Chapter 62

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humsafar 62

Chapter

62






    श्रेया लंच टाइम मे ऑफिस के कैफेटेरिया गयी। वहाँ जाते हुए वह मानव से टकराई जो उसी ओर जा रहा था। मानव ने एक नज़र उसकी ओर देखा और फिर ऐसे मुड़ कर चला गया जैसे उसने श्रेया को देखा ही नही हो। श्रेया को मानव का ऐसा व्यवहार बिलकुल भी पसंद नही आया। दोनो चाहें कितना भी लड़ते हो लेकिन जब भी जरूरत होती थी, दोनो एक दूसरे के काम जरूर आते थे। 

    मानव के व्यवहार मे आये इस अचानक बदलाव की वजह श्रेया समझ नही पा रही थी। वह आगे बढ़ी और कैफेटेरिया मे जाकर अपने लिए कॉफी लिया। खाना खाने का बिलकुल भी मन नही था और रही सही कसर मानव के बर्ताव ने पूरी कर दी थी। श्रेया का मन था वहीं कुछ देर बैठने का लेकिन जब उसकी नज़र मानव पर गयी जो अपने  महिला दोस्तों के साथ हँसी मजाक करते हुए खाना खाने मे व्यस्त था, उसका दिल किया वही कॉफी उसके मुह पर मार दे लेकिन खुद को रोक लिया और वहाँ से वापस चली गयी। 


   अवनि सबके साथ एनजीओ पहुँची और वहाँ के जरूरी काम देखने लगी। सिया ऑफिस के लिए निकल गयी और बाकी वही रुक कर अवनि के साथ काम मे हाथ बटाने लगे। शाम तक सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी और कुछ ही देर मे सारे लोग भी इकट्ठा होने लगे। चित्रा सबसे पहले ही वहाँ पहुँच गयी थी। अवनि से बात करने के बाद उसे काफी बेहतर महसूस हुआ था। इसीलिए कल पूरी रात सोचने के बाद आज उसने अपनी लाइफ का एक बड़ा फैसला लिया था। 


    काव्या शाम को अपने बुटीक से वापस आई और जन्मोत्सव के लिए तैयार होने लगी। कार्तिक भी तब तक वापस आ चुका था और तैयार  हो रहा था। काव्या नहा कर आई और अपना श्रृंगार किया। कार्तिक वही कमरे मे मौजूद था जब काव्या ने आखिर मे सिंदूर की डिबिया खोली और सिंदूर उठाये उसके हाथ मांग तक जाकर रुक गए। उसकी नज़र कार्तिक पर पड़ी मानो वह कहना चाह रही हो की इस सिंदूर पर चित्रा का अधिकार है, मेरा कोई हक नही"

         कार्तिक ने देखा तो अपने हाथ मे सिंदूर लेकर काव्या की मांग मे भर दिया और कहा, "तुम मेरी पत्नी हो काव्या और ये आज का सबसे बड़ा सच है फिर चाहें आगे जो भी हो। आज, इस वक़्त, इस पर तुम्हारा हक है और यही सच है।"

     कार्तिक ने मुस्कुरा कर काव्या को देखा तो काव्या की आँखों मे आँसू आ गए। वह एक बार कार्तिक के गले से लग कर रोना चाहती थी और उसका दिल दुखाने के लिए माफी मांगना चाहती थी लेकिन उसके लिए अभी वक़्त नही था। काव्या सबसे पहले चित्रा को कार्तिक की लाइफ मे लाना चाहती थी जिससे उसका गिल्ट कम हो सके। वह मुस्कुराई और दोनो जाने के लिए निकल पड़े। 


    कुछ देर मे ही सभी मेहमान भी आने शुरू हो गए। अवनि ने खुद जाकर उन सभी का स्वागत किया। काव्या कार्तिक के साथ पहुँची। कार्तिक को देख चित्रा ने कोई प्रतिक्रिया नही दी और उन दोनो से पहले की तरह ही मिली। कार्तिक चित्रा के चेहरे के भाव पढ़ना चाहता था ताकि उसके मन की बात जान सके लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। मानव को देख कर अवनि को श्रेया की याद आई। वह मानव से इस बारे मे बात करना चाहती थी लेकिन सारांश ने मना किया था उन दोनो के बीच मे पड़ने से। 


     कुछ देर बाद ही श्रेया नज़र आई। बादामी रंग के साडी पहने श्रेया सच मे बहुत खूबसूरत लग रही थी। मानव की नज़र उससे हटने को ही तैयार नही थी और ये बात अवनि ने नोटिस कर ली। आज पहली बार श्रेया ने साडी पहनी थी और साथ मे हिल वाली सैंडल जिससे चलते हुए उसे काफी दिक्कत भी हो रही थी। श्रेया की नज़र जब मानव पर गयी तो मानव ने फिर अपना चेहरा दूसरी ओर घूमा लिया। 


        कार्तिक की नज़र चित्रा को ढूँढ रही थी। उसे वह अवनि के साथ नज़र आई। हल्के हरे रंग मे उसका गोरा रंग उसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा था। कार्तिक दूर से ही चित्रा को देख रहा था। चित्रा को एहसास जो गया की कार्तिक की नज़र उस पर है लेकिन उसने नज़रअंदाज़ कर दिया। चित्रा अब पूरी तरह मन बना चुकी थी की वह कार्तिक से बहुत दूर चली जायेगी। कार्तिक बस उससे अकेले में बात करने का मौका तलाश रहा था। काव्या ने कार्तिक की हेल्प करने की सोची और चित्रा को बहाने से बाहर भेजा।


     लेकिन कार्तिक को ये मौका इतनी आसानी से मिलने वाला नही था। चित्रा को सिया अपने साथ ले गयी। पूरे वक्त चित्रा किसी न किसी के साथ ही रही जिसके कारण कार्तिक कुछ कह ना पाया। वह अभी भी अपने दिल और दिमाग के बीच उलझा हुआ था। उसका दिल चित्रा की ओर ले जाता और दिमाग काव्या की जिम्मेदारी लेने को कहता । लेकिन काव्या तो जैसे अपना मन बना चुकी थी। उसे बस कार्तिक को उसके प्यार मिलवाना था। प्यार को खोने का दर्द वह अच्छे से जानती थी और वह नही चाहती थी की कार्तिक भी उस दर्द से गुजरे। 

    "काव्या.....! क्या ये सब जरूरी है? मेरा मतलब, अगर चित्रा के दिल मे मेरे लिए कुछ होता तो क्या वो मेरी शादी किसी से होने देती? मुझे नही लगता की ऐसा कुछ है और मै उसे फोर्स नही करना चाहता। ये भी तो सोचो की हम घरवालो को क्या कहेंगे, क्या समझायेंगे?" कार्तिक ने परेशान हो कर कहा। 

      "हमारा रिश्ता हमें खुद ही निभाना होता है कार्तिक! जब हम खुश होते है तब लोग पीठ पीछे हमारी बुराई करते है और हमारी लाइफ मे जब कुछ बुरा होता है तब लोग सिर्फ अफसोस जताते है लेकिन कोई भी हमारा साथ नही देता। हमारी खुशियाँ हो या हमारा दर्द, हमें अकेले ही संभालना पड़ता है। इसीलिए अपने दिल की सुनो, लोग क्या कहेंगे इस डर से हम अपनी लाइफ को खत्म तो नही कर सकते है। जो सही है वो सही है, और अपनी गलती मै तुम्हें दोहराने नही दूँगी। जिन चार लोगों के बारे मे तुम सोच रहे हो वो चार लोग सिर्फ कंधा देने के काम आते है, वो भी जीते जी नही" काव्या ने कहा। 

     "इसका मतलब तुम ने अपना पुरा मन बना लिया है? काव्या मुझे अभी भी ये अब सही नही लग रहा। क्या तुम अपना फैसला बदल नही सकती?" कार्तिक ने बेचैनी से पूछा। काव्या ने धीरे से मुस्कुरा कर उसके सीने पर हाथ रखकर थपकी दी और वहाँ से चली गयी। कार्तिक बस उसे जाते देखता रहा। 

      बच्चो ने कुछ प्रोग्राम बना रखा था इसीलिए सबसे। पहले उन का ही परफॉमेंस रखा गया। सभी लोग खुशी से देख भी रहे थे और उन की तारीफ भी कर रहे थे। तभी निक्षय की एंट्री ली। चित्रा ने जब देखा तो उसका हाथ पकड़ सबके बीच मे लाकर बैठा दिया। कार्तिक की नज़र जब उसपर गयी तो उसके और चित्रा के बारे मे सोच कार्तिक को उसका आना पसंद नही आया। 

     अगले परफॉर्मेंस को संभालने की जिम्मेदारी अवनि और चित्रा की थी। अवनि जब चित्रा को बुलाने के लिए आई तो उसकी नज़र निक्षय पर गयी। अवनि उसे यहाँ देख हैरान रह गयी। वह जानती थी की निक्षय सारांश के साथ ही गया था। अवनि की नज़र तुरंत ही दरवाजे पर टिक गयी। उसकी आँखे बेसब्री से सारांश के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसको ऐसे दरवाजे की ओर देखता पाकर निक्षय ने कहा, "वो नही आया।"

     अवनि को निक्षय की बात का भरोसा नही हुआ और वह दौड़ कर दरवाजे पर पहुँची लेकिन सारांश उसे कहीं भी दिखाई नही दिया। अवनि मायूस हो गयी लेकिन फिर भी दिल मे एक उम्मीद थी जो उसे बांधे हुए थी। 



क्रमश: