हुआ?" काव्या ने अवनि को घूरते हुए कहा। सारांश ने कार्तिक को इशारा किया तो कार्तिक अवनि को बोला, "अरे अवनि तुम भी बैठो हमारे साथ। सारांश के ऑफिस ही तो जाना है ना तो सारांश के साथ ही चली जाना। जब बॉस यहाँ है तो तुम ऑफिस जा कर क्या करोगी! आओ बैठो और हमारे साथ नास्ता करो।"
कार्तिक की बात पर सब ने हामी भरी तो अवनि भी चुपचाप टेबल पर बैठ गयी लेकिन हाय रे किस्मत सामने सारांश ही बैठा था। नास्ता करते हुए कार्तिक खाने की तारीफ करते जा रहा था लेकिन सारांश चुपचाप बैठा तिरछी नजरो से अवनि को बीच बीच मे देखे जा रहा था जो सर झुकाए खा रही थी। हाथ धोने के बाद सारांश कंचन जी की ओर देखकर कहा, "आंटी आप सच मे बहुत ही अच्छा खाना बनाती है।" ऐसा कहते हुए सारांश के चेहरे पर मुस्कान थी जिसे देख कंचन जी जैसे मंत्रमुग्ध हो गयी।
सारांश अखिल की ओर देख कर बोला, "अंकल अगर आप लोग के पास टाइम हो तो कुछ बात करनी थी शादी से रिलेटेड।" यह सुन अखिल और कंचन जी ने एक दूसरे को देखा। "अरे नही पापा घबराने वाली कोई बात नही है। वो क्या है की माँ और बड़ी माँ थोड़ी बिज़ी थी तो हमें भेज दिया। " कार्तिक ने कहा।
"अंकल आँटी काव्या प्लीज.... " सारांश ने इशारे से उन तीनों को बैठने को कहा और अवनि की ओर घूम कर कहा "मिस् अवनि!!!! मैंने सुना है की आप चाय बहुत अच्छा बनाती है। क्या आप हमारे लिए चाय बना देंगी प्लीज!!!!!!" सारांश ने प्लीज पर कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा। अवनि ने एक बार सब की ओर देखा और सारांश को खिसियानी मुस्कान देकर किचन मे चली गयी। "पता नही क्या करने वाला है" अवनि मन ही मन सोचने लगी।
"ऐसी क्या बात हो गयी बेटा?? " अखिल जी ने पूछा।
"वो क्या है पापा की....अगर आप लोगो को ऐतराज न हो तो माँ और बड़ी माँ चाहती है की शादी की रस्मे एक साथ हो। एक ही वेन्यु पर।" कार्तिक ने कहा।
"एक साथ..!! हम कुछ समझे नही" अखिल और कंचन जी एक साथ बोल पड़े।
"मतलब ये अंकल की शादी की सारी ज़िम्मेदारी मेरी होगी वेन्यु से लेकर मेन्यू तक मेरी रिस्पांसिबिलिटि।" सारांश ने बड़े आराम से कहा। "आप लोगो को किसी भी तरह की कोई परेशानी नही होगी। बस अपना सारा टाइम अपनी बेटी को दीजिये और शादी एंजॉय कीजिये। किसी और बात की टेंसन लेने की कोई जरूरत नही है अगर आप सब को कोई एतराज ना हो तो। "
"कैसी बात कर रहे है बेटा आप!!! अगर समधन जी को कोई एतराज नही है तो हमें भी कोई एतराज नही है। लेकिन कायदे से तो हम लड़की वाले है बारात के स्वागत का खर्चा तो हमें ही करना है, क्यों कंचन जी? " अखिल जी ने कहा तो कंचन जी ने हामी भरी।
