Chapter 173

Chapter 173

YHAGK 172

Chapter

 172




 एक और जहां रेहान और लावण्या की शादीशुदा जिंदगी टूटने के कगार पर थी, वही रुद्र और शरण्या अपना हनीमून एंजॉय कर रहे थे। पूरी दुनिया से बेखबर वह दोनों बस एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे। जैसा कि शिखा जी ने उन्हें हिदायत दी थी, उन दोनों ने बिल्कुल भी हिम्मत नहीं की किसी को कॉल करने की। लावण्या ने उन दोनों को गोवा कार्निवल के बहाने भेजा था और वह दोनों 3 दिनों तक उसी को इंजॉय करते रहे। उनका प्लान पूरे एक हफ्ते का था।


      लावण्या के जाने के बाद से रेहान अपने कमरे में ही चुपचाप बैठा हुआ था। ना उसने किसी से बात की ना ही वह अपने कमरे से निकला। शिखा जी बुरी तरह से परेशान थी कि आखिर वो रेहान को इस सब से कैसे बाहर निकाले। सुबह का वक्त था और वह रेहान के लिए नाश्ता प्लेट में लगा रही थी ताकि उसके कमरे में उसे खिला सके। उसी वक्त दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। शिखा जी ने मुड़कर देखा तो पाया एक लॉयर अपने हाथ में एक फाईल पकड़े वहां खड़ा था। 


      शिखा जी को देखते ही वो लॉयर उनसे इजाजत लेकर घर के अंदर दाखिल हुआ और बोला, "मैम मैं लावण्या जी की तरफ से आया हूं। उन्होंने जो तलाक के पेपर मिस्टर रेहान को दिए थे। उसी के सिलसिले में कुछ और भी पेपर्स पर उनके सिग्नेचर चाहिए ताकि हम प्रॉपर्ली डिवोर्स केस फाइल कर सकें। क्या आप मिस्टर रेहान को नीचे बुला देंगे प्लीज?"


      शिखा जी ने एक नजर ऊपर रेहान के कमरे की तरफ डाली और फिर मायूसी से उन्होंने अपनी आंखें मूंद ली। उन्होंने नाश्ते की प्लेट टेबल पर रखी और धीमी कदमों से रेहान के कमरे की तरफ गई। 


     रेहान पिछले कुछ रातों से सोया नहीं था और उसकी आंखें इस बात की गवाही दे रहे थे। वह वही बिस्तर के नीचे टेक लगाएं जाने कब से बैठा हुआ था। शिखा जी ने प्यार से रेहान के सर पर हाथ फेरा और बोली, "नीचे लावण्या के वकील आए हैं। तुमसे बात करना चाहते हैं। कुछ पेपर पर साइन करने हैं। तुम एक बार चलकर नीचे उनसे मिल लो।"


       लावण्या का नाम सुनते ही रेहान जैसे होश में आया


 उसने कुछ कहा नहीं और उठ कर नीचे चल दिया। वो लॉयर वही हॉल में सोफे पर बैठा हुआ था। रेहान को देखते ही उसने अपनी फाइल उसकी तरफ बढ़ा दी, साथ में पेन भी। लेकिन रेहान ने वह फाइल लेने से इनकार कर दिया और बोला, "मैं सबसे पहले लावण्या से बात करना चाहता हूं। उसके बाद ही किसी पेपर पर साइन करूंगा। अगर लावण्या सच में मुझसे तलाक चाहती है तो उसे मुझसे बात करनी होगी वरना नहीं।"


     रेहान की बात सुनकर लॉयर ने कुछ नहीं कहा और वहां से उठकर चला गया। बाहर जाकर उसने लावण्या को कॉल किया और रेहान की बातें उसे बता दी। लावण्या सोच में पड़ गई। उसे रेहान से कोई बात नहीं करनी थी फिर भी उसने उसे कॉल किया लेकिन मोबाइल पर नहीं बल्कि घर के लैंडलाइन पर। रेहान अभी भी हॉल में ही बैठा हुआ था। घर के फोन की घंटी बजने पर उसीने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से लावण्या बोली, "तुम्हें मुझसे जो भी बात करनी है वो ऑफिस में कर सकते हो। उसके अलावा मैं तुमसे कहीं और नहीं मिलूंगी। अगर तुम्हें मुझसे बात करनी है तो ऑफिस आ जाओ। वैसे भी पिछले कुछ दिनों से तुम्हारा काफी सारा काम पेंडिंग पड़ा हुआ है। आकर उन्हें भी देख लो।"


