Chapter 150

Chapter 150

YHAGK 149

Chapter

 149








 रूद्र छत पर खड़ा अपने फोन को हाथ में लिए एक नंबर डायल करने की कोशिश में लगा था। उसे इशिता को कॉल करना था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी उससे बात करने की। इतनी देर रात उसे फोन करना सही भी नहीं लग रहा था। इस वक्त साउथ अफ्रीका में शाम थी लेकिन फिर भी इशिता को मौली के बारे में बताने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। ना जाने वह कैसे रिएक्ट करती? आखिर वो एक मां थी। 




वह भी सोच ही रहा था कि उसे वक्त उसका फोन बजा। रूद्र ने देखा तो शरण्या का कॉल था। उसने फोन उठाकर कान से लगा लिया और बोला, "हेलो!!"


    शरण्या गुस्से में बोली, "तुम तो भूल ही गए हो कि तुम्हारी एक बीवी भी है। जब से मैं गई हूं तब से एक बार भी तुमने मुझे कॉल नहीं किया। तुम कहां गायब हो? तुम्हें पता है तुम कितने बदल गए हो? बिल्कुल भी पहले की तरह नहीं रहे तुम!"


     रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "तुम्हें कैसे पता कि मैं पहले की तरह नहीं हूं! हो सकता है अभी भी कई सारी लड़कियों के साथ मैं डेट पर जा रहा हूं। या फिर इस वक्त मैं किसी के साथ डेट पर मौजूद हूं।"


     शरण्या चिढ़कर बोली, "मैं तुम्हारा खून कर दूंगी अगर ऐसी वैसी कोई हरकत की तो! रूद्र कहां हो तुम? मुझे तुमसे मिलना है, तुम्हें देखना है!"


     इतना सुनते ही रूद्र ने फोन काट दिया। शरण्या हैरान रह गई और कहा, "इसे हुआ क्या? मेरा फोन काट दिया इसने! मैंने कहा मुझे बस इसको देखना है, इस से मिलना है और यह है कि भाव खा रहा है !अभी इसे फोन लगाती हूं।"


    लेकिन उसी वक्त रूद्र का कॉल आया। शरण्या ने देखा यह वीडियो कॉल था। उसने अपने सर पर हाथ दे मारा और कहा, "मैं भी कितनी बड़ी स्टुपिड हूं! उसनें मुझे वीडियो कॉल करने के लिए फोन काटा था।" शरण्या ने जल्दी से फोन उठाया और इससे पहले वह कुछ कहती रूद्र बोला, "सॉरी मैंने तुम्हारा फोन काटा! मुझे भी तुम्हें देखने का बहुत दिल कर रहा है। पिछले कुछ दिनों में तुम्हारी आदत सी पड़ गई है। तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा। तुम्हें नहीं जाना चाहिए था।" कहते हुए उसने दीवार से पीठ लगा दी। 


    शरण्या बस उसके चेहरे की मासूमियत देखती रह गई। और कुछ देर बाद कहा, "तुम ही ने कहा था ना जाने को! इसलिए चली गई।" 


     रूद्र भी उसे चिढ़ाते हुए बोला, "मतलब मैं कहूंगा तुम्हें चले जाने को तो तुम चली जाओगी मुझे छोड़कर? देखना मैं भी ऐसे ही तुम्हें छोड़ कर चला जाऊंगा सिर्फ तुम्हारे एक बार कहने पर!"


     रूद्र ने ये बात मजाक में कही थी लेकिन शरण्या बेचैन हो उठी और उस चिल्लाते हुए बोली, "अभी बस एक बार कह दिया रूद्र! यह बात दोबारा मत कहना! अगर तुम मुझे छोड़कर गए ना तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगी। तुम्हें पता है ना मैं तुमसे कितना प्यार करती हु! मुझे परेशान करने का एक मौका नहीं छोड़ते हो तुम!" कहते हुए उसकी आंखों से आंसू गाल पर लुढ़क आए


     उन आंसूओं को देख रूद्र को अहसास हुआ कि उसने अभी अभी क्या कहा। उसे खुद ही समझ नहीं आया कि उसने ऐसा कैसे कहा! उसने माफी मांगते हुए कहा, "शरु.....! सॉरी!! माफ कर दो यार मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। तुझे भी अच्छे से पता है मैं तुझसे कितना प्यार करता हूं। तुझे गए अभी कुछ घंटे ही हुए हैं और एक घर मुझे सूना सूना लग रहा है। कमरे में जाने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही। तेरे बिना जीना कितना मुश्किल है यह मैं अच्छे से जानता हूं। तुझसे दूर होकर जिंदगी मेरी है ही नहीं। तू है तो यह जिंदगी है, तू नहीं तो कुछ नहीं। तेरे पापा ने कहा इसलिए मैंने तुझे भेजा। बस ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता! उससे ज्यादा नहीं। तु वापस आ जाना, बस मुझे कुछ नहीं सुनना।"


     शरण्या ने आपने आँसू पोंछे और मुस्कुरा कर कहा, "तु बारात लेकर आ जा मेरे घर! जैसे मम्मी पापा ने कहा। उनकी बातों का मान रख ले और ले जा मुझे अपने साथ। अब यह तेरी मर्जी, तु कल ही लेकर आता है या 1 हफ्ते बाद! लेकिन मुझे अभी तेरे पास आना है। देख ना! मुझे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही। तेरी बाहों में बहुत अच्छी नींद आती है। आजा मेरे पास, तेरी बीवी तुझे बुला रही है। ठीक है बीवी ना सही गर्लफ्रेंड समझ कर ही सही आजा मेरे पास!"


    रूद्र थोड़ा मजाक के मूड में था तो उसने कहा, "तेरे मम्मी पापा को मैं क्या कहूंगा कि मैं इतनी रात को उनकी बेटी से मिलने आया हूं?"


   शरण्या बोली, "मम्मी पापा को कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। तु सिर्फ मुझसे मिलने आ जा। मेंरे बालकनी का दरवाजा बंद नहीं हो पा रहा। शायद लॉक खराब है। खोल कर ही सोना पड़ेगा।"


   उसकी बातों का मतलब समझ कर रूद्र मुस्कुरा दिया और गुड नाईट बोल कर फोन काट दिया। तभी उसे लावण्या की आवाज सुनाई दी, "वह इतने प्यार से बुला रही है तो चले जाओ! वैसे ही जैसे पहले जाते थे......... बाल्कनी से कूदकर!"


    रूद्र मुस्कुरा दिया और फोन अपने पॉकेट में रख लिया। लावण्या के हाथ में कॉफी के दो मग थे। उसने एक रूद्र की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "आज मैंने बनाई है, पीकर देखो कैसी बनी है?"


     रूद्र ने भी कॉफी का मांग लिया और एक सिप् लेते हुए बोला, "दिखने में तो सब कुछ नॉर्मल है लेकिन अंदर से थोड़ी अटपटी सी है। इसका स्वाद सिर्फ उसी को समझ आएगा जो खुद इसको टेस्ट करेगा। कभी-कभी बाहर से सब कुछ अच्छा लगता है लेकिन अंदर की बात शायद ही किसी को पता होती है। हम किसी के दिल में झांक कर नहीं देख सकते लावण्या! वैसे कॉफी काफी अच्छी बनी है।"


    लावण्या मुस्कुरा दी और कहा, "किसके दिल में क्या है यह सिर्फ उसी इंसान को पता हो सकता है। कोई और कभी नहीं जान सकता जब तक जुबान कुछ ना कहें। अक्सर जुबान खामोश होती है तो आंखे बोलती है लेकिन आंखों की भाषा हर किसी को नहीं आती। किसके दिल में कपट है और किस का दिल छलनी है फिर सिर्फ उसी इंसान को पता होता है।"


     रूद्र ने कॉफी की घूंट भरी और कहा, "तुम्हारे दिल में क्या है लावण्या? तुमने कहा था तुम रेहान को नहीं छोड़ोगी, उसे एक और मौका दोगी!"


