Chapter 75

Chapter 75

humsafar 75

Chapter

75  



    काव्या की प्रेग्नेंसी ने काव्या और कार्तिक के रिश्ते मे एक नया मोड़ ला दिया था। काव्या जब कार्तिक के लिए कुछ करने जा रही थी तभी ये बात सामने आई जिससे उन दोनो की सारी दुनिया ही बदल कर रख दी। कार्तिक तो इतना खुश था की उससे अपनी खुशी छुपाये नही छुप रही थी। उसने घर पहुँचते ही सारी प्लानिंग शुरू कर दी।

     "हम न  बेड के इस तरफ पालना लगाएंगे ताकि जब वो रात को रोये तो मुझे सब से पहले पता चले और तुम्हारी नींद खराब ना हो। एक काम करता हु, एक आलमारी खाली कर देता हु, नही...! एक नया ले लेते है ताकि उस के कपड़े और बाकी सारे सामान रखा जा सके। लेकिन उसके लिए पहले सारे सामानों की लिस्ट भी तो बनानी होगी। तुम एक काम करो, जो भी चाहिए उसकी लिस्ट बना दो। अरे....! मै तो भूल ही गया, सबको खबर भी तो करनी होगी, सबसे पहले माँ और बड़ी माँ को।" कार्तिक अपनी खुशी मे बोलता ही जा रहा था। 

    एक ओर जहाँ कार्तिक खुश था वही काव्या सोच मे डूबी थी। उसे यूँ खोया देख कार्तिक ने पूछा, "क्या हुआ काव्या! तुम खुश नही हो क्या? तुम्हें कही ये तो नही लग रहा की ये बच्चा जबरदस्ती....... "

     "नही कार्तिक....! तुम्हारी ही तरह मुझे भी ये उतना ही प्यारा है। लेकिन कुछ बातें है जिनका साफ होना जरूरी है। मान लो अगर कल को तुम्हें पता चले की चित्रा के दिल मे तुम्हारे लिए.........! तब क्या करोगे?" काव्या ने पूछा। 

     काव्या की बात सुन कार्तिक को गुस्सा आ गया,"तुम अभी भी उस बात को लेकर बैठी हो!!!" फिर थोड़ा शांत हो कर बोला,"सच कभी नही बदलता काव्या और मेरा सच, मेरी खुशी इस वक़्त तुम्हारे अंदर सांस ले रहा है। मै हमारे बच्चे को एक पूरा परिवार देना चाहता हु फिर चाहे तुम मुझे दुनिया का सबसे बड़ा स्वार्थी  ही क्यो ना कहो लेकिन मै तुम्हें खुद से या इस घर से दूर जाने नही दूँगा। तुम मेरी खुशी चाहती हो न, तो मेरे खुशी यही है, इस वक़्त जो मेरे पास है। तुम्हारे जाने से मै सिर्फ तुम्हें नही खोने वाला, बल्कि जो रिश्ते मुझे तुम्हारे साथ मिले है मै उन्हे भी खो दूँगा। तुम्हारी वजह से आज मेरे सिर पर पिता का साया है जो मुझ से बचपन मे ही छीन गया था। 

     तुम क्यों नही समझती काव्या की एक बच्चे को माँ बाप दोनों की जरूरत होती है। क्या चाहती हो तुम, जब ये इस दुनिया मे आये तो.......! क्या जवाब देंगे हम उसे!!! एक लड़की जब अपने करियर के लिए भी सब से लड़कर घर से निकलती है तो लोग कहते है जरूर किसी के साथ भागी है। तुम यहाँ से जाओगी तो किसी और की बात  छोड़ो बल्कि पापा भी तुम्हें ही गलत समझेंगे!  और रही बात चित्रा की तो अगर उसने मुझसे जुड़ने की कोशिश की तो उसके परिवार वाले उसका साथ कभी नहीं देंगे। किसी भी हाल में तुम्हें भी अपने परिवार से लड़ना होगा और चित्रा को भी, इसीलिए बेहतर यही है कि जो रिश्ता कैसा है वह वैसा ही रहे। तुम मेरी पत्नी हो और चिता मेरी दोस्त अगर फिर भी तुम जाना चाहती हो तो बेशक जाओ लेकिन इतना जान लो कि मेरे बच्चे को सगी मां के होते हुए सौतेली मां का प्यार कभी नहीं मिलेगा। अब यह तुम पर हैं कि तुम क्या चाहती हो क्योंकि इससे ज्यादा अब मैं तुम्हें नहीं समझा सकता और ना ही इस पर कोई बहस करना चाहता हूं "

    "मैं बस तुम्हारी खुशी चाहती हूं कार्तिक! फिर वह चाहे जैसे भी हो। अगर तुम नहीं चाहते तुम्हें कभी इस बारे में बात नहीं करूंगी और ना कभी सोचूंगी" काव्या ने कहा जिससे कार्तिक का गुस्सा थोड़ा कम हुआ। 

    "रात बहुत हो गई है सो जाओ। ज्यादा स्ट्रेस तुम्हारे लिए सही नहीं है हमें कल डॉक्टर के पास जाना है" कार्तिक ने काव्या को प्यार से सुलाया और उसका सिर सहलाने लगा थके होने के कारण कुछ देर में ही काव्या को नींद आ गई। कार्तिक ने प्यार से उसका माथा चूमा और सो गया। 


    सुबह नौ बजे के करीब अवनि की नींद खुली तो सारांश उसके बगल मे नही था। "अभी भी स्टडी रूम मे ही है क्या" सोच कर वह उठी और सारांश को आवाज़ देने लगी। लेकिन खुद को अंजान जगह पर देख कर और सारांश को ना पाकर डर गयी। उसने बार-बार सारांश को आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला जिससे एक डर अवनी के दिल में घर कर गया। उसने भागकर दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन दोनों हाथों से हैंडल पकड़कर खींचने पर भी दरवाजा नहीं खुला । 

      उसका एक हाथ दरवाजे के नॉब पर गया जिसके घूमने से झटके से दरवाजा खुल गया। दरवाजे के खुलते ही अवनि बाहर की ओर भागी और सारांश को फिर आवाज देने लगी। उसने अपने चारों ओर नज़र दौड़ाया लेकिन वहां कोई नहीं था। अनजान जगह पर खुद को अकेला पाकर अपने की हालत खराब हो गई और वह रोने लगी। तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा जिससे अवनि और ज्यादा डर गई। 

     अवनि ने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा तो सामने सारांश खड़ा था। सारांश को देखते ही वह उसके गले से जा लगी और फूट-फूट कर रोने लगी लगी। उसे यू रोता देख सारांश घबरा गया और पूछा " क्या हुआ अवनि! इतना रो क्यों रही हो, कोई बुरा सपना देखा क्या?"

      लेकिन अवनि बस रोए जा रही थी। सारांश ने उसे संभाला और पास रखी कुर्सी पर बैठाया। कुछ देर बाद जब अवनि शांत हुई तब उसने कहा "जब मैं उठी तब आप मेरे पास नहीं थे और यह किसी अनजान जगह पर मैं थी। मैंने आपको कितनी आवाज लगाई लेकिन आपने नहीं सुनी। मुझे लगा कोई मुझे आपसे दूर ले गया"  रोते-रोते अभी की हिचकियां बन्ध गई थी। 

     सारांश ने प्यार से उसका माथा सहलाया और बोला "अवनि! अगर कोई तुम्हें किडनैप करके ले आएगा तो क्या ऐसे घर में इस तरह रखेगा!!!"अवनि ने देखा पूरा घर फूलों से सजा हुआ था जिस पर अब तक उसका ध्यान नहीं गया था। 

     "मेरा ध्यान सिर्फ आप पर था, इन सब चीजों पर मेरा ध्यान ही नहीं गया। मैं बस आपको ही ढूंढ रही थी। आप जानते हैं आपके बिना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। लेकिन हम लोग है कहां और यह कौन सी जगह है"अवनी ने पूछा। 

    " हम लोग इस वक्त मनाली में हैं और यह हमारा एक छोटा सा विला है। जब तुम कार्तिक से मेरी शिकायत करने के बाद सो गई थी तब मैं तुम्हें यहां लेकर आया, अपने प्राइवेट चौपर से" सारांश ने मुस्कुरा कर कहा। 

    " आप सब सुन रहे थे छुप छुप के। जानते नहीं किसी की बात सुनना बुरी बात होती है" अवनी ने शिकायत भरे लहजे में कहा। 

   " क्यों! तुम ही ने कहा था ना कि मैं बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं हूं और मुझे कुछ भी याद नहीं रहता" सारांश ने झटके से उसे अपनी और खींचा और उसकी पीठ को अपने सीने से लगा कर चुके दोनों हाथ पकड़ लिए "हैप्पी वन मंथ एनिवर्सरी माय वाईफी! "  सारांश ने उसके कान में कहा। अवनि ने अपनी आंखें बंद करें ली उसके होठों पर मुस्कान तैर गई और खुद को सारांश की बाहों में ढीला छोड़ दिया। सारांश ने उसे अपने और करीब खींच लिया और उठाकर कमरे में ले गया। 


     काव्या की जब आंख खुली तो देखा की कार्तिक कमरे नहीं था। जैसे ही वह उठने को हुई उसके हाथ एक नोट लगी जिसमें लिखा था "मैं नीचे नाश्ता बना रहा हूं। उठते ही कॉल कर लेना, नीचे मत आना और बेड से उठने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है"  काव्या ने पास से अपना फोन उठाया और कार्तिक को कॉल लगाया। फोन के रिंग होते देख कार्तिक समझ गया कि काव्या उठ गई है।उसने नाश्ता पेट में लगाया और कमरे में चला गया। आज की सुबह कार्तिक और काव्या के रिश्ते के लिए नहीं सुबह थी। 