     लावण्या ने रेहान को कुछ भी कहने का मौका नहीं दिया और अपनी बात रख कर फोन काट दिया। रेहान का दिल दर्द से भर गया। आखिर सीधे-सीधे उसे फोन करने की बजाय उसने घर का नंबर यूज किया। अपनी हालत पर वह खुद ही हँस दिया और तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया। शिखा जी उसे आवाज देती रह गई कि उसने नाश्ता नहीं किया लेकिन रेहान को तो सिर्फ लावण्या से मिलना था। 


       राहुल और मौली वही डाइनिंग टेबल के पास थे। अपने मां पापा के बीच हो रही इस लड़ाई से राहुल वैसे ही थोड़ा सहमा हुआ था। उसकी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपने पापा के सामने जाए या फिर मां के पास जाने की बात करें। हमेशा चहकने वाला और बदमाशियां करने वाला राहुल एकदम से शांत हो गया था। मौली ने उसे साइड से गले लगाते हुए उसके बाजुओं पर हल्की थपकी दी और उसे अपनेपन का एहसास दिलाया तो राहुल ने भी कस कर उसे गले लगा लिया। आज पहली बार राहुल ने मौली को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया था। मौली इस सब से बहुत खुश थी लेकिन घर के हालात से वह बुरी तरह परेशान थी। फिर भी यह सारी बातें उसने रूद्र तक नहीं पहुंचने दी। शिखा जी ने दोनों बच्चों को नाश्ता कराया और ड्राइवर से कहकर दोनों को स्कूल के लिए भेज दिया। 




     रेहान ऑफिस पहुंचा और सबसे पहले उसने अपने असिस्टेंट से लावण्या के बारे में पूछा। लावण्या इस वक्त ऑफिस आई नहीं थी। जिससे रेहान और ज्यादा बेचैन हो गया। उससे लावण्या का इंतजार नहीं हो पा रहा था। हर गुजरता वक्त उसकी बेचैनी और बढ़ा रहा था। आज वह वक्त से पहले ही चला आया था। लावण्या के आने का एक फिक्स टाइम था और वह उसी वक्त ऑफिस पहुंची। 


     जैसे ही वह अपने केबिन में दाखिल हुई उसने सामने रेहान को वहां बैठे हुए पाया। लावण्या की असिस्टेंट उसके पीछे ही थी। रेहान को वहां देखकर उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया और बाहर चली गई। लावण्या रेहान की तरफ देखना नहीं चाहती थी। उसे अच्छे से पता था अगर उसने रेहान की तरफ एक बार भी देखा तो वह अपने फैसले से डगमगा जाएगी। उसने अपने हाथ में रखा सामान टेबल पर रखा और उसके सामने बैठते हुए बोली, "तुम्हें मुझसे कुछ बात करनी थी? जो भी बात करनी है वह करो और इन पेपर पर साइन कर दो ताकि कोर्ट में केस फाइल किया जा सके।"


     रेहान ने एक नजर उस फाईल की तरफ देखा और लावण्या का हाथ पकड़ते हुए बोला, "लावण्या! क्या तुम सच में मुझसे अलग होना चाहती हो? क्या वाकई में तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई फीलिंग, कोई प्यार नहीं रह गया? वह सारे वादे वह सारे सपने जो हमने साथ मिलकर देखे थे, वो सारे लम्हे जो हमने एक साथ जिए क्या उन सब का कोई मायने नहीं है? क्या वह सब बेकार हो गए? तुम इतने पत्थर दिल कैसे हो सकती हो लावण्या? हमारी शादी हुई है सात फेरों का रिश्ता यूं ही खत्म नहीं हो जाता। चंद कागजात हमारे रिश्ते को नहीं तोड़ सकता। लावण्या प्लीज! एक बार मेरी तरफ देखो। प्लीज वापस आ जाओ! कह दो, यह सब जो कुछ भी हो रहा है बस सिर्फ मेरा एक सपना है, बुरा सपना। या फिर तुम कोई मजाक कर रही हो।"


   लावण्या अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "नहीं रेहान! ना तो यह कोई तुम्हारा सपना है और ना ही यह सब कोई मजाक। जानते हो रेहान! यह जो हमारा समाज है ना! ये लड़कों की बड़ी से बड़ी गलती को नजरअंदाज कर देता है लेकिन किसी लड़की से गलती ना भी हो तब भी उसे बहुत बुरी तरह से ट्रीट किया जाता है। जबसे तुम्हें ऐसा लगा कि जतिन ने मुझे छुआ है उस दिन के बाद से तुमने मुझसे दूरियां बना ली। क्या मैं कुछ गलत कह रही हूं?"


    रेहान का सर शर्म से झुक गया। आखिर लावण्या की यह बात बिल्कुल सच थी। लावण्या ने आगे कहना जारी रखा। "तुम्हें लगा कि नशे की हालत में मैं जतिन के साथ सोई। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था। मैंने जतिन का इस्तेमाल किया तुम से बदला लेने के लिए। मैं तुम्हें एहसास दिलाना चाहती थी कि मैं किस दर्द से गुजर रही हूं। पिछले कुछ वक्त तुम्हारे लिए कितने मुश्किल रहे हैं यह बात तुम बहुत अच्छे से जानते हो और मैंने भी बार-बार तुम्हारे घाव को कुरेदना है। मैं भी कोई दूध की धूली नहीं हूं रेहान! लेकिन तुम्हारे अलावा मैंने कभी किसी के बारे में सोचा तक नहीं। किसी के करीब जाना तो दूर की बात है। उस रात जतिन मुझे डॉक्टर के पास लेकर गया था और वहां से मैं खुद घर आई थी। जतिन मेरा सिर्फ एक अच्छा दोस्त है जिसने मेरी हेल्प की थी, मेरा फायदा नहीं उठाया था। मैंने बस तुम्हें यह एहसास दिलाया था। एक झूठ जो बिना बोले तुम्हारे दिमाग में डाला था। मैं प्रेग्नेंट नहीं हूं रेहान! बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि डॉक्टर ने साफ-साफ कहा था दूसरी बार प्रेग्नेंट होना यानी मेरी जान जा सकती है। मैं चाहती तो तुम्हारी सारी गलतफहमी एक झटके में दूर कर सकती थी लेकिन वह सारी गलतफहमी मैंने खुद तुम्हारे दिमाग में डाली थी। मैंने तुमसे प्यार किया है रेहान! तुम मेरा पहला प्यार हो और हमेशा रहोगे। एक बात सच सच बताना, जब तुम्हें शरण्या की सच्चाई पता चली थी उस वक्त तुम्हें ऐसा जरूर लगा होगा कि जिस तरह मेरी मां ने शरण्या को एक्सेप्ट कर लिया और पापा को छोड़कर नहीं गई, उसी तरह मैं भी तुम्हारे इस एक गलती को माफ कर दूंगी, है ना? इसमें तुम्हारी गलती नहीं है रेहान! तुम्हारे सामने एक ऐसा एग्जांपल था इसलिए तुमने यही सोचा। लेकिन अगर मैंने भी तुम्हें माफ कर दिया तो कल को बड़ा होकर राहुल के मन में भी यही आएगा। जिस तरह उसकी नानी ने उसके नाना को माफ कर दिया, जिस तरह उसकी मम्मी ने पापा को माफ कर दिया उसी तरह उसे भी माफी मिल जाएगी और यह सब सोचते हुए वह भी वही गलती करेगा जो तुमने की, जो मेरे पापा ने की। नहीं रेहान! बहुत प्यार करती हूं मैं तुमसे लेकिन अपने बच्चे के भविष्य के साथ में नहीं खेल सकती। ना हीं तुम्हारे गुनाह को माफ कर सकती हूं। मैं अपनी मां की तरह घुट घुट कर नहीं जीना चाहती। इसीलिए तुमसे दूर जाने का फैसला किया। ये फैसला मेरे लिए आसान नहीं था, बिल्कुल भी नहीं। मैं यह नहीं कह रही रेहान कि तुम्हें मुझसे प्यार नहीं लेकिन जो गलती तुमसे हुई वह मुझसे छुपाने या दबाने की बजाएं शादी से पहले ही सारी बातें मेरे सामने रख दी होती तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता। ज्यादा से ज्यादा क्या होता? मैं थोड़ा रोती तुमसे नाराज होती तुमसे लड़ती कुछ दिन तुमसे बात नहीं करती लेकिन तुम्हारी सच्चाई मेरे सामने होती और इस बात की पूरी पॉसिबिलिटी थी कि मैं तुम्हें माफ कर देती और यह भी हो सकता था कि मैं इशिता के बच्चे को अपना लेती। लेकिन तुमने अपना गुनाह कबूल करने की बजाय उस गुनाह के सारे निशान मिटाने की कोशिश की। तुम यह बिल्कुल मत सोचना कि मैंने गुस्सा और नफरत में तुमसे अलग होने का फैसला किया है। बिल्कुल भी नहीं! मैं यह सब बहुत सोच समझ कर कर रही हूं रेहान! जब हम कोई गलती करते हैं तो उस गलती को एक्सेप्ट करने की हिम्मत भी होनी चाहिए। अगर हम दोनों का प्यार सच्चा है तो हमारी जिंदगी कभी ना कभी एक बार फिर हमें मिलवाएगी। तबतक तुम इसे अपने गुनाहों की सजा समझ सकते हो। मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूं, तुम्हारे गुनाहों का आधा हिस्सा मेरा भी है। इसलिए तुम्हारे साथ साथ मैं भी सजा भुगत रही हूं। मैं तुमसे कोई शिकायत नहीं करना चाहती रेहान इसीलिए बहुत ही शांति से मैं इस रिश्ते से तुम्हें आजाद करती हूं। मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए कुछ भी नहीं।"


     रेहान अब तक बड़ी खामोशी से लावण्या की बातें सुन रहा था और अपनी गलती का एहसास उसे हो रहा था। उसकी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हुई कि वह लावण्या को बीच में टोके। लावण्या जब अपनी बात कह कर चुप हो गई तो रेहान उसके हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए बड़ी हिम्मत के साथ बोला, "क्या मुझसे अलग होकर तुम............. किसी और के............. साथ............ मेरा मतलब.............."


      लावण्या उसके कहने का मतलब बहुत अच्छे से समझ गई थी। उसने रेहान को बीच में ही रोकते हुए कहा, "रेहान मैंने कहा ना, तुम मेरा प्यार हो और हमेशा रहोगे। अगर मैं किसी और के साथ रिलेशनशिप में आती भी हूं तो मैं कभी उस इंसान से प्यार नहीं कर पाऊंगी और ये उसके साथ सरासर धोखा करना होगा। जब धोखा मैं खुद बर्दाश्त नहीं कर सकती तो किसी और के साथ करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। नहीं रेहान! यह मुझसे नहीं होगा। मुझे तुम ने छुआ है, मैं तुम्हारी हो चुकी, पूरी तरह से। ऐसे में किसी और की कैसे हो सकती हूं। मुझे अपनी जिंदगी जीने के लिए किसी के साथ की जरूरत नहीं ना ही कोई सहारा चाहिए। तुम्हारे साथ जो वक्त गुजरा वो बहुत खूबसूरत था। उन लम्हों को याद कर मैं अपनी पूरी जिंदगी जी लूंगी लेकिन अपने प्यार का बंटवारा नहीं कर सकती, ना ही खुद का। मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ रेहान जिसे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर तुम्हारी समझ में आज बाते आ गई हो तो प्लीज इन पेपर पर साइन करो और यहां से जाओ।" कहते हुए लावण्या की आंखों में आंसू थे। 


     रेहान को अच्छे से एहसास हो गया कि उसने लावण्या को कितनी ज्यादा तकलीफ दी है। उसने चुपचाप उन पेपर पर साइन किए और केबिन से बाहर निकल गया। ऐसा करते हुए उसकी आंखों में भी नमी थी।