Chapter 63
सुन मेरे हमसफ़र 56
Chapter
कुणाल, कुहू के इस सवाल से सन्न रह गया। उसे समझ ही नहीं आया कि वह इस सवाल का जवाब कैसे दें। झूठ वो बोल नहीं सकता था और सच कुहू सुन नहीं पाती। इस वक्त वह एक धर्मसंकट में फंसा था। उसने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन समझ नहीं आया कि वह क्या कहें, क्या जवाब दें।
कुहू उसके ही जवाब का इंतजार कर रही थी। एकदम से अव्यांश ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और बोला "और मेरे होने वाले जीजा जी! इतने दिन से कहां गायब थे आप? कब वापस आना हुआ? एक बार बता दिया होता तो मैं खुद आपको लेने चला आता।"
कुणाल ने अव्यांश की तरफ देखा। उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी, उसे वह साफ समझ रहा था। भले ही वो किसी को बताना नहीं चाहता था, लेकिन कुणाल के मन की बात अव्यांश को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था। कुहू कुछ कहती, उससे पहले ही अव्यांश ने कहा "कुहू दी! अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं आपके होने वाले ओहो ओहो को थोड़ी देर के लिए ले जा सकता हूं।"
कुहू थोड़ा सा शर्मा गई। उसने वहां खड़ी अपनी सहेलियों की तरफ देखा और बोली "तुम लोग बात करो, मैं अपने फ्रेंड्स को देखती हूं।" और वहां से चली गई।
कुहू के जाते ही अव्यांश के चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी, वो एकदम से गायब हो गई। कुणाल जानता था, अव्यांश उससे क्या सवाल करने वाला है। उसने खुद आगे पहल की और कहा, "मैं कुहू से बहुत प्यार करता हूं, लेकिन वो सिर्फ मेरी एक अच्छी दोस्त है, उससे ज्यादा कुछ नहीं।"
अव्यांश का दिल कर रहा था वो कुणाल को पटक पटक कर मारे। फिर भी उसने खुदको शांत रखा और अपने होठों पर मुस्कुराहट लाकर कहा, "अगर ऐसी बात है तो तुम्हें पहले ही बात क्लियर करनी चाहिए थी। शादी के बाद अगर तुम उनसे यह सारी बातें कहोगे, तब वह किस कदर टूट जाएगी ये तुम कभी नहीं समझ पाओगे। वो प्यार करती है तुमसे। तुम इस तरह उसे धोखा नहीं दे सकते।"
कुणाल ने कुहू की तरफ देखा जो अपनी सहेलियों के साथ बातें कर रही थी और कहा "मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया। वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है। उसके साथ अपनी हर बात शेयर की है मैंने। लेकिन एक बात शेयर नहीं कर पाया। और वो एक बात ऐसे मुझे परेशान करेगा, मैंने कभी सोचा नहीं था। मैंने बहुत कोशिश की उसे सब कुछ बताने की। मैंने कोशिश की थी उसे समझाने की लेकिन वह हमारे रिश्ते को लेकर ही इतनी ज्यादा एक्साइटेड थी कि............."
अव्यांश कुणाल पर ही नाराज होता हुआ बोला "देखो कुणाल! वजह क्या है, तुम्हारी मजबूरी क्या है, मैं कुछ नहीं जानता। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि मेरी बहन की खुशी मेरे लिए बहुत मायने रखती है। तुमने उससे सगाई की है तो इस रिश्ते को तुम्हें निभाना होगा। अगर तुम्हारी वजह से मेरी बहन को कोई तकलीफ हुई तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा और ये मैं मजाक नहीं कर रहा।" इतने में कुणाल का फोन बजा। उसने कॉलर के नाम को देखा और अव्यांश को "एक्सक्यूज मी" बोलकर कॉल रिसीव करते हुए बाहर दरवाजे की तरफ बढ़ा।
*****
काया रास्ता रोक खड़ी थी। वो लड़का काया के पीछे अंदर की तरफ देखते हुए बोला "देखिए मिस! आप जो भी है........"
काया और ज्यादा बिफर पड़ी। "ओहो! तो आप मिस्टर को यह भी नहीं पता कि मैं कौन हूं! बहुत अनजान बन रहे हो? बहुत खुद को स्मार्ट समझते हो? तुम्हारी सारी स्मार्टनेस, तुम्हारी सारी चालाकी, मैंने यूं चुटकियों में ना निकाल दी तो मेरा नाम भी कायरा नहीं।"
काया के तेवर देख सुहानी कंफ्यूज हो गई। उसने पूछा "क्या हो गया है तुझे? तू इस तरह क्यों इसे इतना सुना रही है? यह बेचारा अपने दोस्त से मिलने आया है। हो सकता है डैड या चाचू में से किसी को जानता हो।"
काया हाथ नचाते हुए बोली "कोई मेहमान नहीं है यहां का। किसी से मिलने नहीं आया है। इस जैसे लफंगे को कौन ही जानता होगा यहां पर। किराए का सूट पहनकर आया है। बहुत अच्छे से जानती हूं मैं इसे। मिस्टर ऋषभ! यही नाम है ना तुम्हारा?"
वह लड़का जो अब तक हैरानी से काया को देखे जा रहा था, एकदम से जैसे उसे कुछ समझ में आया और वह हंसते हुए बोला "देखिए मिस! आपको कोई बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है। मेरा नाम ऋषभ नहीं कार्तिक है।"
काया हंसते हुए बोली "हां! अब अपना नाम भी बदल लो। तुम ऋषभ नहीं कार्तिक हो। तुम बाहर वाले नहीं बल्कि हमारे रिश्तेदार हो और ये पार्टी तुम्हारी है। हम तो गेस्ट बनकर आए हैं यहां पर, है ना? बेवकूफ समझा है मुझे! तुम्हारी शक्ल मैं कभी नहीं भूल सकती, और ना तुम्हारा नाम। लुच्चा लफंगा आवारा सड़क छाप रोमियो कहीं के! निकलो अभी के अभी, वरना यहां से अपने पैरों पर नहीं जा पाओगे।"
सुहानी ने अपना सर पकड़ लिया।