   लावण्या बोली, "मैं रेहान को नहीं छोडूंगी रूद्र! कभी नहीं छोडूंगी! आखिर वह मेरा पति है। शादी की है हमने, ऐसे कैसे छोड़ दूं मैं उसे!"


   लावण्या के कहने का दो मतलब निकलता था तो रूद्र ने अपनी भौंहे टेढ़ी कर ली। उसे देख लावण्या बोली, "थोड़ा बदला लेना तो बनता है ना रूद्र! सारा दर्द सारी तकलीफ मैं ही क्यों सहू? जो दर्द उसने मुझे दिया है उसमें आधी हिस्सेदारी उसकी भी तो है! सात फेरे लेते हुए उसने मुझे वचन दिया था कि हर सुख में दुख में हम दोनों बराबर के भागीदार होंगे तो जिस आग में मैं जल रही हूं, उसी आग में उसे भी जलना है और वह जल रहा है।" 


     लावण्या की बात सुन रूद्र हैरान रह गया। उसने पूछा, "ऐसा क्या किया है तुमने? तुम उन लड़कियों में से नहीं हो जो इस तरह का कुछ करोगी! ऐसा क्या किया तुमने जो रेहान तुमसे दूर रहने लगा है? सुबह तुम ही ने कहा था!"


     लावण्या बड़ी बेपरवाही से बोली, "अगर मैं तुमसे कहूं कि रेहान की तरह मैं भी किसी और के साथ सोई तो क्या तुम यकीन करोगे?"


    रूद्र की आँखे हैरानी से फटी की फटी रह गई। उसने कहा, "बकवास बंद करो अपनी लावण्या! ऐसा कभी नहीं होगा! रेहान से बदला लेने के चक्कर में तुम क्या से क्या बनती जा रही हो! तुम्हें एहसास भी है कि तुम क्या कह रही हो?"


    लावण्या हंसते हुए बोली, "लेकिन तुम्हारे भाई को तो यही लगता है ना! उसे लगता है कि नए साल की रात को मैं यहां किसी और के साथ थी।"


     रूद्र उसे चुप कराते हुए बोला, "लावण्या अपनी बकवास बंद करो! और क्या हरकत है? यह किस तरह का गेम खेल रही हो तुम रेहान के साथ? लावण्या! नफरत को नफरत से नहीं काटा जा सकता! ना ही जहर का इलाज जहर होता है! वैसे ही धोखे का जवाब धोखा नहीं होता! मैं जानता हूं तुम कभी भी रेहान के साथ धोखा नहीं करोगी। लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक करने की बजाए तुम ने इसे और भी उलझा दिया। किसके साथ थी तुम? बताओ मुझे किसके साथ थी तुम?"


    लावण्या साफ-साफ रूद्र से झूठ बोली, "इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। नए साल की पार्टी के दौरान मैंने थोड़ी सी वाइन पी थी जिस वजह से मुझे फूड पॉइजनिंग हो गया था। जतिन मुझे उसी टाइम डॉक्टर के पास लेकर गया। मेरा चेकअप करवाया। मेडिसन के साथ मैं ठीक हो गई और वो मुझे घर ले आया। कुछ देर मेरे पास रुका और सब के आने से पहले ही यहां से निकल गया ताकि कोई हमें लेकर कुछ कहे नहीं। अब उसने मेरी केयर की इसका मतलब रेहान ने कुछ और निकाला तो इसमें मेरी क्या गलती? तुम्हारा भाई मुझे भी अपनी तरह समझता है। मैंने भी उसकी गलतफहमी को दूर नहीं किया। रहने दो कुछ वक्त उसे इसी गलतफहमी में। एहसास हो उसे भी मेरे दर्द का जो उसने मुझे दिया है। उस धोखे का जो उसने मेरे साथ किया। मैं अगर चाहूँ तब भी उसकी तरह नहीं हो सकती। मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ। पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं तुम परेशान हो। कुछ हुआ है क्या? पापा ने एक बार कहा और तुमने शरण्या को यहां से जाने दिया। जबकि तुम शरण्या को कभी उस घर में नहीं भेजना चाहते थे। फिर ऐसी क्या बात है जो तुमने अपना ही फैसला बदल लिया?"


     रूद्र नज़रे चुराते हुए बोला, "शरण्या उनकी बेटी है। मुझसे पहले उनका हक बनता है। इतना कुछ हुआ कि मैं शरण्या को अपनी नजरों से दूर नहीं करना चाहता था। उसे देखभाल की जरूरत थी और मैं अपने अलावा किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकता था। अब जबकि सब कुछ ठीक है और उन लोगों ने भी शरण्या को अपने साथ ले जाने की बात कही तो मैं कैसे मना कर देता? वह भी तब जब अनन्या आंटी खुद शरण्या को अपने साथ ले जाना चाहती थी। देखा है मैंने उनकी आंखों में शरण्या के लिए प्यार! शरण्या को मां चाहिए थी तो मैं उसे उसकी मां से कैसे दूर कर देता?"


    लावण्या ने फिर सवाल किया, "मौली को तो जाने से उसके साथ! शरण्या के लिए वो उसकी अपनी बेटी है। वह उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी। मां पापा को इस बात से कोई एतराज नहीं था लेकिन जिस तरह तुमने रिएक्ट किया उससे सभी हैरान थे।" 


     रूद्र बोला, "मौली की असलियत शरण्या के अलावा हर कोई जानता है। मैं नहीं चाहता कि मौली को वह सब कुछ फेस करना पड़े जिससे मैं उसे बचाता आया हूं। वह मेरी बेटी है। मेरी नजरों के सामने रहेगी तो मुझे अच्छा लगेगा। कम से कम कोई तो हो मेरे पास। अब अकेले रहने से दिल डरता है मेरा। बस इसलिए नहीं जाने दिया। ठंड बढ़ गई है लावण्या! तुम्हें अपने कमरे में जाना चाहिए। तुम्हारे और रेहान के बीच जो भी गलतफहमी है उसे खत्म करो। कोई रिश्ता एक बार जुड़ता है तो कभी टूटता नहीं। कागज के पन्नों पर दो लोग अलग जरूर हो जाते हैं लेकिन वो रिश्ता हमेशा के लिए नासूर बनकर सीने में चुभता है।"


    लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "तुम घबराओ मत! मैं इसे नासूर नहीं बनने दूंगी। सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। तुम चिंता मत करो और जाओ! तुम्हारी शरण्या तुम्हारा इंतजार कर रही होगी।"


      रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "रात बहुत हो गई है ना! इतनी रात को मेरा जाना सही नहीं होगा।"


    लावण्या ने तिरछी नजरों से उसे देखा और बोली, "तुम्हें कब से फर्क पड़ने लगा? वैसे भी कौन सा तुम दरवाजे से जाने वाले हो! शरण्या ने कहा ना कि उसके बालकनी का दरवाजा खुला हुआ है! ज्यादा नखरे मत दिखाओ और जाओ! तुम दोनों के रिश्ते की जो खूबसूरत यादें हैं उन्हें एक बार फिर से जी लो। शायद शरण्या को याद आ जाए। मैं दिल से चाहती हूं कि शरण्या इस घर में बहू बनकर आ जाए, तुम्हारी पत्नी बन कर। तुम भी तो यही चाहते हो ना! मैं चलती हूं सोने। रात बहुत हो गई है। गुड नाईट!" कहकर लावण्या वहां से चली गई। 


     रूद्र वहीं खडा थोड़ा सोचने लगा। इस वक्त वह वैसे ही कई सारी परेशानियों से घिरा हुआ था।