    " तुम्हें खाना बनाना आता है?"  कार्तिक के हाथ में प्लेट  देख काव्या ने  चिढ़ाने के अंदाज में पूछा। 

    कार्तिक की भौहें तन गई, उसने कहा "कब से कोशिश कर रहा हूं कुछ बनाने की! ऑनलाइन कई सारे वीडियोज देख लिया लेकिन कुछ समझ नहीं आया तो मैं तुम्हारे लिए दूध और ब्रेड और आमलेट ले आया। अब जल्दी से खा लो मैंने डॉक्टर को कॉल कर दिया है वह आती होंगी। 

     कार्तिक की बात सुनकर काव्या को हंसी आ गई। उसे यूं हंसता देख कार्तिक झेंप गया। "मुझे जगा दिया होता मैं बना देती। ऐसे तो मैं बोर हो जाऊंगी।" काव्या ने कहा।

    "बिलकुल भी नही! जब तक डॉक्टर नही कहेंगी तब तक तुम यही ऐसे मेरे आँखों के सामने रहोगी। तुम्हें जो भी काम है मुझे बता दो, मै कर दूँगा।" कार्तिक ने सख़्त लहजे मे कहा और नाश्ते की प्लेट उसके सामने कर दिया। तभी नीचे दरवाजे की घंटी बजी।  कार्तिक ने दरवाजा खोला तो सामने डॉक्टर खड़ी थी । 

      डॉक्टर ने एक बार काव्या को अच्छी तरह से चेकअप किया और कुछ मेडिसिन लिखी। खाने पीने में सावधानी बरतने को कहा और पेट में उठ रहे दर्द को मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं बताया। दो हफ्ते की कंप्लीट बेड रेस्ट के बाद एक बार फिर चेकअप के लिए आने को कहा और दवाई की पर्ची कार्तिक के हाथ में दे दी। कार्तिक उन्हें छोड़ने बाहर तक गया। "कार्तिक! ऐसे वक़्त पर काव्या पूरी तरह से ख्याल रखना जरूरी है। इस तरह का पेट दर्द का मतलब है की उसका यूटरस थोड़ा कमजोर है। फिजिकल वर्क जितना कम हो सके। और खुश रहना सब से ज्यादा जरूरी है।"

    "मै पुरा ध्यान रखूँगा!" कहकर कार्तिक ने गाड़ी का दरवाजा खोला और डॉक्टर ने अंदर बैठ कर ड्राईवर को चलने का इशारा किया। कार्तिक उन्हे भेजकर घर के अंदर जाने को मुड़ा तभी उसे पीछे से चित्रा की आवाज़ सुनाई दी, "कार्तिक......!"

     कार्तिक की नजर सामने खड़ी चित्रा पर गई। चित्रा डॉक्टर को कार्तिक के घर पर देख कर थोड़ी घबराई और उसने कार्तिक से सवाल किया,"कार्तिक क्या बात है? सब ठीक तो है!  डॉक्टर यहां क्यों आई थी?" कार्तिक पहले तो चित्रा को देखकर थोड़ा सा असहज हो गया लेकिन फिर उसने कहा, "वो काव्या की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए डॉक्टर को बुलाया था। अच्छा हुआ तुम आ गई, तुम चलो अंदर मैं बताता हूं।" कार्तिक ने कहा और उसे अंदर ले कर आ गया। 

    चित्रा को आया देख काव्य थोड़ी परेशान तो हुई लेकिन खुद को नार्मल करके मुस्कुराकर  उसका स्वागत किया। काव्य तो ऐसे बेड पर देख चित्रा को उसकी चिंता हुई। उसने एक नजर काव्या और एक बार कार्तिक की ओर देखा फिर सामने रखे प्लेट पर गई जिसमें ब्रेड आमलेट और दूध रखा था। चित्रा काव्या के पास गई और उसका माथा छू कर देखा और पूछा "तुम ठीक तो हो"

     कार्तिक कुछ कहना चाह रहा था लेकिन काव्या ने उल्टे उसी से सवाल किया, "मै ठीक हु लेकिन तुम इस वक़्त यहाँ कैसे? मेरा मतलब कुछ काम से आई थी या ऐसे ही मिलने!!!"

     चित्रा जिस काम के लिए आई थी वो तो भूल ही गयी थी, "हाँ वो याद आया! मै तुम्हारे ऑफिस गयी तो पता चला तुम आज नही आने वाले तो मै ही आ गयी। कार्तिक वो जो तुम्हारा ऑफिस डिजाइन करने का जो काम था वो.......!"

    इससे पहले चित्रा अपनी बात पूरी करती, कार्तिक ने कहा "वो आईडिया मेंने फिल्हाल ड्रॉप कर दिया है, वो एक्चुअली एक गुड न्यूज़ है, काव्या प्रेग्नेंट है।"  काव्या के प्रेग्नेंसी की खबर सुन चित्रा को एक झटका से लगा वो वही कुछ देर शांत बैठी रही। 




क्रमश: