Chapter 124

Chapter 124

YHAGK 123

Chapter

 123




विहान को शरण्या से मिलने जाना था लेकिन रूद्र ने फिलहाल उसे और मानसी को मना कर दिया। रूद्र नहीं चाहता था कि शरण्या के सामने एकदम से सारी सच्चाई आए और उसके दिमाग पर ज्यादा जोर पड़े। फिलहाल जितने लोग उसके सामने थे उसके बारे में जानना शरण्या के लिए जरूरी था। विहान और मानसी के बारे में वह बाद में भी जान सकती थी। 


    रूद्र से बात करने के बाद विहान अपने कमरे में आया जहां से उसे कुछ फाइल उठानी थी। जब अपने कमरे में आया तब उसने मानसी को खिड़की के पास खड़ा देखा। छोटा बेबी पालने में अपने हाथ पैर चला रहा था और शायद अपनी मां को आवाज देने की कोशिश कर रहा था लेकिन मानसी सबसे बेखबर अपनी दुनिया में खोई हुई थी। विहान ने मानसी के कंधे पर हाथ रखा और पूछा, "क्या हुआ मनु? कहां खोई हो, क्या हो गया है तुम्हें? देख रहा हूं कल से परेशान हो तुम।"


     विहान की आवाज से मानसी की तंद्रा टूटी और वह वास्तविकता में लौटी। वाकई में वह परेशान थी। जब से उसे नेहा के बारे में पता चला था वह परेशान थी और यह परेशानी की बात भी थी। इस वक्त नेहा की हालत सिर्फ मानसी समझ सकती थी लेकिन इस बारे में वह विहान को बताएं या ना बताएं, यह तय नहीं कर पा रही थी।


    विहान ने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में थामा और फिर पूछा, "मन में कोई बात नहीं रखते मनु! हमारे बीच ऐसा कोई राज नहीं, कोई पर्दा नहीं। तुम अपनी परेशानी मुझसे बांट सकती हो और यह मुझे कहने की जरूरत नहीं है। अगर तुम्हें हिचकिचाहट हो रही है इसका मतलब कोई बहुत बड़ी बात है वरना मुझे कभी इस तरह पूछना नहीं पड़ता।"


     मानसी ने महसूस किया, इतने सालों में विहान ने उसे इतना प्यार दिया है, इतना साथ दिया है कि अब वह खुद भी चाहे तो विहान से कुछ छुपा नहीं पाती। उन दोनों के बीच छुपाने जैसा कुछ था भी नहीं। हर वह वादा जो विहान ने किया था, हर पल उसने उस वादे को निभाया है। मानसी ने मन ही मन तय किया और बोली, "एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है विहान! मेरी समझ नहीं आ रहा मैं कैसे बताऊं! नेहा अभी घर पर नहीं है और यह बात उसी के बारे में है।" 


     विहान बड़े ध्यान से मानसी की बात सुन रहा था। मानसी ने आगे कहा, "विहान! नेहा प्रेग्नेंट है और वह.......!"


     "और वो यह बच्चा नहीं चाहती, है ना?" विहान ने उसकी बात पूरी करते हुए कहा। 


     मानसी ने हां में सर हिला दिया और बोली, "इस वक्त उसके मन की हालत मै अच्छे से समझ सकती हूं विहान! कभी मैं भी उन्ही हालात में थी। नफरत करती थी मैं उस इंसान से जिसका बच्चा मेरी कोख में था। खत्म कर देना चाहती थी उस निशानी को भी, उस नन्ही सी जान को भी। नेहा भी बिल्कुल उसी राह पर है लेकिन उस वक्त मेरे पास आप थे! नेहा के पास कोई नहीं है जो उसे संभालेगा। उसके बच्चे को अपना नाम देगा और नेहा इस दर्द के साथ नहीं जीना चाहती। कुछ समझ में नहीं आ रहा विहान! मैं भी तो वही थी ना! आज भी मैं पूरी तरह से वहां से नहीं निकल पाई हूं। आपका प्यार आपका साथ ना होता तो शायद कहीं अंधेरे में गुम हो चुकी होती। उस दर्द से गुजर चुकी हूं इसलिए मुझे नेहा की फिक्र हो रही है।"


     विहान ने मानसी को गले से लगाया और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा, "तुम चिंता मत करो! हम सब मिलकर नेहा को कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे। भगवान सब अच्छा ही करेंगे। नेहा ने कभी किसी का बुरा नहीं किया और ना कभी किसी का बुरा चाहा। उसने शरण्या के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। यकीन नहीं होता वह उस इंसान की बहन है जो औरतों की इज्जत करना नहीं जानता।" 


    मानसी बोली, "नेहा को सब पता है। ईशान ने उसे मेरे बारे में सब कुछ बता दिया था। नफरत करती है वह अपने भाई से।"




    रूद्र सबके लिए कॉफी लेकर आया और टेबल पर रखते हुए बोला, "सबके लिए गरमा गरम स्पेशल कॉफी।"


    रेहान बोला, "अभी कुछ देर पहले ही तो लंच किया है सब ने। इस वक्त कॉफी कौन पीता है भाई?"


    शरण्या बोली, "इस वक्त ठंड इतनी है कि दिन भर में 15 कप कॉफी पी लो तब भी कम लगता है। अभी कॉफी पी लो उसके बाद बाकी बातें होंगी।" कहते हुए शरण्या ने जैसे ही कॉफी का मग उठाने के लिए हाथ बढ़ाया रूद्र ने उसके हाथ पर मारते हुए कहा, "खबरदार जो इसे हाथ भी लगाया तो! यह तुम्हारे लिए नहीं है!"


    शरण्या को कॉफी पीनी थी लेकिन रूद्र के इस सख्ती पर उसने बेचारी सा शक्ल बनाया और उसकी तरफ देखा लेकिन रूद्र का दिल नहीं पिघला। पीछे से नेहा उसके लिए दूध का ग्लास लेकर आई और शरण्या को पकड़ते हुए बोली, "तुझे यह पीना है। फिलहाल तु बाकी ऐसे किसी भी चीज से दूर रहेगी।" शरण्या को मजबूरी में दूध पीना पड़ा। 


    रूद्र ने एक-एक कर सबको कॉफी पकड़ाई और एक लावण्या की तरफ बढ़ा दिया तो लावण्या बोली, "थोड़ी देर पहले ही पी थी मैंने। वैसे भी, मुझे सिर्फ अपने हाथ की कॉफी पसंद है।" लावण्या ने जिस तरह से रूद्र के साथ बर्ताव किया, शरण्या को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन वह अपनी बहन को कुछ कह नहीं पाई।


    उसी वक्त एक आवाज आई, "क्या मैं ले सकता हूं? सब ने देखा दरवाजे पर रजत खड़ा था। इस वक्त रजत को देखकर रूद्र बोला, "तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हो? कुछ अर्जेंट था जो?"


    "आप ही ने ये फाईल मंगवाए थे। शायद आप भूल रहे हैं........!" रूद्र को अचानक से कुछ याद आया और उसने कहा, "हां तुम रखो! मैं थोड़ी देर में उसको देख लेता हूं।" तो रजत बोला, "सर.......! क्या मैं वह कॉफी ले सकता हूं? आपके हाथ की कॉफी बहुत अच्छी लगती है।" रजत जिस तरह हिचकिचाते हुए बोला उससे रूद्र को हंसी आ गई और उसने एक कॉफी उसकी तरफ बढ़ा दी। रेहान कॉफी पीते हुए बोला, "लावण्या! तुम्हें नहीं पता तुमने क्या मिस किया है!"


   शरण्या ने जैसे ही अपना दूध खत्म किया, रूद्र उसे फिर से गोद में उठा कर ऊपर कमरे की तरफ ले गया। शरण्या को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन रूद्र नहीं चाहता था कि शरण्या ज्यादा चल फिर करें। घर वाले भी यह बात अच्छे से समझते थे कि इस वक्त शरण्या को ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत है। किसी को भी इससे कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन लावण्या ने नजरें फेर ली। 


     ऊपर जाते हुए शरण्या की नजर सीढ़ियों के पास लगे कई सारे फोटो फ्रेम्स पर गई जहां एक फोटो फ्रेम में रेहान और लावण्या की शादी की तस्वीर भी लगी हुई थी। उसे देख शरण्या की आंखें हैरानी से फैल गई। उसे लगा यह लावण्या और रूद्र के शादी की तस्वीर है और उसी ने उन दोनों की शादी करवाई है, जैसा कि रूद्र ने बताया था। ऊपर जाते ही शरण्या ने खुद को छुड़ाना चाहा तो रूद्र ने उसे नीचे उतार दिया। शरण्या हैरान होकर बोली, "कहीं तेरी शादी मेरी लावी दी के साथ तो नहीं हुई है? मेरी बहन से शादी कर ली तूने?"


     रूद्र ने जब सुना तो उसके मुंह पर जल्दी से हाथ रखकर बंद किया और बोला, "क्या बकवास कर रही है तू? मैं तेरी बहन से शादी क्यों करूंगा? नीचे देख!"


     शरण्या ने नीचे झांककर देखा तो रेहान अपने मग से लावण्या को कॉफी पीने को कह रहा था ताकि वह एक बार टेस्ट करके जरूर देखें। लावण्या थोड़ी नाराज सी थी और रेहान उसे मनाने का मौका ढूंढ रहा था। उन दोनों को देखकर शरण्या हैरान होकर बोली, "इसका मतलब लावण्या दी की शादी रेहान से हुई है?"


     रूद्र ने मुस्कुराकर हाँ में सर हिलाया और बोला, "तुझे मेरी बीवी से नहीं मिलना?" शरण्या ने भी जल्दी जल्दी हाँ मे सर हिलाया तो रूद्र उसे लेकर अपने कमरे की तरफ चला आया। उस बंद दरवाजे को देखकर बोला, "मेरी बीवी भी तुझसे मिलने के लिए बेचैन है। अंदर जा, वो तेरा इंतजार कर रही है।"


    शरण्या के लिए बहुत अजीब सिचुएशन थी। आखिर लावण्या नहीं, नेहा नहीं तो फिर कौन हो सकती है? उसने रूद्र की बात मानते हुए दरवाजा खोला और अंदर गई। अंदर का कमरा काफी खूबसूरती से सजा हुआ था। यूं तो उसे रूद्र का कमरा हमेशा ही बहुत खूबसूरत लगता था लेकिन आज वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रहा था। फूलों और लाइटों से सजा वह कमरा बिल्कुल वैसा ही था जैसे वह अपने कमरे को रखती थी। लेकिन उस कमरे में कोई नहीं था। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई तो वहां उसे कुछ बहुत अजीब लगा। वहां कुछ पेंटिंग्स रखी हुई थी। 


     शरण्या ने उन पर लगा पर्दा हटाया तो वह सारी तस्वीरें शरण्या की ही थी। रूद्र उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और बोला, "मिली मेरी बीवी से?"


     शरण्या एकदम से चौंक पड़ी और पलट कर कहा, "नहीं!!!" रूद्र उसे आईने के सामने खड़ा करते हुए बोला, "वह देख मेरी बीवी को! है ना खूबसूरत? लगती है ना हमारी जोड़ी एकदम परफेक्ट!"


     शरण्या को जैसे कुछ सुनाई ना दिया हो। वह हैरानी से बस रूद्र को देखे जा रही थी तो रूद्र ने पीछे से उसके कमर में हाथ डालते हुए एक बार फिर कहा, "मैंने पूछा कैसी लगी मेरी बीवी?"


     रूद्र की सांसे शरण्या की कानों से टकराइ और एक सिहरन सी उसके पूरे शरीर में दौड़ गई। उसने अविश्वास से रूद्र की तरफ जैसे ही पलट कर देखा, दीवार पर लगी उसकी और रूद्र की तस्वीर उसे नजर आई। वही तस्वीर जो बनारस में ली गई थी। शरण्या वाकई में दुल्हन के रूप में थी। पूरे मांग सिंदूर से सजाए रूद्र के साथ बैठी थी लेकिन इस सब के बावजूद भी उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था। उसनें फिर सवाल किया, "तु झूठ बोल रहा है ना?"


     रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "नीचे जो तेरा स्वागत हुआ, तुझे क्या लगता है यह कोई नॉर्मल था? मां ने अपनी बहू का स्वागत किया था। मुझ पर नहीं तो कम से कम मेरी मां पर तो भरोसा कर ले। तुझे अभी भी यकीन नहीं होता ना तो मैं दिखाता हूं।" कहकर रूद्र अपने कमरे में बनी अलमारी की तरफ गया और उसे खोल दिया। 


     "यह देख, तेरा सारा सामान यहाँ है। इस कमरे को मैंने बिल्कुल वैसे ही सजाया है जैसे तू रखती थी। ध्यान से देख इस कमरे को, तुझे लगता है मुझे कभी यह कार्टून प्रिंट वाले बेडशीट पसंद आते होंगे? तुझे पसंद थे। और यह पर्दे! मेरे कमरे में गुलाबी पर्दे किस काम के?" फिर बहुत धीरे से चलते हुए उसने शरण्या के करीब आकर उसके चेहरे को थाम कर कहा, "इस कमरे में हमने एक नहीं कई रातें गुजारी है। इस कमरे के हर एक कोने में हमारे प्यार की खुशबू है। बहुत सी यादें हैं जान! और वह यादें ही मेरी जिंदगी है। तेरे साथ गुजरा हर वक्त मेरे लिए सबसे कीमती है। और तू......तू तो अनमोल है मेरे लिए! बहुत प्यार करता हूं तुझसे, बहुत ज्यादा। ये बात मां पापा भी बहुत अच्छे से जानते हैं और इसीलिए तेरे मम्मी पापा ने भी तेरे यहां रहने से कोई एतराज नहीं किया।"


    शरण्या की आंखों में आंसू आ गए और उसने रूद्र को मारते हुए कहा, "कल से परेशान कर रखा है मुझे! सीधे-सीधे बोल नहीं सकता था! पता है कितना बेचैन थी मैं?"


    रूद्र उसे चिढ़ाते हुए बोला, "किस बात से परेशान थी तु? तेरे अपने सर में तो दिमाग है नहीं, कल से सारी डिटेल दे दी मैंने। कहा भी कि मेरी बीवी ने जबरदस्ती मुझसे शादी की और यह भी कहा कि तेरी वजह से मेरी शादी हुई, तब भी तेरे दिमाग में कुछ नहीं आया। मुझे पता है कि तुझे सफर में बहुत ज्यादा भूख लगती है, मुझे पता है कि तुझे कुशन गोद में लेकर बैठना कितना पसंद है। तेरी हर छोटी-छोटी आदतों को जानता हूं। तब भी तु समझ नहीं पाई कि मैं किसकी बात कर रहा हूं? सच में तेरी अकल तेरे घुटनों में है! इतना सब करने के बाद भी तुझे समझ नहीं आया तो इसमें मेरी क्या गलती? तू खुद सोच, मेरी जगह अगर रेहान तेरे लिए इतना कुछ करता तो क्या लावण्या को यह सब अच्छा लगता? कभी नहीं! क्योंकि कोई भी लड़की यह कभी नहीं चाहेगी कि उसका पति उसके अलावा किसी और को इतनी इंपॉर्टेंस दे, फिर चाहे वह उसकी बहन ही क्यों ना हो!" 


     शरण्या को अब सारी बातें समझ आ रही थी। रूद्र ने अपनी बाहें फैला दी तो शरण्या भागते हुए उसके सीने से जा लगी। जिंदगी एक बार फिर उसकी बाहों में थी। बरसों बाद एक बार फिर रूद्र जी उठा था। 


    तभी रेहान की गुस्से से भरी आवाज रुद्र के कानों में पड़ी जो उसी को आवाज दे रहा था।