"मैंने कहा न अंकल.... शादी की सारी ज़िम्मेदारी मेरी होगी, ना लड़के वालो की और ना लड़की वालो की। वैसे हम लड़के वाले की तरफ से है लेकिन ये मेरी मॉम का आदेश है और मै भी इन सब मे कुछ नही कर सकता" सारांश ने अपनी बात रखते हुए कहा। "देखा जाए तो अच्छा ही है मेहनत आधी हो जायेगी तो हम सब शादी को अच्छे से एंजॉय कर पाएंगे और रही बात काव्या और आप लोगो के पसंद ना पसंद की तो अवनि होगी ही मेरे साथ मुझे गाइड करने के लिए। आप लोग चिंता मत कीजिये सब वैसा ही होगा जैसा आप चाहते है।"
"जैसा आप सब ठीक समझे। हमें तो बस बच्चो की खुशियो से मतलब है।" कंचन जी ने काव्या की ओर देखकर कहा। "और वैसे भी अपने हमारी अवनि को अपने पास काम दिया उसके लिए भी आपका बहुत बहुत आभार" अखिल जी ने कहा, इतने मे ही अवनि सब के लिए चाय ले आई। चाय पीने के बाद सारांश और कार्तिक ने सब से विदा लिया। कार्तिक काव्या को लेकर शॉपिंग के लिए निकल गया और सारांश अवनि को साथ लेकर चला गया।
गाड़ी मे बैठते ही सारांश ने अवनि को कंट्रैट् फाइल पकड़ा दिया जिसमे साफ लिखा था की वह तीन महीने तक सारांश की असिस्टेंट बन कर रहेगी जिसके बदले उसे हर महीने पचास हजार सैलरी के तौर पर मिलेगी साथ ही तीन महीने से पहले अवनि अपनी मर्ज़ी से जॉब नही छोड़ सकती वरना उसे तीन महीने की सैलरी के दस गुना चुकानी होगी। आखरी कंडिसन पढ़कर अवनि थोड़ी सोच मे पड़ गयी। अवनि को सोच मे डुबा देख सारांश ने कहा, "सोच लो तुम्हारी मर्ज़ी है, सिर्फ तीन महीने की ही बात है, और ये कंट्रैट पेपर कार्तिक ने ही बनवाये है। मुझ पर नही तो अपने कार्तिक जीजू पर तो भरोसा है न!!!! "
अवनि ने थोड़ा सोचा और साइड मे जा कर कार्तिक को फोन लगाया और उससे पेपर्स के बारे मे पूछा तो कार्तिक ने सारांश की बातों पर मुहर लगा दी। अपने जीजू की बात मान कर अवनि ने साइन कर दिया जिसे देख सारांश के चेहरे पर शैतानी स्माइल आ गयी। "कहाँ जाना है?" अवनि ने पूछा तो सारांश हैरानी से उसे देखने लगा।
"जाहिर सी बात है हम लोग ऑफिस तो जा नही थे तो फिर कहाँ????" अवनि ने फिर सवाल किया।
"तुम्हे कैसे पता की हम लोग ऑफिस नही जा रहे?" सारांश ने पूछा।
"क्योंकि आप इन घर के कपड़ो मे ऑफिस नही जायेंगे और अगर ऑफिस जाना ही होता तो ये पेपर्स लेकर यहाँ नही आते इसीलिए पूछा।" अवनि ने सिट बेल्ट लगाते हुए कहा। सारांश को अवनि की स्मार्टनेस् पर प्राउड फील हुआ और वह उसे एकटक देखने लगा। जैसे ही अवनि ने नज़र उठाई उसने देखा सारांश उसे ही देखे जा रहा है। एक पल को अवनि उन आँखों मे खो सी गयी। थोड़ी ही देर मे अवनि को अपने हाथ पर सारांश का हाथ महसूस हुआ। इससे पहले वह कुछ समझ पाती, एक 'टक' की आवाज़ से अवनि होश मे आई तो उसे समझ मे आया की सारांश ने उसकी सीट बेल्ट लगायी है जिसकी क्लिप उसके हाथ मे थी और लगाने की कोशिश कर रही थी।
क्रमश: