Chapter 146

Chapter 146

YHAGK 145

Chapter

145




  रूद्र मौली को डिस्चार्ज करवाने के लिए डॉ स्मिता से मिलने गया। डॉ स्मिता अपने केबिन में ही थी। रूद्र ने नॉक कर के केबिन का दरवाजा खोला और अंदर चला गया। रूद्र को देखकर डॉ स्मिता मुस्कुराई और मौली के कुछ रिपोर्ट्स रूद्र की तरफ बढ़ाते हुए बोली, "अभी तक जो भी रिपोर्ट आई है वह सभी नॉर्मल है, बस एक ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आने में थोड़ा टाइम है। अब जब सब कुछ नॉर्मल है तो मुझे नहीं लगता कि मुझे मौली को ज्यादा देर यहां हॉस्पिटल में रखना चाहिए। वैसे भी वह बच्ची घर जाने के लिए कुछ ज्यादा ही बेचैन है। 


     रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "मैं भी अपनी बेटी को घर ले जाने के लिए बेचैन हूं। उसे कभी हॉस्पिटल में एडमिट नहीं करवाया मैंने। उसे जो भी फैसिलिटी चाहिए होती है वह सब घर में अरेंज कर देता हूं लेकिन कल रात ऐसा कुछ हो गया कि मुझे यहां आना ही पड़ा। हॉस्पिटल का माहौल ना मुझे पसंद है ना ही मेरी बेटी को, इसलिए जल्द से जल्द उसे यहां से डिस्चार्ज कर देते तो बेहतर होता।"


      डॉ स्मिता बोली, "कोई बात नहीं रूद्र! मैं समझ सकती हूं। नेहा ने बताया मुझे। मैं अभी बोल देती हूं किसी को, वह मौली के डिस्चार्ज पेपर तैयार करवा देंगे।" रूद्र वहां से उठा और मौली के रूम की तरफ बढ़ गया। 


   मौली और शरण्या दोनों ही आपस में उलझे हुए थे और हंसी ठिठोली करने में लगे थे। रूद्र अंदर आया और उन दोनों को डिस्टर्ब करने की बजाय मौली का सारा सामान समेटने लग गया। कुछ देर बाद ही रजत मौली के लिए नई ड्रेस ले आया। अपनी नई ड्रेस देख कर ही मौली बहुत ज्यादा खुश हो गई और उसी वक्त बाथरूम में जाकर चेंज कर आई। वो एक छोटी सी फ्रॉक थी जो कि घुटने से थोड़ी ऊपर थी। इस ड्रेस में वह बिल्कुल किसी परी के जैसी लग रही थी। 


     शरण्या ने उसे अपने पास बुलाया तो वह जाकर उसके गोद में बैठ गई। कुछ देर के बाद ही रजत मौली के सारे डिस्चार्ज पेपर तैयार करवा कर ले आया। डॉक्टर ने भी आकर एक बार मौली को चेक किया और फिर उसे घर जाने की इजाजत दे दी। रूद्र ने मौली को अपनी पीठ पर उठाया और हॉस्पिटल से बाहर चला आया। रजत सारा सामान डिक्की में रख कर ड्राइविंग सीट संभाल ली। रूद्र आगे पैसेंजर सीट पर बैठा और मौली को शरण्या के साथ पीछे बैठा दिया। 


     वह चारों हंसते खेलते घर पहुंचे तब तक शाम होने को थी। घर पहुंचने पर मौली ने जैसे ही घर के अंदर कदम रखा उसके सर पर एक बड़ा सा गुब्बारा फूटा और पेपर के कई सारे टुकड़े उसके ऊपर उड़ने लगे। उसने देखा, घर में सभी लोग उसके स्वागत के लिए तैयार थे और पूरा घर सजा हुआ था। घर के अंदर कदम रखते ही रूद्र ने कहा, "वैसे मैं क्या सोच रहा हूं! हर कोई एक बार हॉस्पिटल घूमने की तैयारी कर रहा है तो यह सारी सजावट हम ऐसे ही रहने देते हैं ! क्या कहते हो सब? बार-बार यह सारे डेकोरेशन का झंझट ही नहीं रहेगा!"


      शिखा जी रूद्र के कान पकड़ते हुए बोली, "तेरे कहने का मतलब हम में से हर कोई हॉस्पिटल में एडमिट होता रहे? यह चाहता है तू, नालायक!?" बरसों बाद शिखा जी ने रूद्र के कान खींचे थे। रूद्र को अच्छा लग रहा था फिर भी अपने कान छुड़ाते हुए बोला, "अरे नहीं मां! मेरे कहने का मतलब वह नहीं था! मेरा मतलब, जरूरी थोड़ी है कि कोई प्रॉब्लम हो तभी हॉस्पिटल जाया जाए! मतलब तो कोई और भी हो सकता है!"


    रूद्र ने बोल तो दिया था लेकिन उसकी बातों का मतलब उल्टा उसी पर भारी पड़ गया। लावण्या बोली, "इसका मतलब तुम और शरण्या बेबी प्लानिंग कर रहे हो? हॉस्पिटल जाने का बहुत अच्छा बहाना है। नेक काम में देरी कैसी? वैसे भी, मैंने तो पापा से बात की है। अब वो मम्मा से बात करें और तुम दोनों की जल्द से जल्द दोबारा से शादी करवा दी जाए, वह भी धूमधाम से। उसके बाद गुड न्यूज़ लाने हॉस्पिटल जाते रहना।"


    सभी ठहाका मारकर हंस पड़े और शरण्या पूरी तरह से शरमा गई। लेकिन रूद्र के मन में एक टीस सी उठी। वह खामोश रह गया और खुद से बोला, "काश! काश कि सब कुछ ठीक हो जाता! काश की मुझे शरण्या से यह सारी बातें छुपाने की जरूरत न पड़ती! उसे सब याद आ जाता तो शायद इस दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाता। इस वक्त मेरे सामने जो है वह सिर्फ एक सपना है। यह सपना सिर्फ सपना रहेगा या फिर हकीकत में तब्दील होगा, यह सिर्फ शरण्या के हाथों में है। भगवान!!! अब और कितनी परीक्षा लेनी बाकी है? अब और कितना इंतजार?"


     कुछ देर बाद ही पुलिस की एक गाड़ी सिंघानिया हाउस के बाहर आकर रुकी और उसमें से कुछ पुलिस वाले घर के अंदर दाखिल हुए घर के अंदर सभी मौली के आने की खुशी मना रहे थे। विहान मानव के साथ उसी घर पर था। रेहान इस सब से दूर अपने कमरे में बैठा कम कर रहा था। उसे मौली से कोई लेना-देना नहीं था। उसके दिमाग में बस लावण्या की बातें चल रही थी और जतिन का ख्याल उसके दिमाग में घूम रहा था। वो काम तो कर रहा था लेकिन उसका मन बिल्कुल भी काम में नहीं लग रहा था। लावण्या ने जिस तरह से उसे कल रात के बारे में बताया उससे रेहान के तन बदन में आग लग गई। इस वक्त गुस्से में उसका सर फटा जा रहा था। आखिर किसी और ने उसकी बीवी को छुआ जो था! 


     रेहान ने इस बारे में बात करनी चाही लेकिन लावण्या ने जिस तरह से रिएक्ट किया, उसके बाद से रेहान की हिम्मत नहीं हुई कि वह इस बारे में फिर से लावण्या से कोई बात करें! उसने गुस्से में अपना लैपटॉप बंद किया और साइड में रख दिया। वह अपने बिस्तर से उठा और कमरे में चहलकदमी करने लगा। "वह इंसान मेरे घर में आकर मेरे ही कमरे में मेरी ही बिस्तर पर मेरी बीवी के साथ.........., छी: सोचकर भी घिन् आती है। वह इंडिया में नहीं है! ऐसे में मैं क्या कर सकता हूं? अगर उस पर केस करता हूं तो वह कभी जब वापस नहीं आएगा! और अगर इस बारे में लावण्या को बताया, उसे यकीन हो गया कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है तो वह सच में कहीं कुछ करना बैठे! मैं क्या करूं? ना मैं उसे छोड़ सकता हूं, ना हीं उसके खिलाफ कुछ कर सकता हूं! ऐसे तो उसकी हिम्मत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। भगवान!!! प्लीज मुझे रास्ता दिखाओ।"


  लावण्या कमरे में आई उसने रेहान को इस तरह बेचैन देखा तो उसके मन को काफी तसल्ली मिली। उसने मुस्कुराकर कहा, "रेहान! नीचे पुलिस आई है। उनका कहना है कि कल रात पार्टी में जितने भी लोग थे, उन सब से कुछ बात करनी है। इसलिए तुम भी चलो। आखिर मौली तुम्हारी भी तो कुछ लगती है।"


    रेहान हड़बड़ा कर बोला,,"मौली मेरी कुछ नहीं लगती!"


   लावण्या उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "अरे यार! तुम इतना क्यों घबरा रहे हो? और मौली तुम्हारी भतीजी है, तुम्हारी बेटी जैसी है! ऐसे कैसे कह सकते हो तुम कि वह तुम्हारी कुछ नहीं लगती? तुम चाचू हो उसके, चलो नीचे! पुलिस आई है।"


    रेहान अपने कंधे से उसका हाथ हटाकर बोला, "तुम चलो मैं आता हूं।" लावण्या बिना कुछ और बोले वहां से नीचे चली गई। रेहान अपने कांधे को आईने में देखने लगा जहाँ लावण्या ने छुआ था। एक अजीब सी घुटन उसे हो रही थी। जिस लावण्या से वो बेहद प्यार करता था, उसी लावण्या का करीब आना उसे अब अच्छा नहीं लग रहा था। लावण्या की छुअन में उसे जतिन का एहसास हो रहा था। उसने अपने सारे ख्यालों को झटका और कहा, "इस सब में लावण्या की क्या गलती? उसे तो इस बारे में पता तक नहीं है। वह सिर्फ मुझसे प्यार करती है। जो भी हुआ वह नशे में हुआ रेहान! तूने भी तो गलती की तो थी, वह भी पूरे होशो हवास में! लावण्या तो फिर भी बेहोश थी। जरा सोचो, अगर लावण्या को सच्चाई पता चल गई तो वह क्या करेगी? ना तो वो तेरी सच्चाई बर्दाश्त कर पाएगी ना ही वह अपनी सच्चाई सह पाएगी।" सोचते हुए रेहान नीचे चला आया। 


     पुलिस वाले नीचे सभी घरवालों से एक-एक कर सवाल कर रहे थे और साथ ही मौली से भी। उन लोगों ने कुछ सवाल जवाब किए। मौली के पास जो भी जवाब थे, वह उसने साफ साफ शब्दों में बता दिया। मानव थोड़ा घबराया हुआ था। पुलिस वाले की नजर मानव पर कई तो उसे थोड़ा शक हुआ। उसने मानव से इस बारे में सवाल किया लेकिन मानव ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया। राहुल खुश था कि उसने मौली से अपना बदला भी ले लिया और साथ में मानव को इस तरह डरा दिया कि वह किसी से भी कुछ नहीं कहेगा। पुलिस वालों ने अपनी फॉर्मेलिटी निभाई और आगे के इन्वेस्टिगेशन का बोल कर चले गए। 


     उन लोगों के जाने के बाद राहुल के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। जिसे देखकर मानव बेचैन हो गया। विहान ने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा और कहा, "तु परेशान मत हो! इंस्पेक्टर ने कहा है ना कि वह मौली के लिए यहां सिक्योरिटी गार्ड तैनात करवा देंगे!"


    रूद्र ने कुछ कहा नहीं और मौली के पास बैठ कर उसे अपनी गोद में सुला लिया। मौली भी आराम से रूद्र के गोद में लेटी हुई अपने पज्जल सॉल्व कर रही थी। रेहान सबसे दूर जाना चाहता था इसलिए जैसे ही वह अपने कमरे में जाने को हुआ मानव बोला, "पापा! क्या पुलिस वाले सच में सब कुछ पता लगा लेते हैं?"


      विहान बोला, "हां बेटा! उन लोग पास कोई सारे तरीके होते हैं सच जानने के। बड़े से बड़े क्रिमिनल से भी वो लोग सच उगलवा लेते हैं। आप चिंता मत कीजिए! जिसने भी मौली के साथ ऐसी हरकत की है वह जल्द से जल्द पकड़ा जाएगा।"


     विहान और मानव के इस सवाल जवाब को सुनकर राहुल थोड़ा घबरा गया। उसे लगा कहीं मानव कुछ बोल ना दे। उसने मानव को इशारे से कुछ ना कहने को कहा जिससे मानव थोड़ा सा और घबरा गया और उसने कसकर विहान की कमर पकड़ ली। विहान को समझ नहीं आया कि आखिर मानव इतना घबराया हुआ क्यों है? उसने प्यार से मानव के सर पर हाथ फ़ेरा और कहा, "क्या हुआ बेटा? आप इतने घबराये हुए क्यों हो? कुछ हुआ है क्या? आप जानते हो इस बारे में कुछ? बताओ मुझे!"


     मानव कुछ नहीं बोला तो विहान ने फिर कहा, "बेटा मैं आपका पापा हूं ना! और आप तो अपने पापा से कुछ नहीं छुपाते हैं! फिर ऐसी क्या बात है बताओ आप मुझे।"


    रूद्र का ध्यान भी मानव की ओर गया। उसने भी नोटिस किया कि मानव कुछ ज्यादा ही घबराया हुआ था। क्या उसे इस बारे में कुछ पता था? यह सोचकर ही रूद्र बेचैन हो गया और मानव के जवाब का इंतजार करने लगा। मानव कहीं कुछ बोल ना दे, इसलिए राहुल बोला, "कुछ नहीं है अंकल! यह एक नंबर का फट्टू है। पुलिस को देख कर ही यह डर क्या होगा। वैसे भी यह तो हर छोटी छोटी बात पर घबरा जाता है। मैं इसे लेकर जाता हूं अपने साथ। आप लोग आराम से बात कीजिए।" कहते हुए राहुल ने जैसे ही मानव का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचना चाहा, मानव ने जोर से उसका हाथ झटका और धक्का देकर उसे दूर गिरा दिया। 


     लावण्या ने दौड़कर राहुल को थामा तो विहान ने मानव से कहा, "मानव्! यह क्या तरीका है? राहुल दोस्त है आपका और आप उसके साथ इस तरह बिहेव कर रहे हो? किसने सिखाया आपको यह सब? यह अच्छी बात नहीं होती बेटा!"


     मानव जो इतनी देर से चुप था वह चीखते हुए बोला, "मुझे नहीं जाना इसके साथ कही! ये मेरे साथ भी वही करेगा जो उसने मौली के साथ किया। मुझे भी ले जाकर कहीं पर बंद कर देगा यह। उसे तो उसके पापा ने ढूंढ लिया था मुझे कोई नहीं ढूंढ पाएगा। यह मुझे भी किसी बेसमेंट में ले जाकर बंद कर देगा फिर मैं हमेशा के लिए वही रह जाऊंगा, आप सब से दूर। मुझे नही जाना इसके साथ। ये बहुत गंदा है।"


    मानव की बात सुन वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। लावण्या को यकीन नहीं हुआ कि उसके बेटे ने ऐसी हरकत की थी, वह भी अपनी ही बहन के साथ! सबकी नजर राहुल पर थी और राहुल बुरी तरह से घबराया हुआ था।